//जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, बिलासपुर छ.ग.//
प्रकरण क्रमांक CC/2015/28
प्रस्तुति दिनांक 30/01/2015
सूर्यप्रकाश कश्यप,
पिता स्व0 कृष्ण कुमार कश्यप,
उम्र 30 वर्ष, निवासी चौबे कॉलोनी
सरकंडा, बिलासपुर छ0ग0 ......आवेदक/परिवादी
विरूद्ध
- रिक्कीस वर्ल्ड,
विवेकानंद उद्यान, बिलासपुर के सामने,
तहसील व जिला बिलासपुर छ0ग0
- गुनी सर्विसेज,
लैण्डमार्क, फर्स्ट फ्लोर, शॉप नंबर 203,
करबला रोड, पुराना बस स्टैंड, बिलासपुर छ0ग0
- सेमसंग इंडिया इलेक्ट्रोनिक प्राइवेट लिमिटेड,
बी-25, ग्राउंड फ्लोर फ्रन्ट टॉवर,
मोहन कोऑपरेटिव इण्ड्रस्ट्रीज स्टेट,
न्यूदिल्ली 110044 .........अनावेदकगण/विरोधीपक्षकारगण
आदेश
(आज दिनांक 22/05/2015 को पारित)
१. आवेदक सूर्यप्रकाश कश्यप ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत यह परिवाद अनावेदक गण के विरूद्ध वारंटी अवधि में सेवा में कमी के लिए पेश किया है और अनावेदक गण से दोषपूर्ण मोबाईल के बदले नया मोबाईल अथवा उसका मूल्य ब्याज एवं क्षतिपूर्ति के साथ दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
2. परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि आवेदक दिनांक 22/09/2014 को अनावेदक क्रमांक 1 के पास से अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा निर्मित सेमसंग कंपनी का मोबाईल 12,500/. रूपये में एक वर्ष की गारंटी के अधीन क्रय किया, जिसमें क्रय दिनांक से कुछ दिनों के भीतर ही डिस्पले एवं नेटवर्क की समस्या आने लगी, आवेदक इसकी शिकायत अनावेदक क्रमांक 1 से किया, जिसने उसे अनावेदक क्रमांक 2 के सर्विस सेंटर में सुधार के लिए भेजा, जहां सुधार के बाद भी मोबाईल दोषमुक्त नहीं हुआ, फलस्वरूप आवेदक उसे दिनांक 09/01/2015 को पुन: अनावेदक क्रमांक 2 के सर्विस सेंटर में दिया, जहां जांच कर मोबाईल के मदरबोर्ड को खराब होना, और सुधार में 9,200/.रूपये खर्च आना बताया, अत: आवेदक यह अभिकथित करते हुए कि मोबाईल में दोष वारंटी अवधि में उत्पन्न हुआ, फिर भी उसके सुधार में अनावेदकगण की ओर से 9,200/.रूपये खर्च आना बताया गया, जबकि उन्हें निशुल्क सुधार कर मोबाईल देना था, अत: उसने अनावेदकगण के इस अनुचित व्यवसायिक व्यवहार के कारण यह परिवाद पेश करना बताया है और उनसे वांछित अनुतोष दिलाए जाने का निवेदन किया है ।
3.अनावेदक क्रमांक 1 मामले में एकपक्षीय रहा, उसके लिए कोई जवाबदावा दाखिल नहीं किया गया है।
4. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 की ओर से संयुक्त जवाबदावा पेश कर परिवाद का विरोध इस आधार पर किया गया कि आवेदक अच्छे से देख कर जांच कर और ट्रॉयल कर मोबाईल की गुणवत्ता से संतुष्ट होते हुए उसे क्रय किया था, जिसमें क्रय किये जाने के समय कोई खराबी नहीं थी और वह बहुत बढिया काम कर रहा था, आगे उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि आवेदक के मोबाईल में क्रय दिनांक से कुछ दिनों के भीतर डिस्प्ले एवं नेटवर्क की प्रॉब्लम होने लगी, बल्कि कहा गया है कि आवेदक द्वारा उनके पास साढे छह माह बाद दिनांक 09/01//015 को मोबाईल सर्विस सेंटर लाया गया, जहां तत्परता से जांच करते हुए जॉबशीट बनाया गया और यह पाते हुए कि उक्त मोबाईल को किसी अनाधिकृत सर्विस सेंटर से खुलवाकर बनवाया गया था, इस तथ्य का इंद्राज जॉब शीट में किया गया, जिसे स्वीकार करते हुए आवेदक ने उस पर हस्ताक्षर भी किया। अत: यह अभिकथित किया गया है कि आवेदक द्वारा मोबाईल को अनाधिकृत सर्विस सेंटर में खुलवाने के कारण वारंटी कंडीशन के अनुसार उसकी वारंटी समाप्त हो गई थी, जिसके कारण ही उसे मोबाईल सुधार का इस्टीमेट बताया गया और सेवा में कोई कमी नहीं की गई । आगे उन्होंने आवेदक द्वारा वांछित अनुतोष के संबंध में यह भी प्रकट किया है कि ग्राहक की संतुष्टि एवं गुडविल में प्रश्नाधीन मोबाईल को निशुल्क सुधार करने को तैयार है और उक्त आधार पर परिवाद निरस्त किये जाने का निवेदन किया गया है ।
5.उभय पक्ष अधिवक्ता का तर्क सुन लिया गया है । प्रकरण का अवलोकन किया गया ।
6. देखना यह है कि क्या आवेदक, अनावेदकगण से वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी है \
सकारण निष्कर्ष
7. इस संबंध में कोई विवाद नहीं कि आवेदक दिनांक 22/09/2014 को अनावेदक क्रमांक 1 के पास से अनावेदक क्रमांक 3 द्वारा निर्मित सेमसंग कंपनी का मोबाईल 12,500/. रूपये में एक वर्ष की गारंटी के अधीन क्रय किया था। वारंटी अवधि मे उक्त मोबाईल में खराबी आने का तथ्य भी मामले में विवादित नहीं है ।
8. आवेदक के अनुसार, मोबाईल में नेटवर्क की शिकायत होने पर उसने दिनांक 09/01/2015 को उसे अनावेदक क्रमांक 2 के सर्विस सेंटर में ले जाकर दिया, जहां जांच उपरांत मोबाईल के मदर बोर्ड को खराब होना और उसके सुधार में 9,200/.रूपये खर्च आना बताया गया। इस प्रकार अनावेदकगण द्वारा वारंटी अवधि में निशुल्क सुधार करने के बजाय सुधार खर्च की मांग करना उनके अनुचित व्यवसायिक व्यवहार को प्रकट करता है । फलस्वरूप उसने यह परिवाद पेश करना बताया है ।
9. इसके विपरीत अनावेदक क्रमांक 2 और 3 की ओर से यह कहा गया है कि आवेदक द्वारा वारंटी अवधि में मोबाईल अनाधिकृत सर्विस सेंटर में खुलवाने के कारण वारंटी कंडीशन के उल्लंघन में उसका वारंटी समाप्त हो गया था, फलस्वरूप ही उसे मोबाईल सुधार का इस्टीमेट बताया गया, और इस प्रकार सेवा में कोई कमी नहीं की गई ।
10. उपरोक्त के अलावा अनावेदकगण अपने जवाब में आवेदक द्वारा वांछित अनुतोष के संबंध में यह भी अभिवचन किए हैं कि वे ग्राहक की संतुष्टि एवं गुडविल में प्रश्नाधीन मोबाईल को निशुल्क सुधार करने को तैयार है। अत: प्रकरण के अन्य तथ्यों पर विचार किये बिना अनावेदकगण के इस परिवचन को स्वीकार करते हुए आवेदक के पक्ष में यह आदेश पारित किया जाता है :-
अ. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 आवेदक को आदेश दिनांक से एक माह की अवधि के भीतर उसके पूर्ण संतुष्टि में दोषपूर्ण मोबाईल को सुधार कर निशुल्क प्रदान करेंगे, अन्यथा उसे मोबाईल का मूल्य 12,500/-रू. (बारह हजार पांच सौ रूपये) वापस प्रदान करेंगे ।
ब. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 आवेदक को मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/- रू.(पांच हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे।
स. अनावेदक क्रमांक 2 व 3 , आवेदक को वादव्यय के रूप में 1,000/- रू.(एक हजार रू.) की राशि भी अदा करेंगे।
आदेश पारित
(अशोक कुमार पाठक) (प्रमोद वर्मा)
अध्यक्ष सदस्य