Rajasthan

Ajmer

CC/79/2016

ANIL KUMAR - Complainant(s)

Versus

RHB - Opp.Party(s)

ADV. V.S BHATI

07 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/79/2016
 
1. ANIL KUMAR
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. RHB
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री अनिल कुमार मालू पुत्र श्री बद्री प्रसाद मालू, उम्र- लगभग 38 वर्ष, जाति- माहेष्वरी, निवासी- दयानन्द काॅलोनी, पंचाली चैराया, रामनगर, अजमेर बहैसियत मुख्त्यारआम श्रीमति उर्मिला देवी सोमाणी धर्मपत्नी स्व श्री लक्ष्मीनारायण सोमाणी, निवासी- द्वारा विषाल साडी भण्डार, रंगत्या गली के सामने, नला बाजार, अजमेर  

                                                -         प्रार्थी


                            बनाम
1.  अध्यक्ष, राजस्थान आवासन मण्डल, आवास भवन, जनपथ, ज्योतिनगर, जयपुर (राजस्थान)
2.  उप आवासन आयुक्त, राजस्थान आवासन मण्डल, वृत्त द्वितीय मानसरोवर, अग्रवाल फार्म हाउस, जयपुर(राजस्थान)
3.  आवासीय अभियंता, राजस्थान आवासन मण्डल, वैषालीनगर, अजमेर । 

                                               -          अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 79/2016  

                            समक्ष
                 1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
                 3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री वी.एस.भाटी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री उमाकान्त अग्रवाल, अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-07.04.2016
 
1.           प्रार्थी ( जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगा) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम , 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 (जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी आवासन मण्डल    कहलाएगा)  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसने  सामान्य पंजीकरण योजना, 1981 के तहत किराया क्रय पद्वति में आवास प्राप्त करने के लिए दिनंाक 20.101981 को परिवाद की चरण संख्या 1 में  वर्णित अनुसार राषि विभिन्न दिनांकों को जमा कराई । राषि  जमा कराए जाने के बाद  अप्रार्थी के 1987 में दिए गए विकल्प के अनुसार उसने दिनंाक 13.3.1987 को किराया क्रय पद्वति के तहत आवास आवंटित किए जाने का विकल्प दिया और अप्रार्थी मण्डल द्वारा निकाली गई लाॅटरी में उसे वरीयता क्रमांक 43 दिया गया । इसके बाद अप्रार्थाी बिना उपभोक्ता की सहमति के अप्रार्थी  मण्डल ने   नगद भुगतान पद्वति में बदलते हुए उससे  रू. 95,000/- राषि  3 किष्तों में जमा कराने की जरिए पत्र दिनंाक 11.1.2004 द्वारा मांग की । इस संबंध में अप्रार्थी मण्डल से सम्पर्क किए जाने व कोई सुनवाई नहीं किए जाने पर उसने मंच में एक परिवाद  संख्या 476/94 प्रस्तुत किया । जिसमें मंच में दिनंाक 15.3.1996 को आदेष पारित करते हुए  दो वर्ष की अवधि में नियमानुसार  आवास आवंटित उपभोक्ता  को सम्भलवाने का आदेष दिया व रू. 500/- परिवाद व्यय भी अदा करने का आदेष दिया ।  जिसकी अप्रार्थी मण्डल ने माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत की ।  माननीय राज्य आयेाग द्वारा पारित निर्णय के अनुसार अप्रार्थी मण्डल को  14.3.1999 को आवास आवंटित करना था । किन्तु उसे आवंास आवटित नहीं किए जाने पर उसने मंच में अवमानना परिवाद प्रस्तुत किया । जिसके अन्तर्गत  अप्रार्थी मण्डल ने  संषोधित आवंटन पत्र के द्वारा राषि रू. 14,85,892/- जमा कराए जाने की मांग की । किन्तु उपभोक्ता ने अप्रार्थी मण्डल को अवगत कराया कि उसे जो आवास आवंटित किया जा रहा है,  उसमें परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित अनुसार कई खांमियां हंै । इसके बाद अप्रार्थी मण्डल ने अपने पत्र दिनंाक 190.302911 के द्वारा उपभोक्ता से राषि रू. 19,23,509/- 15 दिन में  जमा कराए जाने बाबत मांग पत्र जारी किया ।  उक्त राषि हेतु उसने बैंक  से ऋण प्राप्त करने हेतु आवेदन किया । किन्तु बैंक से ऋण प्राप्ति हेतु समय लगने के कारण अप्रार्थी मण्डल ने  राषि समयावधि में जमा नहीं कराए जाने पर उसके आवास का आवंटन निरस्त  कर दिया ।  उपभोक्ता ने अप्रार्थी मण्डल के उक्त कृत्य को सेवा में कमी बतलाते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में उपभोक्ता ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया । 
2.    अप्रार्थी मण्डल ने  जवाब पेष कर  उनके द्वारा जारी पत्र दिनंाक 10.3.2011 को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  उपभोक्ता द्वारा बैंक से ऋण लेने का आवास की राषि जमा कराए जाने से कोई संबंध नहीं होना बताते हुए  आवास हेतु राषि दिनांक 30.3.2011 तक जमा करानी आवष्यक थी । किन्तु उपभोक्ता द्वारा मांग पत्र की राषि जमा नहीं कराए जाने पर  आवास आवंटन का निरस्तीकरण पत्र जरिए स्पीड पोस्ट दिनांक 26.4.2011 को भेजा गया । उपभोक्ता को रिफण्ड राषि रू. 8000/- जरिए चैक संख्या 798491 दिनंाक 30.5.02012 के भिजवाई जा चुकी है । इस प्रकार उनके स्तर पर  कोई सेवा में कमी नहीं की गई । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब  परिवाद के समर्थन में श्री के.आर.जीनगर, आवासीय अभियंता का षपथपत्र पेष किया है ।  
 
3.    उपभोक्ता के विद्वान अधिवक्ता ने बहस में मुख्य रूप से तर्क प्रस्तुत किया है कि इस मंच द्वारा पारित निर्णय दिनंाक 24.6.2014 मंें दिए गए दिषा निदेषर््ाों के अनुसार अप्रार्थी  मण्डल  के अध्यक्ष द्वारा पारित आदेष दिनांक 2.11.2015 में  मंच द्वारा पारित आदेषा के अनुसार एनेक्सचर-19 दिनंाक 28.8.2012  की बिन्दु संख्या 3 व 4 के अनुसार न तो सुनवाई का अवसर दिया गया है और न ही इन बिन्दाओं का उल्लेख करते हुए आदेष पारित किया गया हे ।  इस आदेष में पूर्व की परिस्थितियों का उल्लेख किया गया ह,ै जो अपेक्षित नहीं थी । वास्तव में  अप्रार्थी गण्डल के आदेष दिनांक 28.08.2012 की क्रम संख्या 3 व 4 के अनुरूप सुनवाई की जाकर आदेष  पारित होना है । सुविधा की दृष्टि से इन बिन्दुओं का उल्लेख करना न्यायोचित होगा -
      ’’ क्रम संख्या 3-  मण्डल का मांगपत्र जारी होने के पष्चात्  आवेदक के बैंक से ऋण स्वीकृति में देरी होने के कारण मांग राषि जमा न होने पर निर्धारित अवधि के अतिरिक्त 6 माह की अवधि गुरजन से पूर्व ही पंजीकरण/ आवंटन निरस्त कर दिए गए हों । 
         क्रम संख्या 4 - ऐसे प्रकरण  जिनमें मांग राषि जमा कराने हेतु दिए गए  पूर्वग्रहण राषि के पत्र/आवंटन पत्र/ नोटिस बिना तामील ही लौट  आए हो तथा जो पत्रावलियों में भी पत्रित हो तथा समाचार पत्रों में प्रकरण के बिना ही पंजीकरण /आवंटन निरस्त किए गए हों ।’’ 
              यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि इन हालात में उक्त आदेष दिनंाक 2.11.2015 को अपास्त किया जाकर उपभोक्ता को उक्त आवास संख्या 3/28- ई का कब्जा दिलाया जावे एवं उसके हम में लीज डीड जारी की जावें । 
4.    विद्वान अधिवक्ता  अप्रार्थी मण्डल ने उपरोक्त  तर्को का खण्डन किया व आवासन मण्डल द्वारा समय समय पर जारी पत्रों/ आदेषों की तथ्यात्मक स्थिति को स्वीकार किया ।  किन्तु  उनका प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि  मंच के आदेष दिनांक 24.4.2014 की अनुपालना में उपभोक्ता को सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान किया  है । संबंधित अभिलेख के साथ आवासन मण्डल के अधिकारीगण  मय रिकार्ड के तलब किए गए हैं, व अभिलेख पर विचार किया जाकर  ही विधिवत् रूप से सभी प्रावधानों की पालना करते हुए उक्त आदेष पारित किया गया है, जो अपने आप में स्पष्ट है । उपभोक्ता वांछित अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होकर परिवाद मय खर्चा खारिज किया जावें । 
5.    हमने परस्पर तर्को पर  उपलब्ध अभिलेख के संदर्भ में विचार किया है ।

6.    हस्तगत परिवाद के निस्तारण से पूर्व  हमंे प्रकरण  की पृष्ठभूमि 
 पर  विचार करना हेागा ।  प्रारम्भ में उपभोक्ता द्वारा सर्वप्रथम सामान्य पंजीकरण योजना में मकान प्राप्त करने हेतु  वर्ष 1981 में अप्रार्थी मण्डल कार्यालय में दिनांक 209.10.1981 को रू. 7000/- एवं दिनांक 16.8.1983 को रू. 3000/-  जमा कराए। बताया गया है कि वर्ष 1987 में अप्रार्थी मण्डल द्वारा उपभोक्ता को यह विकल्प दिया गया कि वह चाहे तो उक्त मकान को किराया क्रय पद्वति में प्राप्त कर सकता है । जिस हेतु लाॅटरी द्वारा उपभोक्ता को मकान आवंटित किया जा सके । तत्पष्चात्  अप्रार्थी मण्डल द्वारा किराया क्रय पद्वति से बदल कर नगद क्रय पद्वति में परिवर्तित करते हुए  दिनंाक 11.1.1994 को 3 किष्तों में रू. 95,000/- अग्रिम रूप से जमा कराने का डिमाण्ड नोट भेजा गया तथा मकान की कीमत रू. 3,75,000/- बतलाई । उपभोक्ता द्वारा व्यथित होकर  एक परिवाद इस मंच के समक्ष प्रस्तुत किया  गया । जिस पर मंच द्वारा दिनंाक 15.3.1996 को आदेष पारित किया जाकर उपभोक्ता को 2 वर्ष  की अवधि के भीतर उक्त मकान नियमानुसार आवंटित कर कब्जा देना था । उक्त आदेष को अप्रार्थी मण्डल द्वारा माननीय राज्य आयेाग के समक्ष चुनौती   दिए जाने पर  मण्डल की अपील दिनांक 24.5.2005 को खारिज कर दी गई । इसके बाद अप्रार्थी मण्डल ने उपभोक्ता को डिमाण्डट नोट दिनांक 10.3.2011 राषि रू. 19,23,509/- भेज कर 30 दिन के भीतर यह राषि जमा कराने हेतु कहा गया व इसके बाद  रिमाईण्डर  दिनंाक 1.4.2011 के अन्तर्गत 15 दिन के अन्दर अंतिम
रूप् से राषि जमा कराने को कहा गया । उपभोक्ता के पत्र दिनंाक 12.5.2011 एनेक्सचर  3 से यह प्रकट होता है कि उसके द्वारा आवासीय अभियंता  को सूचित किया गया कि वह उक्त राषि जमा कराने हेतु बैंक से ऋण ले रहा है। जिसकी प्रक्रिया में करीब 20-25 दिन का समय लगेगा । बैंक से ऋण मिलते ही वह उक्त राषि जमा  करवा देगा । आगे बताया  गया है कि चूंकि बैंक से ऋण की स्वीकृति में समय लग रहा है, इसलिए उपभोक्ता ने अपने स्तर पर उक्त राषि की  व्यवस्था कर अप्रार्थी मण्डल को राषि जमा करने का निवेदन किया । किन्तु     उक्त राषि जमा नहीं करने पर  दिनंाक  15.2.2012 को एनेक्सचर-5 द्वारा अप्रार्थी मण्डल  व तत्पष्चात् एनेक्सचर -5  पत्र दिनंाक 6.8.2012   रजिस्टर्ड  एडी  के द्वारा अप्रार्थी  मण्डल के अध्यक्ष  को सूचित किया गया कि उसकी राषि को जमा किया जाए । किन्तु  उपभोक्ता को उक्त पत्र का कोई जवाब  नहीं दिया गया । यह भी बताया गया कि उपभोक्ता को माह- नवम्बर, 2012 में यह पता चला कि रिमाइण्डर दिनांक  1.4.2011 के 10 दिन के बाद ही निरस्त कर दिया गया जिसकी कोई सूचना उपभोक्ता को नहीं दी गई और ना ही अखबार में प्रकाषन करवाया  गया । दिनांक 27.1.2012 को अप्रार्थी मण्डल, जयपुर द्वारा आदेष जारी कर बतलाया गया कि जिन आवंटियों द्वारा मांग राषि जमा नहीं कराई गई उन्हें दिनंाक 30.6.02012 तक राषि जमा कराने बाबत् दैनिक समचार पत्रों  में संबंधित वृत्त कार्यालय/संबंधित आवासीय अभियंता द्वारा दिनांक 30.4.2012 तक आवष्यक रूप से विज्ञप्ति का प्रकाषन करवाया गया है । दिनंाक 30.6.2012 तक भी उपभोक्ता द्वारा  मंच की राषि जमा नहीं कराई जाती है तो संबंधित वृत्त/ आवासीय अभियंता कार्यालय स्तर से   अन्य पंजीकरण जो आवंटन दिनंाक 31.7.2012 तक आवष्यक रूप से निरस्त करते हुए इनकी जमा राषि  में से नियमानुसार कटौती की जाकर ष्षेष राषि के चैक रजिस्टर्ड एडी पत्रों के माध्यम से आवंटियों को भिजवाए जाएगें । ऐसा बताया गया है कि उपभोक्ता ने अप्रार्थी  मण्डल को निवेदन किया । किन्तु अप्रार्थी मण्डल द्वारा उपभोक्ता के आवेदन पर ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गई क्योंकि निर्णय होते होते उक्त कार्यालय आदेष  की निर्धारित समयावधि समाप्त हो चुकी थी ।  तत्पष्चात् अप्रार्थी ने उसके आदेष दिनांक 28.8.2012 एनेक्सचर-7 जारी करते हुए इसके पैरा संख्या 3-4 में ऐसे निरस्त किए गए पंजीकरण को पुनर्जीवित किए जाने को प्रावधान किया ।  जिसमें आवेदक ने   बैंक ऋण स्वीकृति में देरी होने के कारण राषि जमा नहीं होने पर निर्धारित  अवधि के अर्थात 6 माह की अवधि  गुजरने से पूर्व ही पंजीकरण/ आवंटन  निरस्त कर दिए गए । ऐसे प्रकरण में जहां बिना समाचार पत्रों में प्रकारण के  ही पंजीकरण निरस्त कर दिए गए ।
7.    उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार  एनेक्सचर-8  के जरिए उपभोक्ता ने अप्रार्थी मण्डल के यहां आवेदन किया व पुनर्जीवन के आवेदन पर निर्धारित रू. 10,000/- की राषि भी  जरिए एनेक्सचर-9  द्वारा जमा करवाई । यह प्रार्थना पत्र  अप्रार्थी मण्डल के  कार्यालय में जरिए रसीद प्रदर्ष-10 प्राप्त हुआ । उपभोक्ता के आवेदन को बिना अप्रार्थी मण्डल के अध्यक्ष को भेजे  ही उप आवासन आयुक्त द्वारा  बिना क्षेत्राधिकारिता के खारिज किए जाने पर उपभोक्ता द्वारा इ समंच के समक्ष   परिवाद प्रस्तुत किए जाने पर इस मंच द्वारा  दिनंाक  24.6.2014 को आदेष एनेक्सचर - 6 पारित किया गया । मंच ने इस आदेष में उपभोक्ता के आवंटन  पुनर्जीवन संबंधित आवेदन पर जो  निर्णय  उपायुक्त आवासन  मण्डल द्वारा लियाग या एवं इस संबंध में जो आदेष दिनांक 17.1.2013 पारित किया गया, को अपास्त किया एवं अप्रार्थी को निर्देष दिए  िकवह उपभोक्ता के आवंटन पुर्नजीवन  के आवेदन का  निस्तारण उनके पत्र क्रमांक 62 दिनंाक 28.8.2012 के प्रावधान एवं  प्रक्रिया के अनुसार  निर्णय की तिथी के 2 माह के अन्दर अन्दर उपभोक्ता को समुचित अवसर प्रदान करते हुए करें । 
8.    उपरोक्त तथ्यात्मक  विवेचन के  बाद अब हमारे समक्ष मात्र यह बिन्दु विचारणीय है कि क्या अप्रार्थी मण्डल के अध्यक्ष  ने अपने आदेष दिनंाक 2.11.2015 के तहत उपभोक्ता को समुचित अवसर नहीं दिया था ? क्या उनके द्वारा उन्हीें के विभाग के पूर्व आदेष दिनंाक 28.8.2012 में वर्णित बिन्दु संख्या 3 च 4 के प्रावधानेां के प्रकाष में विचार किया जाकर यह आदेष  पारित किया गया है । 
9.    एनेक्सचर -19  दिनंाक 2.11.2015 के आदेष में अप्रार्थी के आवंटन पत्र क्रमांक 3141 दिनांक 22.02.2007 के अनुसार मांग गई राषि रूत्र 4,82,443/-  को निर्धारित समयावधि 30 दिवस में जमा करवानी थी तथा इसमें यह भी लिखा था कि निर्धारित अवधि के बाद बिना किसी  नोटिस  के आवंटन  निरस्त किया जा सकता है । इस आदेष के  अनुसार उपभोक्त के नोटिस दिनांक 5739 दिनांक 28.1.2004  जारी करते हुए 10 दिन में बकाया राषि व कब्जे से संबंधित दस्तावेजात प्रस्तुत कर  उपभोक्ता का आवास पर कब्जा लेने हेतु सूचित किएया जाना बताया है एवं उक्त आवास की  कोई कार्यवाही उपभोक्ता द्वारा नहीं किए जाने पर  दिनांक 26.4.2011 द्वारा आवास आवंटन  नियमानुसार निरस्त करना बताया गया  है । यहां उल्लेख किया गया है कि उपभोक्ता के प्रकरण पर विचार किए जाते समय आवंटन पुनर्जीवन किए जाने के प्रस्ताव  को पत्र क्रमांक 4196       के द्वारा निरस्त कर दिया गया  व जमा कराई गई राषि का चैक भी दिनंाक  13.12.2013 द्वारा उपभोक्ता को अप्रार्थी मण्डल द्वारा नियमानुसार लौटा दी गई  ।

10.  जहां तक उपरोक्त दोनों परिसिस्थतियों का प्रष्न है, इन बिन्दुओं पर पूर्व में 
इस मंच द्वारा समुचित  रूप से विचार कर आदेष पारित करते हुए अप्रार्थी मण्डल द्वारा  पारित पत्र दिनांक 17.1.2013 को  निरस्त करते हुए पत्र दिनांक 28.8.2012 की बिन्दु संख्या 3 व4 पर पुनर्विचार करना था । अप्रार्थी मण्डल द्वारा जो आदेष दिनंाक 2.11.2015 को पारित किया गया है, में दिनंाक 28.8.2012 के बिन्दु संख्या 3 व 4 पर विचार नहीं कर  उन बिन्दुओं पर विचार किया है जो इस मंच द्वारा  निर्णय दिनंाक 24.6.2014 के द्वारा पूर्व में ही अपास्त किए जा चुके है । स्पष्ट रूप से  उनके द्वारा  उक्त बिन्दु संख्या 3 व 4 पर कोई विचार नहीं किया गया । इन हालात में यह आक्षेपित आदेष 2.11.2015 न्याय की कसौटी  पर खरा नहीं उतरता  व   अपास्त किए जाने योग्य है । उपभोक्ता वर्ष 1981 से आवास सुविधा प्राप्त करने हेतु मांग करता चला आ रहा है  और उसे आवास आवंटित नहीं किया जाता है  तो उन बिन्दुओं पर प्रकरण को पुन प्रतिप्रेषित किया जाना उचित नहीं है । इस मंच द्वारा दिनंाक 24.6.2012 को पारित आदेष की अनुपालना में अप्रार्थी मण्डल ने एनेक्सचार -17 दिनाक 14.8.2014 द्वारा उपभोक्ता से  उक्त आवास की  लागत लगभग 34 लाख रू.  मय ब्याज पैनेल्टी  आंकते हुए उसे  देने की सहमति मानने की स्थिति में रू. 10/- स्टाम्प पर सहमति देते हुए दिनांक 22.8.02014 तक का अवसर दिया तथा इसकी अनुपालना में  उसके द्वारा रू. 10/- के गैर न्यायिक स्टाम्प पर सहमति भी दी गई । इन परिस्थितियों को ध्यान में  रखते हुए उपभोक्ता को  अब उक्त आवास का  कब्जा दिलाया जाना ही न्यायोचित पाया जाता है । अतः उपरोक्त समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उपभोक्ता का  परिवाद  निम्नानुसार  स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                            :ः- आदेष:ः-
11.            (1) अप्रार्थी मण्डल के अध्यक्ष द्वारा दिनांक 02.11.2015 को  पारित आदेष निरस्त किया जाता है । 
            (2)    अप्रार्थी मण्डल को निर्देष दिया जाता है कि  वह  भूखण्ड संख्या 3/28 ई , पंचषील नगर, अजमेर  की राषि मांग पत्र दिनांक 14.8.2014 के अनुसार इस आदेष के 2 माह के अन्दर  अन्दर प्राप्त कर उपभोक्ता को  उक्त आवास का कब्जा सम्भलवावें एवं उसके हक में  उक्त आवास की  लीज डीड निष्पादित करें ।
                (3)    उपभोक्ता अप्रार्थी मण्डल  से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रू. 50,000/- एवं परिवाद व्यय के पेटे रू.5100/- भी प्राप्त करने का  भी अधिकारी होगा । 
                    (4)    क्रम संख्या 4 में वर्णित राषि अप्रार्थी मण्डल    उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 07.04.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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