Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/48/2010

Shri Salamat Ali - Complainant(s)

Versus

Reliance General Insurance Company - Opp.Party(s)

Mohd. Arif Ali

30 Jul 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum -II
Moradabad
 
Complaint Case No. cc/48/2010
 
1. Shri Salamat Ali
R/0 Chandwali Masjid Pipalsana Tehsil & Distt. Moradabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Reliance General Insurance Company
Office First Floor Mittal Complex Opp. Spring Field School Delhi Road Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 30 Jul 2016
Final Order / Judgement

द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्‍यक्ष

  1.  परिवादी ने इस परिवाद के माध्‍यम से यह उपशम मांगा है कि  विपक्षी से उसे दुर्घटना में क्षतिग्रस्‍त हुऐ वाहन का क्‍लेम अंकन 71,553/- रूपया दिलाया जाय। परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी ने 5000/-रूपया अतिरिक्‍त मांगें हैं।
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार है कि परिवादी महिन्‍द्रा मैक्‍स  सं0-यू0पी0 21 एन-3635 का पंजीकृत स्‍वामी है। दिनांक 30/7/2009 को  पंडित नगला वाई पास पर मैसर्स शब्‍बीर हुसैन डीजल फिलिंग स्‍टेशन के  सामने यह वाहन दुर्घटनाग्रस्‍त हो गया। दिनांक 31/7/2009 को दुर्घटना की सूचना विपक्षी को उसके एजेन्‍ट के माध्‍यम से दे दी गई। दुर्घटना की  तिथि पर यह वाहन विपक्षी से बीमित था। परिवादी के अनुसार दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन को ठीक कराने में उसके 66,553/-रूाया खर्च हुऐ। गाड़ी की देखरेख  करने वाले ड्राईवर और  हेल्‍पर पर 5000/- रूपया अतिरिक्‍त खर्चा हुआ। इस प्रकार परिवादी  का  कुल 71,553/- रूपया खर्चा हुआ। परिवादी के  अनुसार बार-बार अनुरोध करने पर भी विपक्षी ने क्‍लेम राशि अदा नहीं  की। अपने अधिवक्‍ता से उसने नोटिस भी दिलवाया, किन्‍तु विपक्षी सुनवा नहीं हुऐ अत: उसे यह परिवाद योजित करना पड़ा। परिवादी ने परिवाद  में अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के समर्थन में परिवादी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/4  दाखिल किया। सूची कागज सं0-3/6 के माध्‍यम से परिवादी ने विपक्षी को  भेजे गऐ कानूनी नोटिस, दुर्घटनाग्रस्‍त हुऐ  वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट, आर0सी0, बीमा पालिसी, टैक्‍स जमा करने की रसीदे, प्रदूषण नियंत्रण जॉच सर्टिफिकेट और गाड़ी की मरम्‍मत में हुऐ खर्च के बिल बाउचर की नकलों को दाखिल किया गया। इनके अतिरिक्‍त कानूनी  नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की असल रसीद भी परिवादी ने दाखिल की है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/7 लगायत 3/19 हैं।
  4. विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-9/1 लगायत 9/3  दाखिल हुआ जिसके वाहन सं0 यू0पी0 21 एन- 3635 दिनांक 07/9/2008 से 06/9/2009 तक की अवधि हेतु विपक्षी से बीमित होना तो स्‍वीकार किया है, किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इन्‍कार किया गया। विशेष कथनों में  कहा गया कि परिवादी को कोई वाद कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ, परिवाद असत्‍य कथनों के आधार पर योजित किया गया है जो कानूनन पोषणीय नहींहै। अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि कथित दुर्घटना की सूचना मिलते ही क्षति आंकलन के लिए विपक्षी ने इन्‍टरनल सर्वेयर श्री विजय पाठक को नियुक्‍त किया जिन्‍होंने दिनांक 31/7/2009 को अपनी रिपोर्ट दी। विपक्षी ने क्षति आंकलन के लिए एक्‍सटर्नल सर्वेयर इन्‍नोवेशन आटो  रिस्‍क मेनेजमेन्‍ट को नियुक्‍त किया जिन्‍होंने अपनी रिपार्ट दिनांक 30/7/2009 को दी। सर्वेयर की रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटना का स्‍थान और  वाहन में हुई कथित क्षति के कागजात परिवादी ने अनुचित लाभ प्राप्‍त  करने के उद्देश्‍य से फर्जी तैयार किये हैं और इस तरह की कोई घटना नहीं हुई। परिवादी ने कोई एफ0आई0आर0 भी नहीं लिखवाई। घटना फर्जी पाऐ जाने के कारण दिनांक 09/9/2009 को परिवादी का दावा ‘’ नो क्‍लेम ‘’ कर दिया गया और इसकी सूचना परिवादी को भी भेज दी गई। विपक्षी ने प्रतिवाद पत्र में यह कहते हुऐ कि उसने अपनी सेवायें देने में कोई त्रुटि   अथवा कमी नहीं की, परिवाद को खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  5. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-10/1 लगायत 10/2  दाखिल किया। विपक्षी की ओर से उनके मैनेजर लीगल श्री सत्‍यन कपूर ने साक्ष्‍य शपथ पत्र कागज सं0-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया। विपक्षी  की ओर से सर्वेयर श्री विजय पाठक की सर्वे रिपोर्ट की फोटो कापी कागज सं0-17/2 लगायत17/6 भी दाखिल की गई।
  6. किसी भी पक्ष ने लिखित बहस दाखिल नहीं की।
  7. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और  पत्रावली का अवलोकन किया।   
  8. परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि विपक्षी ने परिवादी का क्‍लेम मनमाने तरीके से खारिज किया है और विपक्षी का यह कथन कि  परिवादी ने क्‍लेम लेने हेतु फर्जी प्रपत्र तैयार किऐ हैं, असत्‍य है।  उन्‍होंने परिवाद में  अनुरोधित अनुतोष दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
  9. विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने सर्वेयर श्री विजय पाठक की सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-17/2 लगायत 17/6 की ओर हमारा ध्‍यान  आकर्षित किया और कहा कि सर्वेयर ने जॉंच में परिवाद में उल्लिखित  दुर्घटना सन्‍देहास्‍पद पाई और साथ ही साथ यह भी निष्‍कर्षित किया कि  वाहन में दर्शाऐ गऐ नुकसान ताजा नहीं थे। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता   का तर्क है कि सर्वेयर श्री विजय पाठक के रिमार्कस और आब्‍जर्वेशन रिपोर्ट के पृष्‍ठ-17/6 पर दृष्‍टव्‍य हैं जिनके आधार पर विपक्षी ने परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकार करके न तो कोई त्रुटि की और न ही यह सेवा में कोई कमी का मामला है। विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि परिवादी ने दुर्घटना की कोई एफ0आई0आर0 नहीं लिखाई। एफ0आई0आर0 न लिखाना भी दुर्घटना  होने को सन्‍देहास्‍पद बनाता है। उन्‍होंने परिवाद को  सव्‍यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
  10. दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने और पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य  से प्रकट है कि विपक्षी ने परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत करके त्रुटि की है।
  11. पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी की गाड़ी अभिकथित दुर्घटना की तिथि अर्थात् 30/7/2009 को विपक्षी से  बीमित थी। परिवादी के अनुसार दुर्घटना दिनांक 30/7/2009 को हुई थी  जिसकी सूचना उसने दिनांक 31/7/2009 को विपक्षी को दी। विपक्षी ने  अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-9 में परिवादी से दुर्घटना की सूचना मिलना  स्‍वीकार किया है और साथ में यह भी कहा है कि सूचना मिलते ही उन्‍होंने इन्‍टरनल सर्वेयर श्री विजय पाठक को सर्वे के लिए नियुक्‍त कर दिया था।  श्री पाठक की सर्वे रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/2 में उल्‍लेख है कि उन्‍हें सर्वे  दिनांक 31 जुलाई, 2009 को एलाट हुआ था। विपक्षी ने अपने प्रतिवाद  पत्र में कहा है कि दिनांक 31/7/2009 को ही श्री पाठक ने विपक्षी को  अपनी रिपोर्ट दे दी थी। कहने का आशय यह है कि श्री पाठक ने विपक्षी को सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-17/2 लगायत 17/6 उसी दिन दे दी थी जिस दिन उन्‍हें सर्वे एलाट हुआ था।
  12. परिवाद के पैरा सं0-10 में विपक्षी का कथन है कि क्षति आंकलन के लिए उन्‍होंने एक्‍सटर्नल सर्वेयर को नियुक्‍त किया जिसने अपनी रिपोर्ट  दिनांक 30/7/2009 को दी थी। विपक्षी के मैनेजर लीगल श्री सत्‍यन कपूर  ने अपने साक्ष्‍य शपथ पत्र के पैरा सं0-8 में पुन: इस बात की पुष्टि की  है कि क्षति आंकलन के लिए नियुक्‍त एक्‍सटर्नल सर्वेयर ने अपनी रिपोर्ट  दिनांक 30/7/2009 को दी थी। हम यह समझ पाने में अपने आपको असमर्थ पा रहे हैं कि जब परिवादी ने दुर्घटना की सूचना विपक्षी को दिनांक 31/7/2009 को दी थी तब विपक्षी के एक्‍सटर्नल सर्वेयर ने क्षति की आंकलन सम्‍बन्‍धी रिपोर्ट दिनांक 30/7/2009 को कैसे दे दी। प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-10 में और विपक्षी के मैनेजर लीगल के साक्ष्‍य शपथ पत्र के पैरा सं0-8 में दोनों ही जगह एक्‍सटर्नल सर्वेयर द्वारा रिपोर्ट विपक्षी को सौंपे जाने की तिथि 30/7/2009 बताई गई है। ऐसी दशा में  30/7/2009 की तिथि का उल्‍लेख टंकणीय त्रुटि नहीं कहा जा सकता। कदाचित उक्‍त तथ्‍य इस सम्‍भवना को बल प्रदान करते हैं कि विपक्षी ने   परिवादी का क्‍लेम गलत तरीके से जानबूझकर खारिज किया है।
  13. हम श्री विजय पाठक सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट का विवेचन भी  आवश्‍यक समझते हैं। सर्वेयर  ने  अपनी  रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/6 पर ‘’ रिमार्कस ‘’ के कालम में यह उल्‍लेख किया है कि बीमित ने एवं रिपेयर  करने वाले ने गाड़ी की डिस्‍मेन्‍टलिंग के दौरान उन्‍हें गाड़ी के फोटोग्राफ्स लेने का अवसर नहीं दिया इस कारण वे गाड़ी के फोटोग्राफ नहीं ले पाऐ। उक्‍त टिप्‍पणीं की सत्‍यता संदिग्‍ध लगती है। सर्वे रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/2 के बिन्‍दु संख्‍या-1.5 के अनुसार श्री पाठक की रिपोर्ट  ‘’ स्‍पाट सर्वे ’’  के आधार पर दी गई है। जब श्री पाठक दुर्घटना घटनास्‍थल पर स्‍पाट सर्वे के लिए गऐ थे तब दुर्घटना स्‍थल और परिवादी की क्षतिग्रस्‍त गाड़ी के फोटोग्राफ वे ले सकते थे, किन्‍तु उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। सर्वेयर श्री पाठक ने अपनी सर्वे रिपोर्ट के बिन्‍दु सं0-1.5 में दुर्घटना की तिथि 29/7/2009 लिखी है जबकि दुर्घटना दिनांक 30/7/2009 की  है। प्रकटत: श्री पाठक की सर्वे रिपोर्ट की सत्‍यता शंकाओं के घेरे में है।
  14. सर्वे रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/6 में श्री पाठक ने जो आब्‍जर्वेशन किऐ  हैं उनसे भी हम सहमत नहीं हैं क्‍योंकि पत्रावली पर स्‍पाट रिपोर्ट, सर्वेयर द्वारा लेना बताऐ गऐ बीमित के ब्‍यान तथा बीमित द्वारा विपक्षी को प्रस्‍तुत  किऐ गऐ क्‍लेम फार्म की नकलें विपक्षी ने पत्रावली पर उपलब्‍ध नहीं कराई हैं। सर्वेयर की स्‍पाट रिपोर्ट, उसके द्वारा अभिकथित रूप से लिऐ गऐ बीमित के लिखित ब्‍यान और परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत क्‍लेम फार्म, विपक्षी की ओर से पत्रावली में दाखिल न किया जाना इस अवधारण को पुष्‍ट करता है कि यदि वे प्रपत्र पत्रावली पर दाखिल कर दिऐ जाते तो वे विपक्षी के विरूद्ध होते। सर्वेयर श्री पाठक ने अपनी रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/6 में यह भी उल्‍लेख किया है कि ओडो मीटर के अनुसार वाहन के स्‍पाट सर्वे और उसका फाइनल सर्वे होने के मध्‍य दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन 3  किलो मीटर चला है। सर्वे रिपोर्ट के पृष्‍ठ सं0-17/2 के बिन्‍दु सं0-1.5 के अनुसार दुर्घटनास्‍थल मुरादाबाद शहर से  3 किलो मीटर दूर है जबकि एथोराइज सर्विस सेन्‍टर मुरादाबाद में है अत: ओडो मीटर में 3 किलो मीटर का अन्‍तर आना स्‍वाभविक है।
  15. सर्वेयर श्री पाठक की सर्वे रिपोर्ट में उल्लिखित रिमार्कस और  आब्‍जर्वेशन के आधार पर विपक्षी द्वारा यह निष्‍कर्षित करना कि परिवादी ने झूठा क्‍लेम लेने के उद्देश्‍य से फर्जी  प्रपत्र तैयार किऐ हैं, स्‍वीकार किऐ जाने योग्‍य नहीं हैं। सर्वेयर रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्‍य जिनका हमने इस निर्णय में ऊपर उल्‍लेख किया है अन्‍तरविरोधी हैं जो सत्‍यता  की कसौटी पर स्थिर नहीं रह पाऐ। जहॉं तक परिवादी द्वारा एफ0आई0आर0 न लिखाऐ जाने का प्रश्‍न है इस सन्‍दर्भ में इतना ही उल्‍लेख करना प्रयाप्‍त  है कि वाहन दुर्घटना के मामलों में दुर्घटना की एफ0आई0आर0 दर्ज कराया जाना आज्ञापक नहीं है और वह भी उस दशा में जबकि दुर्घटना केवल ओ0डी0 क्‍लेम से सम्‍बन्धित हो।   
  16. परिवादी ने दुर्घटनाग्रस्‍त वाहन की रिपेयर हेतु जो बिल बाउचर दाखिल किऐ हैं वे 66,553/-रूपया के हैं। इसकी डिप्रेसिऐशन वैल्‍यू  50,000/- रूपया निर्धारित करना युक्तियुक्‍त दिखाई देता है अत: हम  परिवादी को दुर्घटना दावा के रूप में देय धनराशि 50,000/- रूपया निर्धारित  करते हैं। ड्राईवर और हेल्‍पर का परिवादी ने परिवाद के पैरा सं0-5 में जो  खर्चा 5000/-रूपया का बताया है वह परिवादी को अनुमन्‍य नहीं होगा क्‍योंकि ऐसे खर्चे पालिसी से आच्‍छादित नहीं हैं।   
  17. उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचे हैं कि   विपक्षी से परिवादी को वाहन दुर्घटना दावे के रूप में 50,000/- (पचास हजार रूपया) और इस धनराशि पर परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की  दर से ब्‍याज दिलाया जाना उचित होगा। परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद में एकमुश्‍त  5000/- (पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो  हजार पांच सौ रूपया) दिलाया जाना भी हम न्‍यायोचित समझते हैं। तदानुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

 

     परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित 50,000/- (पचास हजार रूपया) क्‍लेम राशि की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में और विपक्षी के विरूद्ध निर्णीत किया जाता है। परिवादी क्षतिपूर्ति  की मद में 5000/- (पाँच हजार रूपया) और परिवाद व्‍यय की मद में 2500/- (दो हजार पाँच सौ रूपया) विपक्षी से अतिरिक्‍त पाने का अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि की अदायगी दो माह में की जाय।

 

   (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)    (सुश्री अजरा खान)    (पवन कुमार जैन)

     सामान्‍य सदस्‍य             सदस्‍य            अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद  जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      30.07.2016           30.07.2016        30.07.2016

   हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 30.07.2016 को खुले फोरम में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया।

 

 

     (श्रीमती मंजू श्रीवास्‍तव)   (सुश्री अजरा खान)   (पवन कुमार जैन)

      सामान्‍य सदस्‍य            सदस्‍य             अध्‍यक्ष

  •     0उ0फो0-।। मुरादाबाद    जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद   जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद

      30.07.2016          30.07.2016         30.07.2016

 

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