जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-795/2006
मनीश कुमार साहू पुत्र श्री एम0एल0 साहू निवासी 104ए/196 रामबाग, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. मेसर्स रिलायन्स कैपिटल लि0, विपेज मेघपुर/पदाना लालपुर जिला जामनगर, पिन-361280 (गुजरात) द्वारा निदेषक।
2. मेसर्स कारवी कन्सल्टेंट लि0, यूनिट रिलायन्स कैपिटल लि0, कारवी हाउस, 21 एवेन्यू 4, स्ट्रीट नं0-1, बंजारा हिल्स, हैदराबाद द्वारा रजिस्ट्रार।
3. मेसर्स स्टाक होल्डिंग कार्पोरेषन ऑफ इण्डिया लि0, डिपाजिटरी पार्टीसेपैन्ट, 5वीं मंजिल, पदम टावर-1, 14/113 सिविल लाइन्स, कानपुर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 14.09.2006
निर्णय तिथिः 19.04.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी सं0-2 व 3 को निर्देषित किया जाये कि वे षेयर प्रमाण पत्र सं0-88368 डिस्टिंटिव नं0-10642901 लगायत् 3000 परिवादी की डी.पी.आई.डी. नं0-300888 परिवादी के डिमैट खाता सं0-13803084 में 100 षेयर्स परिवादी के खाते में जमा करे तथा उस पर बकाया अर्जित लाभ परिवादी को अदा करे अथवा उसका वर्तमान बाजार मूल्य तथा बकाया अर्जित लाभ परिवादी को अदा करें, सेवा में कमी, अनैतिक व्यापार व्यवहार पद्धति के मद में रू0 15000.00 तथा परिवाद व्यय रू0 10000.00 विपक्षी सं0-2 व 3 अलग-अलग अदा करे और अनैतिक व्यवहार व्यापार पद्धति के लिए क्षतिपूर्ति हेतु रू0 15000.00 विपक्षी सं0-2 परिवादी को अदा करे।
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2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि विपक्षी सं0-1 पब्लिक लि0 कंपनी है, जिसने अपने षेयर्स आम जनता को बेंचे हैं। परिवादी उक्त कंपनी के 100 षेयर का धारक है। विपक्षी सं0-2, विपक्षी सं0-1 का रजिस्ट्रार व ट्रांसफर एजेंट है तथा विपक्षी सं0-1 की कंपनी के षेयर ट्रांसफर करता है, षेयर डिमैट करता है, षेयर होल्डर के पत्रों का जवाब देता है एवं वार्शिक लाभ व डिविडेंट डिस्पैच करता है। इस काम के लिए विपक्षी सं0-2 को सेबी से मान्यता प्राप्त है तथा अधिकृत है। विपक्षी सं0-3 डिपाजिटरी पार्टीसिपैन्ट है। परिवादी का उपरोक्त डिमैट खाता संचालित व मेंटेन करने के एवज में वार्शिक मेन्टीनेन्स चार्ज वसूल करता है। षेयर डिमैट के लिए प्रोसेस करता है। प्रत्येक तिमाही बैलेन्स षेयर का स्टेटमेंट भेजता है, जिसमें डिमैट किये हुए षेयर जमा होते हैं तथा बिक्री किये हुए षेयर घटाये जाते हैं। दिनांक 27.08.99 को परिवादी ने विपक्षी सं0-1 की कंपनी के 400 षेयर जिसके सर्टीफिकेट नं0-163883, 88368, 572121 तथा 105697 जिसके डिस्टिंटिव नं0-19184901 लगायत 5000, 10642901 लगायत् 3000, 29082001 लगायत् 2100 तथा 12375801 लगायत् 5900 क्रमषः उक्त प्रष्नगत 400 षेयर विपक्षी सं0-3 के पास डिमैट करने तथा खाता सं0-डी.पी.आई.डी. नं0-300888 क्लेन्ट आई.डी. नं0-13803084, डिमैट रिक्वेस्ट फार्म सं0-987699832 के द्वारा जमा किये गये थे। उपरोक्त 400 षेयर में से 300 षेयर डिमैट करके परिवादी के खाते में जमा कर दिये गये तथा प्रमाण पत्र सं0-88368 डिस्टिंटिव नं0-10642901 लगायत् 3000 परिवादी के डिमैट खाते में जमा नहीं किये गये। परिवादी लगातार विपक्षी सं0-3 के संपर्क में रहा, परन्तु विपक्षी सं0-3 ने बकाया 100 षेयर के बारे में कोई सही जानकारी नहीं दी। विपक्षी सं0-3 व 2 को दिनांक 08.11.2000 को पत्र लिखकर जानकारी मांगी, लेकिन विपक्षी सं0-2 ने कोई संतोशजनक कार्यवाही नहीं की। विपक्षी सं0-3 ने पुनः दिनांक 24.07.01 को विपक्षी सं0-2 को पत्र लिखा तथा वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की। विपक्षी सं0-3 ने पुनः दिनांक 20.11.01 को विपक्षी सं0-2 को पत्र लिखा, जिसकी एक प्रति परिवादी को भी उपलब्ध करायी गयी। परन्तु विपक्षी सं0-2 द्वारा कोई भी
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कार्यवाहीं नहीं की गयी। विपक्षी सं0-2 का यह कार्य सेवा में कमी की परिभाशा में आता है। इस प्रकार विपक्षी सं0-2 ने कोई न कोई बहाना करके परिवादी के डिमैट खाते में परिवादी के बकाया 100 षेयर जमा नहीं किये गये। विपक्षी सं0-2 व 3 ने मिलीभगत करके न ही तो उपरोक्त षेयर परिवादी के खाते में जमा किये और न ही तो परिवादी को कोई स्पश्ट कारण बताया गया। विपक्षी सं0-2 व 3 ने अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की गरज से हीला-हवाली की है। परिवादी के बकाया 100 षेयर परिवादी के खाते में जमा न होने के कारण परिवादी को उस पर अर्जित लाभ बावजूद विधिक नोटिस प्राप्त नहीं हुआ। विपक्षी सं0-3 ने 15 जुलाई 2005 के अपने पत्र के माध्यम से परिवादी को यह बताया कि विपक्षी सं0-2 का टेलीफोन नं0.................है, उस पर संपर्क करें। विपक्षी सं0-3 का यह कार्य घोर लापरवाही एवं उपेक्षापूर्ण बर्ताव तथा सेवा में कमी की परिभाशा में आता है। विपक्षी सं0-2 ने विधिक नोटिस दिनांकित 12.07.05 के जवाब में अपने पत्र दिनांकित 25.08.05 के माध्यम से यह बताया कि उक्त षेयर 1996 में कालमनी जमा न होने के कारण जब्त कर लिये गये। जबकि परिवादी ने अपने षेयर दिनांक 27.08.99 में डिमैट होने के लिए दिये थे, जो षेयर वर्श 1999 में डिमैट होने के लिए दिये गये थे, वह षेयर 1996 में कैसे जब्त कर लिये गये। जबकि विपक्षी सं0-2 के पूर्ववर्ती रजिस्ट्रार ने दिनांक 22.06.96 के पत्र के साथ परिवादी के 400 षेयर परिवादी को ट्रांसफर कर दिये। इस प्रकार स्पश्ट होता है कि विपक्षी सं0-2 ने अपने रिकार्ड का ठीक ढंग से रख-रखाव नहीं कर सका। परिवादी को वर्श 1997 से लेकर आज तक मानसिक परेषानी भुगत रहा है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि विपक्षी उत्तरदाता की ओर से सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी हैं परिवाद आधारहीन तथ्यों पर योजित होने के कारण सव्यय खारिज किया जाये।
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परिवादी द्वारा जमा किये गये 100 सूट षेयर कालमनी जमा न करने के कारण विपक्षी कंपनी के द्वारा जब्त कर लिये गये। परिवादी द्वारा दिनांक 27.08.99 को अपने जमा करने वाले सहभागीदार विपक्षी सं0-3 के साथ 400 षेयर, 100 सूट षेयर के साथ क्मउंजतपंसप्रंजपवद के लिये जमा किया जाना बताया गया हैं उपरोक्त 400 षेयरों में से 300 षेयर दिनांक 03.11.99 को क्मउंजतपंसप्रंजपवद किये जा चुके हैं। प्रष्नगत 100 षेयर प्रथम एवं अंतिम कालमनी जमा न करने के कारण कंपनी द्वारा जब्त कर लिये गये और इस प्रकार प्रष्नगत षेयरों का वैध क्मउंजतपंसप्रंजपवद परिवादी के पक्ष में विधिनुसार किया जाना संभव नहीं है। परिवादी स्वयं उपरोक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों से वाकिब था। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
4. विपक्षी सं0-3 की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि उभयपक्षों के मध्य सम्पादित इकरारनामे की धारा-17 के अनुसार पक्षकारों के मध्य यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो उसका विनिष्चन आर्बीट्रेटर के द्वारा किया जायेगा और उक्त धारा के इकरारनामे के अनुसार मात्र मुम्बई स्थित न्यायालयों को मामले के विनिष्चयन का अधिकार होगा। अतः क्षेत्राधिकार के आधार पर परिवाद खारिज किया जाये। परिवाद कालबाधित है, क्योंकि वाद कारण दिनांक 30.08.99 को उत्पन्न होता है, जब प्रष्नगत षेयरों को क्मउंजतपंसप्रंजपवद के लिए परिवादी द्वारा जमा किये गये थे। अतः परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-26 के अंतर्गत खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 10.05.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1 लगायत् 15 दाखिल किया है।
विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी सं0-3 ने अपने कथन के समर्थन में रूची पालिवाल ब्रांच हेड का षपथपत्र दिनांकित 30.01.16 दाखिल किया है।
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निष्कर्श
7. बहस के समय विपक्षी सं0-1 व 2 अनुपस्थित थे। अतः फोरम द्वारा परिवादी तथा विपक्षी सं0-3 के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-5 व 6 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा, परिवादी द्वारा दिनांक 27.08.99 को 400 षेयर 100 सूट षेयर के साथ क्मउंजतपंसप्रंजपवद के लिये विपक्षी सं0-3 के यहां जमा किया जाना बताया गया है। किन्तु प्रष्नगत 100 षेयर प्रथम कालमनी न जमा करने के कारण कंपनी द्वारा जब्त कर लिया जाना बताया गया है। विपक्षी सं0-3 की ओर से यह कहा गया है कि उभयपक्षों के मध्य सम्पादित इकरारनामा की धारा-17 के अनुसार पक्षकारों के मध्य विवाद के विनिष्चयन हेतु आर्बीट्रेटर की नियुक्ति का प्राविधान किया गया है। जिससे मामलों के विनिष्चयन का अधिकार फोरम को नहीं है। परिवाद कालबाधित है, क्योंकि वाद कारण दिनांक 30.08.99 को उत्पन्न होता है, जब प्रष्नगत षेयरों का क्मउंजतपंसप्रंजपवद के लिए परिवादी द्वारा जमा किया गया था। जबकि परिवाद दिनांक 14.09.06 को योजित किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-2 के उपरोक्त कथन के विरूद्ध यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-3 द्वारा दिनांक 20.11.01 को विपक्षी सं0-2 से प्रष्नगत 100 षेयरों को परिवादी के खाते में न जमा करने का कारण पूछा गया, जिसकी प्रति परिवादी को भी उपलब्ध करायी गयी। परन्तु विपक्षी सं0-2 द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा भेजी गयी विधिक नोटिस दिनांक 25.05.08 के पष्चात विपक्षी सं0-2 के द्वारा अपने पत्र के माध्यम से यह बताया गया कि उक्त षेयर 1996 में कालमनी जमा न करने के कारण जब्त कर लिये गये। परिवादी का यह भी कथन है कि
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परिवादी द्वारा अपने षेयर दिनांक 27.08.99 को डीमैट होने के लिए दिये गये थे, जो षेयर 1999 में डीमैट करने के लिये दिये गये थे, वे षेयर 1996 में कैसे जब्त कर लिये गये। परिवादी का यह भी कथन है कि जिससे यह स्पश्ट होता है कि विपक्षी सं0-2 ने अपने रिकार्ड का ठीक ढंग से रख-रखाव नहीं किया। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-3 के कथन के विरूद्ध यह कहा गया है कि विपक्षी सं0-2 के द्वारा परिवादी की विधिक नोटिस दिनांक 12.07.05 के बाद परिवादी को अपने पत्र दिनांकित 25.08.05 के माध्यम से जब यह बताया गया कि उक्त षेयर 1996 में कालमनी जमा न होने के कारण जब्त कर लिये गये, तदोपरान्त परिवादी द्वारा दो वर्श के अंदर ही परिवाद योजित कर दिया गया।
फोरम परिवादी के उपरोक्त कथन से सहमत है, क्योंकि धारा-24 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद योजित करने की अवधि दो वर्श की दी गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षी से प्राप्त पत्र दिनांकित 25.08.05 के पष्चात दो वर्श के अंदर परिवाद निर्धारित काल अवधि में दाखिल किया गया है। फोरम परिवादी के इस तर्क से सहमत है कि जब प्रष्नगत षेयर 1999 में डीमैट होने के लिए दिये गये तो वह षेयर 1997 में विपक्षी कंपनी कैसे जब्त कर सकती है। विपक्षी का उपरोक्त कथन किसी सारवान साक्ष्य तथा किसी सारवान तथ्य से समर्थित न होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-3 के आर्बीट्रेटर द्वारा मामले के विनिष्चयन के सम्बन्ध में यह तर्क किये गये हैं कि चूॅकि प्रस्तुत मामला किसी पक्ष के द्वारा आर्बीट्रेटर के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था। अतः परिवादी को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिवाद योजित करने का अधिकार प्राप्त है। फोरम परिवादी के उपरोक्त कथन से सहमत है। क्योंकि विपक्षीगण के द्वारा किसी आर्बीट्रेटर द्वारा मामले को अब तक निर्णीत किये जाने का कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श केआधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद
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आंषिक रूप से उसके प्रष्नगत 100 षेयर उसके खाते में जमा करने हेतु अथवा उसके अर्जित लाभ वर्तमान बाजार मूल्य के लिए तथा परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है।जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी के प्रष्नगत 100 षेयर परिवादी के डीमैट खाते में जमा करे अथवा उस पर वर्तमान बाजार मूल्य पर बकाया अर्जित लाभ परिवादी को अदा करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।