Uttar Pradesh

Faizabad

CC/188/2009

Saroj Kumari - Complainant(s)

Versus

RELIANCE GENERAL INSURANCE - Opp.Party(s)

05 Jan 2016

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/188/2009
 
1. Saroj Kumari
Rudauli Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. RELIANCE GENERAL INSURANCE
hazratganj lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-188/2009 

               
सरोज कुमारी पत्नी हनुमान निवासी मिल्कीपुर थाना इनायतनगर जिला फैजाबाद अस्थाई पता निवासी पुश्कर पुरम कालोनी रुदौली जिला फैजाबाद।        .............. परिवादी 
बनाम
रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेन्स कम्पनी लि0 द्वारा षाखा प्रबन्धक रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेन्स कम्पनी हजरतगंज लखनऊ।                           ............ विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 05.01.2016            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी ने वाहन संख्या यू पी 42 एल 4472 महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा फाइनेन्स लि0 से कर्ज पर लिया था और उसका बीमा विपक्षी के कार्यालय से कराया था तथा वाहन का उपयोग व्यक्तिगत कार्य के लिये किया जाता था। परिवादिनी का प्रष्नगत वाहन दिनांक 15/16.12.2007 की रात में परिवादिनी के घर से चोरी हो गया जिसकी प्रथम सूचना थाना इनायतनगर फैजाबाद में अ0सं0 66/2007 अन्र्तगत धारा 379 भा0दं0वि0 के अन्र्तगत दर्ज हुई। उक्त अपराध में अंतिम रिपोर्ट 01/08 न्यायालय में भेजी गयी जिसे प्रथम न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दिनांक 25-01-2009 को स्वीकार कर लिया। वाहन के चोरी होने की सूचना दिनांक 18-12-2007 को पंजीकृत पत्र द्वारा विपक्षी को भेजी गयी जिस पर कोई कार्यवाही न होने पर पुनः दिनांक 02.02.2008 को विपक्षी को सूचना दी जिसका क्लेम संख्या 2081222317 दर्ज हुआ मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई। दिनांक 25.05.2008 व दिनांक 07.03.2009 को पुनः क्लेम की मांग की गयी। दिनंाक 22-05-2008 को परिवादिनी ने विपक्षी को समस्त कागजात भेज दिये और परिवादिनी विपक्षी से बार बार बीमा दावा के लिये कहती रही और कोई कार्यवाही न होने पर दिनांक 20.03.2009 को एक विधिक नोटिस विपक्षी को भेजा तथा विपक्षी द्वारा बीमा दावा का भुगतान न करने पर परिवादिनी को षारीरिक व मानसिक कश्ट हुआ। इसलिये परिवादिनी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादिनी को विपक्षी से चोरी गये अपने वाहन की कीमत रुपये 4,53,000/-, क्षतिपूर्ति रुपये 40,000/-, ब्याज तथा परिवाद व्यय रुपये 7,000/- दिलाया जाय। 
    विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र दाखिल किया है तथा परिवादिनी के परिवाद के तथ्यों से इन्कार किया है तथा अपने विषेश कथन में कहा है कि परिवादिनी ने अपना परिवाद विपक्षी को अनावष्यक रुप से हैरान व परेषान करने के लिये दाखिल किया है। उत्तरदाता ने बीमा दावा का समाधान करते हुए महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा को परिवादिनी की देनदारी में रुपये 3,50,000/- का भुगतान चेक संख्या 377884 द्वारा दिनांक 19-09-2009 को कर दिया है। उत्तरदाता द्वारा क्लेम की अदायगी किये जाने के उपरान्त परिवादिनी किसी भी प्रकार की क्षतिपूर्ति उत्तरदाता से पाने की अधिकारिणी नहीं है। उत्तरदाता ने अपनी सेवा में किसी प्रकार की कमी नहीं की है। परिवादिनी ने अपना परिवाद जल्दबाजी में बिना किसी आधार के दाखिल किया है और उत्तरदाता द्वारा भुगतान कर दिये जाने के उपरान्त बल हीन हो गया है। परिवादिनी का परिवाद पोशणीय नहीं है और सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है। 
    पत्रावली का भली भांति परिषीलन किया। परिवादिनी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल साक्ष्यों व प्रपत्रों का अवलोकन किया। परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र के समर्थन में षपथ पत्र, विपक्षी को भेजे गये सूचना पत्र दिनांक अस्पश्ट की छाया प्रति, विपक्षी को भेजे गये नोटिस दिनांक 20.03.2009 की छाया प्रति, फाइनेन्स कम्पनी महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा के पत्र परिवादिनी के नाम दिनांक 06.03.2009 की छाया प्रति, बीमा कम्पनी के पत्र अदिनांकित की छाया प्रति, वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र की छाया प्रति, सूची पर वाहन के बीमा कवर नोट की छाया प्रति, फाइनेंस कम्पनी की एक रसीद रुपये 12,135/- दिनांक 19.01.2007 की छाया प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रति तथा फाइनल रिपोर्ट की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी एवं विपक्षी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादिनी ने महेन्द्रा एण्ड महेन्द्रा फाइनेन्स कम्पनी से अपना वाहन फाइनेन्स कराया था जिसकी किष्तों का भुगतान परिवादिनी ने फाइनेन्स कम्पनी को नहीं किया इसलिये फाइनेन्स कम्पनी का परिवादिनी पर बकाया होेने के कारण बीमा कम्पनी ने फाइनेन्स कम्पनी को बीमा दावा का भुगतान कर दिया। फाइनेन्स कम्पनी ने परिवादिनी को उसके नोटिस का उत्तर देते हुए कहा है कि परिवादिनी ने फाइनेन्स कम्पनी का बकाया अदा नहीं किया है उक्त पत्र की छाया प्रति भी परिवादिनी ने दाखिल की है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रही है। परिवादिनी का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।    
आदेश
    परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है।      
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 05.01.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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