जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर प्रथम, जयपुर
समक्ष: श्री राकेश कुमार माथुर - अध्यक्ष
श्रीमती सीमा शर्मा - सदस्य
श्री ओमप्रकाश राजौरिया - सदस्य
परिवाद सॅंख्या: 226/2014
वेदपाल आर्य पुत्र श्री बद्री प्रसाद जाति महाजन, निवासी 123-124, अमृत नगर, न्यू सांगानेर रोड़, मानसरोवर, जयपुर Û
परिवादी
ं बनाम
राइट मोटर्स(प्रा.) लिमिटेड (टाटा अधिकृत डीलर) जरिए डायरेक्टर्स/व्यवस्थापक/मालिक शोरूम नंबर 36/3, अपोजिट भवानी निकेतन स्कूल, ढेहर के बालाजी, सीकर रोड़, जयपुर Û वर्कशाॅप पता रोड़ नंबर 1 सी, प्लाॅट नंबर बी-74-बी, अपोजिट भगवती मार्बल, वी.के.आई., जयपुर
विपक्षी
अधिवक्तागण :-
श्री आनन्द कुमार गोयल - परिवादी
परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक: 28.01.14
आदेश दिनांक: 26.03.2015
परिवाद में अंकित तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने दिनांक 21.01.2010 को एक कार इंडिका विष्टा रजिस्ट्रेशन नंबर आर.जे.14सीजे 0802 क्रय की थी जिस पर 2 वर्ष की एक्सटेन्डेड वांरटी परिवादी द्वारा प्राप्त की गई जिस बाबत विपक्षी द्वारा परिवादी से 4725/- रूपए अलग से प्राप्त किए गए थे और पाॅलिसी नंबर 48-142802 जारी की गई थी । एक्सटेन्डेड वांरटी क्रय की तारीख 21.01.2010 के पश्चात एक वर्ष की मैन्यूफैक्चर्स वांरटी के पश्चात प्रारम्भ थी जो दिनांक 21.01.2013 तक वैध थी । परिवादी का कथन है कि उक्त क्रय की गई कार के इंजिन में माह जनवरी 2012 में खराबी आ गई जिसे विपक्षी के वर्कशाॅप रोड नंबर 1 सी प्लाॅट सॅंख्या बी-74 बी, वी.के.आई. जयपुर में ठीक होने हेतु दिया गया । परिवादी जब 22.02.2012 को वर्कशाॅप र वाहन लेने गया तो वाहन को ठीक करने के बदले 38502/- रूपए का बिल दिया गया । परिवादी द्वारा विपक्षी से कहा गया कि जो पार्टस लगाए है वह सब एक्सटेन्डेड वांरटी में आते हैं इसलिए विपक्षी पाॅलिसी के अनुसार बिल की राशि बीमा पाॅलिसी से प्राप्त कर सकता हे परन्तु विपक्षी ने एक्सटेन्डेड वांरटी को मानने से मना कर दिया और भुगतान नहीं करने पर वाहन देने से इंकार कर दिया । ऐसी स्थिति में परिवादी को 38502/- रूपए के बिल का भुगतान करना पड़ा । परिवादी का कथन है कि इस प्रकार एक्सटेन्डेड वांरटी में सभी पार्टस कवर होते हुए भी विपक्षी ने परिवादी से नाजायज राशि प्राप्त कर ली जो अनुचित व्यापार पद्धति को दर्शाती है । दिनंाक 31.12.2012 को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस दिलवाया गया परन्तु उसका कोई जवाब नहीं दिया । परिवादी ने नाजायज रूप से वसूल की गई राशि 31928/- रूपए 64 पेसे 24 प्रतिशत ब्याज सहित, मानसिक व शारीरिक परेशानी के लिए 50,000/- रूपए, नोटिस खर्च 1100/- रूपए, परिवाद व्यय के 11000/- रूपए दिलवाए जाने का निवेदन किया है ।
विपक्षी की ओर से परिवाद का कोई जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है ।
मंच द्वारा परिवादी के लिखित तर्को एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ-पत्र, प्रश्नगत गाड़ी का रजिस्ट्रेशन प्रमाण-पत्र, एक्सटेन्डेड वांरटी जो ली गई उसकी रसीद, दिनांक 22.02.2012 का सर्विस टैक्स इन्वाईस, भुगतान प्राप्त करने की रसीद, एक्सटेन्डेड वांरटी की बुकलेट की प्रति, अधिवक्ता के नोटिस की प्रति प्रस्तुत की है ।
परिवाद के कथन व प्रस्तुत साक्ष्य का विपक्षी की ओर से कोई खण्डन नहीं किया गया है ऐसी स्थिति में इन पर अविश्वास किए जाने का कोई आधार नहीं है ।
परिवादी प्रस्तुत साक्ष्य से प्रमाणित कर सका है कि उसने प्रश्नगत वाहन के सम्बन्ध में निश्चित शुल्क अदा करके दो वर्ष के लिए एक्सटेन्डेड वांरटी प्राप्त की थी और एक्सटेन्डेड वांरटी की अवधि में उसका वाहन खराब हो गया जिसे विपक्षी को ठीक करने के लिए दिया और उसके लिए विपक्षी ने 38502/- रूपए का बिल जारी किया परन्तुु विपक्षी ने एक्सटेन्डेड वांरटी मानने से इंकार कर दिया जबकि 31928/- रूपए 64 पैसे के जो पार्टस लगाए गए थे वह वांरटी में थे ।एक्सटेन्डेड वांरटी होते हुए भी परिवादी से भुगतान प्राप्त कर उसका वाहन उसे वापिस किया गया। इस प्रकार सभी लगाए गए पार्टस एक्सटेन्डेड वांरटी में कवर होते हुए भी उनके लिए राशि प्राप्त कर विपक्षी ने सेवादेाष कारित करते हुए अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाई है जिससे परिवादी को आर्थिक हानि के साथ-साथ मानसिक संताप होना स्वभाविक है।
अत: इस समस्त विवेचन के आधार पर परिवादी का यह परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार कर आदेश दिया जाता है कि विपक्षी आज से एक माह की अवधि मंे परिवादी को 31928/- रूपए 64 पैसे अक्षरे इक्तीस हजार नो सौ अठाईस रूपए चैसठ पैसे का भुगतान करेगा तथा इस राशि पर 22.02.2012 से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज का भी भुगतान करेगा । इसके अलावा परिवादी को कारित मानसिक संताप व आर्थिक हानि की क्षतिपूर्ति के लिए उसे 5,000/- रूपए अक्षरे पांच हजार रूपए एवं परिवाद व्यय 1500/- रूपए अक्षरे एक हजार पांच सौ रूपए अदा करेेेगा। आदेश की पालना आज से एक माह की अवधि में कर दी जावे अन्यथा परिवादी उक्त क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय की राशि पर भी आदेश दिनांक से अदायगी तक 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज पाने का अधिकारी होगा । परिवादी का अन्य अनुतोष अस्वीकार किया जाता है।
निर्णय आज दिनांक 26.03.2015 को लिखाकर सुनाया गया।
( ओ.पी.राजौरिया ) (श्रीमती सीमा शर्मा) (राकेश कुमार माथुर)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष