जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
षिवदयाल आचार्य पुत्र श्री नन्दकिषोर आचार्य, ई-120, सुभाषनगर, भीलवाड़ा
- प्रार्थी
बनाम
1. रिलायन्स जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, मेकर टाॅवर, सैकण्ड फ्लोर, नित्यानन्द नगर, क्वीन्स रोड, वैषाली नगर, जयपुर ।
2. रिलायन्स जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, अमर प्लाजा काॅम्पलेक्स, होटल मोती महल, प्राईवेट बस स्टेण्ड के पास, जेएलएन रोड, अजमेर ।
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 278/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री जवाहर लाल षर्मा , अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री तेजभान भगतानी, अधिवक्ता अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः- 24.10.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि उसके द्वारा अपने व अपने परिवार की आजीविका के लिए क्रय किया गया वाहन संख्या आर.जे.06. जीए.3812 जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित बीमा पाॅलिसी के जरिए दिनंाक 7.5.2011 से 6.5.2012 तक की अवधि के लिए बीमित थी, दिनंाक 25.2.2012 को दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर इसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी को देते हुए मरम्मत में खर्च हुई राषि रू. 1,70,000/- का क्लेम अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष पेष किया । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी के निर्देषानुसार रिपेयर केस लाॅस बैलेन्स राषि रू. 58,000/- के भुगतान बाबत् सहमति दिनंाक 24.4.2012 को दिए जाने के बाद भी अप्रार्थी ने उसका क्लेम जरिए पत्र दिनांक 4.5.2012 के इस आधार पर खारिज कर दिया कि प्रार्थी ने बीमा कराते समय पूर्व बीमा कम्पनी यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी से प्रष्नगत वाहन का बीमा कराने के तथ्य को छिपा कर मिस रिप्रजेण्ट किया है । जबकि प्रार्थी ने उक्त बीमा कम्पनी से कोई ’’ नो क्लेम बोनस’’ प्राप्त नहीं किया है और ना ही इस संबंध में अप्रार्थी ने कोई सूचना मांगी । उसने दिनांक 8.6.2012 को नोटिस भी दिया । किन्तु अप्रार्थीगण ने उक्त नोटिस पर भी कोई कार्यवाही नहीं सेवा में कमी की है ं। प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्ति में दर्षाया है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत वाहन का उत्तरदाता से बीमा कराते वक्त पूर्व बीमा कम्पनी यूनाईटेड इण्डिया इंष्योरेंस कम्पनी से बीमा कराने के तथ्य को छिपाया था । आगे मदवार जवाब में इसी तथ्य को दोहराते हुए प्रार्थी द्वारा प्रपोजल फार्म में अंकित किया कि 25 प्रतिषत ’’ नो क्लेम बोनस’’ की राषि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । साथ ही यह भी अंकित किया कि यदि ’’ नो क्लेम बोनस ’’ की जानकारी झूठी पाई गई तो पाॅलिसी के तहत प्राप्त होने वाले समस्त परिलाभ जब्त कर लिए जाएगें । प्रार्थी ने प्रपोजल फार्म पर हस्ताक्षर किए हंै । इस प्रकार प्रार्थी द्वारा प्रपोजल फार्म में गलत तथ्य अंकित करने के कारण उसका क्लेम सही रूप से खारिज किया गया है ।विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए उनके द्वारा प्रार्थी का क्लेम खारिज करने के कृत्य को सेवा में कमी नहीं बताते हुए परिवाद निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री प्रदीप पाठक, प्रबन्धक, विधि का षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी का प्रमुख तर्क रहा है कि प्रष्नगत वाहन के अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमित होने व बीमा अवधि में इसके दुर्घटनाग्रस्त होने, इसकी सूचना अविलम्ब बीमा कम्पनी को दिए जाने व उनकी ओर से सर्वेयर नियुक्त किए जाने के बाद समय पर प्रस्तुत किए गए क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा गलत रूप से खारिज किया गया है । क्लेम खारिज किए जाने का आधार े बताया गया है कि प्रार्थी का वाहन इससे पूर्व यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योंरस कम्पनी के यहां बीमित था तथा प्रार्थी द्वारा उक्त बीमा कम्पनी से उठाए गए क्लेम के तथ्यों को हस्तगत बीमा कराते समय छिपा कर मिथ्या कथन किए गए हैं । खारिज किए गए क्लेम को प्रार्थी ने पूर्णतया अनुचित व गलत तथा मिथ्या आधारों पर करना बताया है । अप्रार्थीगण द्वारा बीमा किए जाने से पूर्व प्रार्थी को पूर्व बीमा कम्पनी से ’’ नो क्लेम बोनस’’ प्राप्त करने की सूचना देने हेतु कहा गया था और ना ही इस बाबत् पत्र प्रेषित किया गया था । प्रार्थी द्वारा इसी दुर्घटना से संबंधित कोई क्लेम किसी दूसरी कम्पनी के यहां पेष किया गया है और ना ही उठाया गया है ।
4. अप्रार्थी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने इन तर्को का खण्डन करते हुए प्रमुख तर्क दिया है कि प्रार्थी ने वास्तविक तथ्यों को छिपा कर व मिस रेप्रजेण्ट कर हस्तगत बीमा पाॅलिसी प्राप्त की है । उसने पूर्व बीमा कम्पनी यथा यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी से प्राप्त दुर्घटना दावा राषि के तथ्य कों छिपा कर ’’ नो क्लेम बोनस’’ प्राप्त किया है, जिस लाभ के लिए वह अधिकारी नहीं था । इस संबंध में उन्हांेने प्रार्थी के बीमा पालिसी प्राप्त करने से पूर्व भरे गए प्रस्ताव प्रपत्र की ओर मंच का ध्यान आकर्षित कराया है । उन्हांेेने अपनी पुरजोर दलीलों में प्रार्थी का क्लेम बीमा पाॅलिसी की षर्तो का उल्लंघन होने पर उसे कोई क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होना बताया है । अपने तर्को के समर्थन में उन्हांेने इसी मंच द्वारा परिवाद संख्या 120/2012 दीपक चैनानी बनाम श्रीराम जनरल इंष्योरेंस क.लि. में दिए गए दिनंाक 6.9.2016 के निर्णय, त्मअपेपवद च्मजपजपवद छवण् 1255ध्2009;छब्द्ध ज्ंजं ळमदमतंस प्देनतंदबम टे ळनस्रंतप ैपदही व्तकमत क्ंजमक 26ण्02ण्2010 ंदक थ्पतेज ।चचमंस छवण् 1842ध्2011 च्नदरंइ ैजंजम बवदेनउमत क्पेचनजमे त्मकतमेेंस ब्वउउपेेपवदण् व्तपमदजंस प्देनतंदबम ब्व स्जक टे भ्ंतहवइपदक ठने ैमतअपबम व्तकमत क्ंजमक 14ण्11ण्2013 में पारित निर्णयों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है ।
5. हमने परस्पर तर्क सुन लिए हंै तथा पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयोें में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी अवलोकन कर लिया है ।
6. यहां सर्वप्रथम यह उल्लेख करना उचित होगा कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जो परिवाद का मदवार जवाब प्रस्तुत किया है, वह परिवाद की प्रत्येक मद के प्रतिउत्तर से मेल नहीं खाता है । इस अनियमितता पर ध्यान नहीं दिया जाकर प्रकरण का गुणवगुण पर निस्तारण किया जा रहा है ।
7. प्रष्नगत वाहन का बीमा करवाना, इसका दुर्घटनागस्त होना, दुर्घटना की सूचना बीमा कम्पनी को दिया जाना व उन्हें समय पर इसका प्राप्त होना स्वीकृत तथ्य पाया जाता है ।
8. विवाद का बिन्दु मात्र यह है कि क्या प्रार्थी ने अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष बीमा करवाते समय पूर्व बीमा कम्पनी से प्राप्त दुर्घटना दावा राषि के तथ्यों छिपाते हुए हस्तगत पाॅलिसी के तहत ’’ नो क्लेम बोनस ’’ प्राप्त किया , जिसका लाभ प्राप्त करने के लिए वह अधिकारी नहीं था ?
9. अप्रार्थी की ओर से इस विवाद के संबंध में प्रार्थी द्वारा भरे गए प्रस्ताव प्रपत्र प्रदर्ष आर-1 की ओर मंच का ध्यान आकर्षित किया है । इसमें उसके द्वारा पाॅलिसी की षर्तो की स्वीकृति व ’’ नो क्लेम बोनस ’’ के संदर्भ में दी गई अण्डरटेकिंग के बाबत् हस्ताक्षर किया जाना बताया है । पत्रावली में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जो प्रार्थी का बीमा प्रस्ताव प्रपत्र प्रस्तुत किया गया है, में उसके ऐसे तथाकथित कहीं पर भी कोई हस्ताक्षर अंकित नहीं है । यहां तक कि पूर्व में प्राप्त की गई पाॅलिसी के संबंध में न तो कोई उल्लेख है और ना ही इस बाबत् दी गई अण्डरटेकिंग पर कोई हस्ताक्षर हैं । इस संदर्भ में जो प्रपोजल फार्म प्रस्तुत किया गया है , उसमें निम्नानुसार अण्डरटेकिंग मुद्रित है:-
’’ प्ध्ॅम कमबसंतम जींज जीम तंजम व िछब्ठ बसंपउमक इल उमध्ने पे बवततमबज ंदक जींज दव बसंपउ ींे ंतपेमद पद जीम मगचपतपदह च्वसपबल चमतपवक ;ब्वचल व िजीम च्वसपबल मदबसवेमकद्धण् प्ध्ॅम नितजीमत नदकमतजंाम जींज प िजीपे कमबसंतंजपवद पे विनदक जव इम पदबवततमबजए ंसस इमदमपिजे नदकमत जीम च्वसपबल पद तमेचमबज व िव्ूद क्ंउंहम ैमबजपवद व िजीम च्वसपबल ूपसस ेजंदक वितमिपजमकश्
10. इसके अलावा ’’ नो क्लेम बोनस ’’ के संदर्भ में अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा वाहन की पूर्व बीमा कम्पनी से ’’ नो क्लेम बोनस ’’ के बाबत् करवाए गए सत्यापन/रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, जो पत्रावली में अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनंाक 9.5.2012 के अनुसार प्रार्थी द्वारा यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योंरेंस कम्पनी द्वारा दिनांक 7.5.2010 से 6.5.2011 को ली इस पाॅलिसी में 25 प्रतिषत ’’ नो क्लेम बोनस’’ हेतु आवेदन किया गया है। यदि तर्क की दृष्टि से उक्त पाॅलिसी के तहत ’’ नो क्लेम बोनस ’’ का लाभ प्राप्त कर लिया जाना मान भी लिया जाए, तो भी यदि प्रार्थी ने बाद में ली गई पाॅलिसी में इस तथ्य को छिपाया हो तो इसके लिए यह अपेक्षित है कि ऐसा वह अपने प्रस्ताव प्रपत्र में घोषणा के रूप में उन तथ्यों को उजागर करते हुए अपने हस्ताक्षर अंकित करता ।
11. चूंकि उसके द्वारा वर्तमान में ली गई पाॅलिसी के प्रस्ताव प्रत्र में ऐसी किसी भी अण्डरटेंकिग के नीचे अपने कोई हस्ताक्षर अंकित नहीं किए गए हंै और ना ही बीमा कम्पनी ने उक्त पाॅलिसी जारी करने से पूर्व बीमित से इस प्रकार की अण्डरटेकिंग लेते हुए हस्ताक्षर प्राप्त किए है । अतः अब बीमा कम्पनी ऐसा आधार मानते हुए वांछित क्लेम को खारिज नहीं कर सकता । इस संबंध में जो उपरोक्त विनिष्चयों में यथा माननीय राष्ट्रीय आयोग व माननीय राज्य आयोग द्वारा प्रस्तुत हुए है, में प्रस्तावक ने ऐसी अण्डरटेकिंग पर अपने स्वीकृति स्वरूप हस्ताक्षर अंकित किए हैं । हस्तगत मामले में न तो ऐसे कोई हस्ताक्षर है और ना ही प्राप्त किए गए है । दोनों ही विनिष्चय अप्रार्थी बीमा कम्पनी को कोई सहायता नहीं पहुंचाते है ।
12. जहां तक इस मंच द्वारा पारित निर्णय का प्रष्न है, यह मंच उक्त निर्णय में पारित सिद्वान्तों को हूबहू इस निर्णय में लागू करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि प्रत्येक केस के तथ्य एवं परिस्थितियां अलग अलग होती है । उक्त प्रकरण के तथ्य हस्तगत प्रकरण के तथ्यों से मेल नहीं खाते है ।
13. इस प्रकार प्रार्थी द्वारा पूर्व में क्लेम राषि उठाए जाने बाबत् लिए गए प्रतिवाद में उल्लेखित अण्डरटेंिकंग पर हस्ताक्षर को आधार बताते हुए अप्रार्थी द्वारा जो क्लेम खारिज किया है, वह उचित नहीं है । उनका यह कृत्य सेवा में कमी का परिचायक है । पत्रावली में उपलब्ध सर्वेयर द्वारा आंकलित राषि प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों के प्रकाष में दिलाया जाना न्यायोचित होगा ।
:ः- आदेष:ः-
14. (1) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से बीमा क्लेम राषि रू. 80,000/- क्लेम खारिज करने की दिनंाक से तदायगी 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
(2) प्रार्थी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी प्राप्त करने के अधिकारी होगा ।
(3) क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।
आदेष दिनांक 24.10.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष