View 16844 Cases Against Reliance
VIMAL KUMAR filed a consumer case on 24 May 2022 against RELIANCE INDIA INSURANCE CO.LTD. in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/200/2015 and the judgment uploaded on 14 Jun 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 200 सन् 2015
प्रस्तुति दिनांक 26.11.2015
निर्णय दिनांक 24.05.2022
विमल कुमार उम्र तखo 47 वर्ष पुत्र अच्छेलाल विश्वकर्मा मोo व पोस्ट- मेंहनगर, थाना- मेंहनगर, तहसील- मेंहनगर, जिला- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसने विपक्षी संख्या 01 के यहाँ से दिनांक 31.12.2011 को एक मेडिकेयर बीमा कराया और वह उसकी निर्धारित किश्तों का नियमित भुगतान करता रहा। परिवादी को किश्त 31.12.2014 को जमा करनी थी, परिवादी विपक्षी संख्या 01 के यहाँ किस्त जमा करने गया तो ऑफिस में बैठे सी.ई. के द्वारा कहा गया कि सिस्टम में कुछ प्रॉब्लम है फिर कई बार प्रयास करने पर ऑफिस द्वारा बताया गया कि एडवाइजर के माध्यम से फॉर्म भरकर जमा कर दें। इसके बाद परिवादी फॉर्म भर कर सेल्स मैनेजर संजय कुमार शर्मा को मय धनराशि मुo 8700/- रुपया नकद दिया, जिसको उन्होंने दिनांक 30.01.2015 को जमा किया जिसका पॉलिसी नं. 52038242 है जिसकी बीमा धनराशि मुo 230/- रुपए है। परिवादी सेल्स मैनेजर संजय कुमार शर्मा को उपरोक्त रिन्युअल धनराशि व फॉर्म देने के पश्चात् इसी बीच परिवादी की अचानक तबियत खराब हो गयी और परिवादी इलाज हेतु पी.जी.आई. लखनऊ दिनांक 27.01.2015 से 13.02.2015 तक भर्ती रहा और जाँच के दौरान पता चला कि परिवादी को डाइविटीज व हर्ट की प्रॉब्लम है और परिवादी की इन्ज्योग्राफी हुई जिसमें हार्ट क्लाकेज होने की वजह से डॉक्टर की सलाह पर परिवादी के हार्ट का ऑपरेशन हुआ। प्रथम बार में ऑपरेशन का खर्च मुo 2,20,562/- रुपया हुआ तथा दुबारा इलाज में 17,461/- रुपया खर्च हुआ। कुल परिवादी के इलाज में मुo 2,38,113/- रुपए खर्च हुआ। विपक्षी के यहाँ से शुरू में ही जब परिवादी ने मेडिकेयर की पॉलिसी लिया तो पॉलिसी के पूर्व या पश्चात् परिवादी को किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं थी न ही कोई हार्ट प्रॉब्लम थी और न ही परिवादी को डायविटीज रोग ही था। जिसका विपक्षी द्वारा पॉलिसी करते समय परिवादी का फिटनेस जाँच किया गया था। दिनांक 29.1.2015 को एकाएक परिवादी की तबियत खराब होने एवं पी.जी.आई. लखनऊ में भर्ती होने के पश्चात् डायविटीज एवं हार्ट की बीमारी की जानकारी परिवादी को हुई। इलाज के बाद परिवादी अपनी पॉलिसी संख्या 52038242 के बाबत मेडिकेयर क्लेम हेतु निर्धारित फार्म भरकर दवा इलाज से सम्बन्धित सभी बिल बाउचर पॉलिसी की छायाप्रति हेल्थ कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड आदि लगाकर वांछित मुo 2,38,113/- रुपए के बाबत विपक्षी संख्या 01 के यहाँ जमा किया। जिसका क्लेम नं. आई- 1204154875 है। विपक्षी संख्या 02 द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 04.05.2015 के माध्यम से यह कहा गया कि परिवादी को कोई क्लेम पॉलिसी लेने के 10 वर्ष पूर्व ही डायविटीज था, जिसे परिवादी ने मेडिकेयर पॉलिसी लेते समय छिपाया था। लेहाजा विपक्षीगण ने मेडिकेयर पॉलिसी के तहत धनराशि देने से इन्कार कर दिया और परिवादी के इलाज हेतु एडमिशन डेट 27.01.2015 की जगह 05.02.2015 गलत तौर पर दर्शित किया गया है। पुनः परिवादी ने मेडिक्लेम की धनराशि हेतु विपक्षी संख्या 01 को दिनांकित 12.06.2015 को प्रार्थना पत्र दिया जिस पर पुनः पूर्व की तरह ही पॉलिसी लेने के 10 वर्ष पूर्व से ही डायविटीज का रोगी बताकर मेडिक्लेम देने से इन्कार कर दिया। इसके बाद पुनः परिवादी ने आशा एवं उम्मीद के साथ मेडिकेयर भुगतान हेतु एक और प्रार्थना पत्र दिया लेकिन विपक्षीगण भुगतान करने से इन्कार कर दिए। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह मेडिकेयर पॉलिसी के तहत मुo 2,30,000 रुपया व परिवादी के मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 50,000/- रुपया कुल 2,80,000/- रुपया मय 12% वार्षिक ब्याज के परिवादी को अदा करे।
परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 7/1ता7/4 परिवादी द्वारा शाखा प्रबन्धक रिलायन्स लाइफ इन्श्योरेन्स को भेजे गए प्रार्थना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 7/5व6 मेडिकेयर टी.पी.ए. सर्विसेज द्वारा भेजे गए क्लेम रेप्यूडिएशन लेटर की छायाप्रति, कागज संख्या 20/1ता20/12 पॉलिसी की मूलप्रति, कागज संख्या 20/13ता20/16 क्लेम सर्टिफिकेट की छायाप्रति तथा कागज संख्या 20/17ता20/24 एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 15क² विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि प्रस्तुत परिवाद न्याय एवं वास्तविकता के विरुद्ध है तथा आधारहीन एवं अतर्कसंगत तथ्यों पर दाखिल किया गया है, इस कारण निरस्त होने योग्य है। मामले की वास्तविकता यह है कि परिवादी द्वारा एक मेडिक्लेम पॉलिसी संख्या 52038242 ‘रिलायन्स केयर फॉर यू एडवान्टेज प्लान’ दिनांक 31.12.2011 को विपक्षी संख्या 01 से लिया गया, जो कि परिवादी की धारा-1 में परिवादी ने स्वयं स्वीकृत किया है। परिवादी का मेडिकल क्लेम पॉलिसी के नियम एवं शर्तों के अनुसार निरस्त किया गया है। उक्त मेडिकल क्लेम पॉलिसी की नियम एवं शर्त संविदा विधि के अनुसार परिवादी तथा विपक्षीगण पर बाध्यकारी है। परिवादी /पॉलिसी धारक द्वारा बीमा कम्पनी/विपक्षी से अनुचित, अविधिक लभ लेने के लिए अपने स्वास्थ्य के बारे में यह तथ्य जानबूझकर छिपाया गया कि ‘वह पिछले 10 वर्षों से डियविटीज मिलिटस रोग से ग्रसित है।’ इस प्रकार परिवादी द्वारा विपक्षीगण से पॉलिसी लेते समय फ्रॉड किया गया है। परिवादी द्वारा अपने मेडिकल क्लेम के साथ संजय गाँधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ का जो प्रपत्र दाखिल किया गया है उसके डिस्चार्ज समरी में इस तथ्य का स्पष्ट उल्लेख है कि “Patient was diagnosed to have DM 10 year back when patient had osmotic symptoms. Initially controlled with MNT for 4 years. Later started with OHA metformin and glimiperide for 2-3 yrs with fair control. Later dose was escalated and Vildagliptin was added. But sugars FBS-200 and PP 250-300 mg/dl for past 6 month.” परिवादी के चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा परिवादी के सम्बन्ध में किए गए उक्त स्पष्टीकरण से परिलक्षित है कि परिवादी को इस तथ्य की जानकारी एवं समझ थी कि वह 10 वर्षों से डायविटीज रोग ग्रसित था और वह उसकी दवाएं भी ले रहा था। परिवादी ने बीमा कम्पनी/विपक्षीगण से जानबूझकर अनुचित लाभ लेने के लिए उक्त बीमा पॉलिसी तथ्यों को छिपाकर व कपट करके विपक्षीगण से ली थी। इस आधार पर परिवाद निरस्त होने योग्य है। अतः निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी के परिवाद के विरुद्ध कोई भी दस्तावेजी साक्ष्य अथवा प्रमाणित प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। इसके अलावां यहाँ यह भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि विपक्षी 02 के विरुद्ध उनके जवाबदावा आदि प्रस्तुत न करने के कारण दिनांक 01.09.2017 को ही एक पक्षीय अग्रसारित की जा चुकी है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर परिवादी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित होकर अपना बहस सुनाया, जबकि विपक्षी को पर्याप्त अवसर दिए जाने के बावजूद भी वे अपना बहस सुनाने में असफल रहे। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी ने अपने जवाबदावा के समर्थन में कोई दस्तावेजी साक्ष्य अथवा प्रमाणित प्रलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है, जिससे उसके मेडिकेयर क्लेम के इन्कार का कारण स्पष्ट हो सके। जबकि परिवादी द्वारा प्रस्तुत मूल प्रमाण पत्र एवं अन्य साक्ष्यों से यह प्रमाणित होता है कि विपक्षी ने जानबूझकर मनमाने तौर पर मेडिकेयर क्लेम से इन्कार किया है, जो कि गम्भीर रूप से उसकी सेवा में कमी को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से परिवाद परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरुद्ध स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद, परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरुद्ध स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को यह आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को मेडिकेयर पॉलिसी के तहत मुo 2,30,000/- रुपए (रु.दो लाख तीस हजार मात्र) अन्दर 30 दिन परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करे। साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 20,000/- रुपए (रु. बीस हजार मात्र) तथा वाद खर्च के रूप में मुo 10,000/- रुपए (रु. दस हजार मात्र) भी अदा करे।
उक्त समय मियाद में आदेश का अनुपालन विपक्षीगण द्वारा न करने की स्थिति में विपक्षीगण उपरोक्त समस्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 12% वार्षिक ब्याज के साथ परिवादी को अदा करेंगे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 24.05.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.