Uttar Pradesh

Faizabad

CC/147/2011

VIJAY BHADUR - Complainant(s)

Versus

RELIANCE GENERAL INSURANCE - Opp.Party(s)

05 May 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/147/2011
 
1. VIJAY BHADUR
gonda
...........Complainant(s)
Versus
1. RELIANCE GENERAL INSURANCE
DEVKALI ROAD FAIZABAD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-147/2011

               
विजय बहादुर पुत्र तुलसी राम निवासी ग्राम कहोबा परगना तहसील मनकापुर जिला गोण्डा।
                                                            .............. परिवादी
बनाम
सक्षम अधिकारी रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा षाखा प्रबन्धक रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेन्स कं. लि. प्रथम तल संजय भवन मनूचा भवन के सामने देवकाली रोड फैजाबाद।                                                     .............. प्रतिपक्षी 
निर्णय दिनाॅंक 28.05.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी वाहन संख्या यू पी 32 सी के / 1724 स्कार्पियो का पंजीकृत स्वामी है। परिवादी ने अपने उक्त वाहन का बीमा पालिसी संख्या 1912792311001941 विपक्षी से कराया था जो दिनांक 24.04.2009 से 23-04-2010 तक वैध था। दिनांक 16.02.2010 को फैजाबाद अम्बेडकर नगर राजकीय राजमार्ग ग्राम बरई पारा जिला फैजाबाद के पास प्रष्नगत वाहन पष्चिम से पूरब की ओर जा रहा था कि पूरब दिषा से आ रहे रोलर का चक्का निकल कर वाहन से अचानक टकरा गया। जिससे प्रष्नगत वाहन मौके पर ही पलट गया और बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। वाहन में मौजूद करम राज मौर्य, राम सकल, कुसुम आदि लोग बुरी तरह से जख्मी हो गये जिन्हें जिला चिकित्सालय फैजाबाद में भर्ती कराया गया। परिवादी ने उक्त घटना की सूचना थाना महाराजगंज व बीमा कम्पनी को दी। विपक्षी ने जांच कार्यवाही प्रारम्भ की और घटना को सही पाने के बाद भी गलत रिपोर्ट लगा दी और उसकी कोई सूचना परिवादी को नहीं दी। परिवादी ने क्लेम संख्या 2101043759 द्वारा विपक्षी से रुपये 4,50,000/- मांगा जो परिवादी ने वाहन की मरम्मत में खर्च किया था। जिसका बिल भी परिवादी के पास मौजूद है, जिसका भुगतान विपक्षी ने नहीं किया और मनमाने तौर पर परिवादी का बीमा दावा निरस्त कर दिया। परिवादी को विपक्षी विभाग के चक्कर लगाने से आर्थिक, मानसिक व षारीरिक कश्ट उठाना पड़ा। परिवादी ने विपक्षी को अपने अधिवक्ता के द्वारा दिनांक 30.05.2011 को एक विधिक नोटिस दिया, जिसका विपक्षी ने कोई उत्तर नहीं दिया। परिवादी को विपक्षी से वाहन की मरम्मत में व्यय रुपये 4,50,000/-, 18 प्रतिषत ब्याज, क्षतिपूर्ति रुपये 40,000/- तथा परिवाद व्यय दिलाया जाय। 
    विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है तथा अपने विषेश कथन में कहा है कि परिवादी का परिवाद असत्य एवं झूठे कथनों पर आधारित है। परिवादी ने अपने प्रष्नगत वाहन को बेच दिया है इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करने का अधिकार नहीं है और न ही उसे कोई अनुतोश न्यायालय से प्राप्त हो सकता है। परिवादी ने न्यायालय के समक्ष सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किये है इससे परिवादी की दूशित मानसिकता का पता लगता है। परिवादी ने न्यायालय का मूल्यवान समय नश्ट किया है और उत्तरदाता से बेजा धन उगाहने के लिये परिवाद दाखिल किया है जो सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है। 
    परिवादी एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्तागणों की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, बीमा कवर नोट की छाया प्रति, वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति, वाहन की मरम्मत में खर्च किये गये रुपयों के विवरण सहित रिपेयर बिल की छाया प्रति, विपक्षी को दिये गये विधिक नोटिस की छाया प्रति, परिवादी का साक्ष्य में षपथ पत्र, परिवादी के पक्ष के समर्थन में अरविन्द कुमार सिंह पुत्र स्व0 विन्देष्वरी सिंह का षपथ पत्र, परिवादी द्वारा हीरा लाल पुत्र राम बरन को प्रष्नगत वाहन के बेचीनामा की छाया प्रति, वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति दिनांकित 08.03.2011 जिसमें दिनांक 18.04.2011 को एन0ओ0सी0 जारी की गयी है और उक्त आर.सी. में विजय बहादुर का नाम अंकित है और उक्त तिथि में परिवादी ने बैंक का नाम हाइपोथिकेषन में कटवाया है तथा पंजीकरण दिनांक 3 मई 2008 को हुआ है, दिनांक 17.10.2011 को प्रष्नगत वाहन की दूसरी आर.सी. जारी हुई है जिसमें हीरा लाल पुत्र राम बरन का नाम अंकित है, की छाया प्रति दाखिल की है, जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन तथा सत्यम कपूर मैनेजर लीगल का षपथ पत्र तथा सूची पर जांच रिपोर्ट दिनांक 19.09.2010 की मूल प्रति, बेचीनामा 31 दिसम्बर 2009 की छाया प्रति, विपक्षी द्वारा बीमा दावा निरस्त किये जाने की सूचना के पत्र दिनांक 30.09.2010 की छाया प्रति, चेक लिस्ट की छाया प्रति, परिवादी के कैंसिल्ड चेक की मूल प्रति परिवादी के फोटोग्राफ सहित, भारतीय स्टेट बैंक, मनकापुर गोंडा के षाखा प्रबन्धक द्वारा जारी प्रमाण पत्र दिनांक 17.08.2010 की मूल प्रति, कि परिवादी वहंा पर रिकार्ड कीपर कम कैषियर के पद पर कार्यरत है, परिवादी के पैन कार्ड की छाया प्रति, परिवादी के ड्राइविंग लाइसेंस की छाया प्रति, वाहन के रिपेयर के बिल की मूल प्रति, बीमा दावा प्रपत्र की मूल प्रति, बीमा कवर नोट की छाया प्रति, ड्राइवर के ड्राइविंग लाइसेंस की छाया प्रति, वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति दिनांकित 16 फरवरी 2010 जो वाहन में परिवर्तन कराने के लिये जारी की गयी जिसमें परिवादी का नाम अंकित है की छाया प्रति, प्रपोजल कम बीमा कवर नोट की छाया प्रति तथा ड्राइवर द्वारा प्रथम सूचना के पत्र की छाया प्रति दिनांकित 16.02.2010, दाखिल किये हैं जो षामिल पत्रावली हैै। बीमा क्लेम सेटलमेंट सम्बन्धी कागजात की छाया प्रतियां, वाहन के छाया चित्र, वाहन पंजीकरण अधिकारी का प्रमाण पत्र दिनांक 28.05.2010 की प्रति, कर्मराज मौर्य के पत्र दिनांक 20.07.2010 की मूल प्रति, कर्मराज मौर्य की वोटर कार्ड की छाया प्रति, कर्मराज मौर्य की राषन कार्ड की छाया प्रति, सुरेष कुमार के ड्राइविंग लाइसेंस की छाया प्रति, वाहन के स्वामित्व के अन्तरण की सूचना के फार्म 29 की प्रति तथा वाहन के स्वामित्व हस्तांतरण की सूचना के फार्म संख्या 30 की प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि दुर्घटना के समय प्रष्नगत वाहन परिवादी के नाम ही पंजीकृत था। जिसे ड्राइवर सुरेष कुमार यादव चला रहा था। विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से कि वाहन परिवादी ने दूसरे को बेच दिया था मान भी लिया जाये तो भी जब तक वाहन परिवादी के नाम है। परिवादी बीमा दावा पाने का हकदार है। इसलिये विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा दावा निरस्त कर के अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। परिवादी अनुतोश पाने का अधिकारी है। परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को वाहन के बीमा दावा की धनराषि रुपये 4,50,000/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षी यदि निर्धारित अवधि 30 दिन में परिवादी को भुगतान नहीं करते हैं तो 30 दिन के बाद उक्त धनराषि रुपये 4,50,000/- पर परिवादी को 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भुगतान भी तारोज वसूली की दिनांक तक करेगा। विपक्षी परिवादी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 10,000/- तथा परिवाद व्यय के मद में रुपये 3,000/- का भी भुगतान करेगा। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 28.05.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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