Uttar Pradesh

StateCommission

A/1996/1323

M/S Ansal Housing - Complainant(s)

Versus

Renu Lochan Singhal - Opp.Party(s)

Ankit Srivastava

12 Dec 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1996/1323
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M/S Ansal Housing
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Renu Lochan Singhal
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Dec 2016
Final Order / Judgement

मौखिक

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1323/1996

 

मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड, 15-यूजीएफ, इन्‍द्र प्रकाश, 21 बाराखम्‍भा रोड, न्‍यू दिल्‍ली, द्वारा जनरल मैनेजर।

                                        अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम्

श्रीमती रेनू लोचन सिंघल

राजीव लोचन सिंघल, II F/52 नेहरू नगर, गाजियाबाद।

                                              प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

 

एवं

 

अपील संख्‍या-1324/1996

 

मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड, 15-यूजीएफ, इन्‍द्र प्रकाश, 21 बाराखम्‍भा रोड, न्‍यू दिल्‍ली, द्वारा जनरल मैनेजर।

                                         अपीलार्थी@विपक्षी

बनाम्

श्रीमती रिचा गर्ग,

श्री अरूण कुमार गर्ग, निवासिनी 11/74, राज नगर, गाजियाबाद।

                                              प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

 

 

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित        : श्री अंकित श्रीवास्‍तव, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित         : कोई नहीं।

दिनांक 13.12.2016

-2-

माननीय श्री न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-33/1995, श्रीमती रेनू लोचन सिंघल बनाम मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड एवं परिवाद संख्‍या-32/1995, श्रीमती रिचा गर्ग बनाम मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, गाजियाबाद द्वारा पारित संयुक्‍त निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.08.1996 के विरूद्ध अलग-अलग दो अपीलें, अर्थात् वर्तमान अपील संख्‍या-1323/1996, मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड बनाम श्रीमती रेनू लोचन सिंघल और अपील संख्‍या-1324/1996, मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड बनाम श्रीमती रिचा गर्ग उपरोक्‍त दोनों परिवादों के विपक्षी/अपीलार्थी, मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड की ओर से धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी हैं।

आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा जिला फोरम ने उपरोक्‍त दोनों परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी को निर्देशित किया है कि व‍ह निर्णय के पश्‍चात 02 महीने के भीतर दोनो प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि मय ब्‍याज 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से उन्‍हें अदा करें। जिला फोरम ने अपने आदेश में यह भी स्‍पष्‍ट किया है कि ब्‍याज की गणना जमा करने की ति‍थि से अदायगी की तिथि तक की जायेगी। जिला फोरम ने प्रत्‍येक परिवादिनी को 500/- हर्जा खर्चा अदा किये जाने का भी आदेश विपक्षी/अपीलार्थी, मै0 अंसल हाउसिंग एण्‍ड कन्‍स्‍ट्रक्‍शन लिमिटेड को दिया है।

अपीलार्थी की ओर से उनके विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंकित श्रीवास्‍तव उपस्थित आये। प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी की ओर से अपीलों की सुनवाई के समय कोई उपस्थित नहीं आया है।

दोनों अपीलों की प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी को रजिस्‍ट्री डाक से नोटिस 29.07.2016 को भेजी गयी है, जो 30 दिन का समय व्‍यतीत होने के बाद भी अदम

-3-

तामील वापस प्राप्‍त नहीं हुई है। अत: दोनों अपील की प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी पर नोटिस का तामीला दिनांक 20.10.2016 को पर्याप्‍त माना गया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को ही सुनकर एवं आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन कर दोनों अपीलों का निस्‍तारण किया जा रहा है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि दोनों परिवाद की परिवादिनी ने करार की शर्त के अनुसार निर्धारित समय के अन्‍दर वांछित धनराशि जमा नहीं की है, अत: करार की शर्त के अनुसार बेसिक प्राइस की 10 प्रतिशत धनराशि काटकर शेष धनराशि ही प्रत्‍येक परिवादिनी को वापस किये जाने योग्‍य है। अत: जिला फोरम ने जो प्रत्‍येक परिवादिनी द्वारा जमा सम्‍पूर्ण धनराशि मय 15 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से वापस किये जाने का आदेश दिया है, वह उचित और विधि अनुरूप नहीं है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि जिला फोरम के आदेश से ही यह स्‍पष्‍ट है कि प्रत्‍येक प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी यह साबित करने में असफल रही हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी ने नागरिक सुविधायें उपलब्‍ध नहीं करायी हैं। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेवा में त्रुटि किया जाना प्रमाणित नहीं होता है। अत: इस आधार पर भी जिला फोरम ने जो सम्‍पूर्ण धनराशि मय ब्‍याज वापस करने का आदेश दिया है, वह विधि विरूद्ध है।

अपीलार्थी/विपक्षी का यह भी तर्क है कि प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने स्‍वंय करार की शर्तों का पालन नहीं किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपने तर्क के समर्थन में मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय की नजीर (1996) 4 Supreme Court Cases 704 Bharathi Knitting Company Vs DHL Worldwide Express Courier Division of Airfreight ltd एवं मा0 राष्‍ट्रीय आयोग की नजीर II (2010) CPJ 1 (NC) Baij Nath Vs Lucknow Development Authority तथा I (2015) CPJ 225 (NC) Ashok Kumar Chug Vs Haryana Urban Development Authority (Huda) & Anr प्रस्‍तुत किया है।

-4-

हमने अपीलार्थी/विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता के तर्क पर विचार किया है।          दोनों अपीलों से सम्‍बन्धित परिवाद पत्रों में दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने        कथन किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने अपनी चिरंजीवन बिहार टाउनशिप योजना के सम्‍बन्‍ध में घोषणा की थी कि चिरंजीवन बिहार टाउनशिप विकसित और सुन्‍दर नगरी होगी और सभी नागरिक सुविधायें, जैसे सड़क, बिजली, पानी, सीवर, अस्‍पताल, बसस्‍टाप, डाकखाना आदि होंगे और आवंटियों को भवन का कब्‍जा सभी नागरिक सुविधाओं के साथ दिया जायेगा, परन्‍तु अभी तक कालोनी विकसित नहीं है। दोनों ही परिवाद की प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी का कथन है कि उन्‍होंने अपीलार्थी/विपक्षी के उपरोक्‍त घोषणा के आधार पर उपरोक्‍त योजना में भवन आवंटित कराया था, जिसके लिए प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी, श्रीमती रेनू लोचन सिंघल ने 89,700/- रूपये और प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी, श्रीमती रिचा गर्ग ने 1,04,650/- रूपये किस्‍तों में जमा किये थे, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी की उपेराक्‍त योजना में केवल एक पानी की टंकी है और वह भी नहीं चल रही है। भवन निर्माण की प्रगति भी अच्‍छी नहीं है। शीघ्र भवन पर कब्‍जा मिलने की आशा नहीं है। अत: दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी से अनुरोध किया कि उनकी जमा धनराशि मय 24 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से वापस लौटा दी जाये, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी ने उनकी बात नहीं सुनी। अत: दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने अलग-अलग परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किये।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा गया कि दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनीयों ने भवन की आवश्‍यक धनराशि अभी तक जमा नहीं की है। भवन की कीमत की 50 प्रतिशत धनराशि भी उन्‍होंने अभी जमा नहीं की है, इसलिए प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी भवन पर कब्‍जा पाने की अधिकारिणी नहीं है। अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने लिखित कथन में यह भी कहा है कि उसकी चिरंजीवन बिहार टाउनशिप योजना में लगभग 200 मकान बन चुके हैं और लोग उसमें रह रहे हैं। 200 मकान शीघ्र बनने जा रहे हैं, जिस पर आवंटियों को कब्‍जा दे दिया जायेगा।

 

-5-

अपने लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने यह भी कहा है कि पानी के लिए टंकी उपलब्‍ध है, जो चालू हालत मे है और कालोनी के उपयोग के लिए पर्याप्‍त है। कालोनी  में  सभी नागरिक सुविधांए, जैसे बिजली, पानी, सड़क, सीवर आदि भी उपलब्‍ध हैं। अत: दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी भवन की शेष धनराशि जमा कर देती हैं तो उनको भी कब्‍जा शीघ्र मिल जायेगा और यदि वह अपनी धनराशि वापस चाहती हैं तो नियमानुसार 10 प्रतिशत कटौती कर उनकी धनराशि वापस कर दी जायेगी।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिवचनों एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों के आधार पर आक्षेपित निर्णय एवं आदेश में यह निष्‍कर्ष निकाला है कि दोनों वादों में 50 प्रतिशत से कम धनराशि जमा की गयी है। अत: ऐसी स्थिति में प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनीयों को जमा धनराशि पर 24 प्रतिशत ब्‍याज नहीं दिलाया जा सकता है। आक्षेपित निर्णय एवं आदेश में जिला फोरम ने यह भी उल्‍लेख किया है कि परिवादिनी का कहना है कि मौके पर पानी की एक टंकी है और वह कालोनी की सप्‍लाई के लिए पर्याप्‍त नहीं है और चालू हालत में भी नहीं है साथ ही कालोनी में अन्‍य नागरिक सुविधायें जैसे सड़क, बिजली, पानी पार्क, सीवर आदि नहीं हैं। यह स्‍पष्‍ट करने हेतु परिवादिनी के लिए आवश्‍यक था कि वह फोरम से अनुरोध करके किसी अधिवक्‍ता के नाम से कमीशन जारी करातीं, ताकि वह मौके पर देखते कि वहां पर क्‍या नागरिक सुविधायें उपलब्‍ध हैं या नहीं। जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश में आगे उल्‍लेख किया है कि परिवादिनी ने इस सम्‍बन्‍ध में कोई प्रयास नहीं किया और न ही कोई ध्‍यान दिया। ऐसी स्थिति में जमा धनराशि पर 15 प्रतिशत ब्‍याज वार्षिक की दर से दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा।

जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के अवलोकन         से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम के समक्ष यह मानने हेतु पर्याप्‍त साक्ष्‍य नहीं रहा          है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी को अभिवचित योजना          में  आवश्‍यक  नागरिक  सुविधायें उपलब्‍ध नहीं करायी हैं। जिला फोरम के आक्षेपित    

 

-6-

निर्णय  एवं  आदेश  से  स्‍पष्‍ट  होता  है कि जिला फोरम ने यह नहीं माना है कि

अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी की सेवा में कमी की गयी है।  फिर भी अपीलार्थी/विपक्षी को जिला फोरम द्वारा आदेशित किया गया है कि दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि मय 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित वापस करें।

मा0 उच्‍चतम न्‍यायालय ने Bharathi Knitting Company Vs DHl Worldwide Express Courier Division of Airfreight Ltd (1996) 4 Supreme Court Cases 704 के वाद में कहा है कि जब करार से सम्‍बन्धित अभिलेख पर पक्षकारान हस्‍ताक्षर करते हैं तो उसकी शर्त से वे बाधित होते हैं। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने बैजनाथ बनाम लखनऊ डेवलेपमेंट अथारिटी II (2010) CPJ (NC) के वाद में कहा है कि परिवादिनी स्‍वंय अपनी कमी का लाभ पाने की अधिकारी नहीं है। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने अशोक कुमार गर्ग बनाम हरियाणा अर्बन डेवलेपमेंट अथारिटी (हुडा) व अन्‍य I (2015) CPJ (NC) के वाद में कहा है कि जहां परिवादी ने खुद चूक की हो, वहां वह विपक्षी पर सेवा में त्रुटि की बात नहीं कह सकता है।

उभय पक्ष के अभिवचन एवं आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के आधार पर यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि दोनो प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने अपीलार्थी/विपक्षी को अपने भवन की धनराशि की अदायगी में चूक की है, परन्‍तु इसके साथ ही यह मानने हेतु उचित आधार नहीं है कि दोनो प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी के भवन हेतु आवश्‍यक नागरिक सुविधायें उपलब्‍ध नहीं थीं। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि प्रत्‍येक प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी के द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी की वांछित धनराशि जमा करने में चूक किया जाना प्रमाणित न होने के कारण करार पत्र की धारा 4 ए जो लिखित तर्क में अंकित है, के अनुसार जमा धनराशि की 10 प्रतिशत धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जब्‍त किये जाने हेतु उचित आधार नही है। अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में त्रुटि प्रमाणित न होने के कारण

 

-7-

प्रत्‍येक प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी द्वारा अपनी जमा धन की वापसी की मांग किया जाना भी विधिसम्‍मत नहीं है, परन्‍तु वर्तमान दोनों परिवाद वर्ष 1995 में प्रस्‍तुत किये गये

हैं। जिला फोरम ने दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी की जमा धनराशि 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित अपीलार्थी/विपक्षी को वापस करने का आदेश दिया है। जिला फोरम के निर्णय के बाद करीब 20 वर्ष का समय बीतने के कारण परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अत: सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्‍थतियों पर विचार करते हुए हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि जो वापस करने का अपीलार्थी/विपक्षी को आदेश दिया है, उसमें अब किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है, परन्‍तु उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि बिना किसी उचित आधार के दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी ने अपनी जमा धनराशि वापस चाही है। ऐसी स्थिति में जिला फोरम ने जो 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज की दर निर्धारित की है, वह अधिक है। सम्‍पूर्ण तथ्‍यों पर विचार करते हुए हमारी राय में दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी द्वारा जमा धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिलाया जाना उचित है। उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर उपरोक्‍त दोनों अपीलें आंशिक रूप से ब्‍याज दर के सम्‍बन्‍ध में स्‍वीकार होने योग्‍य हैं।

आदेश

उपरोक्‍त दोंनो अपीलें, अर्थात् अपील संख्‍या-1323/1996 एवं अपील संख्‍या-1324/1996 आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और दोनों परिवाद में जिला फोरम द्वारा पारित संयुक्‍त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश को संशोधित करते हुए दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी के द्वारा जमा धनराशि 06 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज सहित दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी को इस निर्णय एवं आदेश के 02 माह के अन्‍दर वापस करने का आदेश अपीलार्थी/विपक्षी को दिया जाता है। आक्षेपित निर्णय एवं आदेश का शेष अंश यथावत् रहेगा।

आदेश का अनुपालन न होने पर दोनों प्रत्‍यर्थिनी/परिवादिनी विधि के अनुसार निष्‍पादन की कार्यवाही सुनिश्‍चित कर सकती हैं।

-8-

इस निर्णय एवं आदेश की मूल प्रति अपील संख्‍या-1323/1996 में रखी जाये एवं इसकी सत्‍य प्रमाणित प्रतिलिपि अपील संख्‍या-1324/1996 में रखी जाये।

पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

 

 

             (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)            (जितेन्‍द्र नाथ सिन्‍हा)

                            अध्‍यक्ष                                सदस्‍य

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Jitendra Nath Sinha]
MEMBER

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