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RAVI SANKER CHANDRAVANSI filed a consumer case on 17 Sep 2013 against RELIENCE LIFE INSURANCE in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/62/2013 and the judgment uploaded on 20 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक -62-2013 प्रस्तुति दिनांक-17.06.2013
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत
रवि षंकर चंद्रवंषी, पिता हेमू चन्द्रवंषी
जाति-गौली, उर्म 25 साल निवासी-ग्राम
आमगांव (गोपालगंज) थाना कुरर्इ, तहसील
कुरर्इ, जिला सिवनी (म0प्र0)।...................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
षाखा कार्यालय रिलायन्स जनरल इंष्योरेंस
कम्पनी (अनिल धीरू भार्इ अंबानी ग्रुफ)
मानसरोवर काम्पलेक्स, द्वितीय तल बसस्टेण्ड
छिन्दवाड़ा, तहसील व जिला छिन्दवाड़ा
(म0प्र0)।.......................................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 17.09.2013 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, बीमित उसके वाहन महेन्द्रा मैक्स, रजिस्ट्रेषन नंबर-एम0पी0 28 सी-7264 के दिनांक-06.03.2012 को दुर्घटनाग्रस्त होने पर, वाहन की क्षति बाबद पेष परिवादी के ओ0डी0 क्लेम को अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, वाहन के उपयोग की सीमाओं की षर्त का उल्लघंन मानकर, क्लेम निरस्त कर दिये जाने को अनुचित व सेवा में कमी बताते हुये, क्लेम राषि व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) मामले में यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी उक्त वाहन का पंजीकृत स्वामी है। यह भी विवादित नहीं है कि-दिनांक-06.03.2012 को सिवनी से चौरर्इ जाते समय ग्राम-कोहका, थाना-लखनवाड़ा, जिला सिवनी में परिवादी के उक्त महिन्द्रा मैक्स वाहन का स्कापियो वाहन से टक्कर की दुर्घटना में वाहन क्षतिग्रस्त हो जाने की सूचना परिवादी ने अनावेदक बीमा कम्पनी को दिया था, जो कि-उक्त कथित दिनांक को परिवादी का उक्त वाहन, अनावेदक बीमा कम्पनी के बीमा पालिसी क्रमांक-23117123110007 79 के द्वारा बीमित रहा है, जो कि-सूचना प्राप्त होने पर अनावेदक बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने प्रारमिभक जांच कर, मौके के फोटो लिये थे और परिवादी से क्लेम फार्म भरवाकर बीमा पालिसी, ड्रायविंग लायसेंस और रजिस्ट्रेषन की फोटोप्रति सहित, क्लेम-फार्म प्राप्त किया था, फिर परिवादी ने वाहन को छिन्दवाड़ा के षो-रूम में पहुंचा दिया था। यह भी विवादित नहीं कि-सर्वेयर ने जांच के दौरान परिवादी और वाहन के चालक के कथन अंकित किये थे, जिनके द्वारा ब्यान में यह बताया गया था कि-वाहन मालिक परिवादी के द्वारा, वाहन दुर्घटना के समय किराये पर सवारी ढोने के लिए चलवाया जाना परिवादी व उसके ड्रायवर के कथनों में दर्षाया गया था। और यह भी विवादित नहीं कि-वाहन, यात्रियों से किराये लेकर चलवाये जाने को बीमा पालिसी की षर्तों का उल्लघंन होना कहते हुये, अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, दिनांक-30.01.2013 को परिवादी के क्लेम को अस्वीकार कर दिया गया।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि- अनावेदक बीमा कम्पनी ने संपूर्ण सर्वे कराये जाने के बाद पुन: दोबारा परिवादी के व उसके वाहन चालक के कथन लेते समय सर्वेयर द्वारा परिवादी से यह कहा गया था कि-वाहन किराये पर भेजे जाने के ब्यान दें, अन्यथा क्लेम पास नहीं होगा और इस तरह लोभ लालच देकर परिवादी व उसके वाहन चालक से वाहन किराये पर घटना के समय चलवाये जाने बाबद कथन ले-लिये गये थे, जबकि-प्रथम सूचना रिपोर्ट व वाहन चालक के पुलिस कथनों में वाहन किराये पर भेजे जाने का कोर्इ कथन नहीं रहा है और इस तरह परिवादी व उसके वाहन चालक के कथन झूठे लोभ- लालच देकर कपटपूर्वक धोखे से सर्वेयर द्वारा लिये गये हैं और उक्त आधार पर अनुचित रूप से परिवादी के क्लेम को अस्वीकार कर दिया गया है, जबकि-दुर्घटना के समय चालक द्वारा अपने रिष्तेदार के साथ मरीज को देखने के लिए जा रहा था।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-वाहन का बीमा अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा छिन्दवाड़ा में किया गया था और बीमा कम्पनी के छिन्दवाड़ा कार्यालय द्वारा ही परिवादी के क्लेम को अस्वीकार किया गया है, इसलिए सिवनी सिथत जिला फोरम को सुनवार्इ की क्षेत्राधिकारिता नहीं और जांच के दौरान सर्वेयर को परिवादी व उसके ड्रायवर द्वारा यह कथन दिये गये थे कि-दुर्घटना के समय वाहन किराये पर चलाया जा रहा है, जो कि-परिवादी के उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रायवेट वाहन के रूप में है, जबकि-दुर्घटना के समय बीमा पालिसी की षर्तों के विपरीत वाहन को किराये पर चलाया जा रहा था। इस प्रकार स्वयं परिवादी के द्वारा बीमा पालिसी की षर्तों का भंग किया गया है और सर्वेयर की जांच के दौरान ब्यान में जो वाहन को किराये पर चलाये जाने की बात बतार्इ गर्इ है, वह स्वयं परिवादी ने अपने परिवाद में लिखा है, जो अविवादित है और इसलिए परिवादी का क्लेम, नो-क्लेम किया जाकर सूचना परिवादी को दे-दी गर्इ थी, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हंंै कि:-
(अ) क्या अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, परिवादी के
क्लेम को अस्वीकार किया जाना अनुचित होकर,
परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है?
(ब) सहायता एवं व्यय?
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) परिवादी के उक्त वाहन का वह स्वामी था और कथित अवधि में वाहन, अनावेदक द्वारा बीमित रहा होना दर्षाने बाबद, प्रदर्ष सी-20 का रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र व प्रदर्ष सी-21 का बीमा प्रमाण-पत्र की प्रति पेष की गर्इ है, जो स्वीकृत तथ्य है, उक्त वाहन, दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने बाबद प्रदर्ष सी-4 की प्रथम सूचना रिपोर्ट, प्रदर्ष सी-3 का अंतिम प्रतिवेदन, प्रदर्ष सी-8 का नुकसानी पंचनामा, प्रदर्ष सी-6 का नक्षा मौका की प्रतियां पेष की गर्इं हैं। और अनावेदक के जवाब से तथा परिवादी के क्लेम व अस्वीकार किये जाने के प्रदर्ष सी-1 के पत्र की प्रति से स्पश्ट है कि-वाहन, दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होना अनावेदक-पक्ष ने भी पाया था।
(7) प्रदर्ष सी-21 की बीमा पालिसी की प्रति में वाहन के उपयोग की सीमाओं के खण्ड में यह स्पश्ट षर्त रही है कि-उक्त कणिडका में दर्षार्इ परिसिथतियों से अन्यथा, वाहन का उपयोग किये जाने पर ही पालिसी आच्छादित होगी, तो जिन परिसिथतियों में बीमा का जोखिम आच्छादित नहीं रहा है, उसमें वाहन को किराये पर या परितोशण पर चलाया जाना भी षामिल रहा है। और अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष बीमा पालिसी के नियम व षर्तों की प्रति प्रदर्ष आर-1 में भी यह स्पश्ट षर्त रही है कि-बीमा कम्पनी इस पालिसी के तहत दुर्घटना में हुर्इ क्षति के लिए दायित्वाधीन नहीं होगी, यदि वाहन के उपयोग की सीमाओं के खण्ड से अन्यथा वाहन का उपयोग किया जायेगा। तो प्रदर्ष सी-1 से स्पश्ट है कि-वाहन को किराये पर चलाये जाना पाते हुये ऐसे उपयोग के कारण वाहन को हुर्इ क्षति, पालिसी से आच्छादित न होने के कारण, क्षतिपूर्ति से इंकार किया गया और स्वयं परिवादी के परिवाद में ही यह स्वीकृत सिथत है कि-स्वयं परिवादी व परिवादी के ड्रायवर के द्वारा जांच करने वाले सर्वेयर को दिये गये कथनों में यह स्वीकारोकित रही है कि-दुर्घटना के समय वाहन को किराये पर चलाया जा रहा था, तो क्लेम भुगतान से इंकार किये जाने के लिए यह स्पश्टत: समुचित आधार रहा है।
(8) परिवादी के द्वारा, परिवाद में यह कहानी दर्षार्इ गर्इ है कि- परिवादी और वाहन के ड्रायवर के उलिलखित कथन सर्वेयर ने प्राप्त किये उनमें परिवादी और वाहन के ड्रायवर द्वारा, वाहन किराये पर देने की बाद इसलिए लिख दी गर्इ थी, क्योंकि ऐसे लिखने पर क्लेम के भुगतान के आष्वासन का प्रलोभन सर्वेयर ने दिया था। तो इस संबंध में न तो परिवादी-पक्ष की ओर से सर्वेयर का कोर्इ षपथ-कथन पेष हुआ है और न ही परिवादी ने मामला सर्वेयर के विरूद्ध पेष किया है, जो कि-सर्वेयर की जांच में स्वयं के कथनों की स्वीकारोकित को सर्वेयर द्वारा कपटपूर्वक प्राप्त कर लिये जाने जैसे आधार की जांच व निराकरण उपभोक्ता फोरम के संक्षिप्त विचारण की विशय-वस्तु नहीं।
(9) परिवादी-पक्ष की ओर से परिवाद में यह आधार लिया गया है कि-दुर्घटना बाबद पुलिस द्वारा अनुसंधान में लिये गये वाहन ड्रायवर- दिमांग चंद्रवंषी व वाहन के यात्री मनोज कुमार व नरेष कुमार के कथन में वाहन किराये पर लियें जाने का कोर्इ उल्लेख नहीं। तो परिवादी-पक्ष की ओर से पेष प्रदर्ष सी-12, सी-13 और प्रदर्ष सी-14 के उक्त पुलिस कथनों की प्रति से स्पश्ट है कि-उक्त कथन, मात्र दुर्घटना के संबंध में हैं और क्योंकि उक्त पुलिस विवेचना की विशय-वस्तु, वाहन किराये पर चलाया जा रहा था या नहीं, यह नहीं रही है, इसलिए उक्त कथन इस संबंध में नहीं रहे हैं कि-यात्रियों से किराया प्राप्त किया गया था या नहीं, इसलिए परिवाद के ऐसे आधार पर कोर्इ सार नहीं है और परिवादी द्वारा क्लेम प्राप्त करने के अपने लाभ के लिए स्वयं के व ड्रायवर-दिमांग चंद्रवंषी के षपथ-कथन, किराया लेने से इंकार करने बाबद पेष कर दिया जाना पर्याप्त नहीं, जबकि-सर्वेयर द्वारा की गर्इ जांच के समय उनके द्वारा वाहन किराये पर दुर्घटना के समय चलाया जा रहा होना कहना स्वीकार किया गया था, जो स्वयं परिवाद में उल्लेख है। तो सर्वेयर की जांच के अपने कथनों की स्वीकारोकित को इंकार कर दिये जाने के आधार पर इस मामले में परिवादी-पक्ष सफल नहीं हो सकता, जो कि-वाहन चलाने में डीजलपैट्रोल का भी खर्च होता है और वह किसके द्वारा उपलब्ध कराया गया, ऐसा कोर्इ तथ्यात्मक विवरण परिवादी-पक्ष की ओर से पेष षपथ- पत्रों में भी नहीं।
(10) बहरहाल कोर्इ परिवादी-पक्ष की ओर से पेष किसी नवीन साक्ष्य पर इस फोरम द्वारा विचार नहीं किया जाना है और मात्र यही देखा जाना है कि-अनावेदक बीमा कम्पनी द्वारा, परिवाद के क्लेम भुगतान से इंकार किये जाने के संबंध में समुचित आधार रहे हैं या नहीं। और जब परिवाद से ही स्पश्ट है कि-परिवादी और उसके वाहन चालक ने सर्वेयर की जांच के समय वाहन किराये पर चलाये जा रहे होने के लिखित हस्ताक्षरित कथन दिये थे, जिनके आधार पर ही बीमा कम्पनी के द्वारा क्लेम अस्वीकार किया गया, तो परिवादी के क्लेम की बीमा कम्पनी द्वारा की गर्इ अस्वीकृति किसी भी तरह अनुचित नहीं, बलिक समुचित आधारों पर है और ऐसी अस्वीकृति की लिखित सूचना भी परिवादी को दी गर्इ है, तो अनावेदक के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के निश्कर्श के आधार पर, प्रस्तुत परिवाद स्वीकार योग्य न होने से निरस्त किया जाता है। पक्षकार अपना- अपना कार्यवाही-व्यय वहन करेंगे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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