(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 1010/1997
(जिला मंच गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0 261/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27/05/1997 के विरूद्ध)
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, गाजियाबाद द्वारा उपाध्यक्ष।
…अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
मूल चन्द्र गुप्ता, निवासी- मोदी की धरमशाला, न्यू मंडी, मुजफ्फरनगर – 251001
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री चन्द्रभाल श्रीवास्तव, पीठा0 सदस्य।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य ।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री अरविन्द कुमार के सहयोगी
श्री उमेश कुमार श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 09-07-15
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता फोरम, गाजियाबाद परिवाद सं0 261/1995 मूल चन्द्र गुप्ता बनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांकित 27/05/1997 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
जिला मंच द्वारा प्रश्नगत आदेश के माध्यम से विपक्षी/अपीलार्थी को आदेशित किया गया है कि वह परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा जमा की गई धनराशि मु0 40,000/ रूपये को 18 प्रतिशत ब्याज सहित वापस करे एवं मु0 2000/ रूपये क्षतिपूर्ति हेतु आदेश पारित किया था जिससे क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील योजित किया गया है।
परिवाद का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी प्रश्नगत प्लाट प्राप्त करने हेतु विपक्षी के पक्ष में मु0 40,000/ रूपये जमा किया परन्तु परिवादी/प्रत्यर्थी को नहीं उपलब्ध कराया गया एवं विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा दूसरे प्लाट को उपलब्ध कराने की बात कही गई। अत/ परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा जमा की गई धनराशि की मांग की गई।
विपक्षी द्वारा जिला मंच के समक्ष परिवाद पत्र का विरोध किया गया और यह कहा गया कि विपक्षी द्वारा परिवादी उसी तरह के दूसरे प्लाट पर कब्जा दिये जाने हेतु परिवादी को पत्र
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दिया गया परन्तु उसने कब्जा नहीं लिया और यह भी अभिवचित किया गया कि यदि परिवादी पैसा वापस चाहता है कि बिना ब्याज के कटौती के उपरान्त धनराशि वापस की जा सकती है।
जिला मंच द्वारा उभय पक्ष द्वारा की गई बहस को सुनने के उपरान्त उक्त निर्णय/आदेश पारित किया गया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा बहस को सुना गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का परिशीलन किया गया।
वर्तमान प्रकरण में अविवादित रूप से परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा मु0 40,000/ रूपये प्लाट प्राप्त करने हेतु विपक्षी/अपीलार्थी के पक्ष में जमा किया गया एवं अविवादित रूप से परिवादी/प्रत्यर्थी को अभिवचित प्लाट उपलब्ध नहीं कराया गया एवं जमा धनराशि भी वापस नहीं की गई। अत: परिवादी/प्रत्यर्थी जमा धनराशि मय ब्याज पाने का अधिकारी है।
जिला मंच द्वारा इस संदर्भ में दिया गया निर्णय/आदेश विधि अनुकूल है परन्तु जिला मंच द्वारा 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज दिलाये जाने का आदेश पारित किया गया है जो अत्यधिक है। मुकदमें की परिस्थितियों को देखते हुए 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिलाया जाना उचित पाया जाता है। जमा धनराशि पर ब्याज का अनुतोष प्रदान किया जाता है। अत: अलग से क्षतिपूर्ति का आदेश उचित नहीं पाया जाता है। अत: उक्त आदेशों संशोधन के कारण अंशत: स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील अंशत: स्वीकार करते हुए जिला मंच गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0 261/1995 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 27/05/1997 में 18 प्रतिशत ब्याज दर के स्थान पर 10 प्रतिशत ब्याज दर संशोधित किया जाता है एवं मु0 2000/ रूपये क्षतिपूर्ति के संदर्भ में अपास्त किया जाता है। निर्णय/आदेश के शेष भाग की पुष्टि की जाती है। उभय पक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय-भार स्वयं वहन करेंगे।
(चन्द्रभाल श्रीवास्तव) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सुभाष चन्द्र आशु0
कोर्ट नं0 2