न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम,चन्दौली।
1-परिवाद संख्या 15/2014
गौरीशंकर सिंह पुत्र रामजी ग्राम झाली पो0 सवार थाना कमरचट जिला कैमूर(भभुआ)बिहार
.........परिवादी
बनाम
रिलायंस लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा प्रबन्धक बजाज रिलायन्स लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 952,सुवाष नगर सुवाष पार्क जी0टी0रोड़मुगलसराय जिला चन्दौली।
...........विपक्षी
एवं
2-परिवाद संख्या 16/014
2-गौरीशंकर सिंह पुत्र रामजी ग्राम झाली पो0 सवार थाना कमरचट जिला कैमूर(भभुआ)बिहार
......... परिवादी
बनाम
रिलायंस लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 द्वारा प्रबन्धक बजाज रिलायन्स लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 952,सुवाष नगर सुवाष पार्क जी0टी0रोड़मुगलसराय जिला चन्दौली।
...........विपक्षी
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देबी मौर्या,सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह,सदस्य
निर्णय
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह,अध्यक्ष
1- परिवादी ने बीमाधारक के मृत्यु के उपरान्त बीमा पालिसी संख्या 19737981 के संदर्भ में बीमा धनराशि मु0 15,00000/- व हर्जा मु0 1,00000/-मय 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से व्याज के साथ तथा खर्चा मुकदमा दिलाये जाने के संदर्भ में परिवाद संख्या 15/2014 तथा बीमा पालिसी संख्या 19737866 के संदर्भ में बीमा धनराशि मु0 5,00000/-व हर्जा मु0 1,00000/-मय 18 प्रतिशत वार्षिक की दर से
2
व्याज के साथ तथा शेष प्रीमियम की राशि मु0 8198/- एवं वाद व्यय दिलाये जाने के संदर्भ में परिवाद संख्या 16/2014प्रस्तुत किया है।
2- उपरोक्त दोनों परिवाद बीमाधारक उमाशंकर सिंह की मृत्यु के बाद दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत नामित परिवादी श्री गौरीशंकर सिंह द्वारा बीमा कम्पनी के विरूद्ध दाखिल किया गया है तथा दोनों परिवादों में तथ्य एवं विधि का समान प्रश्न विद्यमान है इसलिए निर्णय के द्वारा उक्त दोनों परिवादों का एक साथ निस्तारण किया जा रहा है।
3- दोनों परिवादों में प्रस्तुत परिवाद पत्र में संक्षेप में कथन है कि परिवादी के भाई उमाशंकर सिंह ने विपक्षी बीमा कम्पनी के अभिकर्ता चन्द्रमणि पाठक एजेंसी कोड संख्या 20984536 ग्राम चितवनी पो0 बरहुती कला जिला रोहतास(सासाराम)एवं सेल्स मैनेजर श्री मनोज कुमार मिश्रा एजेंसी कोड संख्या 062970 ग्राम व पो0 उमापुर थाना भगवानपुर जिला कैमूर(भभुआ)बिहार के माध्यम से दिनांक 21-1-2012 को प्रस्ताव भरकर विपक्षी के मुगलसराय कार्यालय में उसे जमा करके मु0 15,00000/-का बीमा पालिसी संख्या 19737981 लिया, जिसका जोखिम दिनांक 3-3-2012 से प्रभावी था। यह बीमा पालिसी 30 वर्ष की अवधि के लिए थी। उसी दिन उपरोक्त एजेण्ट व सेल्स मैनेजर के माध्यम से परिवादी के भाई उमाशंकर सिंह ने रिलायंस टर्म प्लान के तहत मु0 25,00000/- का बीमा पालिसी के लिए प्रस्ताव भरकर उसका अर्द्धवार्षिक प्रीमियम की धनराशि मु0 10596/-विपक्षी के शाखा कार्यालय में जमा किया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपनी वित्तीय परेशानी के कारण मु0 25,00000/- की बीमा पालिसी देने में अपने को अक्षम बताते हुए मु0 5,00000/- का बीमा पालिसी देना स्वीकार किया तथा इसकी सूचना बीमादार को दिया। बीमादार ने दिनांक 7-4-2012 को विपक्षी को पत्र लिखकर मु0 5,00000/- का पालिसी ग्रहण करते हुए इसका अर्द्धवार्षिक प्रीमियम काटकर शेष प्रीमियम की धनराशि मु0 8198.25 वापस किये जाने का निवेदन किया लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी ने उसे अबतक वापस नहीं किया। इस मु0 5,00000/- की बीमा पालिसी का नम्बर 19737866 है तथा इसका जोखिम दिनांक 12-4-2012 से प्रभावी था। परिवाद पत्रों में आगे कथन है कि दानों पालिसियों में परिवादी नामिनी है। दुर्भाग्यवश उमाशंकर सिंह को एकाएक मष्तिक ज्वर हो गया जिनको इलाज हेतु दिनांक 22-9-2012 को वाराणसी ले जाते समय रास्ते में चैनपुर दुर्गावती मार्ग में ग्राम ईसिया के नजदीक उनका निधन हो गया। उनका दाह संस्कार वाराणसी मर्णिकर्णिका घाट पर किया गया। परिवादी ने अपने भाई उमाशंकर सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र सक्षम पदाधिकारी पंचायत सचिव सह रजिस्ट्रार(जन्म मृत्यु) ग्राम पंचायत ईसिया जिला कैमूर भभुआ से दिनांक 6-11-2012 को प्राप्त किया जो बतौर संलग्नक दाखिल किया गया है। इसके उपरान्त उपरोक्त दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत बीमा धनराशि की प्राप्ति हेतु अलग-अलग आवेदन बीमाधारक के मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ पंजीकृत डाक से दिनांक 7-12-2012 को विपक्षी के शाखा कार्यालय मुगलसराय को भेजा। आवेदन पत्र की प्रतिलिपि व ..................................................................................................................
3
पंजीकृत डाक की रसीद बतौर संलग्नक परिवाद के साथ दाखिल किया गया है। दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत प्रस्तुत बीमा दावा की प्राप्ति के बाद भी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया। तब पुनः आवेदन को अभिकर्ता चन्द्रमणि पाठक तथा सेल्स मैनेजर मनोज कुमार मिश्रा को रजिस्टर्ड डाक से क्रमशः दिनांक 30-1-2013 तथा 13-2-2013 को भेजा। इसके बाद विपक्षी बीमा कम्पनी के प्रधान कार्यालय रिलायन्स लाइफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 रजिस्टर्ड नं0 121 एच ब्लाक प्रथम तल धीरूभाई अम्बानी नालेज सिटी नाभी मुम्बई,महाराष्ट्रा को बीमादार के मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत आवेदन दिनांक 27-2-2013 को पंजीकृत डाक से भेजा। इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई तो दिनांक 3-4-2013 को विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मुगलसराय में जाकर शाखा प्रबन्धक से मिला तो उनके द्वारा कहा गया कि इतनी बड़ी दावा राशि पाने हेतु परिवादी को काफी दौड़ धूप करनी पडेगी और रूपया लगेगा इसके बाद भी दावा राशि नहीं मिलेगी। इस प्रकार दावा का भुगतान करने में आना-कानी करके विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में त्रुटि किया गया है। कथन यह भी है कि तत्पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम कैमूर(भभुआ) के यहाॅं से दिनांक 12-4-2013 को दोनों बीमा पालिसियों के बीमा दावा हेतु परिवाद प्रस्तुत किया गया लेकिन जिला उपभोक्ता फोरम कैमूर ने क्षेत्राधिकार न होने के आधार पर दिनांक 26-3-2014 को दोनों परिवाद खारिज कर दिया और आदेश पारित किया कि परिवादी चाहे तो क्षेत्राधिकार प्राप्त फोरम में परिवाद दाखिल कर सकता है। इस आधार पर दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत बीमा धनराशि के भुगतान हेतु क्रमशः परिवाद संख्या 15/2014 एवं परिवाद संख्या 16/2014 प्रस्तुत किया गया है।
4- दोनों परिवाद में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत करके परिवाद के कथनों का विरोध करते हुए कथन किया गया है कि प्रस्तुत दोनों परिवाद अपरिपक्व है इसलिए खारिज किये जाने योग्य है। कथन किया गया है कि दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत प्रस्तुत दावा को अभीतक बीमा कम्पनी ने खारिज नहीं किया है। दिनांक 27-2-2013 को बीमा दावा प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 4-3-2013 द्वारा परिवादी को सूचित करते हुए आवश्यक अभिलेख जैसे क्लेम फार्म’’ए’’,क्लेम फार्म’’बी’’, मूल बीमा पालिसी, जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार द्वारा जारी मूल मृत्यु प्रमाण पत्र,डाक्टर द्वारा मृत्यु को प्रमाणित करते हुए दिया गया प्रमाण पत्र,नामिनी का फोटो आइडेन्टीफिकेशन कार्ड एवं अस्पताल की रिर्पोट तथा पोस्टमार्टम रिर्पोट आदि प्रस्तुत करने का निवेदन किया गया था। परिवादी ने उपरोक्त मांग किये गये अभिलेखों को विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रस्तुत न करके यह परिवाद दाखिल कर दिया है जो अपरिपक्व है। बिना उपरोक्त अभिलेखों के बीमा दावा का निस्तारण सम्भव नहीं है। परिवादी को दानों पालिसियों के अन्र्तगत बीमा दावा मांगे किये गये अभिलेखों के अभाव में विचाराधीन चल रहा है और उसे न तो स्वीकार किया गया है और न ही अस्वीकार किया गया है। अतः यह नहीं कहा जा सकता है कि बीमा कम्पनी द्वारा सेवा में कोई कमी किया गया है
4
जबतक परिवादी मांग किये गये अभिलेखों को प्रस्तुत नहीं करता है तब तक विधि अनुसार उसके बीमा दावा का निस्तारण किया जाना सम्भव नहीं है। कथन यह भी किया गया है कि बीमा पालिसी प्राप्त करने के उपरान्त सिर्फ पहली किस्त जमा करने के मात्र कुछ महीने बाद बीमाधारक की मृत्यु हो जाना संदेहजनक है। जबाबदावा में यह भी कथन किया गया है कि परिवाद में परिवादी ने मिथ्या कथन किया है कि दिनांक 3-4-2013 को वह विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मुगलसराय में आया था तथा शाखा प्रबन्धक से मिला था। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दिनांक 4-3-2013 को परिवादी को पत्र प्रेषित करते हुए आवश्यक अभिलेखों को बीमा कार्यालय में जमा करने का निवेदन किया था उसके उपरान्त परिवादी कभी भी विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय मे न तो सम्पर्क किया और न ही मांगे गये अभिलेखों को दिया। उपरोक्त आधार पर प्रस्तुत दोनों दावा को अपरिपक्व बताते हुए खारिज किये जाने का निवेदन किया गया है।
5- परिवादी की ओर से उपरोक्त दोनों परिवादों में साक्ष्य के रूप में प्रीमियम की रसीद कागज संख्या 4/1,प्रार्थना पत्र 4/2,रिलायन्स टर्म प्लान की प्रतियां4/3ता 4/12, रिलायन्स इण्डोमेन्ट प्लान की छायाप्रति 4/3ता4/7, मृत्यु प्रमाण पत्र 4/13,प्रार्थना पत्र 4/14,रजिस्ट्री रसीद की छायाप्रति 4/15,प्रार्थना पत्र 4/16, रजिस्ट्री रसीद की प्रति 4/17,प्रार्थना पत्र 4/18,रजिस्ट्री रसीद 4/19,प्रार्थना पत्र,4/20 रजिस्ट्री रसीद4/22 दाखिल किया गया है। विपक्षी की ओर से मृतक के मेडिकल रिर्पोट की प्रतियाॅं कागज संख्या 9/1ता 9/4,समरी की प्रतियाॅं 9/5 ता 9/6,मेडिकल की प्रति9/13,मतदाता पहचान पत्र 9/14 ता 9/15,रिलायन्स लाइफ इश्योरेंस का पर्चा 9/19,फार्म 60 की प्रति 9/20, अक्लाधिकारी का पत्र 9/21,स्थानान्तरण प्रमाण पत्र 9/2ता 9/23,प्रार्थना पत्र 9/28 आदि दाखिल किया गया है।
6- हम लोगों ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को भलीभांति सुना है तथा दोनों पत्रावलियों में प्रस्तुत अभिलेखों का और परिवाद एवं जबाबदावा के कथनों का भलीभांति परिशीलन किया है।
7- दोनों परिवाद में यह स्वीकृत तथ्य है कि स्व0 उमाशंकर सिंह के नाम पर विपक्षी बीमा कम्पनी के मुगलसराय शाखा से रिलायन्स इण्डोमेन्ट प्लान के तहत मु0 15,00000/- जिसकी पालिसी संख्या 19737981 है, 30 वर्ष के लिए तथा रिलायन्स टर्म प्लान के तहत मु0 5,00000/- की पालिसी संख्या19737866,21 वर्ष के लिए लिया था। दोनों पालिसियों में परिवादी गौरीशंकर सिंह को बीमाधारक ने बतौर भाई अपना नामिनी बनाया है। दोनों पालिसियों मे सिर्फ ंपहली किश्त जमा हुई। परिवाद में कथन है कि दूसरी किश्त जमा करने के पहले ही अचानक दिनांक 22-9-2012 को बीमाधारक उमाशंकर सिंह को मष्तिक ज्वर हो गया और जब इलाज के लिए उन्हें ले जाया जा रहा था तभी चैनपुर दुर्गावती मार्ग पर ग्राम ईसिया के पास उनका निधन हो गया। परिवादी का कथन है कि दोनों पालिसियों के अन्र्तगत उसने बीमा दावा पंजीकृत डाक से विपक्षी ....................................................
5
बीमा कम्पनी के मुगलसराय शाखा में दिनांक 7-12-2012 को प्रेषित किया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत परिवादी द्वारा प्रेषित बीमा दावा दिनांक 27-2-2013 को प्राप्त होना स्वीकार किया है, लेकिन बीमा कम्पनी का कथन है कि दोनों पालिसियों के बीमा दावा के अन्र्तगत परिवादी द्वारा दावा के निस्तारण के संदर्भ में जो अभिलेख आवश्यक है उनको प्रस्तुत नहीं किया। इसलिए दावा का निस्तारण नही किया जा सका। इस संदर्भ में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि दिनांक 4-3-2013 को परिवादी को पत्र भेजते हुए बीमा दावों के निस्तारण हेतु आवश्यक अभिलेखों यथा क्लेम फार्म’’ए’’,क्लेम फार्म’’बी’’,मूल पालिसी अभिलेख,मूल मृत्यु प्रमाण पत्र जन्म मृत्यु रजिस्ट्रार द्वारा जारी डाक्टर द्वारा मृत्यु का कारण दर्शित करते हुए दिया गया मृत्यु प्रमाण पत्र,नामिनी का फोटो आइडेन्टीफिकेशन कार्ड तथा बीमारी व चिकित्सा एवं पोस्टमार्टम रिर्पोट आदि का प्रमाण पत्र दाखिल करने का निवेदन किया था लेकिन परिवादी ने मांगे गये अभिलेखों को विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय में प्रस्तुत नहीं किया और मिथ्या कथन करके दावा प्रस्तुत कर दिया है। जबाबदावा के उक्त कथनों का परिवादी ने कोई खण्डन नहीं किया है। परिवादी की ओर से प्रस्तुत शपथ पत्र में ऐसा कोई कथन नहीं है कि बीमा कम्पनी ने जो उपरोक्त अभिलेखों की मांग की थी उसे परिवादी ने बीमा कम्पनी के अन्वेषण के संदर्भ में प्रस्तुत कर दिया है। बीमा दावा की जांच हेतु उपरोक्त अभिलेख बिल्कुल आवश्यक रहे है। मृतक बीमेदार गैर प्रान्त बिहार का रहने वाला था एवं दोनों बीमा पालिसी एक ही समय पर प्राप्त की गयी है।अतः समुचित अन्वेषण के बाद ही बीमा दावा का निस्तारण किया जाना सम्भव है। विपक्षी द्वारा मांग किये गये उपरोक्त सभी अभिलेखों के अभाव में विधि अनुसार बीमा दावा का निस्तारण नहीं किया जा सकता है। परिवादी ने मांग किये गये अभिलेखों को विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा कार्यालय मुगलसराय में प्रस्तुत न करके सीधे परिवाद दाखिल कर दिया है। बिना बीमा दावा के निस्तारण के फोरम के समक्ष जो दोनों परिवाद प्रस्तुत किये गये हैं वह अपरिपक्व है। परिवादी का बीमा दावा अभी विचाराधीन चल रहा है। वह विपक्षी द्वारा न तो स्वीकार किया गया है और न ही खारिज किया गया है। परिवादी के दोनों बीमा दावें परिवादी की कमी की वजह से लम्बित हंै। मांगने के बावजूद परिवादी ने आवश्यक अभिलेखों को बीमा कम्पनी को नहीं दिया। उक्त स्थिति में ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता है कि विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से सेवा में कोई कमी किया गया है। अतः हम लोगों के विचार से दोनों परिवाद पोषणीय नहीं हैं इसलिए खारिज किये जाने योग्य है।
8- इस प्रकरण में यह तथ्य भी महत्वपूर्ण पाया जाता है बीमाधारक मृतक उमाशंकर सिंह बिहार प्रान्त के ग्राम झाली पो0 सवार जिला कैमूर (भभुआ) के निवासी रहे हैं। उन्होने अपना बीमा विपक्षी बीमा कम्पनी के एजेण्ट चन्द्रमणि पाठक कोड नं0 20984536 तथा सेल्स मैनेजर मनोज कुमार मिश्रा कोड नं0 062790 के माध्यम से कराया था। यह दोनों भी बिहार प्राप्त के क्रमशः जिला रोहतास तथा
6
जिला कैमूर के रहने वाले है जबकि दोनों बीमा पालिसी विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा मुगलसराय उत्तर प्रदेश से प्राप्त किया गया है। आमतौर पर बीमा लेने वाला व्यक्ति बीमा कम्पनी के उस शाखा कार्यालय से बीमा लेता है जो उसके आवास के करीब हो। प्रस्तुत मामले में बिहार का रहने वाला बीमाधारक बिहार के एजेण्ट और सेल्समैन की सहायता से उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में आकर विपक्षी बीमा कम्पनी की शाखा से बीमा लेता है और पहली किश्त जमा करने के बाद ही उसका 6 माह के भीतर ही निधन हो जाता है। इन परिस्थितियों में गम्भीर रूप से यह सम्भावना उत्पन्न होती है कि बीमा के प्रस्ताव में मिथ्या प्रवंचन किया गया हो। महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि बीमाधारक के बीमा प्रस्ताव में व्यवसाय से आय मु0 1,80,000/- और कृषि से आय मु0 1,30,000/- दर्शाया गया है इस प्रकार उसका कुल वार्षिक आय मु0 3,10,000/- दर्शाया गया है। जबकि उसने प्रस्ताव में कुल मु0 40,00000/-की बीमा पालिसी प्राप्त करने का प्रस्ताव किया था इतनी छोटी इनकम का व्यक्ति मु0 40,00000/-का बीमा प्रस्ताव दिया और बीमा कम्पनी ने मु0 20,0000/- का प्रस्ताव स्वीकार किया तथा पहली किश्त के बाद ही बीमाधारक 6 माह के अन्दर मर गया, इससे प्रस्ताव की सत्यता पर गम्भीर संदेह उत्पन्न होता है।
9- इस प्रकरण में महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि बीमाधारक उमाशंकर सिंह के बीमार होने का कोई चिकित्सीय प्रमाण नहीं है। बीमाधारक की मृत्यु कैसे तथा कब हुई इस बारे में कोई चिकित्सीय प्रमाण पत्र न होना भी परिवाद के कथन की सत्यता पर संदेह उत्पन्न करता है। बिहार से उसका शव वाराणसी के मर्णिकर्णिका घाट में लाकर दाह संस्कार किये जाने का कथन है। मर्णिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार किये जाने के बारे में कोई विश्वसनीय साक्ष्य नहीं दिया गया है। ध्यान देने योग्य तथ्य यह भी है कि मु0 4000000/- के बीमा हेतु आवेदन करने वाला व्यक्ति शादी-शुदा रहा है अथवा नहीं, उसकी पत्नी अथवा पुत्र या पुत्री है या नहीं,इस बिन्दु पर परिवाद में कोई कथन नहीं है। परिवादी गौरीशंकर सिंह ने अपने को बीमाधारक का भाई बताया है । यदि बीमाधारक की पत्नी अथवा कोई औलाद नही है तो इतनी बड़ी धनराशि का बीमा लेने का उसका कोई औचित्य दर्शाया नहीं गया है।
10- उक्त संदेहजनक परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि बीमा दावा की जांच करते समय विपक्षी बीमा कम्पनी के अधिकारियों की एक टीम बनाकर सम्यक अन्वेषण किया जाय कि बीमाधारक द्वारा जिस तिथि को बीमा लिया गया है उस तिथि को वह जीवित था अवथा नहीं। कही ऐसा तो नही कि उपरोक्त एजेण्ट व सेल्स मैनेजर के साथ सांठ-गांठ व साजिश करके पहले से मरे हुए किसी व्यक्ति का फोटो आदि लगाकर तथा उसका फर्जी हस्ताक्षर आदि करके मृतक व्यक्ति को जीवित दर्शाते हुए उसकी मृत्यु के बाद बीमा दावा प्राप्त करने की गरज से बीमा लिया गया हो। बीमाधारक की हैसियत तथा उसके उत्तराधिकारियों और बीमा लेने के औचित्य की जांच भी गहनता से जरूरी है। तद्नुसार बीमा दावा के संदर्भ में
7
उपरोक्त एवं अन्य आवश्यक बिन्दुओं पर सम्यक जांच करते हुए परिवादी का दोनों बीमा पालिसी के अन्र्तगत प्रस्तुत दावा का निस्तारण शीघ्रता से किये जाने का निर्देश विपक्षी बीमा कम्पनी को दिया जाना आवश्यक है। परिवादी को भी निर्देश दिया जाना आवश्यक है कि अन्वेषण के संदर्भ में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा जो भी अभिलेख मांगे जाय उसको वह त्वरित ढंग से विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि बीमा कम्पनी निर्धारित अवधि में उसके बीमा दावा का निस्तारण कर सके।
आदेश
प्रस्तुत दोनों परिवाद, परिवाद संख्या 15/2014गौरीशंकर सिंह बनाम रिलायंस लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 एवं परिवाद संख्या 16/2014 गौरीशंकर सिंह बनाम रिलायंस लाईफ इश्योरेंस कम्पनी लि0 अपरिपक्व होने की वजह से खारिज किये जाते हैं। विपक्षी बीमा कम्पनी को निर्देश दिया जाता है कि वह इस निर्णय के पैरा 8,9 व 10 में दर्शाये गये उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर गहनता से जांच कराते हुए परिवादी द्वारा दोनों बीमा पालिसियों के अन्र्तगत प्रस्तुत दावों का निस्तारण इस निर्णय की तिथि से यथा सम्भव 3 माह के अन्दर करें। परिवादी को भी निर्देश दिया जाता है कि अन्वेषण के संदर्भ में बीमा कम्पनी के द्वारा जो भी अभिलेख मांगे जाय उन्हें अन्वेषणकर्ता टीम को तुरन्त उपलब्ध कराये। इस निर्णय की मूल प्रति परिवाद संख्या 15/2014 की पत्रावली में तथा इसकी सत्यापित फोटोप्रति परिवाद संख्या 16/2014 की पत्रावली में रखा जाय।
(मारकण्डेय सिंह) (मुन्नी देबी मौर्या) (जगदीश्वर सिंह)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांक 16-3-2015