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PADMAWATI GAUTAM filed a consumer case on 22 Nov 2021 against RELIANCE GENERAL INSURANCE in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/152/2010 and the judgment uploaded on 27 Nov 2021.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 152 सन् 2010
प्रस्तुति दिनांक 12.07.2010
निर्णय दिनांक 22.11.2021
......................................................................................परिवादिनी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
परिवादिनी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि वह पेशे से डॉक्टर है और जिला महिला अस्पताल बड़ादेव आजमगढ़ में बतौर डॉक्टर कार्यरत रहते हुए अस्पताल में मरीजों के इलाज व सेवा लगातार करती चली आ रही है। परिवादिनी एक वाहन टाटा सफारी पंजीयन संख्या यू.पी. 50आर./7007 की मालिक स्वामिनी है। उक्त वाहन उसके द्वारा हमेशा कुशल चालक जिसके पास वैध एवं प्रभावी चालक अनुज्ञा पत्र आवश्यक पृष्ठांकनों सहित से ही चलवाया जाता है। परिवादिनी के वाहन उपरोक्त टाटा सफारी का काम्प्रीहेन्सिब/सम्पूर्ण बीमा रिलायन्स जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड डी. 58/12 ए-7 प्रथम तल बनारस टी.वी.एस. सिगरा शहर जनपद वाराणसी से उसके आजमगढ़ के अभिकर्ता से आजमगढ़ में कराया गया साथ ही बीमा के परिप्रेक्ष्य में परिवादिनी द्वारा बाद अदा करने बीमा प्रीमियम बीमा कम्पनी द्वारा कवर नोट परिवादिनी के वाहन सम्बन्धित परिवादिनी को दिया गया और उक्त बीमा की समयावधि दिनांक 04.11.2009 से दिनांक 03.11.2010 थी। परिवादिनी का उक्त वाहन दिनांक 25.11.2009 को उत्तर प्रदेश के जनपद नोएडा/गौतमबुद्ध नगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया दुर्घटना की तिथि बीमित समयावधि के अन्तर्गत है अर्थात् दुर्घटना वाले दिन के परिवादिनी का वाहन विपक्षी के यहाँ से बीमित था तथाकथित दुर्घटना के कारण वाहन उपरोक्त में कुल क्षति मुo 1,11,835/- रुपए की हुई। वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना परिवादिनी द्वारा अविलम्ब बीमा कम्पनी को दी गयी जिस पर बीमा कम्पनी की ही सलाह पर दुर्घटनाग्रस्त वाहन परिवादिनी को टाटा मोटर्स के अधिकृत वर्कशॉप आटो मोबाइल इस्टेरलिंग डी 4 सेक्शन 8 नोएडा गौतमबुद्ध नगर में बनवायी गयी साथ ही विपक्षी से वाहन उपरोक्त से सम्बन्धित दुर्घटना के मद में हुए क्षति के भुगतान हेतु बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित समस्त औपचारिकता पूरी करते हुए अपने वाहन सम्बन्धित क्षति के भुगतान को सुनिश्चित किए जाने का आवेदन किया गया जिस पर परिवादिनी को बीमा कम्पनी द्वारा समस्त औपचारिकता पूरी होने के बाद व परिवादिनी द्वारा किए गए क्लेम को सही पाने पर परिवादिनी को जरिए चेक एच.डी.एफ.सी. बैंक चेक संख्या 591151 एकाउन्ट नं. 00600350065902 का चेक मुo 35,646.00 रुपए का ही दिनांक 10.03.2010 को जारी कर दिया गया चूंकि परिवादिनी की मुo 1,11,835/- रुपए की क्षति हुई थी जबकि बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के क्लेम के भुगतान के सम्बन्ध में मात्र 35,645.00 रुपए का ही चेक दिया गया लिहाजा परिवादिनी आपत्ति के साथ चेक को जमा करते हुए शेष धनराशि के बाबत बीमा कम्पनी से सम्पर्क किया गया जिसके परिप्रेक्ष्य में बीमा कम्पनी द्वारा कहा गया कि परिवादिनी को शेष धनराशि का भी भुगतान शीघ्र ही कर दिया जाएगा। लिहाजा परिवादिनी उक्त शेष धनराशि के बाबत लगातार बीमा कम्पनी के सम्पर्क में अपने क्लेम की शेष धनराशि को पाने के लिए प्रयास करती रही। काफी समय बीत जाने के बाद अब बीमा कम्पनी देयता से बचने के लिए न तो किसी प्रकार की कोई सुनवाई ही कर रही है और न ही परिवादिनी द्वारा कोई प्रार्थना पत्र ही दिए जाने पर रिसीव कर रही है। लिहाजा मजबूर होकर परिवादिनी ने बीमा कम्पनी को विधिक नोटिस जरिए डॉक रजिस्ट्री दिनांक 06.04.2010 को दी गयी, जिसका भी कोई उत्तर बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी को नहीं मिला। चूंकि परिवादिनी व बीमा कम्पनी के मध्य संविदा परिवादिनी द्वारा प्रीमीयम अदा किए जाने के बाद व बीमा कम्पनी द्वारा कवरनोट जारी किए जाने के बाद कवरनोट में दिए गए शर्तों के अनुसार हुई थी लिहाजा उन शर्तों से उभय पक्ष बाध्यकारी हैं जिसमें किसी भी प्रकार की क्षति होने पर सम्पूर्ण क्षति बीमा कम्पनी अदा करने के लिए बाध्यकारी है साथ ही परिवादिनी से सम्बन्ध भी बीमा कम्पनी से उपभोक्ता की श्रेणी में आता है। ऐसी स्थिति में बीमा कम्पनी द्वारा घोर लापरवाही का परिचय देते हुए एवं सेवा में कमी करते हुए परिवादिनी को लगातार हैरान व परेशान किया जाता रहा है। जिससे परिवादिनी को घोर मानसिक शारीरिक व आर्थिक क्षति हुई जिसके जिम्मेदार पूर्णतया विपक्षी/बीमा कम्पनी है। अतः परिवादिनी के वाहन में हुई क्षति के सम्बन्ध में बीमा कम्पनी द्वारा कुल देयता मुo 1,11,835.00 रुपए की जगह मात्र क्षतिपूर्ति मुo 35,646.00 ही दिए जाने के कारण शेष देयता मुo 76,189.00 रुपया तथा परिवादिनी के शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से विपक्षीगण के वजह से हुई क्षति के मद में मुo 20,000.00 रुपया अर्थात् कुल मुo 96,189.00 रुपया 14% वार्षिक ब्याज की दर के साथ परिवादिनी को विपक्षीगण से दिलवाया जाए।
परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादिनी ने कागज संख्या 7/1 विधिक नोटिस की प्रति, कागज संख्या 7/2 व 7/3 रिटेल इनवायस की छायाप्रति, कागज संख्या 7/4 व 7/5 वर्कशॉप रिसिप्ट की छायाप्रति, कागज संख्या 7/6 प्रपोजल-कम-कवर नोट फॉर पैकेज पॉलिसी की छायाप्रति, कागज संख्या 7/7 परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण-पत्र की छायाप्रति तथा कागज संख्या 25 सर्वेयर नियमावली जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 10क विपक्षी संख्या 01 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि परिवादिनी का क्लेम खारिज किए जाने योग्य है तथा परिवादिनी कन्ज्यूमर की परिभाषा में नहीं आती है। इसके अलावा बीमा कम्पनी किसी भी क्लेम के लिए जिम्मेदार नहीं है और परिवादिनी द्वारा रुपए 35,646/- रुपए का चेक अन्तिम रूप से संतुष्ट हो करके प्राप्त कर चुकी है। अतः अब बीमा कम्पनी की कोई भी जिम्मेदारी शेष नहीं है। इसलिए परिवादिनी का परिवाद खारिज किए जाने योग्य है। अतः खारिज किया जाए। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी संख्या 01 द्वारा कागज संख्या 17/1 रिलायन्स जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा परिवादिनी को दिए गए चेक मुo 35,646/- रुपए का प्रमाण, कागज संख्या 17/2 ता 17/8 सर्वे डिटेड की छायाप्रति प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा कोई भी जवाबदावा प्रस्तुत नहीं किया गया है। ऐसे में विपक्षी संख्या 02 के विरुद्ध दिनांक 23.08.2021 को एक पक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की जा चुकी है।
बहस के समय पुकार कराए जाने पर सिर्फ परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित रहे तथा उन्होंने अपने परिवाद के समर्थन में अपनी बहस सुनाया। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की बहस को सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत कागज संख्या 7/2 व 7/5 बतौर साक्ष्य का अवलोकन किया तथा कागज संख्या 7/6 के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि परिवादिनी के उक्त वाहन की क्षति कुल राशि 1,11,835/- रुपए का खर्च हुआ है, जिसकी उक्त साक्ष्य से पुष्टि होती है। जिसमें विपक्षी ने मात्र 35,646/- रुपए का ही भुगतान किया है तथा शेष देयता 76,189/- रुपए का भुगतान करने की जिम्मेदारी भी विपक्षी संख्या 01 की ही है। उक्त वाहन की दुर्घटना बीमा की समयावधि के अन्दर हुई है। अतः हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
परिवाद पत्र स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या 01 को क्षतिपूर्ति के लिए एक मात्र जिम्मेदार ठहराया जाता है तथा विपक्षी संख्या 01 को यह आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनी के उक्त वाहन में हुई क्षति की शेष देयता 76,189/- (रु. छिहत्तर हजार एक सौ नवासी मात्र) रुपए का भुगतान अन्दर 30 दिन में परिवाद दाखिला के तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज की दर से परिवादिनी को अदा करे साथ ही विपक्षी संख्या 01 परिवादिनी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति के रूप में 5,000/- (रु. पांच हजार मात्र) रुपए तथा खर्चा मुकदमा 5,000/- (रु. पांच हजार मात्र) रुपए भी अदा करे।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 22.11.2021
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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