जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 1145/2009
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-13.11.2009
परिवाद के निर्णय की तारीख:-19.11.2024
Mr. Neeraj Mishra S/o Shri Harish Nayayan R/o-615/452, Gayatri Nagar, P.S-Madiyaon, Baubasta Khurd Lucknow.
.............Complainant.
Versus
1. Managing Director Reliance General Insurance Lucknow 570, Naigaum Cross Road, Next to Royal Industrial Estate, Wadala (W) Mumbai-400031.
2. Reliance Motors 6-C-1, Reliance Tower, Opp. HAL. Faizabad Road, Indira Nagar, Lucknow. ...............Opposite Parties.
परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-श्री डी0एन0 शाहा।
विपक्षी संख्या 01 के अधिवक्ता का नाम:-श्री दिनेश कुमार।
विपक्षी संख्या 02 के अधिवक्ता का नाम:-कोई नहीं।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-12 के अंतर्गत योजित किया गया है। परिवादी ने पिक्षी से कार के मूल्य अन्य व्यय को सम्मिलित करते हुए 4,33,600.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक अदा करने की मॉंग के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने एक कार क्रय की जिसका रजि0 नम्बर यू0पी0 32 एल.आर. 7940 मॉडल 2009 था। उक्त वाहन टाटा मोटर्स से फाइनेन्स करवाया गया , जिसके लिये परिवादी को 2,45,000.00 रूपये का लोन स्वीकृत किया गया जिसे प्रति माह 8,628.00 रूपये की 36 किश्तों में भुगतान करना था। वाहन का बीमा रिलायंस जनरल इश्योरेंस कम्पनी द्वारा 9640.00 रूपये नकद लेकर दिनॉंक 10.02.2009 से 09.02.2010 तक के लिये बीमित किया गया।
3. परिवादी का कथानक है कि दिनॉंक 18.06.2009 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी द्वारा वाहन को टाटा मोटर्स के अधिकृत सर्विस सेन्टर रिलायंस मोटर सर्विस पर मरम्मत के लिये पहुँचाया गया। इंश्योरेंस कम्पनी को परिवादी द्वारा क्लेम निर्धारित समय से दे दिया गया कि उसका लॉस का मूल्यांकन करते हुए सर्विस सेंटर को उपलब्ध कराऍं परन्तु उनके द्वारा परिवाद दाखिल किए जाने तक क्लेम सेटलमेंट के संबंध में कोई उत्तर नहीं दिया गया। परिवादी दिनॉंक 23.06.2009 के रिलायंस सर्विस सेंटर गया और जानकारी प्राप्त की कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन की मरम्मत हुई या नहीं। उसने बताया कि विपक्षी संख्या 02 के द्वारा की गयी मॉंग के अनुसार उसने ऑन लाइन 10,000.00 रूपये का भुगतान भी रिलायंस सर्विस सेंटर को कर दिया था। परंतु गाड़ी की मरम्मत नही की गयी। गाड़ी आज भी सिर्वस सेंटर पर खड़ी है।
4 परिवादी ने यह भी बताया कि इंश्योरेंस करते समय कम्पनी ने बताया था कि कैशलेस सुविधा परिवादी को दी जा रही है। यदि वाहन दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसकी मरम्मत पर पूरा खर्च कम्पनी सर्वेयर के मूल्यांकन के आधार पर करेगी। परिवादी का कथन है कि वह एयर कडीश्निंग का सर्विस इंजीनियर है जिसे अपने कार्य के सिलसिले में यहॉं-वहॉं जाना पड़ता है। वाहन की मरम्मत न होने से उसे अत्यंत कठिनाई व आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। उसे किराए की सवारी करनी पड़ रही है जिसका व्यय ज्यादा आता है।
5. इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम स्वीकृत नहीं किया गया, जिसके कारण दिनॉंक 12.08.2009 को परिवादी द्वारा एक विधिक नोटिस रजिस्टर्ड डाक से नम्बर- ई.यू. 492984335 द्वारा विपक्षी को भेजा गया, परन्तु उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इंश्योरेंस कम्पनी ने परिवादी से 3,600.00 रूपये गाड़ी को वर्कशाप तक लाने के लिये अलग से चार्ज किया गया था जबकि यह कार्य इंश्योरेंस कम्पनी का है।
6. परिवादी द्वारा वाहन के क्रय से लेकर अब तक जो व्यय किया गया है उसकी मॉंग विपक्षी से की गयी है। वाहन का मूल्य 3,60,000.00 रूपये +10,000.00 रूपये रिलायंस मोटर्स सर्विस+3,600.00 रूपये लेबर चार्जेज+ 50,000.00 मानसिक उत्पीड़न के लिये तथा 10,000.00 रूपये मॉंग की पूर्ति के लिये की गयी है। अर्थात 3,60,000+10,000+3600+50,000+10,000=4,33,600.00 पर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ तथा कॉस्ट ऑफ सूट भी दिए जाने का अनुरोध किया गया है।
7. वाद की कार्यवाही विपक्षी संख्या 02 के विरूद्ध एकपक्षीय चल रही है।
8. विपक्षी संख्या 01 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि उसने वाहन का इंश्योरेंस किया था जिसकी पॉंलिसी संख्या 1901782311010844 थी। वाहन का इंजन नम्बर पी 04548 तथा चेसिस नम्बर पी0ओ0 6508 था, जिसका बीमा दिनॉंक 10.02.2009 से 09.02.2010 तक के लिये किया गया था। परिवादी द्वारा जो तथ्य कहे गये हैं वह असत्य व भ्रामक हैं। विपक्षी ने बताया कि उसे जैसे ही वाहन का दावा मिला उसने सर्वेयर की नियुक्ति की जिसने अपनी रिपोर्ट में वाहन के वास्तविक मरम्मत में वास्तविक व्यय का विवरण दिया। मरम्मत में कुल 1,01,399.53 रूपये लेबर चार्ज सम्मिलित करते हुए खर्च बताया गया। परिवादी ने इंश्योरेंस कम्पनी को सहयोग नहीं किया। सर्वेयर के स्टीमेंट के अनुसार गाड़ी की मरम्मत में जो पैसा लगता था उसे परिवादी ने नहीं दिया जिसकी वजह से अंत में उसने उसके दावे को नो क्लेम कर दिया गया। परिवादी को क्रमश: दिनॉंक 05.02.2010, 10.02.2010 व 20.02.2010 को वाहन मरम्मत के बावत पत्र भेजे गए परन्तु उसने कोई जवाब नहीं दिया। परिवादी का प्रकरण खारिज होने योग्य है। विपक्षी संख्या 01 द्वारा परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
9. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में आवश्यक अभिलेख तथा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आदि शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल किये गये हैं। विपक्षी संख्या 01 द्वारा भी अपने अभिकथन के समर्थन में शपथ पत्र के साथ आवश्यक अभिलेख दाखिल किये गये हैं।
10. मा0 आयोग द्वारा परिवादी व विपक्षी संख्या 01 के तर्को को सुना गया तथा जवाब दावा व शपथ पत्र के साथ प्रस्तुत साक्ष्य व अभिलेखों तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
11. परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी से एक वाहन दिनॉंक 01 फरवरी, 2009 को क्रय किया जिसका रजि0 नम्बर यू0पी0 32 एल.आर. 7940 मॉडल 2009 था। उक्त वाहन टाटा मोटर्स से फाइनेन्स कराया जिसके लिये परिवादी को 2,45,000.00 रूपये का लोन स्वीकृत हुआ जिसकी ई0एम0आई0 प्रतिमाह 8,627.00 रूपये की 36 किश्तों में भुगतान करना तय हुआ। वाहन का बीमा रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कम्पनी से 9,640.00 रूपये नकद देकर दिनॉंक 10.02.2009 से 09.02.2010 तक के लिये किया गया था।
12. परिवादी के कथनानुसार दिनॉंक 01.08.2009 को वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। परिवादी द्वारा क्षतिग्रस्त वाहन को टाटा मोटर्स के अधिकृत सर्विस सेंटर रिलायंस मोटर सर्विस सेंटर पहुँचाया गया। गाड़ी पहुचानें में 3,600.00 रूपये भाड़ा उसने स्वयं दिया था, तथा इंश्योरेंस कम्पनी को वाहन का दावा समय से दे दिया गया था ताकि वह लॉस का मूल्यांकन कर स्टीमेट सर्विस सेंटर को उपलब्ध करा दें, परन्तु उनके द्वारा परिवाद दाखिल करने की तिथि तक कोई उत्तर नहीं दिया गया। परिवादी दिनॉंक 23.06.2009 को सर्विस सेन्टर पर गया, जानकारी हासिल की तो पता चला कि वाहन की मरम्मत नहीं हुई है। परिवादी ने विपक्षी संख्या 02 की मॉंग के आधार पर परिवादी ने ऑन लाइन 10,000.00 रूपये का भुतान भी रिलायंस सर्विस सेन्टर को कर दिया, परन्तु गाड़ी की मरम्मत आज तक नही की गयी।
13. परिवादी का कथन है कि वह ए0सी0 सर्विस का कार्य करता है जिसके सिलसिले में उसे यहॉं-वहॉं जाना पड़ता है। अपनी कार न होने के कारण उसे किराए की कार से सफर करना पड़ रहा है जिससे अतिरिक्त व्यय भार पड़ रहा है। अभी तक इन्श्योरेंस कम्पनी द्वारा परिवादी का क्लेम स्वीकृत नहीं किया गया है। अंत में हार कर उसने रजिस्टर डाक से एक विधिक नोटिस भी विपक्षी को भेजा, परन्तु विपक्षी ने कोई कार्यवाही नहीं की। विपक्षी ने परिवादी का वाहन न बनवा कर सेवा में कमी की है। अत: उसे अनुतोष/क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का पूरा हक है।
14. विपक्षी का कथानक है कि परिवादी का दावा मिलने के बाद उसने तत्काल सर्वेयर नियुक्त कर दिया। सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट भी दे दी, जिसके अनुसार वाहन के मरम्मत में कुल 1,01,366.55 रूपये का खर्च संभावित था जिसे परिवादी ने जमा नहीं किया। परिवादी को विपक्षी ने दिनांक 05.02.2010, 10.02.2010 तथा दिनॉंक 20.02.2010 को वाहन मरम्मत के बावत पत्र भेजे जिसका परिवादी ने कोई संज्ञान नहीं लिया है। पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों से यह स्पष्ट है कि विपक्षी ने वाहन मरम्मत के लिये सर्वेयर द्वारा दिए गए स्टीमेट को परिवादी को तीन पत्रों द्वारा भेजा गया, परन्तु परिवादी ने उसका संज्ञान नहीं लिया, क्योकि परिवादी के द्वारा उन पत्रो का कोई जवाब प्रेषित नहीं किया है। यद्यपि वाहन दुर्घटना की तिथि को इन्श्येरेंस से आच्छादित (कवर) था। परिवादी द्वारा विपक्षी को सहयोग न देने के कारण दावे को नो क्लेम कर दिया गया।
15. परिवादी का कथन है कि उसे विपक्षी का कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। परिवादी ने इंश्योरेंस कम्पनी को दावा समय से प्रेषित किया था, परन्तु उसके द्वारा भेजे गए क्लेम को जानबूझकर नो क्लेम कर दिया गया। विपक्षीगण ने इंश्योरेंस की सेवा शर्तों के अनुसार वाहन की मरम्मत नहीं करायी गयी जो सेवा में कमी को परिलक्षित करता है।
16. प्रश्नगत प्रकरण संपूर्ण लॉस का नहीं है। सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर विपक्षीगण को वाहन की मरम्मत स्टीमेट के आधार पर समय से कराना चाहिए था। चूंकि वाहन वारंटी के अंदर तो था ही साथ ही इंश्योरेंस से कवर था। इंश्योरेंस पालिसी में वाहन का आई.डी.वी.-3,42,679.25 रूपये अंकित है। सर्वेयर रिपोर्ट दिनॉंक 25.06.2009 की है। वाहन का सर्वे होने के बाद विपक्षीगण द्वारा परिवादी का वाहन का क्लेम स्वीकृत करते हुए वाहन की मरम्मत कराना चाहिए था। निश्चित ही सेवा में कमी की गयी है। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है, यह स्वीकृत तथ्य है।
17. परिवादी द्वारा रिवीजन पिटीशन 708/2014 बाबू पॉल बनाम नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमि0 मा0 राष्ट्रीय आयोग का संदर्भ दाखिल किया गया है जिसमें मा0 राज्य उपभोक्ता आयोग केरल द्वारा अपील संख्या 388/2012 में दिनॉंक 30.11.2013 को दिए गए निर्णय के विरूद्ध दिनॉंक 24.01.2017 को निम्न आदेश पारित किया गया है-Consumer Protection Act, 1986 Sections 2 (1) (g), 14 (1) (d), 21 (b)- Insurance Accident of vehicle- Insurer intimated surveyor appointed Expert report Repairing of vehicle in unauthorized service station-Validity of bills-Claim repudiated-Deficiency in service-District Forum partly allowed complaint- State Commission dismissed appeal Hence revision-As per reports of joint inspection, a few parts of vehicle were replaced with spurious parts and price of parts quoted in bill was not in tune with authorized dealer’s price list-Surveyor carried out assessment on cash loss basis and found admissible claim amount to be Rs. 1,89,877.00 District Forum and State Commission rightly relied upon reports of surveyors-Complainant was entitled to get compensation of Rs. 1,89,877.00 only-No error in impugned order.
18. परिवादी द्वारा वाहन का क्रय मूल्य के साथ अन्य हुए व्यय तथा मानसिक उत्पीड़न व क्षतिपूर्ति के लिये कुल 4,33,600.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ-साथ वाद व्यय की मॉंग की गयी है। उपर्युक्त विवेचन से यह तो स्पष्ट है कि सर्वेयर रिपोर्ट के अनुसार वाहन का टोटल लॉस नहीं था, जो भी लॉस था वह मरम्मत योग्य था। इसलिए वाहन की निर्धारित आई0डी0वी0 अथवा पूरा मूल्य दिलाये जाने का आधार नहीं बनता है। वाहन इंश्योर्ड था तथा वारन्टी पीरियड में था इसलिए सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर वाहन की मरम्मत में आने वाले व्ययभार 1,01,366.55 रूपये की धनराशि मय 09 प्रतिशत ब्याज के विपक्षी द्वारा दिये जाने का औचित्य प्रतीत होता है। अत: परिवादी का परिवाद इस सीमा तक स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है, विपक्षी संख्या 02 को निर्देशित किया जाता है कि वह सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार वाहन की मरम्मत के लिये अनुमानित धनराशि मुबलिग 1,01,366.55 (एक लाख एक हजार तीन सौ छियासठ रूपया पचपन पैसे मात्र) मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वाद दायर करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा करेंगें। परिवादी को हुए मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न तथा वाद व्यय के लिये मुबलिग 25,000.00 (पच्चीस हजार रूपया मात्र) एवं वाहन की मरम्मत की मद में अग्रिम परिवादी की जमा धनराशि मुबलिग 10,000.00 (दस हजार रूपया मात्र) तथा वाहन वर्कशॉप तक लाने के लिये दी गयी धनराशि मुबलिग 3,600.00 (तीन हजार छह सौ रूपया मात्र) भी मय 09 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करेंगे। उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। यदि आदेश का अनुपालन निर्धारित अवधि में नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
दिनॉंक:-19.11.2024 लखनऊ।