Rajasthan

Ajmer

CC/163/2015

HARJI RAAM - Complainant(s)

Versus

RELINCE GEN. INSU. - Opp.Party(s)

ADV. PRADEEP

15 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/163/2015
 
1. HARJI RAAM
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. RELINCE GEN. INSU.
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 15 Sep 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर


हरजीराम चैधरी पुत्र श्री रामकरण चैधरी, उम्र-वर्ष, जाति- जाट, निवासी- ग्राम - लूनियास, पोस्ट राजलोता, तहसील- डेगाना, जिला-नागौर । 
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

रिलायन्स जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लि. जरिए ब्रांच मैनेजर सर्विसिंग/ब्रांच आॅफिस रिलायन्स जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, द्वितीय तल, अमर प्लाजा, होटल मोती महल, जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के पास, अजमेर ।  


                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 163/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री प्रदीप चैरी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं  

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 26.09.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसने  पूर्व में एक परिवाद संख्या  272/10  हरजीराम चैधरी बनाम रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेंस क.लि. मंच के समक्ष प्रस्तुत किए जाने  पर  मंच द्वारा उक्त परिवाद में  यह आदेंष पारित किया था कि -’’ प्रार्थी एक माह की अवधि में  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेेम पेष करें और अप्रार्थी बीमा कम्पनी क्लेम प्राप्त होने के उपरान्त नियमानुसार 3 माह की अवधि में क्लेम का निस्तारण करें । ’’ 
    प्रार्थी का कथन है कि उसके द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष  एक माह में क्लेम पेष कर दिए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी ने क्लेम का  3 माह की अवधि व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी  निस्तारण नहीं किया है ।  प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इस कृत्य को सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में  प्रार्थी स्वयं ने अपना षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थी  बीमा कम्पनी बावजूद नोटिस तामील न तो मंच में उपस्थित हुआ और ना ही परिवाद का कोई जवाब ही पेष किया । अतः अप्रार्थी  बीमा कम्पनी के विरूद्व दिनांक 098.09.2015  को एक पक्षीय कार्यवाही अमल में लाई गई । 
3.    यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रार्थी द्वारा उपरोक्त  उनवानी परिवाद इस मंच के समक्ष पूर्व में प्रस्तुत किया गया था । जिसमें गुणावगुण पर विचार करते हुए मंच द्वारा दिनंाक 1.5.2012 को आदेष पारित किया गया कि प्रार्थी एक माह की अवधि में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत करें ।  इस निर्णय के संदर्भ में अब हमें इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या प्रार्थी द्वारा उक्त निर्णय  दिनंाक 1.5.2012 के अन्तर्गत  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष दिनांक 
1.6.2012 तक क्लेम प्रस्तुत किया गया ?  तथा क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने उक्त क्लेम प्राप्त होने के उपरान्त 3 माह की अवधि में अर्थात 1.9.2012 तक उक्त क्लेम का निस्तारण किया ?  हमें इस बात पर भी विचार करना है कि क्या हस्तगत परिवाद समयावधि में प्रस्तुत किया गया है ?  
4.    प्रार्थी पक्ष का तर्क रहा है कि उनके द्वारा मंच के पूर्व निर्णय के उपरान्त दिनांक 26.5.2012 को बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया गया , इसका कोई उत्तर नहीं दिए जाने पर पत्र दिनंाक 2.5.2013 के द्वारा पुनः बीमा कम्पनी  के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया गया । इसका भी उनकी ओर से जवाब नहीं दिए जाने पर इस मंच के समक्ष दिनंाक 5.2.2015 को परिवाद प्रस्तुत किया गया । उन्होने  हमारा ध्यान 2016;1द्धत्।त् 74;ैब्द्ध  डंसजप  ैंतकंत टे छंजपवदंस प्देनतंदबम ब्व स्जकण्ए  2011 त्।त्ण् 81;ैब्द्ध त्ंअप अे ठंकतप छंतंलंद  - व्तेण्की ओर आकर्षित किया ।  
5.    उपलब्ध अभिलेख के अनुसार दिनांक 26.5.2012 जो कि इस मंच के आदेष दिनांक  1.5.2012 से एक माह के अन्दर अन्दर प्रस्तुत कर दिया गया है ।  जैसा कि उक्त प्रार्थना पत्र एवं इस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी की प्राप्ति स्वरूप सील से स्पष्ट है ।  बीमा कम्पनी द्वारा इस क्लेम का कोई जवाब अथवा क्लेम को स्वीकृत अथवा अस्वीकृत  करने बाबत्  पत्र व्यवहार सामने नहीं आया है ।  प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को लिखे गए पत्र दिनंाक 2.5.2013 तक इस प्रथम पत्र दिनंाक 26.5.2012 का उल्लेख किया जाना , उनके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना व तत्पष्चात्  इस मंच के समक्ष दिनांक 5.2.2015 को पुनः परिवाद प्रस्तुत किए जाने की स्थिति को देखते हुए यह सिद्व रूप से प्रकट माना जा सकता है कि बीमा कम्पनी  ने  इस मंच के पूर्व आदेष की अनुपालना में  प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत किया गया क्लेम  दिनांक 26.5.2012 पर कोई कार्यवाही नही ंकी है ।  पुनः स्मरण पत्र के रूप में  भेजे गए क्लेम दिनंाक 2.5.2013 से 2 वर्ष की अवधि के अन्दर अन्दर इस मंच के समक्ष दिनंाक 5.2.2012 को प्रस्तुत किया गया क्लेम समयावधि में है, ऐसा मंच का मानना है क्योंकि प्रार्थी द्वारा प्रष्नगत  ट्रक संख्या  आर.जे.21.जी.2678 का बीमा कम्पनी के जरिए बीमा पाॅलिसी संख्या 261782334001967  राषि रू. 7,70,000 में दिनंाक 15.6.2008 से 14.6.2009  तक बीमा करवाया गया था तथा दिनांक 7.7.2008 को उक्त वाहन नीलगाय को बचाने के चक्कर में दुर्घटनाग्रस्त होने के फलस्वरूप रू. 1,81,342/-  का नुकसान कारित हुआ है तथा इस आषय की  उसके द्वारा पुलिस थाना गोटन में दिनांक 19.7.2008 को रिपोर्ट दर्ज करवाना कहा है  जैसा कि उक्त थाने के रोजनामचे में रिपोर्ट दर्ज है । कहा जा सकता है कि दिनांक 7.7.2008 की घटना की घटित रिपोर्ट दिनांक  19.7.2008 को  देरी से दर्ज करवाई गई है । देरी का जो स्पष्टीकरण  इस रिपोर्ट  के अनुसार गाड़ी का काम करवाना रहा है, बताया गया है,  सन्तुष्टीपूर्ण  नहीं कहा जा सकता । प्रार्थी के द्वारा बीमा कम्पनी को कब सूचना दी गई  इस संबंध में मात्र यह स्पष्टीकरण सामने आया है कि बीमा सर्वेयर को  ट्रक पलट जाने व नुकसान की सूचना दे दी थी,  संतोषजनक नही ंहै क्योंकि क्लेम फार्म में भी सूचना व स्थान के काॅलम  खाली दर्षाए गए है।   अन्य उपलब्ध किसी भी दस्तावेज ये यह स्पष्ट नहीं होता है कि  इस आषय की सूचना बीमा कम्पनी को दे दी गई थी । इस प्रकार दोनो ही स्थिति में यथा दुर्घटना की सूचना पुलिस थाना व बीमा कम्पनी को दिए जाने में हुई  देरी बीमा पाॅलिसी की षर्तो के उल्लंघन में प्रार्थी को क्लेम प्राप्त करने से  वंचित करता है । 2015छब्श्रण्201;छब्द्ध त्ंउमेी ब्ींदक डमहूंदेमम टे ज्ीम व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जकण्  मंे  माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने प्रार्थी द्वारा बीमा कम्पनी को 48 घण्टों के अन्दर सूचित नहीं करने की दषा में इसे बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन होना पाया है । 2015छब्श्रण्9? 01छब्ण् प्देनतंदबमे ैीमतम त्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्वण्स्जकण् में  माननीय राष्ट्रीय आयेाग ने  ऐसी देरी को थ्ंजंस   पाया व तथ्योंनुसार बीमा षर्तों के उल्लंघन में खारिज किए गए क्लेम को उचित पाया । प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत  न्यायिक दृष्टान्त  तथ्यों की भिन्नता के कारण  उसकी कोई मदद नहीं करते क्योंकि प्रस्तुत मामले में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा परिवाद का उत्तर दिया गया था व इस पर विचार करते हुए माननीय  सर्वोच्च न्यायालय ने दिषा निर्देष पारित किए थे ।  अतः मंच की राय में प्रार्थी का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि 
                     -ःः आदेष:ः-
5.            प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 26.09.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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