Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/42/2010

Smt. Nargish - Complainant(s)

Versus

Reliance General Insurance Company - Opp.Party(s)

Shri Avdhesh Kumar Sharma

03 Sep 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/42/2010
 
1. Smt. Nargish
Village Rudrapur Thana Kundarki Distt. Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Reliance General Insurance Company
Parshavnath palza Delhi Road Thana Majhola Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 03 Sep 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.   इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादिनी ने यह अनुरोध किया है कि   दुर्घटना में उसके पति की मृत्‍यु हो जाने के कारण विपक्षीगण से उसे 12  प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि 2,00,000/- रूपया दिलाई जाऐ। क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया और परिवाद व्‍यय की मद में 10,000/-  रूपया परिवादिनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।
  2.   संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्‍वर्गीय   मुस्‍तफा ट्रक संख्‍या यू0पी0 21 एन.- 2980 के पंजीकृत स्‍वामी थे। यह  ट्रक विपक्षी सं0-1 से दिनांक 30/4/2008 से 29/4/2009 तक की अवधि हेतु बीमित था। दिनांक 15/11/2008 को गोरखपुर से मुरादाबाद आते हुऐ  शाहजहांपुर के पास ट्रक खराब हो गया। जब ट्रक को ठीक कराया जा रहा  था तो एक अन्‍य ट्रक संख्‍या एच0आर0 55 बी. 5234 ने परिवादिनी के  परित के ट्रक में टक्‍कर मार दी जिसमें परिवादिनी के पति मुस्‍तफा की मृत्‍यु हो  गई। परिवादिनी के ट्रक के बीमा कवरनोट में परिवादिनी का पति भी बीमित था। परिवादिनी के अनुसार विपक्षीगण ने अभी तक परिवादिनी को उसके पति  की मृत्‍यु की बीमा राशि मुवलिग 2,00,000/- रूपया अदा नहीं किऐ हैं जबकि सारी सूचना विपक्षी सं0-1 को दी जा चुकी है। परिवादिनी के अनुसार उसने विपक्षी सं0-1 को रजिस्‍टर्ड नोटिस भी भिजवाया, किन्‍तु बीमा राशि विपक्षीगण ने अदा नहीं की। परिवादिनी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3.   परिवाद के साथ परिवादिनी ने एफ0आई0आर0, दुर्घटना के इस मामले में ट्रक संख्‍या एच.आर. 55 बी. /5234 के चालक के विरूद्ध न्‍यायालय में   प्रेषित चार्जशीट, बीमा कवरनोट और ट्रक संख्‍या यू0पी0 21 एन. /2980 की  आर0सी0 की फोटो प्रतियों को दाखिल किया है, यह प्रपत्र पत्रावली के  कागज संख्‍या 3/5 लगायत 3/8 हैं।
  4.    विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज संख्‍या 7/1 लगायत 7/3  दाखिल हुआ जिसमें परिवादिनी के ट्रक का बीमा दिनांक 30/4/2008 से  29/4/2009 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-1 से होना तो स्‍वीकार किया गया  है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में कहा  गया है कि परिवादिनी ने मृतक मुस्‍तफा के समस्‍त विधिक उत्‍ताराधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया है अत: परिवाद दूषित है। कथित दुर्घटना की सूचना  दुर्घटना के तुरन्‍त बाद विपक्षीगण को नहीं दी गई और न कोई क्‍लेम दर्ज कराया गया। कथित दुर्घटना के समय परिवादिनी के पति मुस्‍तफा द्वारा ट्रक को  नहीं चलाया जा रहा था और न ही ट्रक चलाते समय कोई दुर्घटना हुई बल्कि कथित दुर्घटना के समय ट्रक खड़ा हुआ था जिसमें दूसरे ट्रक ने टक्‍कर मारी थी इस प्रकार परिवादिनी के पति मुस्‍तफा की मृत्‍यु पर्सनल एक्‍सीडेन्‍ट नहीं है। अग्रेत्‍तर यह भी कहा गया कि परिवादिनी के पति की मृत्‍यु   दूसरे ट्रक द्वारा टक्‍कर मारे जाने की वजह से हुई अत: क्षतिपूर्ति अदा करने की जिम्‍मेदारी विपक्षीगण पर नहीं है। यह कहते हुऐ कि परिवादिनी ने पति  की पोस्‍ट मार्टम रिपोर्ट भी दाखिल नहीं की है जिससे उसके पति की मृत्‍यु   की पुष्टि नहीं होती। उपरोक्‍त कथनों के आधार पर परिवाद को सव्‍यय   खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की गई।
  5.    परिवादिनी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज संख्‍या 9/1 लगायत 9/2 दाखिल किया। विपक्षीगण की ओर से बीमा कम्‍पनी के मैनेजर लीगल श्री सत्‍यन कपूर का साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज संख्‍या 12/1 लगायत 12/2 दाखिल  हुआ।
  6.    प्रत्‍युत्‍तर में परिवादिनी ने अपना रिज्‍वांइडर शपथ पत्र कागज संख्‍या  14/1 लगायत 14/2 दाखिल किया।
  7.    दोनों पक्षों ने अपना साक्ष्‍य समाप्‍त किया।
  8.    किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  9.    हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।
  10.   परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता ने परिवादिनी के साक्ष्‍य शपथ पत्र  और रिज्‍वाइंडर शपथ पत्र की ओर हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुऐ तर्क दिया कि परिवादिनी ने परिवाद कथनों को प्रमाणित कर दिया है अत: परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष उसे दिलाऐ जाय। प्रत्‍युत्‍तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं0-3/5 है, के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादिनी के पति मुस्‍तफा  की मृत्‍यु तेजी व लापरवाही से आ रहे ट्रक सं0 एच0आर0-55बी/5234 के चालक द्वारा टक्‍कर मारने की वजह से आई चोटों के फलस्‍वरूप हुई थी।  ऐसी दशा में प्रश्‍नगत दुर्घटना ‘’ व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा ’’ से आच्‍छादित  नहीं है।  हम विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के उक्‍त तर्क से सहमत हैं। प्रथम सूचना रिपोर्ट के अवलोकन से प्रकट है कि परिवादिनी के पति अभिकथित दुर्घटना के समय ट्रक सं0-यू0पी0 21-एन./2980 का चालक था उसका ट्रक  खराब हो गया था जिसे वह सड़क के वांई ओर खड़ा करके ठीक करा रहा   था इसी मध्‍य ट्रक सं0 एच0आर0 सं0- 55 बी / 5234 के चालक ने ट्रक को  तेजी व लापरवाही से चलाते हुऐ मुस्‍तफा के ट्रक में टक्‍कर मार दी जिसमें  मुस्‍तफा को चोटे आईं और मुस्‍तफा की उन चोटों के कारण मृत्‍यु हो गई।  यह तथ्‍य विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के इन कथनों का समर्थन करते हैं कि प्रश्‍नगत  दुर्घटना ‘’  व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा ’’ से आच्‍छादित नहीं है।
  11.   बीमा कवरनोट की फोटो प्रति पत्रावली का कागज सं0-3/7 है। इसमें  यह तो उल्‍लेख है कि ट्रक सं0 यू0पी0 21-एन./2980 के चालक का   व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा भी पालिसी में सम्मिलित है, किन्‍तु इसमें यह  उल्‍लेख नहीं मिला कि व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि अंकन 2,00,000/-   रूपया होगी।
  12.   पत्रावली में अन्‍य को ऐसा प्रपत्र दाखिल नहीं हुआ है जिसके आधार  पर यह माना जाय कि ट्रक के चालक की व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि अंकन 2,00,000/-  रूपया होगी। इस दृष्टि से भी यह स्‍वीकार किऐ  जाने योग्‍य  नहीं है  कि परिवादिनी द्वारा अनुरोधित  व्‍यक्तिगत दुर्घटना बीमा की मद में उसे 2,00,000/- (दो लाख रूपया) की  धनराशि दिलाई जाय।
  13.   चेयरमैन, थिरूवल्‍लोर ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन बनाम कम्‍न्‍ज्‍यूमर प्रोटेक्‍शन  कौंसिल, I (1995) सी0पी0जे0 3 (सुप्रीम कोर्ट) की रूलिंग में  मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दी गई व्‍यवस्‍था का अनुसरण करते हुऐ  नेशनल इंश्‍योरेंस कम्‍पनी लिमिटेड बनाम बोल्‍म रामा देवी आदि, I (2009) सी0पी0जे0 पृष्‍ठ-273 की निर्णयज विधि में मा0 राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता विवाद  प्रतितोष आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि मोटर व्‍हीकल एक्‍ट ,1988 की धारा-165 के अनुसार वाहन दुर्घटना में हुई मृत्‍यु से सम्‍बन्धित बीमा दावों के सम्‍बन्‍ध में सुनवाई का क्षेत्राधिकार केवल मोटर व्‍हीकल एक्‍ट के अधीन गठित अधिकरणों को है, कम्‍न्‍जयूमर प्रोटेक्‍शन एक्‍ट के अधीन उपभोक्‍ता न्‍यायालयों को उक्‍त मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है।
  14.   उपरोक्‍त तथ्‍यात्‍मक और विधिक स्थितियों के दृष्टिगत परिवाद खारिज  होने योग्‍य है।

 

 

परिवाद खारिज किया जाता है।

 

 

    (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

     03.09.2016           03.09.2016        03.09.2016

 

  हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 03.09.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

          सदस्‍य               सदस्‍य              अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

        03.09.2016           03.09.2016        03.09.2016

 

 

 

 

 

 

 

 

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