जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 261/12
सैयद खान पुत्र श्री याकूब खान जाति मुसलमान निवाासी मोहल्ला कुम्हारी गेट के बाहर नागौर -परिवादी
बनाम
वरिष्ठ क्षैत्रीय प्रबंधक, रीको कार्यालय रीको लिमिटेड , नागौर
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री पीर मोहम्मद, अधिवक्ता वास्ते परिवादी
2. श्री सोहनलाल लटियाल, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दि0 25.2.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी नागौर का स्थाई निवासी है जिसने अप्रार्थी द्वारा जारी विज्ञप्ति के आधार पर भूखण्ड सं. एस-10 को खरीदने हेतु निविदा प्रपत्र में निविदा बंद लिफाफे में तथा धरोहर राशि 25000 रूपये जरिये रसीद दिनांक 08.8.12 को जमा करवाये । निविदा फार्म खोलने के पश्चात् परिवादी को बताया गया कि उक्त भूखण्ड औद्योगिक क्षेत्र आइ अी आइ नागौर के पास है तथा आपको आवंटित कर दी है तथा 10 प्रतिशत राशि तुरंत जमा करानी है जिस पर परिवादी ने जरिये रसीद दिनांक 09.8.12 को 21050 राशि जमा करा दी । परिवादी को बाकी राशि सूचना पर जमा करवााने हेतु कहा गया तथा एस-10 भूखण्ड पर कब्जा शीघ्र देने का कहा । तब से परिवादी लगातार अप्रार्थी के कार्यालय के चक्कर लगा रहा है लेकिन अप्रार्थी को बताया गया कि प्रक्रिया चल रही है । परिवादी ने अप्रार्थी को दिनांक 08.9.12 को रजिस्टर्ड नोटिस भी भिजवाया । जिसका गलत जबाब भेजकर कथन किया कि उक्त भूखण्एड बंशीधर टाक को दिनांक 13.4.12 को ही आवंटित किया जा चुका है। अप्रार्थीगण की नीयत खराब है और राशि जमा करवाने के बाद भी आवंटित भूखण्ड का कब्जा परिवादी को नहीं दिया गया । इस संबंध में दस्तावेज प्रदर्श 1 लगायत प्रदर्श 6 पेश किये तथा भूखण्ड का कब्जा दिलाये जाने व क्षति पूति राशि 30000 रूपये व परिवाद व्यय 10000 रूपये दिलाये जाने का निवेदन किया। परिवाद के समर्थन में परिवादी का शपथ पत्र भी पेश किया ।
2. अप्रार्थी की ओर से जबाब पेश कर संक्षेप में यह कथन किया कि परिवादी ने दूकान संख्या एस-10 के लिए 25000 रूपये राशि अवश्य जमा करवाई लीेकिन यह गलत लिखा है कि परिवादी को एस-10 भूखण्ड आवंटित कर दी गई है । परिवादी ने बिना मांग 21050 राशि जमा करवाई है। उक्त दूकान नीलामी के लिए उपलब्ध ही नहीं थी क्योंकि उक्त दूकान एस-10 पूर्व में दिनांक 7.12.11 को श्री बंशीधर टाक को नीलाम कर दिनांक 13.4.12 को आवंटन किया जा चुका था। निविदा भूलवश गलत प्रकाशित हो गयी । जिसका ध्यान में आते ही निविदा दिनांक 08.8.12 को ही निरस्त कर दी गई। गलत परिवाद पेश किया है। परिवाद उपभोक्ता विवाद का नहीं होकर सिविल प्रकृति का है । जबाब मय शपथ पत्र पेश कर परिवाद खारिज किये जाने का निवेदन किया है । तथा दस्तावेजात की फोटो प्रतियां पेश की।
4. बहस उभय पक्ष सुनी गई। पत्रावली का गहनतापूर्वक अध्ययन एवं मनन किया गया। परिवादीनि के अधिवक्ता का बहस के दौरान तर्क रहा है कि परिवादी ने अप्रार्थी की विज्ञप्ति अनुसार भूखण्ड के संबंध में राशि जमा करवाकर रसीद प्राप्त की जो अप्रार्थी द्वारा जारी की गई है । पूर्व में आवंटित होने व परिवादी का आवंटन निरस्त की कोई सूचना परिवादी को नहीं दी गई तथा बावजूद नोटिस भूखण्ड का कब्जा नहीं दिया जा रहा है इसलिए अप्रार्थी से परिवादी को भूखण्ड का कब्जा दिलाया जावे तथा वांछित अनुतोष क्षतिपूर्ति दिलाई जावे। जबकि अप्रार्थीगण का बहस के दौरान तर्क रहा है कि पूर्व में नीलाम कर आवंटित होने के कारण परिवादी का आवंटन नियमानुसार निरस्त कर दिया गया था। मामला सिविल न्यायालय के क्षैत्राधिकार का है इसलिए परिवादी कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है।
5. पत्रावली पर उपलब्ध दस्तावेजात सह यह स्पष्ट है कि अप्रार्थी ने औद्योगिक क्षैत्र आइ टी आइ सेन्टर नागौर के पास स्थित व्यावसायिक भूखण्डों की नीलामी की कार्यवाही के लिए बंद लिफाफों में निविदाएं निर्धारित प्रपत्र में मांग की गई। प्रार्थी को एस-10 भूखण्ड आवंटित हुआ । इस संबंध में प्राथी ने अप्रार्थी के मुताबिक समय समय पर विभिन्न राशियां जमा करवाई परन्तु उसे कब्जा नहीं दिया गया । तत्पश्चात् दिनांक 19.9.12 को जरिये पत्र क्रमांक 2015 प्रार्थी को यह सूचना दी गई कि एस-10 भूखण्ड का आवंटन पूर्व में ही दिनांक 07.12.11 को बंशीधर टाक को दिनांक 13.4.12 को नीलाम कर आवंटित किया जा चुका है। प्रार्थी ने अप्रार्थी की उक्त कार्यवाही को इस मंच में चुनौती दी है। इस संबंध में प्रदर्श ए 1 में नीलामी व आवंटन के संबंध में अप्रार्थी के जनरल टम््र्स एण्ड कण्डीशन्स का अवलोकन करना होगा । शर्त सं0 10 अप्रार्थी को विशिष्ठ अधिकार प्रदान करती है जिसके मुताबिक अप्रार्थी बिना किसी कारण बताये नीलामी की बोली को निरस्त कर सकता है । अप्रार्थी की ओर से प्रदर्श ए 2 दस्तावेज प्रस्तुत किया है। इसके क्रम सं0 9 में भूखण्ड एस-10 का बंशीधक टाक को दिनांक 08.8.12 को बोली से आटित किया जा चुका है। अप्रार्थी ने अपने जबाब में स्पष्ट किया है कि सहवन/गलती से एस-10 भूखण्एड पुनः आवंटन के लिए नीलामी में रख दिया गया । भूल सुधार के बाद प्रार्थी को निरस्ती का पत्र जारी किया गया । हमारी राय में ऐसी सूरत में जब पूर्व में विवादित भूखण्ड आवंटित हो चुका है उसे पुनः आवंटित नहीं किया जा सकता । भूलवश यदि उसे नीलामी के लिए रख दिया गया तो इससे प्रार्थी को कोई अधिकार सृजित नहीं होता और टम्र्स एण्ड कण्डीशन्स सं0 10 के मुताबिक अप्रार्थी को बिना कारण बताये नीलामी निरस्त करने का पूर्ण अधिकार है । इसलिए हमारी राय में प्रार्थी का कोई सेवा दोष नहीं है । यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि प्रार्थी के द्वारा नीलामी की कार्यवाही में तत्पश्चात् जो भी राशि जमा करवाई गई है वह मय ब्याज 9 प्रतिशत के अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः परिवादी का परिवाद उपरोक्तानुसार खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
5. अतः परिवादी का परिवाद विरूद्ध अप्रार्थी खारिज किया जाता है । प्रार्थी के द्वारा नीलामी की कार्यवाही में तत्पश्चात् जो भी राशि जमा करवाई गई है वह मय ब्याज 9 प्रतिशत के अप्रार्थीगण से प्राप्त करने का अधिकारी है । जो राशि अप्रार्थी द्वारा प्रार्थी को तुरंत प्रदान की जावे ।
आदेश आज दिनांक 25.2.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या