जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी...................वरि.सदस्या
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-255/2014
अवनीष कुमार अवस्थी पुत्र श्री देवेन्द्र कुमार अवस्थी, निवासी मकान नं0-107/239-ए, नेहरू नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. षाखा प्रबन्धक, रिलायन्स कम्यूनिकेषन लि0, 16/104-ए, सिविल लाइन्स द्वितीय तल कानपुर नगर।
2. प्रबन्धक निदेषक, रिलायन्स कम्यूनिकेषन लि0, ब्लाक-ए धीरू भाई अम्बानी नालेज सिटी, नवी मुम्बई।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 19.06.2014
निर्णय की तिथिः 06.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी को, विपक्षीगण से रू0 1,00,000.00 दिलाया जाये तथा अन्य कोई उपषम जो मा0 फोरम उचित समझे वह भी दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का यह कथन है कि परिवादी द्वारा रिलायन्स कम्यूनिकेषन लि0 का एक सिम नं0-9026291095 दिनांक 01.01.09 को रिलायन्स वेब वल्र्ड गोविन्द नगर से क्रय किया था, जो कि विपक्षी कंपनी द्वारा परिवादी को बिना कोई सूचना दिये दिनांक 20.01.14 को बन्द कर दिया गया। जब परिवादी उक्त षिकायत लेकर विपक्षी की षाखा कार्यालय सिविल लाइन कानपुर गया तो उसे बताया गया कि आपका सिम बन्द कर दिया गया है, आप पोस्टपेड नम्बर ले लें। परिवादी ने पोस्टपेड नम्बर लेने से मना कर दिया, क्योंकि परिवादी का उक्त सिम नम्बर व्यापारिक सम्बन्धों में बंटा हुआ था। जिससे परिवादी को व्यापार में आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। उक्त सिम बन्द होने के पष्चात परिवादी की परीक्षायें छूट गयी थीं। परिवादी ने विपक्षी
..........2
...2...
को नोटिस दिनांक 07.06.14 को भेजी, जिसे विपक्षी ने लेने से इंकार कर दिया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा विधिक नोटिस दिनांक 28.01.14 को विपक्षी को भेजी गयी। कंपनी द्वारा परिवादी को उक्त नोटिस का जवाब 11.03.14 को दिया गया। विपक्षी द्वारा अपने उत्तर दिनांकित 11.03.14 में यह स्वीकार किया गया है कि परिवादी का उपरोक्त सिम दिनांक 20.01.14 को बन्द कर दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 03.04.14 को विपक्षी के प्रबन्ध निदेषक धीरू भाई अम्बानी को नेाटिस भेजी गयी, जिसका तामीला दिनांक 07.04.14 को हो गया, किन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी का नम्बर चालू नहीं किया गया। परिवादी को यह विदित हुआ कि मनीश नामक व्यक्ति को बांदा में परिवादी का उपरोक्त नम्बर विपक्षी कंपनी द्वारा एलाट कर दिया गया है। परिवादी की परीक्षाएं छूटने एवं व्यापार में आर्थिक क्षति के लिए रू0 1,00,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादी, विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है। अतः विवष होकर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 27.08.15 को विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 18.06.14 एवं 10.12.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में रजिस्ट्री पत्र, नोटिस की प्रति, विपक्षीगण द्वारा प्रेशित नोटिस का उत्तर दिनांकित 11.03.14 की प्रति, परिवादी द्वारा मुख्य डाकपाल को प्रेशित पत्र की प्रति, पोस्ट आॅफिस द्वारा जारी डिलीवरी स्टेटस की प्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
...3...
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अभिकथित नोटिस दिनांक 07.06.14 नहीं दाखिल की गयी है। परिवादी द्वारा नोटिस दिनांक 03.04.14 तथा विधिक नोटिस दिनांक 28.01.14 दाखिल की गयी है। इस प्रकार परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित कथन साक्ष्य के सापेक्ष नहीं हैं। परिवादी द्वारा अभिकथित क्षति के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। विधि का यह प्रतिपादित सिद्धांत है कि जिन तथ्यों को अन्य प्रलेखीय साक्ष्य से साबित किया जा सकता है, उन तथ्यों को षपथपत्र के द्वारा साबित नहीं किया जा सकता है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श से फोरम इस मत का है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई सारवान तथ्य व सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
6. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(श्रीमती सुनीताबाला अवस्थी) (पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्या सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर। कानपुर नगर।