Madhya Pradesh

Seoni

CC/81/2013

MEHTAB SINGH YEDE - Complainant(s)

Versus

RELIENCE GENRAL INSURANCE - Opp.Party(s)

13 Feb 2014

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)

 

    प्रकरण क्रमांक- 81-2013                              प्रस्तुति दिनांक-18.10.2013


समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,

 

महताब सिंह ऐड़े, आत्मज हीरालाल ऐड़े,
उम्र 50 वर्श, निवास-ग्राम-सुकतरा, पोस्ट
सुकतरा, तहसील कुरर्इ, जिला सिवनी
(म0प्र0)।.................................................................आवेदकपरिवादी।


                :-विरूद्ध-: 
(1)    रिलायंस जनरल इंष्योरेंस कम्पनी द्वारा-
    प्रबंधक पंजी कार्यालय, रिलायंस सेंटर
    19, बालचंद हीराचंद मार्ग बलार्इ र्इस्टेट
    मुम्बर्इ-400001
(2)    प्रोपरार्इटरसंचालक, उन्नति मोटर्स
    (अधिकृत महिन्द्रा डीलर) 10वा कि.मी. 
    माइस स्टोन एम.एच.के.एस. पेट्रोल पम्प 
    के पास, कामठी रोड, नागपुर 
    (महाराश्ट्र)।............................................अनावेदकगणविपक्षीगण।    


                 :-आदेश-:
     (आज दिनांक- 13.02.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1)        परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, उसके स्वामित्व के महिन्द्रा कम्पनी के वाहन, माडल-जायलो, अस्थार्इ रजिस्ट्रेषन क्रमांक-टी0आर0-एम0पी0सी04014 है, जो अनावेदक द्वारा बीमित रहा है, उसकी दिनांक-28.03.2013 को ग्राम-जामुनटोला के पास पेड़ से टकरा जाने की दुर्घटना में हुर्इ क्षति के क्लेम को अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी द्वारा निरस्त कर दिये जाने और क्षतिग्रस्त वाहन दुरूस्त करने वाले अनावेदक क्रमांक-2 द्वारा सही हालत में सुधारकर वाहन न देने और पार्किंग षुल्क वसूलने की धमकी को दोशपूर्ण बताते हुये, अनावेदकगण से हर्जाना दिलाने व अनावेदक क्रमांक-1 से वाहन की क्षति इस्टीमेंट के अनुसार, 4,70,469-रूपये ब्याज सहित दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2)        यह स्वीकृत तथ्य है कि-परिवादी ने उक्त वाहन क्रय कर, अनावेदक क्रमांक-1 की छिन्दवाड़ा षाखा से वाहन का बीमा कराया था, जिसका पालिसी क्रमांक-23114332311000042 और बीमा अवधि 03.03.2013 से 02.03.2014 रही है। यह भी विवादित नहीं कि-दिनांक-28.03.2013 को उक्त वाहन ग्राम-जामुनटोला टुरिया के पास पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो जाने बाबद, उसी दिन सूचना परिवादी द्वारा, अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी को दी गर्इ थी और उसी दिन विहित प्रारूप में सूचना का क्लेम प्रपत्र परिवादी से बीमा कम्पनी ने प्राप्त किया, जो दिनांक-29.03.2013 को उक्त वाहन, अनावेदक क्रमांक-2 के गैरिज में सुधार करने के लिए पहुंचाया गया। और तत्पष्चात दिनांक-03.04.2013 को परिवादी द्वारा, पुलिस थाना-कुरर्इ, जिला सिवनी में दुर्घटना की लिखित सूचना पेष की गर्इ। अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी द्वारा वाहन की दुरूस्ती के इस्टीमेंट के संबंध में सर्वेयर से आंकलन कराया गया, कथित घटना बाबद जांच करार्इ गर्इ। यह भी विवादित नहीं कि-दिनांक- 29.06.2013 के सूचना-पत्र के द्वारा, परिवादी का क्लेम अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी द्वारा, इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि-बीमा पालिसी प्रायवेट कार के लिए रही है और कथित घटना के समय वाहन को भाड़े पर चलाया जा रहा था, जो बीमा षर्तों का उल्लघंन रहे होने के कारण, दावा अमान्य किया गया है।
(3)        स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद का सार यह है कि-वाहन का पहले अस्थार्इ पंजीयन हुआ था, बाद में वाहन का परिवहन विभाग से रजिस्ट्रेषन होकर, रजिस्ट्रेषन क्रमांक-एम0पी0-22-सी0ए0 2393 मान्य हुआ और दिनांक-28.03.2013 को जब परिवादी का पुत्र-हीरालाल अपने तीन साथियों के साथ पेंच टाइगर रिजर्व देखने जा रहा था, वाहन को प्रमोद सिंह बघेल चला रहा था, जो कि-टुरिया के पास अचानक सामने से चार-पांच गाड़ी आ जाने से ड्रायवर ने हेणिडल घुमाया जो जाम हो गया और वाहन पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया। जो कि-अनावेदक क्रमांक- 1 के टोल-फ्री नंबर पर सूचना दिये जाने पर, परिवादी को अनावेदक क्रमांक-2 की गैरिज में वाहन पहुंचाने का निर्देष दिया गया, जहां टोचन कर, वाहन को पहुंचाया गया, फिर दिनांक-03.04.2013 को पुलिस थाना- कुरर्इ में लिखार्इ गर्इ रिपोर्ट की मूल प्रति अनावेदक क्रमांक-2 को प्रदान की गर्इ, जिसने वाहन की क्षति का आंकलन कर, इस्टीमेंट तैयार किया और आष्वासन दिया कि-अनावेदक क्रमांक-1 के अधिनस्थ से संपूर्ण कार्यवाही कराने के पष्चात, वह दावा राषि प्राप्त कर लेगा और वाहन सुधारकर दे-देगा। जो कि-अगि्रम के रूप में 40,000-रूपये जमा करा लिये थे, जिसका दावा के निराकरण में समायोजन होना था। 
(4)        अनावेदक क्रमांक-1 के सर्वेयर द्वारा, सर्वे में घटना की पुशिट हो जाने और परिवादी के क्लेम पात्रता के बाद भी अनावेदक क्रमांक-1 ने परिवादी के क्लेम का भुगतान नहीं किया और अनावेदक क्रमांक-2 ने दिनांक-29.06.2013 को दावा निरस्त हो जाना कहकर, परिवादी से भुगतान की मांग की और भुगतान नहीं देने पर, पार्किंग चार्ज लगा देने की भी धमकी दिया।
(5)        अनावेदक क्रमांक-2 के जवाब का सार यह है कि-वह महिन्द्रा कम्पनी के सभी वाहनों के संबंध में अधिकृत सर्विस सेन्टर है, उसके पास वाहन, दिनांक-29.03.2013 को रिपेयर के लिए लाया गया था। परिवादी के बीमा क्लेम को अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी को भेजा गया, जो जांच की प्रक्रिया पष्चात निरस्त कर दिया गया है, जो कि-अनावेदक क्रमांक-2 ने वाहन में दुरूस्ती का कार्य किया है, उसका बिल लमिबत है, जिसका भुगतान नहीं हुआ, इसलिए वह वाहन की सुपुर्दगी देने में असमर्थ है। 
(6)        अनावेदक क्रमांक-1 के जवाब में स्वीकृत तथ्यों के अलावा, परिवाद के अन्य वृतांत से इंकार करते हुये, यह अतिरिक्त कथन किया है कि-परिवादी ने उक्त वाहन का बीमा स्वयं के निजी उपयोग हेतु कराया था और दिनांक-28.03.2013 को वाहन, दुर्घटनाग्रस्त हो जाना बताते हुये, पुलिस थाना कुरर्इ में सात दिन के विलम्ब के साथ दिनांक-07.03.2013 को जो लिखित रिपोर्ट की, उसमें वाहन का स्टेयरिंग फेल हो जाने से आम के पेड़ से टकरा जाना बताया गया और यह लेख किया गया कि-वाहन में ड्रायवर के साथ परिवादी का पुत्र, दिनेष कुमार ऐडे व देवेन्द्र कुमार ऐडे था तथा सुधीर पटले व पंकज थे, जबकि-परिवादी ने क्लेम फार्म में यह बताया कि-आगे रास्ते में मोड़ था और सामने वाली गाड़ी मोड़ पर टर्निंग पर ओवरटेक करके परिवादी की गाड़ी की तरफ आर्इ जिसे बचाने के लिए वाहन को सार्इड पर किया गया, तो गाड़ी सामने झाड़ से टकरा गर्इ और परिवाद में दिनांक-28.03.2013 को परिवादी का पुत्र अपने मित्रों सहित, पेंच टाइगर रिजर्व देखने जा रहा होना बताया गया था। इस तरह परिवादी के किये गये कथनों व उसके दस्तावेजों में भिन्नता है, जिससे स्पश्ट है कि-परिवादी दावा राषि प्राप्त करने हेतु सोच-विचार कर वाहन का उपयोग निजी प्रयोजन हेतु बता रहा है और अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, सर्वेयर से सर्वे कराये जाने पर, उसके द्वारा सर्वे के दौरान घटनास्थल के साक्षी और वाहन में बैठे सुधीर पटले के घर जाकर जानकारी प्राप्त करने पर पाया कि-दिनांक-27.03.2013 को होलिका दहन के दूसरे दिन सुधीर पटले जो एच0डी0एफ0सी0 बैंक, सिवनी में कार्यरत है, वह अपने स्टाफ के अन्य लोगों के साथ होली मनाने के बाद तुरिया नदी नहाने जाने के लिए सभी लोग रूपये इकटठा करके उक्त वाहन जायलो को किराये पर लिये थे, जो कि-सुधीर पटले की मां निषा पटले द्वारा बताया गया और यह भी बताया गया कि-दुर्घटना में उसके पुत्र-सुधीर पटले और नीतेष को फेक्चर होने से जिला चिकित्सालय, सिवनी में इलाज कराया गया था।
(7)        घटना स्थल के साक्षी-गुलाबचंद जिल्लू मरकाम ने भी सर्वेयर को अपने कथनों में बताया था कि-दिनांक-27.03.2013 को दोपहर ढ़ार्इ बजे जब वह अपनी भैंस को पानी पिला रहा था, तो जायलो वाहन का चालक जो षराब पिये हुये था, गाड़ी को रोड के किनारे झाड़ से टकरा दिया था, उक्त वाहन में सात लोग बैठे थे, जिनमें दो लोगों को पैर में फेक्चर हो जाने से सरकारी अस्पताल, कुरर्इ में भर्ती कराया गया था, जो कि-सर्वेयर ने जिला चिकित्सालय, सिवनी में भी इस संबंध में जानकारी लेने पर पाया था कि-सुधीर पटले और नीतेष पटले को अस्पताल में दिनांक-27.03.2013 को फेक्चर होने से भर्ती किया गया था। इस तरह सर्वे रिपोर्ट के आधार पर, दुर्घटना के संबंध में गलत जानकारी दिये जाने और कथित दुर्घटना के समय वाहन को भाड़े पर व्यवसायिक प्रयोजन हेतु चलाया जा रहा होना पाते हुये, बीमा कम्पनी ने उक्त कारण दर्षाते हुये, परिवादी का दावा निरस्त किया था, जिसकी सूचना परिवादी को दिनांक- 27.05.2013 एवं 29.06.2013 को रजिस्टर्ड सूचना-पत्र के माध्यम से दी गर्इ थी और उक्त सूचना-पत्र को पाने के बाद, परिवादी के द्वारा, दिनांक-10.08.2013 को अनावेदक को पत्र भी प्रेशित किया गया, जो कि-बीमा षर्तों के उल्लंघन में वाहन चलाये जाने के कारण से परिवादी का दावा निरस्त किया गया है, जो कि-सेवा में कमी की श्रेणी में नहीं आता। और परिवादी ने वास्तविकता को छिपाते हुये, अनुचित लाभ प्राप्त करने के उददेष्य से असत्य आधारों पर परिवाद पेष किया है, जो निरस्त योग्य है।
(8)        मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
        (अ)    क्या अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी द्वारा, 
            परिवादी का क्लेम निरस्त किया जाना अनुचित
            व दोशपूर्ण होकर, परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा
            में कमी है?
        (ब)    क्या अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, वाहन की डिलेवरी
            के पूर्व रिपेयर बिल के भुगतान की मांग और वाहन
            न ले जाने पर, पार्किंग षुल्क की भी मांग किया जाना
            दोशपूर्ण होकर, परिवादी के प्रति-अपनार्इ गर्इ अनुचित
            प्रथा या सेवा में कमी है?
        (स)    क्या परिवादी, अनावेदकगण से हर्जाना पाने का                 अधिकारी है?
        (द)    सहायता एवं व्यय?
                -:सकारण निष्कर्ष:-
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(9)        परिवादी के द्वारा ही, अनावेदक क्रमांक-1 को जो दस्तावेज प्रेशित किये गये थे, उनकी प्रतियां बीमा पालिसी प्रमाण-पत्र प्रदर्ष आर- 13, ड्रायवर के ड्रायविंग लायसेंस की प्रति प्रदर्ष आर-14, गैर परिवहन यान के संबंध में घोशणा प्रदर्ष सी-15, टेम्परेरी रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र प्रदर्ष आर-16, वाहन क्रय करने का सील सर्टिफिकेट प्रदर्ष आर-17 और वाहन के स्थार्इ रजिस्ट्रेषन नंबर प्रदान किये जाने की सूचना प्रदर्ष आर- 19 तक प्रतियां पेष की गर्इं हैं। जो कि-बीमा पालिसी प्रमाण-पत्र और रजिस्ट्रेषन व अस्थायी रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र की प्रतियां परिवादी-पक्ष की ओर से पेष हुर्इ हैं। दिनांक-03.04.2013 को परिवादी द्वारा पुलिस थाना- कुरर्इ को दी गर्इ दुर्घटना की लिखित सूचना की प्रति प्रदर्ष आर-8 के रूप में अनावेदक-पक्ष से पेष हुर्इ है, जो परिवादी-पक्ष से भी प्रदर्ष सी-4 के रूप में पेष की गर्इ हैं। और प्रदर्ष सी-3 का अनावेदक क्रमांक-2 से प्राप्त सर्विस कोटेषन की प्रति अनावेदक-पक्ष से भी प्रदर्ष आर-9 के रूप में पेष हुर्इ है, जो कि-उक्त सभी दस्तावेज परिवादी द्वारा ही, अनावेदक को प्रदान किये गये थे। परिवादी के द्वारा, उक्त दुर्घटना के बाद पेष दिनांक-28.03.2013 का ही क्लेम प्रपत्र की प्रति प्रदर्ष आर-11 में उस समय तक पुलिस को कोर्इ सूचना न दिया जाना दर्षाया गया है और दोनों पक्षों के बीच जो पत्राचार हुये हैं, उसकी प्रति अनावेदक-पक्ष की ओर से प्रदर्ष आर-3 से आर-6 के रूप में पेष की गर्इ है। जबकि-उक्त में से परिवादी के द्वारा, मात्र क्लेम अस्वीकृति-पत्र दिनांक-29.06.2013 की प्रति प्रदर्ष सी-10 और इस संबंध में परिवादी के द्वारा असंतुशिट व असहमति के नोटिस की प्रति प्रदर्ष सी-7 दिनांक-10.08.2013 का पेष किया गया है। तो उक्त किसी भी दस्तावेजों के संबंध में कोर्इ विवाद नहीं है। 
(10)        अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से सर्वेयर की अंतिम आंकलन रिपोर्ट की प्रति प्रदर्ष आर-2 के रूप में पेष हुर्इ है, जिसमें सर्वेयर द्वारा, 25,000-रूपये साल्वेज घटाकर, कुल-2,73,147-रूपये की पालिसी षर्तों के तहत देयता आंकलित की है, लेकिन अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा, उक्त राषि का परिवादी को भुगतान न करने का कारण, अपने दिनांक-29.06.2013 के अस्वीकृति-पत्र प्रदर्ष सी-10 में यह बताया गया कि-दुर्घटना के समय वाहन को किराये या परितोशण हेतु चलाया जा रहा था, जो पालिसी षर्तों का उल्लघंन है।
(11)        अनावेदक क्रमांक-1 की ओर से उक्त आधार के रूप में मात्र टेक्नोट्रेक डिटेकिटव सर्विस के लिए दीपक कुलकर्णी (सी0पी0आर्इ0) की जांच रिपोर्ट की प्रति पेष की गर्इ है, जो कि-कथित जांचकत्र्ता का उक्त रिपोर्ट के सहीपन को पुश्ट करने बाबद कोर्इ षपथ-पत्र व उक्त जांच रिपोर्ट में जो महताबसिंह ऐडे, गुलाबचंद्र जिल्लू मरकाम और श्रीमति निषा पटले के कथनों का हवाला दिया गया है, वैसे कोर्इ लिखित कथन उक्त कथित व्यकितयों के अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष नहीं है। 
(12)        उक्त प्रदर्ष आर-1 की जांच रिपोर्ट में कथित दुर्घटना दिनांक-28.03.2013 के एक दिन पूर्व दिनांक-27.03.2013 की होना व दुर्घटना में नीतेष व सुधीर पटले को गंभीर चोटें आकर, असिथभंग होना और दिनांक-27.03.2013 को ही उनको षासकीय चिकित्सालय, कुरर्इ में भर्ती किया जाना और उसी दिन फिर जिला चिकित्सालय सिवनी में भर्ती किये जाने की पुशिट स्वयं जांचकत्र्ता द्वारा अस्पताल जाकर की जाने की कहानी दर्षार्इ गर्इ है। और जांच रिपोर्ट में जांचकत्र्ता द्वारा घटना स्थल पर जाकर, पूछतांछ करने पर अपनी भैसों को पानी पिला रहे एक व्यकित गुलाबचंद्र जिल्लू मरकाम द्वारा, दिनांक-27.03.2013 को उक्त घटना देखना, जिसके कथन लिये जाना और घटना में सुधीर पटले को घायल बताकर उसकी मां निषा पटले के कथन उसके घर जाकर लिया जाना जो कहा गया, ऐसे कोर्इ कथन वास्तव में अभिलिखित किये गये हों और दिनांक-27.03.2013 को जिला चिकित्सालय सिवनी में उक्त वाहन की दुर्घटना में घायल हुये दो व्यकित भर्ती किये गये हों, ऐसा कोर्इ अस्पताल का रिकार्ड भी अनावेदक बीमा कम्पनी की ओर से कर्इ अवसर लेने के बाद भी पेष नहीं किया गया।
(13)        वाहन में सवार रहे किसी व्यकित के कथन अनावेदक द्वारा नियुक्त जांचकत्र्ता ने वास्तव में लिये ही नहीं। और कथित जांचकत्र्ता को जांच के समय उक्त दुर्घटना का कोर्इ चक्षुदर्षी साक्षी, अचानक घटना के समय भैंस चरा रहे होते मिल गया हो, जिसने घटना की कोर्इ दिनांक, वाहन का कोर्इ नंबर, सब अपने कथनों में बताया हो, ऐसा कोर्इ कथन जांचकत्र्ता द्वारा लेख किया गया हो, वह पेष नहीं। और वाहन में सवार व्यकितयों से भिन्न सुधीर पटले नाम के व्यकित की मां निषा पटले जो घर में थी और वाहन में सवार ही नहीं हुर्इ और कितना भाड़ा तय हुआ, दिया गया या नहीं दिया गया, ऐसे किसी बिन्दु पर जांचकत्र्ता ने कोर्इ कथन लिये नहीं, तो ऐसी जांच रिपोर्ट वास्तविक एवं विष्वसनीय होने बाबद कोर्इ आधार रहे हुये बिना ही, अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी के द्वारा, वाहन को दुर्घटना के समय भाड़े पर चलाये जा रहे होने का कारण किसी समुचित आधार के बिना प्रमाणित मानकर, परिवादी के क्लेम को निरस्त किया जाना निषिचत रूप से अनुचित प्रथा है और परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है। जबकि-परिवादी-पक्ष की ओर से महताबसिंह ऐडे और कथित गुलाबचन्द्र मरकाम के षपथ-पत्र पेष किये गये, तो अनावेदक-पक्ष के द्वारा क्लेम निरस्ती के आधार बाबद कोर्इ जांच रिपोर्ट में दर्षाये गवाहों के कोर्इ कथन भी पेष न किये जाने से ऐसा दर्षित होता है कि-यदि उक्त कथन पेष किये जाते, तो वे कथित जांचकत्र्ता की जांच रिपोर्ट में वर्णित कहानी का तातिवक बिन्दुओं पर समर्थन नहीं करते। 
(14)        ऐसे में अनावेदक क्रमांक-1 के द्वारा समुचित आधार व कारणों के बिना दुर्घटना के समय वाहन को भाड़े पर चलाये जाते रहे होने का काल्पनिक कारण दर्षाकर परिवादी का जो क्लेम निरस्त किया गया है, वह अनुचित है और परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(15)        जहां-तक अनावेदक क्रमांक-2 का संबंध है, वह परिवादी के क्षतिग्रस्त वाहन को सुधारने वाला वर्कषाप है, जहां परिवादी ने वाहन सुधारने के लिए डाला, वाहन रिपेयर के संबंध में स्टीमेंट भी परिवादी को उसने दिया था और सर्विस कोटेषन प्रदर्ष सी-3 भी परिवादी ने उससे प्राप्त कर, वाहन सुधारने का निर्देष दिया, तो वाहन दुरूस्ती के बाद बिल के भुगतान की मांग अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा किया जाना और वाहन की दुरूस्ती के बाद भी बिल अदा कर, वाहन न ले जाने पर, पार्किंग षुल्क की मांग की परिवादी को सूचना दिया जाना किसी भी तरह परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी होना नहीं कही जा सकती। इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी किया जाना स्थापित नहीं। और परिवादी-पक्ष ने उसे अनावष्यक पक्षकार बनाया है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(16)        क्योंकि अनावेदक क्रमांक-2 के द्वारा, परिवादी के प्रति-कोर्इ सेवा में कमी नहीं की गर्इ, इसलिए परिवादी उससे कोर्इ हर्जाना पाने का अधिकारी नहीं। जबकि-अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी के द्वारा समुचित आधार व प्रमाण के बिना परिवादी के वाहन क्षति क्लेम को दिनांक-29.06.2013 के पत्र के द्वारा निरस्त किया गया है। जबकि-सर्वेयर की आंकलन रिपोर्ट के अनुसार, क्लेम का भुगतान परिवादी को किया जाना चाहिये था, इसलिए परिवादी उक्त सर्वेयर के द्वारा दर्षार्इ क्षति आंकलन रिपोर्ट के आधार पर क्लेम राषि और हर्जाना के रूप में उक्त राषि पर, दिनांक-29.06.2013 से भुगतान दिनांक तक की अवधि का 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज भी पाने का अधिकारी है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'स को निश्कर्शित किया जाता है।
        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(द):-
(17)        विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ से 'स के निश्कर्शों के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
        (अ)    परिवादी ने, अनावेदक क्रमांक-2 को अनावष्यक पक्षकार
            बनाया है, इसलिए अनावेदक क्रमांक-2 को कार्यवाही-
            व्यय के रूप में परिवादी 2,000-रूपये (दो हजार                 रूपये) अदा करेगा।
        (ब)    अनावेदक क्रमांक-1 बीमा कम्पनी प्रदर्ष आर-2 की             सर्वेयर की आंकलन रिपोर्ट के आधार पर,                     2,98,147-रूपये (दो लाख अन्ठान्नवे हजार एक सौ             सैतालिस रूपये) अदा करेगा। और यदि परिवादी स्वयं             साल्वेज प्राप्त करने सहमति की सूचना 30 दिन के                 अंदर अनावेदक क्रमांक-1 को देता है, तो साल्वेज का             मूल्य 25,000-रूपये (पच्चीस हजार रूपये) उक्त राषि             से घटाया जा सकेगा।
        (स)    अनावेदक क्रमांक-1 उक्त बीमा क्लेम राषि पर, दावा
            निरस्ती दिनांक-29.06.2013 से भुगतान दिनांक तक की
            अवधि का 9 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से ब्याज
            परिवादी को अदा करेगा।
        (द)    जो कि-अनावेदक क्रमांक-1 परिवादी को उक्त राषि             का भुगतान आदेष दिनांक से तीन माह की अवधि के             अंदर करेगा।
        (इ)    अनावेदक क्रमांक-1 स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन                 करेगा और परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में                 2,000-रूपये (दो हजार रूपये) अदा करेगा।

   मैं सहमत हूँ।                              मेरे द्वारा लिखवाया गया।      

  

(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत)                          (रवि कुमार नायक)
      सदस्य                                                  अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद                           जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी                         प्रतितोषण फोरम,सिवनी        

            (म0प्र0)                                        (म0प्र0)

                        

 

 

 

        

 

 

 

 

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