Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/79/2013

Shri Kuldeep Kumar - Complainant(s)

Versus

Revan Feeds & Hatcheries - Opp.Party(s)

20 Aug 2015

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. CC/79/2013
 
1. Shri Kuldeep Kumar
R/0 Village Navada Thana Kanth Distt. Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Revan Feeds & Hatcheries
Add:-Office Near Kumar Filling Station, Shop No-03 Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने अनुरोध किया है कि विपक्षीगण से उसे मुर्गी के बच्‍चे पालने की कीमत 1,05,997/- रूपया दिलायी जाऐ। मानसिक कष्‍ट   की मद में 2,00,000/- रूपये परिवा‍दी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी अपने और अपने परिवार के जीवन यापन हेतु मुर्गी फार्म चलाता है। उसकी मुलाकात आलोक कुमार नाम व्‍यक्ति से हुई जिसने अपने आपको विपक्षी सं0-1 का एरिया मैनेजर बताया। आलोक कुमार ने परिवादी को मुर्गी के बच्‍चे पालने हेतु प्रोत्‍साहित किया। फरवरी, 2013 के प्रथम सप्‍ताह में विपक्षी सं0-1 और परिवादी के मध्‍य मुर्गी के बच्‍चे पालने का करार हुआ। यह तय  हुआ कि विपक्षी कम्‍पनी मुर्गी के बच्‍चे बड़े होने पर 7.50 रूपये प्रति किलोगाम के हिसाब से पलाई का भुगतान करेगी। परिवादी ने आलोक कुमार  के कहने पर उसे कम्‍पनी  के नाम तीन ब्‍लैक चैक दे दिये। आलोक कुमार ने  परिवादी को दिनांक 08/02/2013 एवं 12/02/2013 को क्रमश: 5,990 और  5,148 मुर्गी के बच्‍चे पालने हेतु दिये। दिनांक 12/02/2013 को दिये गये 5,148 मुर्गी के बच्‍चों  के स्‍थान पर 5,990 बच्‍चे रिसीव करने के लिए आलोक कुमार ने परिवादी पर नाजायज दबाव बनया जिसे प्रार्थी ने स्‍वीकार नहीं किया। इस बात  पर आलोक कुमार परिवादी को देख लेने की धमकी देकर चले गये। परिवादी ने  अर्गेत्‍तर कथन किया कि लगभग 40 दिन बाद मुर्गी के बच्‍चे बड़े होकर उनकी डिलिवरी का समय आया तो 25/03/2013 एवं 26/03/2013 को क्रमश: 4,759 और 9,374 इस प्रकार कुल 14,133 किलोग्राम परिवादी ने आलोक कुमार को तोलकर दे दिये उनकी पालने की कीमत 1,05,997/- रूपया बैठती थी जिसका 3 दिन में भुगतान करने का आलोक कुमार ने वादा किया जब 3 दिन  बाद परिवादी को पैसा नहीं मिला तो परिवादी ने आलोक कुमार से बात की, किन्‍तु  वे बहानेवाजी करते रहे और परिवादी को भुगतान नहीं किया अन्‍तत: दिनांक 05/05/2013 को भुगतान करने से विपक्षीगण ने इ्रन्‍कार कर दिया। परिवादी ने  विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भिजवाया। इसके बावजूद विपक्षीगण भुगतान करने  के लिए तैयार नहीं हैं। परिवादी के अनुसार मजबूर होकर उसे फोरम के समक्ष आना  पड़ा। 
  3.   दिनांक 10/02/2014 को विपक्षी सं0-1 पर तामीला परर्याप्‍त मानी गयी उसकी ओर से न तो कोई उपस्थित हुऐ और न प्रतिवाद पत्र दाखिल किया। दिनांक 26/03/2014 के आदेश से परिवादी की सुनवाई  विपक्षी सं0-1  के विरूद्ध एकपक्षीय की गयी।
  4.  विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-8/1 लगायत 8/3 दाखिल हुआ जिसमें परिवाद कथनों से इंकार करते हुऐ परिवाद असत्‍य कथनों के आधार पर योजित होना कहा और इसे खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई। विशेष कथनों में कहा  गया  कि वास्‍तविकता यह है कि परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट से मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना क्रय किया था जिसका विपक्षी सं0-2 ने दिनांक 08/02/2013  एवं 12/02/2013 को परिदान किया। उपरोक्‍त माल के डिलिवरी चालान को प्राप्‍त  कर परिवादी ने विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट को दे दिया और माल की कीमत के ऐवज  में उसे एक चैक भी दिया और शेष रकम अदा करने का आश्‍वासन दिया। परिवादी माल की कीमत हड़पना चाहता है जो चैक परिवादी ने दिया था उसे दो माह बाद जब बैंक में जमा किया गया तो चैक डिसआनर हो गया। विपक्षी सं0-2 ने  परिवादी को कानूनी नोटिस भिजवाया, किन्‍तु परिवादी ने विपक्षी को भुगतान नहीं किया। प्रतिवाद पत्र में यह भी कहा गया है कि परिवाद के साथ जो कागजात दाखिल किये गये  हैं वह कूटरचित हैं। चैक डिसआनर हो जाने के कारण ए0सी0जे0एम0,  हापुड़ के न्‍यायालय में परिवादी के विरूद्ध फौजदारी का मुकदमा विचाराधीन है। विपक्षी सं0-2 की ओर से उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवादी को सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  5.   परिवाद के साथ परिवादी ने डिलिवरी चालान सं0-1451 दिनांकित 08/02/2013, डिलिवरी  चालान सं0-1283  दिनांकित 12/02/2013, मुर्गी /मुर्गी के बच्‍चों की पलाई/क्रय/ विक्रय विषयक प्रपत्र तथा विपक्षीगण को भेजे गये कानूनी नोटिस और नोटिस भेजने की डाकखाने की रसीदों की फोटो प्रतियों को दाखिल  किया गया  है, यह प्रपत्र  पत्रावली के कागज सं0-3/5 लगायत 3/10  हैं। विपक्षीगण  की ओर से सूची कागज सं0-8/4 द्वारा ए0सी0जे0एम0, हापुड़ के न्‍यायालय में परिवादी के विरूद्ध लम्बित 138 निगोशिऐबिल इन्‍सट्रूमेन्‍ट एक्‍ट की कम्‍पलेन्‍ट की  प्रमाणित प्रतिलिपि, डिलिवरी चालान सं0-1283 दिनांकित 12/02/2013, विपक्षी कम्‍पनी के इनकारपोरेशन का सार्टिफिकेट तथा उसके मैमोरेन्‍डम आफ एसोसिऐशन की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-8/5 लगायत 8/17 हैं।
  6.   परिवादी ने अपना साक्ष्‍य  शपथ  पत्र कागज सं0-12/1 लगायत 12/3  दाखिल  किया जिसके साथ उसने वे सभी प्रपत्र संलग्‍नक के रूप में दाखिल किये जो उसने परिवाद के साथ दाखिल किये थे, यह संलग्‍नक कागज सं0-12/4 लगायत 12/8 हैं। परिवादी के समर्थन में साक्षी पप्‍पू सिंह और साक्षी अरूण कुमार ने अपने-अपने  साक्ष्‍य शपथ पत्र दाखिल किये। विपक्षी सं0-2 की ओर से कम्‍पनी के अधिकृत प्रतिनिधि श्री एस0युथिरम मुर्थिम का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-16/1 लगायत 16/2 संलग्‍नकों सहित दाखिल किया। श्री एस0युथिरम मुर्थिम ने शपथ पत्र कागज सं0-20/1 के माध्‍यम से यह कथन किया कि उसके शपथपत्र कागज सं0-16/1  लगायत 16/2 में जहॉं-जहॉं प्रतिवादी सं0-1 अंकित है उसे प्रतिवादी सं0-2 पढ़ा जाये। विपक्षी सं0-2 के अनुसार शपथ पत्र 20/1 देने की आवश्‍यकता इसलिए हुई क्‍योंकि शपथ पत्र 16/1 लगायत 16/2 के प्रारम्‍भ में शपथकर्ता श्री एस0युथिरम मुर्थिम को  प्रतिवादी सं0-2 के स्‍थान पर प्रतिवादी सं0-1 अंकित हो गया था।
  7.   विपक्षी  सं0-2 के शपथ पत्र कागज सं0-16/1 -16/2 के साथ संलग्‍नक के रूप में विपक्षी कम्‍पनी के गठन के सर्टिफकेट, कम्‍पनी के मैमोरेन्‍डम आफ एसोसिऐशन, डिलीवरी चालान सं0-1283 दिनांक 12/02/2013, परिवादी को  भेजे गये कानूनी नोटिस, उसे  नोटिस भेजने की डाकखाने की रसीद एवं परिवादी के विरूद्ध विपक्षी कम्‍पनी द्वारा 138 निगोशिऐबिल इन्‍स्‍ट्रूमेंट एक्‍ट के तहत दायर कम्‍पलेन्‍ट की नकलों को दाखिल  किया गया  है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-16/3  लगायत 16/19 हैं।
  8.  परिवादी तथा विपक्षीसं0-2 की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  9.  हमने परिवादी तथा विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी सं0-1 की ओर  से कोई उपस्थित नहीं हुऐ।
  10.   परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवाद कथनों को दोहराते हुऐ तर्क दिया कि विपक्षी सं0-2 का यह कथन कि मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना परिवादी ने  विपक्षी सं0-2 से क्रय किया था नि:तान्‍त असत्‍य है। परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता ने  यह भी कहा कि विपक्षी का यह कथन भी मिथ्‍या है कि परिवादी ने मुर्गी के बच्‍चों  और मुर्गी दाना के क्रय मूल्‍य के ऐवज में विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट को चैक दिया था जो विपक्षी सं0-2 के अनुसार बैंक में डालने पर डिसआनर हुआ। प्रत्‍युत्‍तर  में विपक्षी सं0-2 के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि दिनांक 8 फरवरी, 2013 और 12 फरवरी, 2013 को जो मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना परिवादी को डिलिवर किया गया था वह परिवादी ने वास्‍तव में विपक्षी सं0-2 से खरीदा था। बाद में जब  परिवादी द्वारा दिया गया चैक डिसआनर हो गया और विपक्षी ने परिवादी से मुर्गी  के बच्‍चों और मुर्गी दाना के मूल्‍य की मांग की तो परिवादी ने असत्‍य कथनों के आधार पर यह परिवाद योजित कर दिया।
  11.   अब यह देखना है कि क्‍या वास्‍तव में विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट द्वारा परिवादी को मुर्गी की बच्‍चे और मुर्गी दाना पलाई हेतु दिऐ गऐ थे और उनके मध्‍य यह तय  हुआ था कि पलाई के बाद 7.5 रूपया प्रति किलोग्राम की दर से विपक्षी सं0-2 परिवादी को पलाई का भुगतान करेगा अथवा मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना परिवादी ने विपक्षी सं0-2 से खरीद किया था ?  पत्रावली पर जो अभिलेख और साक्ष्‍य  सामग्री उपलब्‍ध है उससे प्रमाणित है कि विपक्षी से परिवादी ने मुर्गी के बच्‍चे और  मुर्गी दाना खरीदा नहीं था बल्कि एक करार के तहत मुर्गी के बच्‍चे परिवादी ने पलाई पर लिऐ थे और पलाई के बाद परिवादी ने उन्‍हें विपक्षी सं0-2 को तोलकर वापिस दिया, किन्‍तु विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को मुर्गी के बच्‍चों की पलाई का भुगतान नहीं किया।
  12.   पत्रावली में अवस्थित डिलिवरी चालान कागज सं0-3/5  के अनुसार 8 फरवरी,  2013 को विपक्षी सं0-2 ने 5990 मुर्गी के बच्‍चे परिवादी को डिलिवर किऐ थे।  परिवादी ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र के पैरा सं0-5 में यह कहा है कि दिनांक 12  फरवरी, 2013 को विपक्षी सं0-2 की ओर से 5148 मुर्गी के बच्‍चे परिवादी पुन:  डिलिवर किऐ गऐ। पत्रावली पर उपलबध अभिलेखों से परिवादी के इस कथन में  बल दिखाई देता है कि दिनांक 12 फरवरी, 2013 को यधपि उसे विपक्षी के एजेन्‍ट  ने 5148 मुर्गी के बच्‍चे डिलिवर किऐ थे, किन्‍तु उस पर 5990 बच्‍चे रिसीव करने हेतु  दबाव बनाया गया जिसे परिवादी ने स्‍वीकार नहीं किया। परिवादी का यह भी कथन  है कि दबाव में न आते हुऐ उक्‍त कारण से दिनांक 12/02/2013 को उसने डिलिवरी चालान रिसीव करने से इन्‍कार कर दिया था। विपक्षी सं0-2 की ओर से दाखिल डिलिवरी चालान की नकल कागज सं0-16/13 की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ विपक्षी सं0-2  के विद्वान अधिवक्‍ता ने यधपि यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि यह डिलिवरी चालान कागज सं0-16/13 पर परिवादी कुलदीप कुमार के हस्‍ताक्षर हैं, किन्‍तु जब  हमने बारीकी से कागज सं0-16/13 पर बने कुलदीप कुमार के हस्‍ताक्षरों का मिलान दिनांक 8 फरवरी, 2013 के डिलिवरी चालान कागज सं0-3/5 पर बने कुलदीप कुमार  के हस्‍ताक्षरों से किया तो स्‍पष्‍ट हुआ कि कागज सं0-16/13 पर कुलदीप कुमार के हस्‍ताक्षर डिलिविरी चालान कागज सं0-3/5 पर बने कुलदीप कुमार के हस्‍ताक्षर से भिन्‍न हैं। उल्‍लेखनीय है कि विपक्षी सं0-2 ने डिलिवरी चालान कागज सं0-3/5 पर कुलदीप कुमार के हस्‍ताक्षरों पर कोई विवाद नहीं किया है। स्‍पष्‍ट है कि परिवादी  के विरूद्ध मिथ्‍या केस तैयार करने हेतु विपक्षी सं0-2 के स्‍तर से डिलिवरी चालान कागज सं0-16/13 पर परिवादी के हस्‍ताक्षर फर्जी बनाऐ गऐ हैं।
  13.   परिवादी के साक्षी पप्‍पू सिंह ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-13 में  परिवादी के इस कथन की पुष्टि की है कि दिनांक 25/26, मार्च, 2013 को उसके सामने विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट आलोक कुमार पले हुऐ मुर्गी के बच्‍चे ले गऐ और  पलाई के 1,05,997/- रूपया 3 दिन में अदा करने का वादा कर गऐ थे। साक्षी पप्‍पू सिंह और परिवादी के एक अन्‍य साक्षी अरूण कुमार ने अपने-अपने साक्ष्‍य  शपथ पत्रों में परिवादी के इस कथन का समर्थन किया है कि उनके सामने दिनांक 05/05/2013 को विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट आलोक कुमार ने पलाई के 1,05,997/-  रूपया परिवादी को देने से इन्‍कार कर दिया था।
  14.   जहां तक विपक्षी सं0-2 द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-15 में उठाई गई क्षेत्राधिकार सम्‍बन्‍धी आपत्ति का प्रश्‍न है यह आपत्ति इस मामले में आधारहीन है क्‍योंकि परिवादी ने पलाई हेतु विपक्षी से जो मुर्गी के बच्‍चे लिऐ थे वे उसने अपने स्‍वयं के जीवन यापन हेतु धनोपार्जन लिए लिये थे। 
  15.   विपक्षी के साक्षी श्री एस0युथिरम मुर्थिम ने यधपि अपने साक्ष्‍य श्‍पथ पत्र कागज सं0-16/1 में यह कथन किया है कि दिनांक 8 फरवरी, 2013 और 12  फरवरी, 2013 को परिवादी को डिलिवर किऐ गऐ मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना परिवादी ने क्रय किया था, किन्‍तु इस कथ्रित खरीद की कोई रसीद/ कैश मीमो विपक्षी दाखिल नहीं कर सके। विपक्षी के साक्षी श्री एस0युथिरम मुर्थिम का यह कथन भी सत्‍यता से परे दिखाई देता है कि परिवादी ने मुर्गी के बच्‍चों और मुर्गी दाने के मूल्‍य के ऐवज में विपक्षी के एजेन्‍ट को एक चैक दिनांकित 29/04/2013 दिया था और शेष रकम अदा करने का आश्‍वासन दिया था। यदि परिवादी ने 8 फरवरी, 2013 एवं 12/02/2013 को विपक्षी के एजेन्‍ट से कथित रूप से मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना खरीदा था तो उसके मूल्‍य के ऐवज में लगभग ढाई माह बाद अर्थात् 29/04/2013 की तिथि का चैक विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट ने क्‍यों स्‍वीकार किया इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं है। यहॉं इस तथ्‍य का भी उल्‍लेख करना हम प्रासंगिक समझते हैं कि प्रतिवाद पत्र में  अथवा विपक्षी के साक्ष्‍य शपथ पत्र में मुर्गी के बच्‍चे किस दर से बेचे गऐ थे अथवा मुर्गी दाना किस दर से बेचा गया इसका कोई उल्‍लेख नहीं मिलता। स्‍पष्‍ट है कि वास्‍तव में मुर्गी के बच्‍चे और मुर्गी दाना परिवादी को बेचा ही नहीं गया था बल्कि मुर्गी के बच्‍चे एक करार के तहत उसे पलाई पर दिऐ गऐ थे। परिवादी के साक्ष्‍य शपथ पत्र के साथ दाखिल स्‍टेटमेन्‍ट कागज सं0-12/6 लगायत 12/8 परिवादी के इस कथन की पुष्टि करते हैं कि मुर्गी के बच्‍चे उसे विपक्षी सं0-2 ने एक करार के तहत पलाई पर दिऐ थे जिन्‍हें बड़े हो जाने पर 25 मार्च, 2013 एवं 26 मार्च, 2013 को विपक्षी सं0-2 के एजेन्‍ट तोलकर ले गऐ, किन्‍तु उनकी पलाई की कीमत 1,05, 997/- रूपया उन्‍होंने परिवादी को नहीं दी और ऐसा करके विपक्षी सं0-2 ने परिवादी को सेवा प्रदान करने में कमी की और  उसके साथ धोखा किया, पलाई की यह धनराशि विपक्षी सं0-2 से परिवादी को दिलाया जाना हम न्‍यायोचित समझते हैं। परिवादी को इस राशि पर ब्‍याज और ​विपक्षी से उसे क्षतिपूर्ति भी दिलाया जाना हम न्‍यायोचित समझते हैं। हमरे मत में क्षति पूर्ति की मद में परिवादी को 10,000/- (दस हजार रूपया) एक मुश्‍त दिलाया जाना और ब्‍याज की दर 9 प्रतिशत वार्षिक निर्धारित किया जाना हमारे मत में उपयुक्‍त होगा। परिवाद तदानुसार निस्‍तारित होने योग्‍य है।

 

 

  परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से 1,05,997/- (एक लाख पाँच हजार नो सौ सत्‍तानवें रूपये केवल) की वसूली हेतु यह परिवाद विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध स्‍वीकार  किया जाता है। परिवाद व्‍यय के रूप में विपक्षी सं0-2 से परिवादी 2,500/- रूपये  तथा क्षतिपूर्ति की मद में 10,000/- (दस हजार रूपये केवल) अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। इस आदेश के अनुसार धनराशि का भुगतान परिवादी को 2 माह  में किया जाये।

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     20.08.2015           20.08.2015        20.08.2015

     हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 20.08.2015 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     20.08.2015           20.08.2015        20.08.2015

 

 

 

 

 

 

 

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