Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

cc/1030/2005

kanpur textile - Complainant(s)

Versus

Reliance - Opp.Party(s)

04 Apr 2018

ORDER

 
 
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
 
   अध्यासीनः  डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
श्रीमती सुधा यादव ........................................सदस्य
                
 
 
उपभोक्ता वाद संख्या-1030/2005.
मे0 कानपुर टैक्सल प्राइवेट लि0 द्वारा निदेषक रजिस्टर्ड आफिस-19 इण्डस्ट्रियल इस्टेट, कानपुर नगर।
                            ..........परिवादी
बनाम
1. रिलायन्स इन्फोकॉम लि0 द्वारा निदेषक, पता-ए.ब्लॉक प्रथम खण्ड धीरूभाई अम्बानी नॉलेज सिटी नवी मुम्बई-400710.
2. रिलायन्स इन्फोकॉम सर्विसेज द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि पता-सिल्वर लाइन 11/9 सिविल लाइंस, कानपुर नगर।
                                               .......विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 26.12.2005
निर्णय तिथिः 19.09.2018
 
श्री आर0एन0 सिंह अध्यक्ष, द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःः
 
1.  परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी से, परिवादी को रू0 10,000/-बतौर क्षतिपूर्ति, रू0 5000/- परिवाद व्यय, रू0 200/-नोटिस व्यय, परिवादी द्वारा अदा रू0 15600/-मासिक षुल्क व षेश जमा चेकें वापस दिलायी जायें तथा परिवादी का मोबाइल फोन कनेक्षन सं0-3106606 एंव फोन नं0-3116849 को विच्छेदित करने का आदेष पारित किया जावे।
2. पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत परिवाद मान0 राज्य आयोग के आदेष सं0-498 दिंनाकित 13.06.2008 के अनुपालन में दिंनाक 13.08.2018 को जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर नगर को प्रेशित की गई। जिसको जिला फोरम कानपुर देहात में नं0-506/2008 ए. पर दर्ज किया गया। पत्रावली पुनः मान0 राज्य आयोग के आदेष दिंनाकित 17.11.2017 के अनुपालन में जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर देहात से वापस जिला उपभोक्ता फोरम कानपुर नगर को प्राप्त हुई और पत्रावली अपने पूर्व नम्बर 1030/2005 पर संचालित की गई।
 
3.     परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी कम्पनी द्वारा अपने निदेषकों के उपयोग हेतु निर्धारित षुल्क अदा करके विपक्षी से मोबाइल फोन नं0-3106606 प्राप्त किया गया व परिवादी की सहयोगी कम्पनी मोतीलाल दुलीचन्द्र (प्राइवेट लि0) को फोन नं0- 3116849 आवॅटित कराया गया। विपक्षी की सेवायें त्रुटिपूर्ण होने के कारण, अधिकॉष समय उक्त फोन में सिगनल न प्राप्त होने के कारण, नेटवर्क से सम्बन्धित समस्या उत्पन्न होने के कारण परिवादी व उसके निदेषक उसका उपयोग नहीं कर सके। जिससे अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ा। परिवादी द्वारा विपक्षी को बार-बार उक्त असुविधा के बारे में सूचित किया गया। किन्तु विपक्षीगण के द्वारा बावजूद लिखित षिकात दिंनाक 27.01.2004 के कोई कार्यवाही नहीं की गई। विपक्षी को दिंनाक 01.03.2004 को कस्टमर केयर के ईमेल पर भी षिकायत की गई। तदोपरान्त विपक्षी ने अपने इंजीनियर को भेजा। जिन्होने परिवादी की षिकायत सही पायी और आष्वासन दिया कि उनकी कम्पनी षीघ्र ही फजलगंज व काकादेव में दो नये टावर स्थापित करने जा रही है, तब षिकायत नहीं रहेगी। किन्तु पॉच वर्श बाद भी समस्या पूर्ववत बनी रही। विपक्षी द्वारा परिवादी को परेषान करने के उद्देष्य से, बिना बिल प्रेशित किये हुये सेवायें बाधित करना आरम्भ कर दिया गया। परिवादी द्वारा दिंनाक 30.09.2004 को विपक्षी से षिकायत की गई। तदोपरान्त विपक्षी द्वारा आष्वासन दिया गया कि भविश्य में समय से बिल प्राप्त कराया जायेगा व नेटवर्क की समस्या दिंनाक 28.02.2005 तक दूर हो जायेगी। किन्तु पुनः षिकायत पूर्ववत रहने के कारण परिवादी द्वारा विपक्षी को दिंनाक 28.03.2005 को षिकायती पत्र भेजा गया। विपक्षी ने पुनः दिंनाक 30.06.2005 मे समस्या निदान का वादा किया। विपक्षी के उपरोक्त आचरण से पीड़ित होकर परिवादी द्वारा विपक्षी को उपरोक्त टेलीफोन की सुविधा बंद करने तथा जमा धनराषि वापस दिलाये जाने के लिये पत्र दिंनाक 14.06.2005 व 11.07.2005 को भेजे गये। विपक्षी द्वारा उक्त पत्र पर कोई गौर न देकर बिना सेवा रू0 465/-की अदायगी की मॉग, बिल तारीखी 01.08.2005 द्वारा की।जबकि परिवादी ने कोई सेवा उक्त अवधि में प्राप्त नहीं की थी। परिवादी द्वारा विधिक नोटिस दिंनाक 23.08.2005 को विपक्षी को भेजी गई। तदोपरान्त विपक्षी द्वारा परिवादी को गलत उत्तर देकर, बिना किसी सेवा के रू0 248/-की मॉग, बिल तारीखी दिंनाक 01.10.2005 प्रेशित की। विपक्षी का उपरोक्त कृत्य उपभोक्ता हितों के विपरीत है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
4. विपक्षीगण की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र के तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा वास्तवित तथ्यों को छिपाकर, झूठे एंव बनावटी तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत परिवाद योजित किया गया है। परिवादी द्वारा परिवाद पत्र में कहीं भी इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है कि विपक्षी द्वारा, किसी नियम का उल्लॅघन किया गया है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी से बेजा लाभ प्राप्त करने की मँषा से प्रस्तुत किया गया है। विपक्षी/उत्तरदाता को यह मालुम है कि मे0 मोतीलाल दुलीचन्द्र प्रा0 लि0 परिवादी कम्पनी की सहयोगी कम्पनी है। विपक्षी कमपनी के द्वारा सदैव अच्छी सुविधायें प्रदान की जाती रही हैं। परिवादी का यह कथन असत्य है कि उसके द्वारा कई बार खराब सेवाओं के लिये विपक्षी से षिकायत की गई। वास्तविकता यह है कि परिवादी विपक्षी की अच्छी सेवाओं का लाभ लेता रहा है। परिवादी के प्रष्नगत कनेक्षन से सम्बन्धित बिल विवरण से स्पश्ट है कि परिवादी विपक्षी कम्पनी की उत्तम सेवायें प्राप्त करता रहा है और नेटवर्क का लाभ लेते हुये फोन कॉल करता रहा है। अभिकथित कोई षिकायती पत्र विपक्षी कम्पनी को प्राप्त नहीं हुआ। यदि परिवादी प्रष्नगत हैंण्ड सेट की सुविधायें समाप्त करना चाहता है तो विपक्षी कम्पनी के बकाये का भुगतान करके कर सकता था। विपक्षी के द्वारा समय-समय पर उचित बिल बनाये गये हैं। परिवादी एंव उसकी सहयोगी कम्पनी से उचित सम्पर्क बना रहा है। स्वॅय परिवादी द्वारा विपक्षी कम्पनी का बकाया जमा नहीं किया गया है। विपक्षी कम्पनी के द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गई है। परिवादी द्वारा प्रष्नगत कनेक्षन लेने के समय जो रू0 3000/-जमा किये गये थे वह अप्रत्यावर्तीय ख्छवद.त्मनिदकंइसम, क्लब मेम्बरषिप षुल्क है जिसे परिवादी प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 1800/-की दी गई पोस्ट डेटेड चेक, एक वैधानिक इकरारनामें के निश्पादन के साथ इस घोशणा के साथ दी गई थी कि उक्त चेक ष्भ्वदवनतष् की जायेगी। परिवादी पर स्कीम के नियम व षर्त बाध्यकारी है तथा ब्नेजवउमत ।चचसपबंजपवद थ्वतउ ख्ब्ण्।ण्थ्ण्, की षर्तो से बाध्य है और इसलिये परिवादी को उक्त चेक वापस प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। कम्पनी का उत्तरदायित्व, क्लॉज-3 (ं। ) की षर्तो के अनुसार सीमित है। जो निम्नवत् हैः- 
         श् ज्ींज जीम ब्वउचंदल ेंसस इम तमेचवदेपइसम वित चतवअपकपदह ेमतअपबमे जव जीम ेनइेबतपइमतए ेनइरमबज जव जीम जमतउे वि स्पबमदेम ंदक जमतउे ंदक बवदकपजपवदे उमदजपवदमक जीमतमपदण्श्  अतः उपरोक्त कारणों से परिवादी का परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
 
5. परिवाद पत्र के समर्थन में परिवादी ने सुबोधा प्रहलाद पुत्र मोतीलाल निवासी-19 इण्डस्ट्रियल इस्टेट,कानपुर नगर का षपथपत्र दिनांकित 24.12.2005 दाखिल किया है। परिवादी की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में विपक्षी कम्पनी को दिया गया पत्र दिंनाकित 27.01.2004, पत्र द्वारा ईमेल दिंनाकित 08.04.2004, पत्र द्वारा ईमेल दिंनाकित 27.04.2004, पत्र द्वारा ईमेल दिंनाकित 28.04.2004,पत्र दिंनाक 30.09.2004, विपक्षी का पत्र दिंनाक 02.11.2004, 04.04.2005, 18.04.2005, 14.06.2005, विपक्षी को प्रेशित पत्र दिंनाकित 11.07.2005, टेलीफोन दिंनाकित 01.08.2005 अवधि दिंनाक 01.07.2005 से 31.07.2005, विपक्षी को जरिये अधिवक्ता प्रेशित नोटिस दिंनाकित 23.08.2005, टेलीफोन दिंनाकित 01.10.2005 अवधि दिंनाक 01.09.2005 से 30.09.2005, आदि प्रपत्रों की छायाप्रतियॉ षपथपत्र से सत्यापित करके दाखिल की गई हैं।
परिवादी द्वारा रिज्वाईण्डर षपथपत्र सुबोध प्रहलाद का पुत्र ब्रज  मोहन प्रहलादका, कम्पनी निदेष का दिंनाकित 21.04.2008 दाखिल किया गया है तथा साक्ष्य षपथपत्र सुबोध प्रहलादका का दिंनाकित 31.03.2011 दाखिल किया है तथा सूची के साथ मोबाइल सं0-0512-3106606 का बिल दिंनाकित 01.02.2005, बिल दिंनाकित 01.03.2005, छायाप्रति बोर्ड आफ डायरेक्टर प्रपत्र, डिटेल आफ षेयर होल्डर्स आदि प्रपत्रों की छायाप्रतियॉ दाखिल की हैं। 
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
 
6. विपक्षी की ओर से जवाबदावा के समर्थन में दुर्गा प्रसाद अधिकृत हस्ताक्षरी का षपथपत्र दिंनाकित 18.02.2008 दाखिल किया गया है। 
7.     पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय साक्ष्यों का तथा प्रलेखीय साक्ष्यों का यथा-आवष्यक स्थान पर आगे निर्णय में उल्लेख किया जायेगा।
ख्
निष्कर्श
 
 
8.     उभय पक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में परिवादी/प्राइवेट लि0 के द्वारा विपक्षी कम्पनी से फोन नं0-3106606 तथा सहयोगी कम्पनी मोतीलाल दुलीचन्द्र (प्राइवेट लि0) को फोन नं0-3116849, कम्पनी के निदेषकों के प्रयोग हेतु लिये गये थे। किन्तु सिगनल/नेटवर्क प्राप्त न होने के कारण प्रष्नगत संचार कनेक्षन का प्रयोग नहीं किया जा सका। परिवादी की लिखित षिकायत दिंनाकित 27.01.2004, 01.03.2004, 30.09.2004, 28.03.2005 व 30.06.2005 पर विपक्षी के इंजीनियर के द्वारा भी जॉचोपरान्त षिकायत सही पायी गई। किन्तु आष्वासन के बावजूद उक्त षिकायत दूर नहीं की जा सकी। फलस्वरूप परिवादी द्वारा उपरोक्त संचार कनेक्षन बंद करने तथा जमा धनराषि वापस करने के लिये दिंनाक 14.06.2005, 11.07.2005, को मेल भेजे गये। किन्तु विपक्षी द्वारा परिवादी के उपरोक्त पत्रों पर गौर न करके, बिना सेवा रू0 465/-, बिल तारीखी 01.08.2005 एंव रू0 248/-, बिल तारीखी दिंनाक 01.10.2005 के द्वारा प्रेशित किये गये। विपक्षी का कथन है कि परिवादी के प्रष्नगत संचार कनेक्षन से सम्बन्धित बिल विवरण से स्पश्ट है कि परिवादी विपक्षी कम्पनी की उत्तम सेवायें प्राप्त करता रहा है और नेटवर्क का लाभ लेते हुये फोन कॉल करता रहा है। अभिकथित कोई षिकायती पत्र विपक्षी को प्राप्त नहीं हुआ। परिवादी प्रष्नगत हैण्ड सेट की सुविधायें समाप्त करना चाहता है तो विपक्षी कम्पनी के बकाये का भुगतान करके, कर सकता था। परिवादी द्वारा प्रष्नगत कनेक्षन लेने के समय जो रू0 3000/-जमा किया गया था वह अप्रत्यावर्तीय ख्छवद.त्मनिदकंइसम, क्लब मेम्बरषिप षुल्क है जिसे परिवादी को अब प्रत्यावर्तित ख्त्मनिदक, नहीं किया जा सकता। परिवादी द्वारा विपक्षी को रू0 1800/-दी गई पोस्टडेटेड चेक भी इकरारनामे के अनुसार देय नहीं है। 
परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में परिवाद पत्र के प्रस्तर-5 में उल्लिखित षपथपत्रीय साक्ष्य के अतिरिक्त ईमेल द्वारा किये गये पत्राचार की छायाप्रतियॉ प्रस्तुत की गई हैं। जिससे विपक्षी के इस कथन का खण्डन होता है कि परिवादी द्वारा कोई अभिकथित पत्र विपक्षी को नहीं दिया गया। ऐसी स्थिति में फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचता है कि परिवादी की ओर से किये गये कथन व परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये साक्ष्य सत्यता के अत्यन्त निकट हैं। 
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में और उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद ऑषिक रूप से परिवादी को विपक्षी के द्वारा स्वीकार की गई जमा धनराषि रू0 3000/-व रू0 1800/-की पोस्टडेटेड चेक, यदि उक्त चेक की धनराषि विपक्षी द्वारा आहरित कर ली गई है तो उक्त चेक की धनराषि भी वापस दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है, क्योकि विपक्षी की ओर से यह तो कहा गया है कि उक्त पोस्टडेटेड चेक एक वैधानिक इकरारनामें के निश्पादन के साथ इस घोशणा के साथ दी  गई थी कि उक्त चेक ऑनर की जायेगी। किन्तु विपक्षी द्वारा अभिकथित कोई इकरारनामा फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया। रू0 3000/-जो कि परिवादी द्वारा जमा किये गये थे, उसे भी विपक्षी द्वारा अप्रत्यावर्तनीय बताया गया है। किन्तु अप्रत्यावर्तनीय करने का कोई कारण व नियम या इकरारनामें का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त परिवाद प्रष्नगत संचार फोन कनेक्षन सं0-3106606 एंव 3116849 को विच्छेदित करने का आदेष पारित करने हेतु एंव रू0 5000/- परिवाद व्यय हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहॉ तक अन्य याचित उपषम का प्रष्न है - के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण, स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं। 
 
 
 
                    :ःआदेषःःः
 
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, उपरोक्त कारणों से, ऑषिक रूप से विपक्षी कम्पनी के विरूद्व स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेषित किया जाता है कि वह प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर परिवादी के उपर्युक्त फोन कनेक्षन सं0-3106606 एंव 3116849 को विच्छेदित करे तथा परिवादी की जमा धनराषि रू0 3000/-(तीन हजार रू0) व पोस्ट डेटेड चेक की धनराषि रू0 1800/-(अठ्ठारह सौ रू0) तथा रू0 5000/- (पॉच हजार रू0) परिवाद व्यय, परिवादी को अदा करे। 
 
   ( सुधा यादव )                      (डा0 आर0एन0 सिंह)
         सदस्या                                अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद                       जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम                              प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।                               कानपुर नगर।
 
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
 
 
  ( सुधा यादव )                      (डा0 आर0एन0 सिंह)
         सदस्या                                अध्यक्ष
 जिला उपभोक्ता विवाद                       जिला उपभोक्ता विवाद       
     प्रतितोश फोरम                              प्रतितोश फोरम
     कानपुर नगर।                               कानपुर नगर।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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