Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/182/2014

ML NIGAM - Complainant(s)

Versus

RELIGAER SEQIRITY - Opp.Party(s)

10 Jun 2014

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/182/2014
 
1. ML NIGAM
RAM BAGH KANPUR NAGAR
...........Complainant(s)
Versus
1. RELIGAER SEQIRITY
CIVIL LINES KANPUR NAGAR
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MRS. Sudha Yadav MEMBER
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 10 Jun 2014
Final Order / Judgement

 

 
                                          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।

                                अध्यासीनः      डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
                                                     श्रीमती सुधा यादव.........................................सदस्या


उपभोक्ता वाद संख्या-182/2014
एम0एल0 निगम वरिश्ठ नागरिक उम्र 78 वर्श निवासी 104ए/290, रामबाग कानपुर-208012।
                                  ................परिवादी
बनाम
मेसर्स रेलिगेयर सिक्योरिटी लि0 साई स्क्वायर, 45 भार्गव इस्टेट सिविल लाइन कानपुर-208001
                             परिवाद दाखिला तिथिः 26.09.2013
निर्णय तिथिः 16.03.2017

डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.    पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में उभयपक्षों की सुनवाई पूर्ण करने के उपरान्त दिनांक 28.10.15 को गुण- दोश के आधार पर निर्णय पारित किया गया है। उक्त निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवादी एम0एल0 निगम द्वारा अपील मा0 राज्य आयोग में दाखिल की गयी थी। मा0 राज्य आयोग द्वारा अपील, एम0एल0 निगम बनाम मेसर्स रेलिगेयर सिक्योरिटी लि0 में दिनांक 22.12.16 को निर्णय/आदेष पारित करते हुए फोरम द्वारा दिनांक 28.10.15 को पारित निर्णय/आदेष को खारिज करते हुए अपीलार्थी/परिवादी की अपील स्वीकार की गयी है। मा0 राज्य आयोग द्वारा निर्णय पारित करते हुए पत्रावली पुनः उभयपक्षों को सुनवाई का अवसर देते हुए अपील में दिये गये आदेष/निर्णय के आलोक में परिवाद निर्णीत किये जाने हेतु पत्रावली रिमाण्ड की गयी है।
    मा0 राज्य आयोग के उपरोक्त आदेष की प्रति अपीलार्थी/ परिवादी द्वारा दिनांक 28.01.17 को फोरम के समक्ष प्रस्तुत की गयी। तदोपरान्त फोरम द्वारा पत्रावली को पुनः मूल नम्बर पर लेकर परिवादी  को विपक्षी पर पैरवी करने का आदेष किया गया।  परिवाद पत्र के आदेष 
.............2
...2...

दिनांक 31.01.17 के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.02.17 को जरिये पंजीकृत नोटिस विपक्षी को भेजी गयी है। विपक्षी उपस्थित नहीं आया। अतः दिनांक 01.02.17 को विपक्षी पर प्रेशित नोटिस जरिये रजिस्ट्री डाक को दृश्टिगत रखते हुए सुनवाई/आदेष की तिथि, नोटिस प्रेशित करने की तिथि से एक माह के अंतराल के पष्चात दिनांक 28.02.17 नियत की गयी। दिनांक 08.03.17 को अवसर दिये जाने के बावजूद विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया। अतः परिवादी की बहस सुनी गयी। परिवाद पत्र तथा जवाब दावा एवं पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य पूर्ववत् है। अतः निर्णय के उपरोक्त हिस्से में बिना कोई फेर-बदल किये हुए निर्णय में निश्कर्श आगे उपरोक्त परिवर्तित परिस्थितियों में गुण-दोश के आधार पर पारित किया जा रहा है। 
    पूर्व में पारित निर्णय भी आगे की सुविधा के लिए पूर्ववत् निम्नवत् अंकित किया जा रहा है।
पारित निर्णय दिनांकित 28.10.2015
1.      परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी को आदेषित किया जाये कि विपक्षी परिवादी को निम्न अनुतोश भुगतान करेः-
1.    200 षेयर का क्रय मूल्य रू0 (2678.87$2698.88)     = रू0 5377.66
2.    उपरोक्त रू0 5377.66 पर 18 प्रतिषत वार्शिक ब्याज
    जून 2011 से अद्यतन तक     = रू0 1800.00
3.    परिवादी के बिना संज्ञान में लाये ही उपरोक्त 200
     षेयर बेंचने में हुई क्षतिपूर्ति     = रू0 2,00,000.00
4.    परिवादी को बिना सूचित किये हुए परिवादी के 900 
    षेयर बेचने में क्रय विक्रय के अंतर की धनराषि     = रू0 706.66
5.    परिवाद पत्र के प्रस्तर-5 में उल्लिखित तथ्यों के 
    अनुसार बी.एस.ई. एवं एन.एस.ई. के षेयरों के क्रय
     विक्रय के लिए किये गये खर्च का अंतर     = रू0 1536.52
6.    परिवाद व्यय     = रू0 10000.00
7.    फोरम षुल्क एवं कमीषन     = रू0 225.00
8.    कुल रूपये    = रू0 2,19,345.84
9.    परिवादी के 200 षेयर परिवादी को बिना सूचित किये ही बेचने के लिए दो वर्श के कारावास की सजा भी विपक्षी को दी जाये।
.........3
....3....

2.     परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का संक्षेप में यह कथन है कि विपक्षी स्टाक षेयर ब्रोकर एवं षेयर संग्रह का कार्य करता है। विपक्षी राश्ट्रीय संग्रह सिक्योरिटी लि0 ;छण्ैण्क्ण्स्ण्द्ध के षेयरों का उपरोक्त कार्य करता है। परिवादी का विपक्षी के यहां षेयर संग्रह एवं षेयर व्यापार का खाता है, जिसका पोर्ट नं0-एम.एन.-906 है। परिवादी द्वारा रवी कुमार डिस्टेलरी ब्रोकर के 100 षेयर विपक्षी के द्वारा दिनांक 02.06.11 तथा 100 षेयर दिनांक 08.06.11 बावत रू0 2678.87 एवं रू0 2698.88 क्रमषः क्रय किये गये और उनका भुगतान भी विपक्षी के द्वारा दिये गये बिलों के आधार पर किया गया। दिनांक 31.03.13 को जब विपक्षी के द्वारा परिवादी के षेयर का इस्टालमेंट दिया गया, तो परिवादी को यह ज्ञात हुआ कि विपक्षी द्वारा परिवादी के उपरोक्त 200 षेयर परिवादी को, बिना ब्याज के अथवा परिवादी की बिना जानकारी के बेंच दिये गये। विपक्षी द्वारा परिवादी को उक्त 200 षेयर का विक्रय मूल्य भी नहीं दिया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा आपराधिक क्रत्य किया गया है। जिसके लिए विपक्षी दण्ड भोगने एवं क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए उत्तरदायी है। विपक्षी द्वारा रवि कुमार डिस्टेलरी के 900 षेयर भी परिवादी को बिना सूचना दिये ही चुपके से दिनांक 10.06.11 को क्रय करके बेंच दिये गये। जिसके अंतर की धनराषि रू0 706.66 बिल दिनांकित 10.06.11 के माध्यम से परिवादी के खाते में डाल दी गयी। विपक्षी द्वारा परिवादी को बिना सूचित किये हुए चुपके से अन्यान्य षेयरों के क्रय-विक्रय के समव्यवहार बाम्बे स्टाक एक्सचेंज एवं राश्ट्रीय स्टाक एक्सचेंज में किये गये और अंतर की धनराषि रू0 1536.52 परिवादी के खाते में डाल दी गयी। इस प्रकार विपक्षी रू0 2687.66 एवं रू0 2698.88 कुल धनराषि रू0 5377.66 उपरोक्त 200 षेयर क्रय करने की कीमत मय 18 प्रतिषत ब्याज की दर से तथा रू0 2,00,000.00 क्षतिपूर्ति के रूप में व रू0 10,000.00 परिवाद व्यय के रूप में परिवादी को अदा करने के लिए उत्तरदायी है।
3.    विपक्षी की ओर से एक प्रार्थनापत्र दिनांकित 21.08.14 प्रस्तुत किया गया है।  उक्त प्रार्थनापत्र को ही  विपक्षी का  जवाब दावा स्वीकार 
............4
....4....

किये जाने के तर्क दिनांक 13.02.15 को किये गये हैं। अतः विपक्षी के उक्त पत्र को ही जवाब दावा माना गया है। विपक्षी के द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त जवाब दावा में संक्षेप में कथन यह है कि विपक्षी एवं परिवादी के मध्य क्लाइंट एग्रीमेंट निश्पादित किया गया है। अतः परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-2(1)(डी) के अंतर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवादी का संबंध विपक्षी के साथ क्रेता एवं विक्रेता का नहीं है। परिवादी द्वारा लाभ की आषा से विपक्षी के साथ किये गये व्यापार में हुई क्षति की भरपाई के लिए परिवाद योजित किया गया है, जो कि वाणिज्यिक प्रक्रति का हैं। प्रस्तुत परिवाद पक्षकारों के मध्य हुए इकरारनामे में उल्लिखित प्राविधानों के विपरीत है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधानों का बेजा इस्तेमाल करने के उद्देष्य से योजित किया गया है। अतः परिवाद निरस्त किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.    परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.11.13 एवं 27.10.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में बिल दिनांकित 02.06.11, 08.06.11 एवं 10.06.11 की प्रतियां, स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट की प्रति, धनराषि जमा करने से सम्बन्धित स्टेटमेंट की प्रति एवं नोटिस की प्रति दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.    विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में कोई षपथपत्र दाखिल नहीं किया है। लेकिन अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में क्लाइंट एग्रीमेंट की प्रति, रिस्क से सम्बन्धित अनुबन्ध की प्रति, कंपनी के प्रतिनिधि की बोर्ड ऑफ रेजुलेषन की प्रति तथा लेटर आफ अथार्टी की मूलप्रति दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.     फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
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....5....

    उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में विपक्षी द्वारा प्रार्थनापत्र के रूप में जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है। आदेष दिनांक 13.02.15 के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षी के द्वारा अन्य कोई जवाब एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने से इंकार किया गया है। परिवादी द्वारा भी अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने से मना किया गया। अतः दिनांक 13.02.15 को पत्रावली वास्ते बहस नियत की गयी। अतः प्रस्तुत परिवाद उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये तथ्य एवं साक्ष्यों के आलोक में अंतिम रूप से निर्णीत किया जाता है।
    परिवादी का मुख्य कथन यह है कि विपक्षी द्वारा परिवादी के 100 षेयर रवी कुमार डिस्टेलरी के दिनांक 02.06.11 को तथा 100 षेयर दिनांक 08.06.11 को परिवादी को बिना सूचित किये ही विपक्षी द्वारा बेंच दिये गये। इसी प्रकार 900 षेयर एवं अन्य षेयर भी बेंच दिये गये हैं। विपक्षी का मुख्य कथन यह है कि परिवादी, विपक्षी के साथ षेयरों के क्रय-विक्रय लाभ के लिए व वाणिज्यिक स्तर पर किया जाता रहा है। परिवादी एवं विपक्षी के साथ उक्त कार्य के लिए इकरारनामा निश्पादित किया गया है। परिवादी द्वारा उक्त इकरारनामे में उल्लिखित षर्तों के उल्लंघन हेतु विपक्षी के विरूद्ध प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है।
    उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में प्रमुखतः यह निर्णीत किया जाना है कि क्या परिवादी प्रस्तुत मामले में उपभोक्ता की श्रेणी में आता है या नहीं। इस सम्बन्ध में परिवाद में उल्लिखित तथ्य, जिनका उल्लेख विस्तार से ऊपर किया गया है, के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी का विपक्षी से व्यापारिक संबंध है। परिवादी द्वारा विपक्षी के माध्यम से षेयरों के क्रय-विक्रय का कार्य लाभ के लिए किया जा रहा है। परिवादी की ओर से एक तर्क यह किया गया है कि उसके द्वारा मात्र अपनी आजीविका चलाने के लिए विपक्षी से उपरोक्त षेयरों के क्रय-विक्रय का समव्यवहार किया गया है।  परिवादी अपने उपरोक्त कथन के  समर्थन में विधि निर्णय
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....6....

मेसर्स इण्डियाबुल्स फाइनेषिंयल सर्विस लि0 एवं अन्य बनाम वर्घेस सकारिया एवं अन्य 2012 ;2द्ध ब्च्त् 395 ;छब्द्ध में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। परिवाद पत्र के अवलोकन से स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में कहीं पर भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि उसके द्वारा प्रष्नगत षेयरों के क्रय-विक्रय अपनी आजीविका चलाने के लिए किया गया है। अतः परिवादी की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त विधि निर्णय का लाभ तथ्यों की एकरूपता न होने के कारण प्रस्तुत मामले में प्राप्त नहीं होता है। क्योंकि उपरोक्त मामले में स्पश्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है कि परिवादी एक सेवानिवृत्त कर्मचारी है। प्रस्तुत मामले में परिवादी द्वारा यह कहीं पर भी नहीं कहा गया है कि वह एक सेवानिवृत्त कर्मचारी है और उसके द्वारा विपक्षी कंपनी से उपरोक्त षेयरों के क्रय-विक्रय का समव्यवहार अपने परिवार की आजीविका चलाने के लिए किया गया है। अतः मा0 राश्ट्रीय आयोग का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत का लाभ परिवादी को प्राप्त नहीं होता है। 
    विपक्षी की ओर से अपने कथन के समर्थन में विधि निर्णय मारवाड़ी षेयर एण्ड फाइनेन्स लि0 बनाम विपुलभाई ए मकवाना अपील नं0-46/2011 निर्णीत दिनांक 10.10.13 एवं विधि निर्णय डा0 वी.के. अग्रवाल बनाम मेसर्स इन्फोसिस टेक्नोलॉजी लि0 एवं अन्य पिटीषन नं0- 287/2001 निर्णीत दिनांक 24.07.12 में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 राश्ट्रीय आयोग का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि उपरोक्त विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ विपक्षी को प्राप्त होता है। क्योंकि परिवादी द्वारा अपने परिवादपत्र में कहीं पर भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि परिवादी के द्वारा षेयरों का व्यापार अपने स्वयं के रोजगार के लिए या अपने जीवकोपार्जन के लिए किया गया है। मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा अपने उपरोक्त निर्णय में अन्य निर्णयों का भी उल्लेख किया गया है।
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    यद्यपि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र एवं प्रति षपथपत्र दाखिल किया गया है, किन्तु प्रस्तुत मामले में परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में ही नहीं आता है। ऐसी दषा में परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्र व प्रतिषपथपत्र व अन्य अभिलेखीय साक्ष्यों का कोई महत्व नहीं रह जाता है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम का यह मत है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।                                                                          
ःःःआदेषःःः
7.     उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध खारिज किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
रिमाण्ड पर पत्रावली प्राप्त होने के पष्चात पारित निर्णय
8.    यद्यपि पूर्व में दिनांक 28.10.15 को पारित निर्णय, उभयपक्षों को सुनने के पष्चात किया गया है। किन्तु उक्त पारित निर्णय के पष्चात अपीलार्थी के द्वारा की गयी अपील में पारित आदेष के पष्चात रिमाण्ड की गयी पत्रावली में विपक्षी की ओर से बावजूद तामीला किसी के उपस्थित न आने के पष्चात परिवादी की व्यक्तिगत रूप से बहस सुनकर मा0 राज्य आयोग द्वारा अपील सं0-2366/2015 एम0एल0 निगम/अपीलार्थी जो कि प्रस्तुत परिवाद का परिवादी है बनाम रेलीगेयर सिक्योरिटी/प्रत्यर्थी जो कि प्रस्तुत परिवाद का विपक्षी है, में दिये गये निश्कर्श के आधार पर पुनः गुण-दोश के आधार पर निर्णय पारित किया जा रहा है। फोरम द्वारा पूर्व में पारित निर्णय दिनांक 28.10.15 के अवलोकन से विदित होता है कि निर्णय के प्रस्तर संख्या-6 में स्पश्ट रूप से यह उल्लिखित किया गया है कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि, वह षेयर का व्यवसाय करता है। परिवादी अपने एकाउन्ट के अंतर्गत         षेयर क्रय/विक्रय का कार्य कानपुर नगर में करता है। पक्षकार अपने द्वारा 
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प्रस्तुत परिवादपत्र व जवाब दावा में जो कथन करते हैं, उन कथन को साबित करने के लिए ही षपथपत्र व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं-यह मानकर प्रष्नगत निर्णय दिनांक 28.10.15 में परिवादी को षेयरों का ट्रेडर/व्यवसायी मानते हुए परिवादी का परिवाद खारिज किया गया था। किन्तु मा0 राज्य आयोग द्वारा अपने उपरोक्त अपील में यह माना गया है कि चूॅकि परिवादी द्वारा, विपक्षी के द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाब दावा के पष्चात जो षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, उक्त षपथपत्र में परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा अपने जीवनभर की गाढ़ी कमाई के जरिये अपने जीवकोपार्जन के लिए षेयर का क्रय-विक्रय करता है। मा0 राज्य आयोग द्वारा उक्त षपथपत्र में अंकित तथ्यों को परिवादी का कथन मानते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-13 (4) का उल्लेख करते हुए उक्त षपथपत्र में उल्लिखित तथ्यों को परिवादी की ओर से किये गये तथ्यों को स्वीकार किया गया है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलेक में फोरम इस मत का है कि मा0 राज्य आयोग द्वारा उपरोक्त अपील में दिये गये निर्देषों का अनुपालन किया जाना न्यायसंगत/विधिसंगत/तर्कसंगत है।
    उपरोक्त तथ्यों, परिस्थतियों के आलोक में अन्य कोई विचारणीय विशय न होने के कारण वर्तमान परिस्थितियों में परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से रू0 5377.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसली तक के लिए तथा परिवादी को बिना सूचित किये हुए परिवादी के 900 षेयर बेचने में क्रय-विक्रय के अंतर की धनराषि रू0 706.66 व बी.एस.ई. एवं एन.एस.ई. के षेयरों के क्रय-विक्रय के लिए किय गये खर्च का अंतर रू0 1536.52 तथा परिवाद व्यय रू0 5000.00 के लिए, स्वीकार किये जाने योग्य है। यद्यपि परिवादी द्वारा लिखित बहस प्रस्तुत करके कतिपय अन्य अनुतोश याचित किये गये हैं, किन्तु चूॅकि, परिवादी द्वारा उक्त अनुतोश, संषोधन  के माध्यम से परिवाद पत्र में अंकित नहीं किये गये हैं। अतः परिवादी द्वारा 
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...9...

अपनी लिखित बहस में दिनांक 08.03.17 के माध्यम से याचित अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा अपने मूल परिवाद में अन्य याचना के अतिरिक्त रू0 2,00,000.00 क्षतिपूर्ति याचित की गयी है तथा विपक्षी को 2 वर्श के कारावास की सजा देने की याचना की गयी है।  फोरम दण्ड न्यायालय का कार्य नहीं करता है। अतः परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध दण्डादेष पारित करने से सम्बन्धित याचना स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। रू0 2,00,000.00 क्षति के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। अतः उक्त के सम्बन्ध में परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
9.     परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादी को रू0 5377.00 मय 8 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से, प्रस्तुत परिवाद योजित करने की तिथि से तायूम वसली अदा करे तथा परिवादी को बिना सूचित किये हुए परिवादी के 900 षेयर बेचने में क्रय-विक्रय के अंतर की धनराषि रू0 706.66 व बी.एस.ई. एवं एन.एस.ई. के षेयरों के क्रय-विक्रय के लिए किय गये खर्च का अंतर रू0 1536.52  अदा करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करे।

       ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।
           
    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


        ( सुधा यादव )                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
           सदस्या                             अध्यक्ष
  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश       
       फोरम कानपुर नगर                         फोरम कानपुर नगर।

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. Sudha Yadav]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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