न्यायालय-जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, रायपुर (छ.ग.)
समक्ष :-
सदस्य - श्रीमती अंजू अग्रवाल
सदस्य - श्रीमती प्रिया अग्रवाल
प्रकरण क्रमांक:-1004/2011
संस्थित दिनांक:-11.10.2011
गंगा बाई बेवा स्व.रोहित कुमार,
उम्र 24 वर्ष, निवासी-ग्राम-सुदेली,
पोस्ट खाटियापाटी, तहसील
बलौदाबाजार, जिला-रायपुर (छ.ग.) परिवादिनी
विरूद्ध
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कं.लि.,
द्वारा-जनरल मैनेजर,
आॅफिस शाॅप नं. 412-413, चैथी मंजिल,
रवि भवन, जयस्तंभ चैक के पास,
रायपुर जिला-रायपुर (छ.ग.) अनावेदक
परिवादिनी की ओर से श्री अनूप सोनी अधिवक्ता।
अनावेदक की ओर से श्री एस.पण्ड्या अधिवक्ता ।
आदेश
आज दिनांक:- 05 फरवरी 2015 को पारित
श्रीमती अंजू अग्रवाल - सदस्य
1. परिवादिनी, अनावेदक बीमा कंपनी से बीमा राशि 200000/-मृत्यु दिनांक से वसूली दिनांक तक 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाने, वादव्यय व अन्य अनुतोष दिलाने हेतु यह परिवाद धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत प्रस्तुत की है ।
परिवाद:-
2. परिवादिनी का परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति श्री रोहित कुमार द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी से एक पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी दि0 24.07.2008 को बीमा राशि 200000/-का ली गई थी जिसका पॉलिसी क्रमांक-2303382914100028 है। उक्त पॉलिसी के अनुसार पॉलिसी धारक का दुर्घटना मृत्यु होने पर पाॅलिसी धारक के नामिनी को इंश्योरेंस की पूरी रकम भुगतान करने का दायित्व अनावेदक बीमा कंपनी का था । परिवादिनी के पति रोहित कुमार की दि0 19.12.2008 को खोरसी नाला के पास लवन रोड, बलौदाबाजार में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई । पॉलिसी धारक स्व.रोहित कुमार भारद्वाज द्वारा नामिनी के रूप में परिवादिनी गंगाबाई का नाम दिया गया है । परिवादिनी अपने पति की दुर्घटना मृत्यु के पश्चात् पॉलिसी रकम के संबंध में अनावेदक बीमा कंपनी से संपर्क किया तो उन्हें कुछ समय बाद आने के लिये कहा गया बाद में बीमा राशि देने के संबंध में टालमटोल किया जाता रहा । परिवादिनी अपने पति की मृत्यु के संबंध में पॉलिसी से संबंधित दस्तावेज अनावेदक बीमा कंपनी को दिया किन्तु अनावेदक ने पावती नहीं दिया एवं यह कहा गया कि जल्द से जल्द बीमा की रकम प्रदान की जायेगी किन्तु आज तक न तो बीमा की रकम प्रदान की गई न ही कोई कार्यवाही की गई । परिवादिनी कम पढ़ी-लिखी एवं ग्रामीण परिवेश की महिला है इसलिये अनावेदक द्वारा जल्द ही भुगतान कर दिये जाने के आश्वासन पर वापस चली आती थी एवं किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की । अतः परिवादिनी ने यह परिवाद पेश कर अनावेदक बीमा कंपनी से बीमा राशि 200000/-मृत्यु दिनांक से वसूली दिनांक तक 12 प्रतिशत ब्याज सहित दिलाये जाने की याचना कर परिवादिनी गंगाबाई ने परिवाद पत्र में किये अभिकथन के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
जवाबदावा:-
3. अनावेदक का जवाबदावा इस आशय का प्रस्तुत है कि एक व्यक्ति रोहित कुमार भारद्वाज द्वारा प्राईमरोज मार्केटिंग प्रायवेट लिमिटेड के माध्यम से ग्रुप पर्सनल एक्सीडेंट का बीमा प्राप्त किया गया था । परिवादिनी को वैध दस्तावेजों से यह सिद्ध करना होगा कि वह मृतक की वैध उत्तराधिकारी है । परिवादिनी द्वारा केवल राशन कार्ड प्रस्तुत किया गया है जिससे यह सिद्ध नहीं होता कि वह मृतक की वैध उत्तराधिकारी है एवं दावा प्राप्त करने की अधिकारी है । अनावेदक का पालिसी के अंतर्गत कोई भी दायित्व पालिसी की शर्तों व नियमों के आधार पर ही भुगतान योग्य होगा । बीमा पॉलिसी के नियमों व शर्तों के उल्लंघन पर दावा राशि का भुगतान नहीं किया जावेगा, जो सेवा में कमी नहीं हैं । बीमा पॉलिसी बीमा कंपनी व बीमाधारक के मध्य हुई संविदा है जिसके पालन के लिये परिवादिनी बाध्य है । परिवादिनी स्पष्ट एवं वैध दस्तावेजों द्वारा यह सिद्ध करें कि वह ही पॉलिसी में उल्लेखित नॉमिनी है । परिवादिनी द्वारा प्रकरण में ऐसे कोई दस्तावेज पेश नहीं किये गये है जिससे यह सिद्ध हो कि परिवादिनी के पति की मृत्यु दुर्घटना में आई चोटों के परिणामस्वरूप हुई।
अनावेदक द्वारा यह अतिरिक्त कथन किया गया है कि परिवादिनी के पति द्वारा मेसर्स प्राईम रोज मार्केटिंग प्रा.लि., रायपुर से बीमा पॉलिसी प्राप्त की गई थी । परिवादिनी को बीमा पॉलिसी के संबंध में सर्वप्रथम दावे की सभी जानकारियां/प्रपत्र मेसर्स प्राईम रोज मार्केटिंग प्रा.लि. को दिया जाना था । उपरोक्त बीमा धारक द्वारा सभी जानकारियों/प्रपत्रों का सत्यापन करवाया जाता तथा दावे के संबंध में बीमा कंपनी को सूचना दी जाती । परिवादिनी द्वारा उपरोक्त घटना की सूचना 12 माह पश्चात् दी गई थी जिसके कारण पॉलिसी की शर्त क्रमांक-1 का उल्लंघन होता है इसलिये परिवादिनी दावा राशि प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं । बीमा पॉलिसी की एक्सेप्शन की कंडिका-6 के अनुसार-स्वयं द्वारा की गई शारीरिक क्षति तथा नशीले पदार्थ की इंटॉक्सिकेटिंग आत्महत्या, आत्महत्या का प्रयास एवं कोई भी कानून के उल्लंघन की दशा में बीमा कंपनी जिम्मेदार नहीं होगी । परिवादिनी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट एवं पोस्ट मार्टम रिपोर्ट प्रकरण में प्रस्तुत नहीं की है । पुलिस थाना बलौदाबाजार द्वारा परिवादिनी के पति स्व.रोहित कुमार के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट क्रमांक-469/2008 धारा-279, 337, 304 ए भा.दं.सं.पंजीबद्ध की गई थी । उपरोक्त दुर्घटना में परिवादिनी के पति के विरूद्ध लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने का अपराध पंजीबद्ध किया गया था । बीमा धारक स्व.रोहित कुमार के विरूद्ध दुर्घटना का अपराधिक मामला दर्ज हुआ है जो पालिसी की एक्सेप्शन क्रमांक-6 के शर्तों का तथा संविदा का उल्लंघन है । मृतक रोहित कुमार के पास दुर्घटना के समय धारा-3 मोटर व्हीकल एक्ट की आवश्यकता के अनुरूप कोई ड्रायविंग लाइसेंस नहीं था। इसलिीये परिवादिनी बीमा राशि या अनुतोष प्राप्त करने की हकदार नहीं हैं । पर्सनल एक्सीडेंट बीमा पालिसी में कंडीशन क्रमांक-1 के अनुसार मृत्यु की सूचना पूरे प्रपत्रों सहित अतिशीघ्र करना है तथा दाहसंस्कार के पहले मृत्यु की लिखित सूचना जब तक समुचित कारण न हो देना अनिवार्य है और किसी भी परिस्थिति में एक माह के अंदर मृत्यु की सूचना देना अनिवार्य है । परिवादिनी द्वारा ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे यह प्रकट हो कि परिवादिनी ने मृत्यु की सूचना दाहसंस्कार के पूर्व या एक माह के भीतर बीमा कंपनी को दी है । परिवादिनी द्वारा स्वच्छ हाथों से यह परिवाद प्रस्तुत नहीं किया गया है । अतः पेश परिवाद निरस्त किये जाने की प्रार्थना कर अभिषेक सिंग, प्रबंधक विधि ने जवाब के समर्थन में स्वयं का शपथपत्र तथा सूची अनुसार दस्तावेजों की फोटोप्रति पेश किया है ।
4. उभयपक्ष के अभिकथनों के आधार पर प्रकरण में निम्न विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैं कि:-
(1) क्या परिवादिनी, अनावेदक से बीमा राशि 200000/- ‘‘हां''
मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है ?
(2) क्या परिवादिनी, अनावेदक से क्षतिपूर्ति के रूप में कोई ‘‘हां''
राशि प्राप्त करने की अधिकारी है ?
(3) अन्य सहायता एवं वादव्यय ? परिवाद स्वीकृत।
विचारणीय बिन्दुओं के निष्कर्ष के आधार
5. प्रकरण का अवलोकन कर सभी विचारणीय प्रश्नों का निराकरण एक साथ किया जा रहा है ।
फोरम का निष्कर्ष:-
6. परिवादिनी का तर्क है कि उसके पति की मृत्यु दि0 19.12.2008 को दुर्घटना में मृत्यु हो गई है एवं उसके पति के द्वारा एक पॉलिसी दि0 24.07.2008 को ली गई थी जो कि पर्सल एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी थी जिसकी राशि 200000/-थी । उक्त पॉलिसी के अनुसार पॉलिसी धारक का दुर्घटना मृत्यु होने पर पॉलिसी धारक के नामिनी को इंश्योरेंस की पूरी रकम को प्राप्त करने की उत्तराधिकारी होगी । किन्तु अनावेदक द्वारा समस्त दस्तावेज प्राप्त करने पश्चात् भी आज दिनांक तक बीमा राशि प्रदान न कर सेवा में कमी की गई है ।
7. अनावेदक का तर्क है कि परिवादिनी के पति द्वारा प्राईम रोज मार्केटिंग प्रायवेट लिमिटेड के माध्यम से ग्रुप पर्सनल एक्सीडेंट का बीमा प्राप्त किया गया था । उन्हें अपनी बीमा पॉलिसी के संबंध में सर्वप्रथम दावे की सभी जानकारियां/ प्रपत्र, मेसर्स प्राईमरोज मार्केटिंग प्रा.लि. को दिया जाना था । उपरोक्त बीमा धारक द्वारा सभी जानकारियों/प्रपत्र का सत्यापन करवाया जाता तथा दावे के संबंध में बीमा कंपनी को सूचना दी जाती । परिवादिनी द्वारा उपरोक्त घटना की सूचना 12 माह पश्चात् दी गई थी । परिवादिनी द्वारा अत्यंत विलंब से दी गई सूचना के कारण पॉलिसी की शर्त क्र.1 का उल्लंघन होता है इसलिये परिवादिनी किसी भी दावा राशि के भुगतान हेतु पात्र नहीं हैं । परिवादिनी द्वारा पेश दस्तावेज (एफ.आई.आर.) में मृतक द्वारा लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने का अपराध पंजीबद्ध किया गया है जो कि पालिसी की शर्तों का उल्लंघन है । इसके अलावा मृतक के पास दुर्घटना के समय ड्रायविंग लाइसेंस नहीं था । इस प्रकार मृतक का लापरवाहीपूर्वक वाहन को चलाना, पास में ड्रायविंग लाइसेंस का न होना एवं परिवादिनी द्वारा विलंब से सूचना दिये जाने के कारण परिवादिनी कोई दावा राशि प्राप्त करने की अधिकारी नहीं हैं ।
8. उक्त के संबंध में प्रकरण का अवलोकन किया गया । अनावेदक द्वारा यह सिद्ध नहीं किया गया कि विलम्ब से सूचना देने या ड्रायविंग लाइसेंस के नहीं होने से दावे पर क्या प्रभाव पड़ेगा । विलम्ब से सूचना को अनावेदक को सद्भाविक विलम्ब मानना चाहिये क्योंकि बीमा धारक की यदि मृत्यु हो जाती है तो निश्चय ही परिवार के लोगों को सदमे से बाहर आने में समय लगता है और कई बार पॉलिसी की जानकारी परिवार के लोगों को नहीं होती है । अतः विलम्ब के आधार पर दावा राशि प्रदान न करना अनावेदक की निश्चय ही सेवा में निम्नता है । इसलिये फोरम परिवादिनी का दावा स्वीकार योग्य पाती है ।
9. फलस्वरूप हम उपरोक्त परिस्थितियों में परिवादिनी का दावा स्वीकार करते हैं और यह निष्कर्षित करते हैं कि परिवादिनी, अनावेदक से बीमा राशि 200000/-मय ब्याज प्राप्त करने की अधिकारी है । परिवादिनी, अनावेदक से मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 10000/-तथा वादव्यय के रूप में 2000/-भी प्राप्त करने की अधिकारी है।
10. अतः उपरोक्त संपूर्ण विवेचना के आधार पर हम परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हैं और आदेशित करते हैं कि आदेश दिनांक से एक माह के अवधि के भीतर:-
(अ) अनावेदक, परिवादिनी को बीमा राशि 200000/- (दो लाख रूपये) परिवाद दिनांक-11.10.2011 से अदायगी दिनांक तक 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज सहित अदा करेगा ।
(ब) अनावेदक, परिवादिनी को उपरोक्त कृत्य के कारण हुई मानसिक कष्ट के लिए 10000/- (दस हजार रूपये) अदा करेगा।
(स) अनावेदक, परिवादिनी को अधिवक्ता शुल्क तथा वादव्यय के रूप में 2000/- (दो हजार रूपये) भी अदा करेगा।
(श्रीमती अंजू अग्रवाल) (श्रीमती प्रिया अग्रवाल)
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