Uttar Pradesh

Barabanki

42/12

Rajendra Prasad - Complainant(s)

Versus

Reliance Life Sciences Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)

Pankaj Nigam & Others

07 Jun 2023

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       07.04.2012

अंतिम सुनवाई की तिथि            18.05.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  07.06.2023

परिवाद संख्याः 42/2012

राजेन्द्र प्रसाद पुत्र विन्धेश्वर प्रसाद आयु लगभग 45 साल निवासी ग्राम व पोस्ट मानपुर तहसील नवाबगंज जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

 

बनाम

प्रबन्धक रिलायन्स लाईफ सांइसेस प्रा0 लि0 बाराबंकी मैन्यूफैक्चरिंग सोमैया नगर देवा रोड जनपद-बाराबंकी।

द्वारा-श्री मदन मोहन लाल गुप्ता, एडवोकेट

श्री अमित कुमार गुप्ता, एडवोकेट

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

              विपक्षी की ओर से-श्री अमित कुमार गुप्ता, एडवोकेट

द्वारा -श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षी के विरूद्व अंतर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर विपक्षी से पौधों की कीमत रू0 25,200/-, खाद की कीमत रू0 18,000/-, दवा की कीमत रू0 12,000/-, लेबर खर्च रू0 15,000/-, जुताई आदि के रू0 8,000/-कुल रू0 97,000/-मय ब्याज, धान की फसल रू0 40,000/-, गेहूँ की फसल रू0 45,000/-, पिपरमेन्ट की फसल रू0 2,00,000/-एवं मानसिक शारीरिक क्षति रू0 50,000/-कुल रू0 4,13,200/-तथा परिवाद व्यय व अधिवक्ता शुल्क रू0 25,000/-दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

            परिवादी ने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन किया है कि परिवादी ने अपने जीविकोपार्जन हेतु विपक्षी के यहाँ से अपने बाग/खेत हेतु केला के पौघे क्रय करने की नियत से गया था। विपक्षी ने केले की पौध के बारे में बताया और कहा कि यदि परिवादी केले की पौध अपने खेत/बाग में लगायेगा तो उपज बहुत अच्छी होगी और 12-15 माह के बीच उक्त पौधा बड़ा होकर फल देने लगेगा। विपक्षी ने प्रत्येक पौधे की कीमत रू0 12/-बताई तथा यह भी कहा कि पौधे की डिलीवरी परिवादी के खेत पर दी जायेगी। परिवादी ने दिनांक 06.06.2011 को रू0 12/-की दर से 2100 पेड़ो का आर्डर विपक्षी को दिया और रू0 4,000/-एडवान्स नगद देकर रसीद प्राप्त की। रसीद में विपक्षी द्वारा 25 जुलाई से 30 जुलाई 2011 के मध्य उक्त पौधो की डिलीवरी देने का आश्वासन दिया गया था। रसीद सं0-430 संलग्न है। तय अवधि में परिवादी के यहाॅ पौधे उपलब्ध नहीं कराये गये बल्कि 17 अगस्त 2011 को 25 दिन बाद उपलब्ध कराये गये। पौधे प्राप्त करते हुये परिवादी ने गांव वालों के समक्ष रू0 21,200/-विपक्षी को अदा कर दिया। पौधे देर से उपलब्ध कराये जाने के कारण रोपण कार्य में भी देरी हुई। प्रश्नगत प्लान्ट गाटा संख्या-261 रकबा 6 बीघा में लगाया गया किन्तु उक्त केले के पौधे विकसित होने के बजाय धीरे-धीरे नष्ट हो गये। परिवादी ने कई बार विपक्षी से मौखिक रूप से केले के पौधे न बढ़ने की शिकायत किया परन्तु विपक्षी ने न तो उस पर ध्यान दिया और न ही कोई उपचार बताया। परिवादी ने पौधे खरीदने से लेकर खाद, दवा, लेबर खर्च, जुताई आदि में लगभग रू0 97,000/-व्यय कर चुका है। केले के पौधे लगे होने के कारण धान की फसल मु0 40,000/-, गेहूँ की फसल मु0 45,000/- एवं पिपरमेन्ट की फसल रू0 2,00,000/-का नुकसान हुआ। परिवादी ने क्षतिपूर्ति भुगतान के संबंध में विपक्षी को नोटिस दिनांक 12.03.2012 को दिया परन्तु आज तक क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी द्वारा त्रुटिपूर्ण माल बेचने के कारण ग्राहक सेवा में कमी व लापरवाही की गई है। अतः परिवादी ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

            परिवादी की तरफ से दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची से रिलायंस लाईफ साइन्स प्रा0 लि0 की कैश रसीद रू0 4,000/-, खतौनी तथा रजिस्टर्ड नोटिस दिनांक 12.03.2012 की छाया प्रति दाखिल किया गया है।

            विपक्षी ने अपने जवाबदावा में कहा है कि दिनांक 06.06.2011 को रू0 12/-प्रति केला पौध की दर से 2100 पेड़ों का आर्डर व रू0 4,000/-एडवांस विपक्षी को दिया गया। केले के पौधे की बुकिंग के समय शर्त के अनुसार विपक्षी को पौध परिवादी के यहाँ दिनांक 25.07.2011 से 30.07.2011 के मध्य उपलब्ध कराना था। विपक्षी ने शर्त के अनुसार पौध उपलब्ध करा दिया था। परिवादी द्वारा पौध की डिलीवरी प्राप्त करके शेष धनराशि का भुगतान भी कर दिया था। परिवाद के बिन्दु संख्या-04 लगायत 11 के कथन से विपक्षी का कोई संबंध नहीं है। उभय पक्षों के मध्य निर्धारित शर्तो के अधीन ऐसी कोई शर्त नहीं थी जिसका पालन विपक्षी को करना था अतः इसके लिये विपक्षी कदापि उत्तरदायी नहीं है। परिवादी मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर अनुचित ढंग से पैसा वसूलने का कुत्सित प्रयास करना चाहता है। रजिस्टर्ड लीगल नोटिस प्राप्त होने पर विपक्षी ने उसका उत्तर भेजते हुये परिवादी को भविष्य में विवाद पैदा न करने का परामर्श दिया गया था। परिवादी किसी भी अनुतोष को प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद को निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

            परिवादी तथा विपक्षी ने अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की।

            सुनवाई के लिये नियत तिथि पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हुये। बहस सुनी गयी एवं साक्ष्यों का अवलोकन किया गया।

            प्रस्तुत परिवाद में परिवादी ने विपक्षी से दिनांक 06.06.2011 को रू0 12/-प्रति पौध की दर से 2100 केले की पौध क्रय किया, जिसकी आपूर्ति दिनांक 25.07.2011 से 30.07.2011 के मध्य विपक्षी को करनी थी। परिवादी ने अग्रिम रू0 4000/-का भुगतान विपक्षी को करके रसीद संख्या 430 दिनांक 06.06.2011 प्राप्त किया था शेष राशि रू0 21,200/-का नगद भुगतान पौधों की आपूर्ति के समय किया गया। परिवादी का कथन है कि पौधों की आपूर्ति 25 दिन बाद दिनांक 17.08.2011 को की गई, जिससे पौधो के रोपण में देरी हुई। विपक्षी के निर्देशानुसार दवा एवं खाद का नियमित रूप से छिड़काव किया गया तथा खाद पर रू0 18,000/-एवं दवा पर रू0 12,000/-व लेबर, जुताई आदि पर रू0 23,000/-का व्यय किया गया। किन्तु दवा व खाद क्रय करने का बिल/कैश मेमो साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी का कथन है कि पौधों का रोपण 6 बीघे में किया गया लेकिन पौधे विकसित होने के बजाय धीरे-धीरे नष्ट होने लगे। विपक्षी द्वारा केले के खराब पौधे उपलब्ध कराने के कारण परिवादी को आर्थिक क्षति हुई।

            विपक्षी ने अपने वादोत्तर में 2100 केले की पौध रू0 12/-प्रति पौध की दर से बिक्री किया जाना व उसका भुगतान प्राप्त करना स्वीकार किया है। विपक्षी का कथन है कि उसने निर्धारित समयान्तर्गत पौधों की डिलीवरी कर दी थी।

            पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट है कि परिवादी के प्रार्थना पत्र दिनांक 07.04.2012 पर जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश दिनांक 09.04.2012 द्वारा वाद में श्री अनिल कुमार यादव, विद्वान अधिवक्ता को कमिश्नर नियुक्त करते हुये मौके पर जाकर वाद पत्र में दिये गये तथ्यों के सम्बन्ध में कमीशन कार्य संपादित करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये निर्देशित किया गया था। आयुक्त आख्या दिनांक 02.04.2018 एवं फोटोग्राफ प्रस्तुत किये गये है। आयुक्त आख्या में उल्लेख किया गया है कि, ‘‘इस कमीशन आख्या के साथ एक नक्शा नजरी संलग्न की जा रही है जो कि कमीशन आख्या का अभिन्न अंग है। नक्शा नजरी में गाटा संख्या-261 ग्राम मानपुर परगना प्रतापगंज तहसील नवाबगंज जनपद-बाराबंकी में चैहद्दी व मुरझाये वाले केले के पेड़ को यथा स्थान दर्शाया गया है। गाटा संख्या-261 में लगे हुए केले के पेड़ बहुत छोटे-छोटे है जो मुरझाये हुए है। देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि उनके विकसित होने के कोई आसार नहीं है मैने उक्त केले के पौध के फोटोग्राफ खीचें जाने के लिए परिवादी से फोटोग्राफर लाने के लिये कहा। परिवादी ने गांव के ही फोटोग्राफर को बुला लाया। फोटोग्राफर ने डिजीटल कैमरे से दो फोटोग्राफ गाटा संख्या-261 में राजेन्द्र प्रसाद को खड़ा करके खींचे। फोटोग्राफस इस कमीशन आख्या का अभिन्न अंग है‘‘। आयुक्त आख्या के साथ परिवादी को खेत में खड़ा करके खीचीं गई फोटो व नक्शा नजरी संलग्न है जिसके अवलोकन पर केले के पौधे अविकसित व मुरझाये हुये दिखाई दे रहे है।

            परिवादी का कथन है कि उसने जिला उद्यान अधिकारी, बाराबंकी को दिनांक 20.03.2012 को पंजीकृत डाक से फसल की जांच के लिये प्रार्थना पत्र प्रेषित किया था। इस संबंध में उद्यान अधिकारी की कोई जांच/रिपोर्ट का साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है।

            वर्तमान प्रकरण में विपक्षी को यह स्वीकृत तथ्य है कि उनके द्वारा परिवादी को केले की पौध 25 से 30 जुलाई 2011 के मध्य प्रदान करनी थी जिसके लिये रू0 4,000/-नकद अग्रिम दिया गया था और शेष धनराशि पौध उपलब्ध कराये जाने पर दिया जाना था। यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि पौध आपूर्ति की समय सीमा निर्धारित होना यह स्पष्ट करती है कि मौसम, वर्षा तथा संबंधित खेत की स्थिति के अनुसार दिनांक 25 से 30 जुलाई 2011 के मध्य का समय केले की पौध लगाने के लिये उपयुक्त था। ऐसी स्थिति में केले की पौध की आपूर्ति समय से किया जाना दोनो पक्षो के मध्य हुये करार का सर्वप्रमुख आवश्यक तथ्य था। परिवादी का कथन है कि विपक्षी ने दिनांक 17.08.2011 को (निर्धारित समयसीमा से 25 दिन बाद) केले की पौध उपलब्ध कराई और परिवादी ने शेष रू0 21,200/-विपक्षी के पौध देने आये कर्मचारी को अदा किये परन्तु उसने रसीद नहीं दी। जबकि विपक्षी का कथन है कि उनके द्वारा निर्धारित समयावधि मे पौध की आपूर्ति की गई, कोई देरी नहीं की गई है। परिवादी को समय सीमा से पौध की आपूर्ति के इस बिन्दु को सिद्व करने के लिये विपक्षी को अपने व्यवसाय के सामान्य क्रम में अनुरक्षित कैश रजिस्टर, रसीद बुक को प्रस्तुत करना चाहिये था, जिससे यह स्पष्ट हो जाता कि पौध आपूर्ति होने पर शेष धनराशि रू0 21,200/-किस दिन विपक्षी के कर्मचारी को परिवादी से प्राप्त हुये। विपक्षी द्वारा अपने कब्जे का उपरोक्त सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य, आयोग में साक्ष्य का अवसर मिलने पर प्रस्तुत न करना विपक्षी के विरूद्व यह उपधारणा उत्पन्न करता है कि विपक्षी ने निर्धारित समयावधि में केले की पौध परिवादी को नहीं दी और परिवादी का यह कथन सही सिद्व होता है कि विपक्षी ने केले की पौध निर्धारित समयावधि से 25 दिन पश्चात आपूर्ति की। केले के पौध की गुणवत्ता में कमी तथा निर्धारित समयावधि में केले की पौध की आपूर्ति न करने के स्पष्ट प्रभाव से परिवादी द्वारा उक्त पौध लगाने पर केले की फसल पूरी विकसित नहीं हुई और उससे फल प्राप्त नहीं हो सका।

            उपरोक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा विपक्षी से क्रय किये गये केले के पौध देरी से सप्लाई होने के कारण रोपण के उपरान्त पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुये जिसके कारण उसे आर्थिक क्षति हुई। विपक्षी द्वारा पौधो की बिक्री के समय क्रेता को आश्वासन दिया गया था कि पौध की उपज अच्छी व फलदायक है लेकिन पौधों का समुचित विकास न होने से स्पष्ट है कि पौधों की गुणवत्ता सही नहीं थी। खराब गुणवत्ता की पौध की आपूर्ति देरी से करके विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है जिसके कारण परिवादी पौधो का ब्याज सहित मूल्य व रोपण पर व्यय तथा क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी है। परिवाद अंशतः स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

            परिवाद संख्या-42/2012 अंशतः स्वीकार किया जाता है। विपक्षी पौधो की कीमत रू0 25,200/-व पौधों के रोपण पर हुआ समस्त व्यय रू0 23,000/-कुल रू0 48,200/-परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि 07.04.2012 से 6% साधारण वार्षिक ब्याज सहित तथा मानसिक क्षतिपूर्ति रू0 5,000/-व वाद व्यय रू0 3,000/-परिवादी को अदा करें। समस्त भुगतान आदेश की तिथि से पैंतालिस दिन के अंदर किया जायेगा। आदेश का अनुपालन समयान्तर्गत न करने की स्थिति में आदेशित धनराशि रू0 48,200/-पर 9% की दर से ब्याज देय होगा। 

 

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

       सदस्य                      सदस्य                अध्यक्ष

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।

(डॉ0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

       सदस्य                      सदस्य                अध्यक्ष

दिनांक 07.06.2023

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