जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुधा यादव.........................................सदस्या
उपभोक्ता वाद संख्या-504/2013
एम0एल0 निगम वरिश्ठ नागरिक उम्र 77 वर्श निवासी 104ए/290, रामबाग कानपुर-208012।
................परिवादी
बनाम
मेसर्स रेलिगेयर सिक्योरिटी लि0 साई स्क्वायर, 45 भार्गव इस्टेट सिविल लाइन कानपुर-208001
परिवाद दाखिला तिथिः 26.09.2013
निर्णय तिथिः 16.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में उभयपक्षों की सुनवाई पूर्ण करने के उपरान्त दिनांक 13.05.16 को गुण- दोश के आधार पर निर्णय पारित किया गया है। उक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवादी एम0एल0 निगम द्वारा अपील मा0 राज्य आयोग में दाखिल की गयी थी। मा0 राज्य आयोग द्वारा अपील, एम0एल0 निगम बनाम मेसर्स रेलिगेयर सिक्योरिटी लि0 में दिनांक 22.12.16 को निर्णय/आदेष पारित करते हुए फोरम द्वारा दिनांक 13.05.16 को पारित निर्णय/आदेष को खारिज करते हुए अपीलार्थी/परिवादी की अपील स्वीकार की गयी है। मा0 राज्य आयोग द्वारा निर्णय पारित करते हुए पत्रावली पुनः उभयपक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए अपील में दिये गये आदेष/निर्णय के आलोक में परिवाद निर्णीत किये जाने हेतु पत्रावली रिमाण्ड की गयी है।
मा0 राज्य आयोग के उपरोक्त आदेष की प्रति अपीलार्थी/ परिवादी द्वारा दिनांक 03.01.17 को फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गयी। तदोपरान्त फोरम द्वारा पत्रावली को पुनः मूल नम्बर पर लेकर परिवादी को विपक्षी पर पैरवी करने का आदेष किया गया। परिवाद पत्र के आदेष
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दिनांक 31.01.17 के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.02.17 को जरिये पंजीकृत नोटिस विपक्षी को भेजी गयी है। विपक्षी उपस्थित नहीं आया। अतः दिनांक 01.02.17 को विपक्षी पर प्रेशित नोटिस जरिये रजिस्ट्री डाक को दृश्टिगत रखते हुए सुनवाई/आदेष की तिथि, नोटिस प्रेशित करने की तिथि से एक माह के अंतराल के पष्चात दिनांक 23.02.17 नियत की गयी। दिनांक 08.03.17 को अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अतः परिवादी की बहस सुनी गयी। परिवाद पत्र तथा जवाब दावा एवं पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य पूर्ववत् है। अतः निर्णय के उपरोक्त हिस्से में बिना कोई फेर-बदल किये हुए निर्णय में निश्कर्श आगे उपरोक्त परिवर्तित परिस्थितियों में गुण-दोश के आधार पर पारित किया जा रहा है।
पूर्व में पारित निर्णय भी आगे की सुविधा के लिए पूर्ववत् निम्नवत् अंकित किया जा रहा है।
पारित निर्णय दिनांकित 13.05.2016
1. परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी से देना बैंक के 3000 षेयर और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज के 1128 षेयर की अधिक ब्रोक्ररेज मुबलिग 6650.80 पैसा दिलाये जाने व इस पर 18 प्रतिषत की दर से ब्याज एवं रू0 10000.00 वाद व्यय तथा रू0 10,000.00 मानसिक कश्ट एवं रू0 125.00 कोर्ट फीस कुल रू0 27,675.80 विपक्षी से दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया।
2. परिवाद पत्र में संक्षिप्त कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी स्टॉक षेयर ब्रोकर और नेषनल डिपॉजिटरी सिक्योरिटी का एजेण्ट है। परिवादी का षेयर ट्रेडिंग एकाउण्ट विपक्षी के यहां कानपुर में कोड नं0-एम.एन. 906 है। परिवादी व विपक्षी के मध्य लिखित अनुबंध इस बात का हुआ कि विपक्षी, परिवादी से खरीद बिक्री पर वास्तविक डिलीवरी के आधार पर प्रति रू0 100.00 पर 20 पैसे चार्ज करेगा। दिनांक 01.02.13 को परिवादी ने 3000 षेयर देना बैंक के रू0 110.33 पैसा प्रति षेयर की दर से रू0 3,28,746.37 पैसे में बेंचे और दिनांक 08.02.13 को टाटा कंसलटेंसी
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सर्विसेज लि0 के 1128 षेयर रू0 1407.26 प्रति षेयर की दर से मुबलिग 15,76,671.07 पैसे में बेंचे। किन्तु विपक्षी ने तय दर से अधिक प्रति रू0 100 पर 50. पैसे की दर से ब्रोक्रेज ले लिया। जैसाबि बिल दिनांक 01.02.13 व 08.02.13 में दर्षाया गया। पहले ब्रोक्रेज दर 20 पैसा प्रति 100.00 थी। यह बिल दिनांकित 16.05.11 जो संलग्नक-सी है, में दर्षाया गया। विपक्षी को रजिस्टर्ड नोटिस दिनांक 18.02.13 को इस अतिरिक्त ब्रोक्रेज को रिफण्ड करने के लिये दिया गया, किन्तु विपक्षी द्वारा वापस नहीं किया गया। अतः यह वाद प्रस्तुत किया गया।
3. विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर कथन किया कि परिवाद जिला उपभोक्ता फोरम के क्षेत्राधिकार से बाहर है। अतः खण्डित किया जाये। परिवादी व विपक्षी के मध्य क्रेता और विक्रेता का कोई सम्बन्ध है। अतः परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(1)(डी) के अंतर्गत उपभोक्ता नहीं है। परिवादी ने षेयर का व्यापार करने के लिए मेम्बर क्लाइन्ट एग्रीमेंट विपक्षी के साथ किया था और परिवादी व विपक्षी के बीच उसी अनुबंध के आधार पर रिष्ता है। उक्त अनुबंध की प्रति संलग्नक-ए है। परिवादी ने षेयर्स खरीद और बिक्री का कार्य लाभ के लिए किया। परिवादी ने यह परिवाद व्यापार में हुई हानि के लिये किया है, जो व्यापारिक प्रकृति का है। जैसाकि मा0 राश्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग ने यू0टी0आई0 बनाम सावित्री देवी अग्रवाल के मामले में कहा है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम इस तरह की क्षतिपूर्ति के लिए नहीं है। परिवादी षेयर्स की खरीद/बिक्री का कार्य व्यापारिक उद्देष्य के लिए कर रहा था, इसलिए वह उपभोक्ता नहीं है। मेम्बर क्लाइन्ट एग्रीमेंट में दोनों पक्ष म्गबींदहम के ठलमसूंंए त्नसमे ंदक त्महनसंजपवद मानने के लिए बाध्य होते हैं तथा परिवादी का यदि कोई विवाद था तो वह पंचाट को संदर्भित किया जाना चाहिए था। परिवादी का परिवाद पत्र, प्रतिवाद पत्र में वर्णित कथनों से खण्डित होने येग्य है।
साक्ष्य
4. परिवादी ने अपने वादपत्र के समर्थन में अपना षपथपत्र दिनांकित
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25.09.13 व दिनांकित 10.09.14 व फेहरिस्त के साथ एस.बी.आई. बैंक ड्राफ्ट रू0 100.00, विपक्षी का सेल बिल देना बैंक ए0 व बी0, विपक्षी का सेल बिल विजया बैंक दिनांकित 03.08.12, परिवादी द्वारा ब्रोक्रेरेज के रिफण्ड हेतु विपक्षी को दिया गया नोटिस दिनांकित 18.02.13 आदि प्रपत्रों की छायाप्रतियॉं दाखिल की हैं।
5. विपक्षी ने अपने प्रतिवावद पत्र के समर्थन में कोई साक्ष्य/ षपथपत्र दाखिल नहीं किया है।
निष्कर्श
6. इस मामले में विपक्षी की ओरसे प्राथमिक आपत्ति क्षेत्राधिकार के सम्बन्ध में धारा-26 उपभोक्ता संरक्षण अधिनिमय के अंतर्गत प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर की गई। अतः श्रवणाधिकार के बिन्दु पर उभयपक्षें को सुना गया एवं अभिलेख का परिषीलन किया गया।
7. परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में कथन किया है कि वह षेयर की खरीद-फरोख्त का कार्य करता है और उसका षेयर ट्रेडिंग एकाउण्ट विपक्षी जो कि स्टॉक षेयर ब्रोक्रर है, के यहां है। परिवाद में यह भी कथन किया गया है कि पक्षकारों के मध्य एक लिखित अनुबंध हुआ था कि विपक्षी परिवादी से खरीद-फरोख्त पर वास्तविक डिलीवरी के आधार पर प्रति 100.00 रू0 पर 20 पैसा चार्ज करेगा, किन्तु विपक्षी ने उसके द्वारा बेंचे गये देना बैंक के 3000.00 षेयर की कीमत मुबलिग रू0 3,28,746.00 एवं टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज लि0 के 1128 षेयर मुबलिग रू0 15,76,671.07 पैसे पर 20 पैसे के स्थान पर 50 पैसे की दर से ब्रोक्रेज ले लिया, जो कि गलत है और इसी ज्यादा ली गयी ब्रोक्रेज की धनराषि को वापस दिलाये जाने हेतु यह वाद प्रस्तुत किया गया।
8. स्वीकृत रूप से परिवादी षेयर के खरीद-बिक्री का कार्य करता है। विपक्षी की ओर से पिटीषन नं0-287/2001 डा0 वी0के0 अग्रवाल बनाम मे0 इन्फोसेस टैक्नोलाजी लि0 एवं अन्य में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा
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निर्णय दिनांकित 24.07.12 की प्रति प्रस्तुत की गई। इस निर्णय के पैराग्राफ-16 में उल्लेख किया गया है कि परिवादी षेयर्स की खरीद-खरोख्त का व्यापार अपनी आजीविका के स्वरोजगार के रूप में कर रहा है तो यह माना जायेगा कि व्यापारिक उद्देष्य से उक्त कार्य किया जा रहा है। जैसा कि टपरंल ज्ञनउंत टेण् प्दकनेपदक ठंदाए प्प् 2012 ब्च्श्र.181ख्छब्, निर्णय का उक्त पैराग्राफ निम्न प्रकार हैः- श्ज्ीम ंइवअम ेंपक ंअमतउमदजे उंकम पद बवउचसंपदज बसमंतसल कमचपबज जींज जीम बवउचसंपदंदज ीं इममद जतंकपदह पद जीम इनेपदमे वि ेंतमेण् ज्ीम बवउचसंपदंदज ीं दवू ीमतम चसमंकमक पद जीम बवउचसंपदज जींज ीम पे कमंसपदह ूपजी ेंतमे इनेपदमे ें श्ेमसि.मउचसवलउमदजश् वित सपअमसपीववक छवत पज ीं इममद ंससमहमक जींज जीम ेमतअपबमे चसवअपकमक इल व्च् प् ूमतम इमपदह ंअंपसमक वि मगबसनेपअमसल वित जीम चनतचवेम वि ीपे श्सपअमसपीववकश् इल उमंदे वि ष्ेमसि.मउचसवलउमदजष् इल जीम बवउचसंपदंदजण् प्ज उनेज इम इवतदम पद उपद जींज कपेचनजमे इमजूममद जीम चंतजपमे समसंजपदह जव बवउउमतबपंस चनतचवेमे ंतम मगबसनकमक नदकमत जीम ।बजण् ज्ीपे अपमू ेजंदके वितजपपिमक इल ं तमबमदज ंनजीवतपजल वि जीपे बवउउपेपवद क्षेत्राधिकार के बिन्दु पर भी ैवउ छंजी रंपद टेण् त्ण्ब्ण् ळवमदां - ।दतण् 1ख्1994, ब्च्श्र.27 ख्छब्, में मा0 राश्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोश आयोग नई दिल्ली द्वारा प्रतिपादित किया गया कि खरीद-फरोख्त से सम्बन्धि तमामले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत नहीं आते हैं, अपितु यह दीवानी न्यायालय में जाने चाहिए।
9. परिवादी की ओरसे 2012 ;2द्ध ब्च्त्.ख्छब्, डध्े प्दकपंइनससे थ्पदंदबपंस ैमतअपबमे स्जकण् टेण् डतण् टंतहीमेम ैंतपं - ।दतण् निर्णय विधि प्रस्तुत की गई। इस मामले में मान0 राश्ट्रीय आयेग ने यहा मानते हुए कि पी0एस0यू0 के सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा अपनी आजीविका के लिए किये जा रहे षेयर के कारोबार का मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आता है। इस मामले में परिवाद पत्र के परिषीलन से स्पश्ट है कि परिवादी ने यह कहीं नहीं कहा कि वह षेयर का कारोबार अपनी आजीविका के लिए कर रहा है और यदि षेयर की खरीद-बिक्री का कार्य
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आजीविका के लिए किया जाना अभिकथित न हो तो इसे व्यापारिक उद्देष्य ही माना जायेगा। चूॅकि इस मामले में परिवादी ने परिवाद पत्र में यह कहीं नहीं कहा कि वह षेयर खरीद-बिक्री का कार्य अपनी आजीविका के लिये कर रहा था। अतः मंच इस मत का है कि यह व्यापारिक उद्देष्य के लिये किया जा रहा था।
10. इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण बिन्दु यह भी है कि परिवाद पत्र में परिवादी ने स्वयं कथन किया है कि उसके और विपक्षी के मध्य से लिखित अनुबंध हुआ था, जिसमें प्रति 100.00 रू0 पर 20 पैसे ब्रोक्रेज का भुगतान तय हुआ था। विपक्षी द्वारा परिवादी से परिवाद पत्र में कथित षेयरों की बिक्री के मूल्य में से 50 पैसे प्रति 100.00 रू0 की दर से ब्रोक्रेज ले लिया गया और इस अधिक ली गयी धनराषि के रिफण्ड हेतु यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है। अनुबंध पत्र की षर्तों का उल्लंघन यदि विपक्षी द्वारा किया गया है तो परिवादी संविदा के विषिश्ट अनुपालन हेतु दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकता है। धन वसूली का वाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसे वाद का श्रवणाधिकार उपभोक्ता फोरम को नहीं है।
11. उपरोक्त विवेचना के आधार पर मंच इस निश्कर्श पर पहुॅचा है कि परिवादी का परिवाद, श्रवणाधिकार न होने के कारण खण्डित होने योग्य है।
आदेश का प्रवर्तनीय अंष
12. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, खण्डित किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें।
रिमाण्ड पर पत्रावली प्राप्त होने के पष्चात पारित निर्णय
8. यद्यपि पूर्व में दिनांक 13.05.16 को पारित निर्णय, उभयपक्षों को सुनने के पष्चात किया गया है। किन्तु उक्त पारित निर्णय के पष्चात अपीलार्थी के द्वारा की गयी अपील में पारित आदेष के पष्चात रिमाण्ड की गयी पत्रावली में विपक्षी की ओर से बावजूद तामीला किसी के उपस्थित न
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आने के पष्चात परिवादी की व्यक्तिगत रूप से बहस सुनकर मा0 राज्य आयोग द्वारा अपील सं0-1023/2015 एम0एल0 निगम/अपीलार्थी जो कि प्रस्तुत परिवाद का परिवादी है बनाम रेलीगेयर सिक्योरिटी/प्रत्यर्थी जो कि प्रस्तुत परिवाद का विपक्षी है, में दिये गये निश्कर्श के आधार पर पुनः गुण-दोश के आधार पर निर्णय पारित किया जा रहा है। फोरम द्वारा पूर्व में पारित निर्णय दिनांक 28.10.15 के अवलोकन से विदित होता है कि यद्यपि उक्त निर्णय के पृश्ठ सं0-6 में स्पश्ट रूप से यह उल्लिखित किया गया है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि, वह षेयर का व्यवसाय करता है। परिवादी अपने एकाउन्ट के अंतर्गत षेयर क्रय/विक्रय का कार्य कानपुर नगर में करता है। पक्षकार अपने द्वारा प्रस्तुत परिवादपत्र व जवाब दावा में जो कथन करते हैं, उन कथन को साबित करने के लिए ही षपथपत्र व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं-यह मानकर प्रष्नगत निर्णय दिनांक 13.05.16 में परिवादी को षेयरों का ट्रेडर/व्यवसायी मानते हुए परिवादी का परिवाद खारिज किया गया था। किन्तु मा0 राज्य आयोग द्वारा अपने उपरोक्त अपील में यह माना गया है कि चूॅकि परिवादी द्वारा, विपक्षी के द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाब दावा के पष्चात जो षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, उक्त षपथपत्र में परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा अपने जीवनभर की गाढ़ी कमाई के जरिये अपने जीवकोपार्जन के लिए षेयर का क्रय-विक्रय करता है। मा0 राज्य आयोग द्वारा उक्त षपथपत्र में अंकित तथ्यों को परिवादी का कथन मानते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-13 (4) का उल्लेख करते हुए उक्त षपथपत्र में उल्लिखित तथ्यों को परिवादी की ओर से किये गये तथ्यों को स्वीकार किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलेक में फोरम इस मत का है कि मा0 राज्य आयोग द्वारा उपरोक्त अपील में दिये गये निर्देषों का अनुपालन किया जाना न्यायसंगत/विधिसंगत/तर्कसंगत है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थतियों के आलोक में वर्तमान परिस्थितियों में परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से रू0 6650.80 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि
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से तायूम वसली तक के लिए तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है। यद्यपि परिवादी द्वारा लिखित बहस प्रस्तुत करके कतिपय अन्य अनुतोश याचित किये गये हैं, किन्तु चूॅकि, परिवादी द्वारा उक्त अनुतोश, संषोधन के माध्यम से परिवाद पत्र में अंकित नहीं किये गये हैं। अतः परिवादी द्वारा अपनी लिखित बहस में दिनांक 08.03.17 के माध्यम से याचित अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा अपने मूल परिवाद में अन्य याचना के अतिरिक्त रू0 10000.00 क्षतिपूर्ति याचित की गयी है। परिवादी द्वारा उपरोक्त क्षति के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः उक्त के सम्बन्ध में परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी परिवादी को रू0 6650.80 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायमू वसली अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।