Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/194/10

VIMAL SINGH - Complainant(s)

Versus

RILIANCE GENRAL INSORENCE - Opp.Party(s)

PRATIBHA

12 Aug 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/194/10
 
1. VIMAL SINGH
kakadev knp
...........Complainant(s)
Versus
1. RILIANCE GENRAL INSORENCE
the mall knp
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

 

                                             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर

अध्यासीनः     डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                      पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य

                                                  उपभोक्ता परिवाद संख्याः-388/2010

चन्द किषोर सैनी पुत्र स्व0 राम औतार सैनी निवासी ग्राम पनकी भौसिंह पोस्ट पनकी कानपुर।
                                           ................परिवादी
बनाम
मण्डलीय प्रबन्धक, दि ओरियन्टल इन्ष्योरेन्स कंपनी लि0 मण्डलीय कार्यालय 111ए/6 अषोक नगर, कानपुर।
                               ..............विपक्षी
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 21.06.2010
निर्णय की तिथिः 21.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.    परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को विपक्षी से ट्रक सं0-न्च्.78 ।छ.9127 में हुई टूट-फूट की मरम्मत में खर्च हुआ रू0 79,995.00 का भुगतान मय 12 प्रतिषत ब्याज दुर्घटना तिथि से दिनांक 01.09.09 तक दिलाया जाये, परिवादी को विपक्षी से मानसिक रूप से हुई परेषानी के बावत रू0 20,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2.    परिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ट्रक सं0-न्च्.78 ।छ.9127 का मालिक हैै, जिसका बीमा विपक्षी के कार्यालय से जरिये पाॅलिसी नं0-31/2010/011 दिनांक 02.04.09 को 12 बजे से दिनांक 01.04.10 की मध्य रात्रि की अवधि तक के लिए पैकेज पाॅलिसी जोन-सी. द्वारा कराया था। उक्त पाॅलिसी में ट्रक के आन डैमेज की रिस्क उपरोक्त वर्णित पाॅलिसी अवधि के लिए कवर थी। इसके पूर्ववर्ती वर्श में भी परिवादी ने अपने उक्त ट्रक का बीमा विपक्षी कार्यालय से उक्त पाॅलिसी के अंतर्गत दिनांक 02.04.08 से 01.04.09 तक के लिए कराया गया था। दिनांक 01.09.09 को राश्ट्रीय राजमार्ग एन.एच.-2 पर स्टील अथारिटी चैराहा पनकी  कानपुर के पास किसी अज्ञात  गाड़ी से पीछे से
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अचानक टकराकर ट्रक पलट गयी जिससे ट्रक का रेडिएटर, रेडिएटर फेम, आयल चेम्बर, स्टेरिंग बेकेट, इंजन का माउटिंग सेट, रेडिएटर पाइप, आगे के सीसे, बाड़ी का आगे का हिस्सा इत्यादि व उससे सम्बन्धित अन्य भाग टूट गया, जिसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी के कार्यालय में दिनांक 02.09.09 को सुबह दे दी। परिवादी द्वारा दिनांक 04.09.09 को दावा फार्म व मरम्मत का इस्टीमेट प्रस्तुत किया जिस पर विपक्षी ने फाइनल सर्वे एवं हानि निर्धारण हेतु सर्वे कराया और फोटोग्राफ विपक्षी के सर्वेयर ने ले लिया। परिवादी ने अपनी गाड़ी बनवाई और उसकी भी फोटोग्राफ विपक्षी के सर्वेयर ने ले लिया। पाॅलिसी की षर्त के अनुसार परिवादी की गाड़ी के सभी कागजात व चालक रामनरेष का वाहन चलाने का वैध एवं प्रभावी अनुज्ञा पत्र था। परिवादी के उक्त ट्रक की मरम्मत में रू0 79,945.00 खर्च हो गया। परिवादी द्वारा सभी औपचारिकतायें पूर्ण करने के पष्चात भी विपक्षी द्वारा परिवादी का दावा दिनांक 09.03.10 को यह कहकर कि गाड़ी दुर्घटना में टूट-फूट हुई है, परन्तु यह कहकर कि दुर्घटना स्थल व दुर्घटना तिथि में अंतर है, दावा खरिज कर दिया, जो कि सेवा में कमी है। फलस्वरूप परिवादी को विवष होकर प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.     विपक्षी बीमा कंपनी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में अंकित अंतर-वस्तु का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है तथा अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा टूट-फूट में खर्च की बात बहुत बढ़ा-चढ़ाकर लिखी गयी है। परिवादी, विपक्षी बीमा कंपनी से किसी भी प्रकार का क्लेम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा दिनांक 02.09.09 स्टील अथार्टी चैराहा पनकी कानपुर के पास दुर्घटना होने की झूठी सूचना दी, जिस पर विपक्षी के द्वारा स्थलीय निरीक्षण के लिए श्री परमजीत सिंह को नियुक्त किया और फिर फाइनल सर्वे एवं हानि निर्धारण के लए श्री ए0के0 सिन्हा को नियुक्त किया और उनकी रिपोर्ट के अनुसार जिसमें दुर्घटना स्थल एवं दुर्घटना तिथि संदिग्ध होने के कारण स्वतन्त्र अन्वेशक श्री गंगा सिंह को जाॅंच हेतु नियुक्त किया गया एवं अन्वेशक श्री गंगा सिंह द्वारा किये गए इन्वेस्टीगेषन में ट्रक चालक श्री रामनरेष ने दिनांक 16.01.10 को श्री गंगा 
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सिंह को लिखकर दिया कि दुर्घटना दिनांक 20.08.09 को कदौरा से जोल्हापुर मोड से एक किलोमीटर आगे घटित हुई थी, जिस पर राजेष सैनी व परिचालक सोनू ने भी गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किए हैं। परिवादी द्वारा झूठी एवं भ्रामक सूचनायें देकर विपक्षी कंपनी को धोखा देने का प्रयास किया है। अतः परिवादी का क्लेम नियमानुसार खारिज किया गया है। परिवादी का परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 16.06.10, 22.08.13 एवं राजेष सैनी का षपथपत्र दिनांकित  22.08.13 व रामनरेष, चालक का षपथपत्र दिनांकित 22.08.13 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में बीमा पाॅलिसी की दो प्रतियां, आर0सी0 की प्रति, माल यान परमिट की प्रति, फिटनेस प्रमाण पत्र की प्रति, रजिस्ट्रेषन रसीद की प्रति, डी0एल0 की प्रति, विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित पत्र दिनांकित 09.03.10 की प्रति, आनन्द आॅटो एजेंसी के कैष इनवायस की प्रति, भाटिया आॅटो स्टोर के बिल की प्रति, अनिल षो रिपेयरिंग वक्र्स की प्रति, कृश्णा बाड़ी रिपेयर के बिल की प्रति, नीलम इण्डस्ट्रीज के बिल की प्रति, जय बाला जी मोटर ग्लास फिटिंग वक्र्स के बिल की प्रति, टोचिंग रसदी की प्रति, अजीज आटो डीजल वक्र्स के बिल की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.     विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में डा0 एस.जे. सिंह, वरिश्ठ मण्डलीय प्रबन्धक का षपथपत्र दिनांकित 28.09.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में मोटर क्लेम फार्म की प्रति, गंगा सिंह इन्वेस्टीगेटर की रिपोर्ट की प्रति, परिवादी को प्रेशित पत्र दिनांकित 09.03.10 की प्रति दाखिल किया है।
ःःनिष्कर्शःः

6.     फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं परिवादी द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया। 
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    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में मुख्य विवाद का विशय यह है कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी के ट्रक को दिनांक 01.09.09 को पीछे से किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दिया, जिससे परिवादी के ट्रक में उत्पन्न मरम्मत का कार्य परिवादी द्वारा रू0 79,945.00 खर्च करके सम्पन्न कराया गया। विपक्षी द्वारा परिवादी का बीमा क्लेम दिनांक 09.03.10 को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि दुर्घटनास्थल व दुर्घटना तिथि में अंतर है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से यह तर्क किये गये हैं कि परिवादी के ट्रक के उपरोक्तानुसार दुर्घटना दिनांक 01.09.09 को राश्ट्रीय राजमार्ग एन.एच.-2 पर स्टील अथारिटी चैराहा पनकी कानपुर के पास पीछे से आ रही किसी अज्ञात वाहन से टकराने से हो गया था। विपक्षी के कथनानुसार परिवादी द्वारा दिनांक 02.09.09 को स्टील अथारिटी चैराहा पनकी कानपुर के पास दुर्घटना होने की झूठी सूचना दी गयी है, जिस पर विपक्षी द्वारा स्थलीय निरीक्षण के लिए श्री पमरजीत सिंह को नियुक्त किया और फिर फाइनल सर्वे एवं हानि निर्धारण करने के लिए श्री ए0के0 सिन्हा को नियुक्त किया गया और उनकी रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना स्थल व दुर्घटना तिथि संदिग्ध होने के कारण स्वतंत्र अन्वेशक श्री गंगा सिंह को निुयक्त किया गया। स्वतंत्र अन्वेशक श्री गंगा सिंह द्वारा किये गये इन्वेस्टीगेषन में ट्रक चालक श्री रामनरेष ने दिनांक 16.01.10 को श्री गंगा सिंह को लिखकर दिया कि दुर्घटना दिनांक 20.08.09 को कदौरा से जोल्हापुर मोड़ से एक किलोमीटर आगे घटित हुई थी, जिस पर राजेष सैनी व परिचालक सोनू ने भी गवाह के के रूप में हस्ताक्षर किये हैं।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में अतिरिक्त अन्वेशक गंगा सिंह के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट दिनांक 17.01.10 तथा उक्त रिपोर्ट के साथ प्रष्नगत ट्रक के ड्राईवर रामनरेष के द्वारा दिये गये बयान की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। प्रष्नगत ट्रक के ड्राईवर द्वारा दिये गये बयान की पुश्टि के लिए अन्वेशक द्वारा 2 गवाह राजेष सैनी तथा सोनू के हस्ताक्षर मय उनके पते के कराये गये हैं। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त साक्ष्य से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा घटनास्थल के सम्बन्ध 
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में अपने परिवाद पत्र में गलत तथ्य अंकित किये गये हैं। बीमा अधिनियम एक जन कल्याणकारी अधिनियम है। बीमा अधिनियम के अंतर्गत पीडि़त को सर्वोच्च विष्वास के आधार पर क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है, जिसके अंतर्गत पीडि़त/परिवादी को कोई गलत तथ्य प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र नहीं छोड़ा जा सकता। विधि का भी यह सुस्थापित सिद्धांत है कि परिवादी न्यायालय/फोरम के समक्ष स्वच्छ हांथो से आयेगा। प्रस्तुत मामले में परिवादी द्वारा फोरम से वास्तविक तथ्यों को छिपाकर परिवाद दाखिल किया गया है। अतः इसी आधार पर परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
    विपक्षी की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि परिवादी द्वारा अत्यन्त बढ़ा-चढ़ाकर अभिकथित दुर्घटना की तिथि से पूर्व में प्रष्नगत ट्रक में हुई टूट-फूट के लिए भी बिल प्रस्तुत किये गये हैं। इस आधार पर भी परिवादी का परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। विपक्षी के उपरोक्त तर्क के विरूद्ध परिवादी की ओर से अपनी लिखित बहस एवं मौखिक बहस में यह कथन किया गया है कि विपक्षी के सर्वेयर द्वारा कुछ टूट-फूट को पुरानी बताकर अंततः परिवादी का क्लेम रू0 50,919.00 के लिए पास किया। विपक्षी के अतिरिक्त अन्वेशक सेवानिवृत्त ए.डी.एम. गंगा सिंह परिवादी के पुत्र एवं चालक व क्लीनर को गुमराह करके परिवादी के पुत्र से झूठा बयान लिखवा लिया और चालक के हस्ताक्षर करा लिये। परिवादी द्वारा अपने पुत्र व चालक का षपथपत्र त्मइनजंस/प्रतिउत्तर में दाखिल किया गया है। आई.आर.डी.ए. के नियम के तहत फाइनल सर्वे सर्वेयर ए.के. सक्सेना से कराने के उपरान्त सर्वेयर नियुक्त करने का अधिकार विपक्षी को नहीं है।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी की ओर से अतिरिक्त अन्वेशक सेवानिवृत्त ए.डी.एम. श्री गंगा सिंह की रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी है। उक्त रिपोर्ट के साथ रिपोर्ट की पुश्टि में रामनरेष प्रष्नगत ट्रक के अभिकथित चालक के बयान की प्रति प्रस्तुत की गयी है। उक्त बयान पर राजेष सैनी एवं सोनू के  हस्ताक्षर कराये गये हैं।  उपरोक्त बयान  में उपरोक्त दोनों 
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व्यक्तियों के हस्ताक्षर उनके पते के ही हैं। परिवादी की ओर से इस आषय का कोई अभिवचन नहीं किया गया है कि उपरोक्त में से कोई व्यक्ति नाबालिक हो। अतः उपरोक्त बयान का खण्डन, बयान देने के बाद प्रस्तुत किये गये षपथपत्रों से नहीं होता है। विपक्षी की ओर से प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट के अनुसार अभिकथित घटनास्थल गलत सिद्ध होती है। सर्वेयर की रिपोर्ट मात्र रायकारी रिपोर्ट होती है। मात्र सर्वेयर की रिपोर्ट देने से परिवादी का क्लेम नहीं बनता है। उपरोक्त रिपोर्ट के अनुसार अभिकथित घटना की रिपोर्ट 13 दिन बाद दिया जाना सिद्ध होता है। जिससे भी बीमा षर्तों का उल्लंघन होता है। अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में भी परिवादी का प्रस्तुत परिवाद 13 दिन विलम्ब से सूचना देने के कारण तथा वास्तविक तथ्यों को छिपाये जाने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
                               :ःःआदेषःःः
7.    परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

              (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।   

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI]
MEMBER

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