Rajasthan

Churu

595/2011

GEETA DEVI - Complainant(s)

Versus

RELIANCE PRAVASI BHARATIYA BIMA YOJANA - Opp.Party(s)

DHANNA RAM SAINI

16 Mar 2015

ORDER

प्रार्थी की ओर से श्री धन्नाराम सैनी अधिवक्ता उपस्थित। अप्रार्थी की ओर से श्री गजेन्द्र सिंह अधिवक्ता उपस्थित।  पक्षकारान की बहस सुनी गई। अप्रार्थी अधिवक्ता ने अपनी बहस में मुख्य तर्क दिया कि अप्रार्थीगण द्वारा प्रार्थीया को बार-बार मूल दस्तावेज व क्लेम फार्म भरकर देने हेतु निवेदन किया गया ताकि प्रार्थीया के क्लेम पर अप्रार्थीगण अपने आवश्यक जांच कर प्रकरण का निस्तारण कर सके। परन्तु प्रार्थीया ने अपने क्लेम को निस्तारण करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। मूल क्लेम फार्म व आवश्यक कागजात अप्रार्थीगण के यहां विधिवत रूप से भरकर जमा नहीं करवाये जिस कारण प्रार्थीया के प्रकरण का निर्णय नहीं किया जा सका। यह भी तर्क दिया कि यदि प्रार्थीया आज भी आवश्यक दस्तावेज अप्रार्थीगण के यहां जमा करवा देती है तो अप्रार्थीगण कम्पनी प्रार्थीया के प्रकरण पर गुणावगुण पर निर्णय कर देगी। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि चूरू जिले में अप्रार्थीगण विभाग का कोई कार्यालय स्थित नहीं है इसलिए इस मंच को यह परिवाद सुनने का क्षैत्राधिकार नहीं है। उक्त आधार पर परिवाद खारिज करने का तर्क दिया। प्रार्थी अधिवक्ता ने उक्त तर्कों का विरोध किया और तर्क दिया कि अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी का चूरू में कार्यालय स्थित है और प्रार्थीया द्वारा समस्त औपचारिकताएं पूरी कर दी गयी थी फिर भी अप्रार्थीगण ने जानबूझ कर प्रार्थीया के क्लेम को सैटल नहीं किया। परिवाद स्वीकार करने का तर्क दिया।

            उभय पक्षों के तर्कों पर मनन किया। पत्रावली का ध्यान पूर्वक अवलोकन किया। मंच का निष्कर्ष निम्न प्रकार है।

           अप्रार्थीगण अधिवक्ता द्वारा दिये गये जवाब व तर्कों के खण्डन स्वरूप प्रार्थीया ने ऐसा कोई दस्तावेज पत्रावली पर प्रस्तुत नहीं किया जिससे यह साबित हो कि प्रार्थीया ने अप्रार्थीगण के यहां अपने पुत्र की मृत्यु पर अप्रार्थीगण के यहां विधिवत रूप से क्लेम हेतु आवेदन किया हो। विधि अनुसार अप्रार्थी विभाग को क्लेम आवेदन प्राप्त होने पर जांच का अधिकार प्राप्त है जिससे वंचित किया जाना उचित व न्यायोचित नहीं है। अप्रार्थीगण अधिवक्ता ने परिवाद इस मंच के क्षैत्राधिकार का नहीं होने का भी आधार लिया है। मंच की राय में क्षैत्राधिकार के बिन्दु पर परिवाद खारिज किया जाना उचित व न्यायोचित प्रतीत नहीं होता। इसलिए मंच इस प्रकरण में अप्रार्थीगण को निम्न आदेश देना उचित पाते है।

           अतः अप्रार्थीगण को आदेश दिया जाता है कि वह प्रार्थीया द्वारा मूल क्लेम आवेदन व आवश्यक दस्तावेजात अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी के यहां प्रस्तुत करने पर 2 माह के अन्दर-अन्दर प्रार्थीया के प्रकरण का मैरिट पर निस्तारण करेंगे। यदि प्रार्थीया अप्रार्थीगण के निर्णय से असंतुष्ट हो तो वह पुनः सक्षम मंच में परिवाद प्रस्तुत करने की अधिकारणी होगी। पक्षकारान प्रकरण व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे। पत्रावली फैसला शुमार होकर दाखिल दफ्तर हो।

 

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