जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 164/2014
श्रीमती लीला धर्मपत्नी श्री सुगनचन्द तिवाडी, निवासी-नागौर, वास्ते- शाखा प्रबन्धक, नागौर अरबन को-आॅपरेटिव बैंक लि. शाखा सुगनसिंह सर्किल, रेल्वे स्टेशन एरिया, नागौर (राज.)। -परिवादी
बनाम
1. मुख्य प्रबंधक, रिलायंस लाईफ इंश्योरेंस लि., रजि. कार्यालय, एच- ब्लाॅक, प्रथम फ्लोर, धीरूबाई अंबानी, नाॅलेज सिटी, नवी मुम्बई, महाराष्ट्र।
2. रिलायंस लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि., मेकर टाॅवर सैकण्ड फ्लोर, नित्यानन्द नगर क्विस रोड, वैशाली नगर, जयपुर।
3. रिलायंस लाईफ इंश्योरंेस कम्पनी लि., शाखा कार्यालय, बीकानेर, राजस्थान।
4. रिलायंस लाईफ इंश्योरेंस कम्पनी लि., फाईनेंस डिपार्टमेंट, 10 फ्लोर, बिल्डिंग नम्बर 2, आर-टेक पार्क, निरलोन कम्पाउण्ड, नेक्सट टू हब माल, बिहाईन्ड 1-फ्लेक्स बिल्डिंग, गौरेगांव (ईस्ट), मुम्बई-400063
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।
2. श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विमलेश प्रकाश जोशी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. श्री अशोक पण्डित, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे श दिनांक 12.05.2015
1. परिवाद पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि अप्रार्थीगण ने परिवादिनी को विवादित चैक एचडीएफसी बैंक का लिखा हुआ जारी किया परन्तु चैक का भुगतान नहीं हुआ। जिसकी सूचना परिवादिया ने अप्रार्थीगण को दी। अप्रार्थीगण की त्रुटिपूर्ण कार्यवाही एवं अनियमितता के सम्बन्ध में पुनः रजिस्टर्ड पत्र से सूचित किया फिर भी चैक दुरूस्त कर नहीं लौटाया। जिससे परिवादिया को समय पर भुगतान नहीं होने के कारण आर्थिक नुकसान हुआ। मजबूरीवश मंच में परिवाद प्रस्तुत करना पडा। अतः परिवादिया को सही बैंक का चैक जारी करने का आदेश दिया जावे एवं क्षतिपूर्ति राशि 11000/- रूपये एवं परिवाद-व्यय 10000/- रूपये भी दिलाये जाये।
2. अप्रार्थीगण का मुख्य रूप से कहना है कि अप्रार्थी ने बीमित द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरण के आधार पर ही चैक बनाकर भेजा था। कोई लिपिकीय त्रुटि रह गई, जो कि सुधार योग्य है। जानबुझकर नहीं किया गया। कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं होता है। अतः परिवाद खारिज किया जावे।
3. बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं मनन किया गया। बहस के दौरान यह बात सामने आई कि अप्रार्थीगण ने प्रार्थी को विवादित चैक भुगतान हेतु एचडीएफसी बैंक के नाम भेज दिया जबकि नागौर अरबन को-आॅपरेटिव बैंक लिमिटेड के नाम विवादित चैक भेजना चाहिए था चूंकि चैक राशि का भुगतान हो चुका है।
4. हमारी राय में अप्रार्थीगण का उक्त कृत्य सेवा में कमी की तारीफ में आता है। अप्रार्थीगण ने विवादित चैक परिवादिनी को मंच में वाद प्रस्तुत होने के पश्चात् संशोधित कर भुगतान के लिए दिया है। अनावश्यक रूप से परिवादी को अप्रार्थीगण के कारण परिवाद प्रस्तुत करना पडा है। अतः हम अप्रार्थीगण से परिवादिनी को परिवाद-व्यय एवं मानसिक क्षतिपूर्ति दिलाना उचित समझते हैं।
आदेश
5. आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण, परिवादिनी को परिवाद-व्यय एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में 3000 रूपये अदा करें। अप्रार्थीगण, परिवादिनी को तीन माह की अवधि का 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याजदर की दर से ब्याज भी अदा करें।
आदेश आज दिनांक 12.05.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में
सुनाया गया।
।बलवीर खुडखुडिया। ।बृजलाल मीणा। ।श्रीमति राजलक्ष्मी आचार्य।
सदस्य अध्यक्ष सदस्या