Rajasthan

Ajmer

CC/337/2013

R.S.C.B - Complainant(s)

Versus

RELIANCE GEN INS - Opp.Party(s)

ADV RAJMAL MORASIYA

16 Jun 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/337/2013
 
1. R.S.C.B
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. RELIANCE GEN INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Jyoti Dosi PRESIDING MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 

 

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

राजस्थान राज्य विद्युत मण्डल कर्मचारी सहकारी बचत व साख समिति लिमिटेड, अजमेर जरिए अध्यक्ष
                                                             प्रार्थी

                            बनाम

1. प्रबन्धक,रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेंन्स कम्पनी लिमिटेड, दूसरा माला, मैकर्स आवर्स, नित्यानंद मार्ग, क्वीन्स रोड, वैषालीनगर,जयपुर, राजस्थान ।
2. प्रबन्धक,रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेंन्स कम्पनी लिमिटेड, मीठा खाली के पास, लायन्स सिक्स रोड, तीसरी मंजिल, अजय बंगला नवरंगपुरा, अहमदाबाद, गुजरात
3. षाखा प्रबन्धक,रिलायन्स जनरल इन्ष्योरेंन्स कम्पनी लिमिटेड, मोती महल, दौलतबाग रोड, अजमेर, राजस्थान । 
                                                      अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 337/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
           2. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री राजमल मोडासिया,अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री तेजभान भगतानी,अधिवक्ता अप्रार्थीगण 

                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 15.07.2015

1.              परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि अप्रार्थी संख्या 1 व 3 के अधिकृत प्रतिनिधियों ने प्रार्थी संस्था के सचिव व अध्यक्ष से उसके सदस्यों के लाभार्थ सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा हेतु कई बार मिलकर प्रस्ताव रखा जिससे प्रभावित होकर प्रार्थी संस्थान ने अपने  1419 सदस्यों के लिए दिनांक 9.6.2009 राषि रू. 82923/- का चैक अप्रार्थी बीमा कम्पनी के नाम जारी किया । तत्पष्चात् अप्रार्थी बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि श्री प्रमोद पारीक ने  दिनंाक 20.6.2009 से 19.6.2010 तक बीमा पाॅलिसी बाण्ड जारी करवाने का आष्वासन दिया किन्तु बावजूद दूरभाष सम्पर्क करने व दिनंाक 6.4.2010 व 6.5.2010 को  सूचना दिए जाने के उपराप्त  11 माह विलम्ब के बाद दिनंाक 20.6.2009 से 19.6.2010 तक की अवधि का पाॅलिसी बाण्ड जारी किया । 

    प्रार्थी संस्था का आगे कथन है कि बीमा अवधि में दिनांक 8.8.2009 को उनके सदस्यं सख्या 1157 के श्री पेमा सिंह की गरम दाल के कडाव में गिरने से  आकस्मिक मृत्यु हो गई । जिसकी अप्रार्थी संख्या 1 के जयुपर प्रतिनिधि श्री अमित मेहला को दिनंाक 10.8.2009 को  उनके दूरभाष पर इस संबंध में सूचित किया गया ।  तत्पष्चात्  प्रार्थी संस्थान ने परिवाद की चरण संख्या 3,4,5 में अंकित दिनांकों को  मृतक बीमाधारक का बीमा दावा निस्तारण करने का निवेदन किया किन्तु अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  12.8.2009 के पत्र से  दावा 11 माह देरी से प्रस्तुत करने व दावा खारिज करने  का कथन करते हुए स्पष्टीकरण की मांग की  जिसका प्रतिउत्तर दिनांक 3.9.2009 को प्रार्थी संस्थान द्वारा दे दिए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने प्रार्थी संस्थान के  मृतक बीमाधारक के दावे का निस्तारण नही ंकर सेवा में कमी कारित की है और परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए  कथन किया है कि  बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी संस्था के पक्ष में दिनांक 20.6.2009 से 19.6.2009 तक की अवधि हेतु व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी  बीमा कम्पानी व प्रार्थी संस्थान के मध्य निष्पादित हुए  डमउवतंदकनउ व िनदकमतेजंदकपदह के आधार पर जारी की गई थी  और उक्त बीमा पाॅलिसी पाॅलिसी जारी करने की दिनांक20.6.2009  को ही प्रार्थी संस्थान को  भेज दी गई थी ।  
               आगे  कथन किया है कि  प्रार्थी द्वारा क्लेम प्रपत्र प्राप्त होने के 11 माह बाद  अप्रार्थी बीमा कम्पनी को सूचित किया गया था जिस पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने अपने पत्र दिनांक 12.8.2010 के द्वारा  क्लेम देरी से पेष किए जाने बाबत्  7 दिवस में स्पष्टीकरण चाहा गया था साथ ही 7 दिवस में स्पष्टीकरण नही ंदिए जाने  पर पत्रावली बन्द कर दिए जाने बाबत् भी सूचित कर दिया गया था ।  किन्तु प्रार्थी संस्थान ने दिनांक 3.9.2010को जवाब प्रेषित किया गया । प्रार्थी संस्थान द्वारा  नियत समय पर स्पष्टीकरण नहीं दिए जाने पर क्लेम पत्रावली दिनांक 12.8.2010 को बन्द कर दी गई  ।  प्रार्थी संस्थान क्लेम पत्रावली बन्द कर दिए जाने की दिनांक के बाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24-ए के अनुसार दो वर्ष की अवधि में अथा दिनंाक 11.8.2012 तक  परिवाद पेष कर सकता था किन्तु प्रार्थी ने  परिवाद मियाद बाहर प्रस्तुत किया है जो निरस्त होने योग्य है । 
3.    हमने  पक्षकारान को सुना एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।
4.    जहां तक परिवाद अवधि बाहर है के संबंध में हमारी विवेचना है कि इस संबंध का एतराज अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा जरिए आवेदन दिनंाक 
26.11.2013 सेे लिया गया था जो प्रारम्भिक आपत्तियों के रूप में था । इस संबंध में पक्षकारान को सुना जाकर दिनांक 25.2.2014 को इस तिथी की आदेषिका में वर्णित अनुसार अप्रार्थी ने प्रारभ्भिक आपत्ति  जो परिवाद अवधि बाहर  की आपत्ति ले रखी थी को अस्वीकार किया जा चुका है । अतः इस बिन्दु  पर  दोबारा निर्णय देने की न तो आवष्यकता है और  ना ही दिया जा सकता है  एवं आदेषिका दिनंाक 25.2.2014 में अभिनिर्धारित  अनुसार परिवाद को अवधि भीतर माना गया है । 
5.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी  की ओर से तत्पष्चात् जवाब प्रस्तुत हुआ । परिवाद की चरण संख्या 1 के जवाब में अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने इस तथ्य को स्वीकार किया कि प्रार्थी संस्था के पक्ष में दिनांक 20.6.2009 से 19.6.2010 की अवधि  हेतु  सामूहिक  व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी जारी की गई थी । अतः यह  तथ्य भी स्वीकृतषुदा है कि प्रार्थी संस्था के पक्ष में उसके सदस्यों के लिए दिनांक 20.6.2009 से 19.6.2010 की अवधि  हेतु  सामूहिक  व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा किया हुआ था । 
6.    अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जवाब में अन्य जो तथ्य वर्णित हुए है उनके अनुसार  हमारे समक्ष निर्णय हेतु निम्नांकित बिन्दु तय करने के लिए षेष रहते है:-
    (1)    बिन्दु संख्या 1:- क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्ऱ दिनांक 12.8.2010 जिससे प्रार्थी संस्था से क्लेम देरी से प्रस्तुत करने के संबंध में स्पष्टीकरण चाहा  और जिसका जवाब प्रार्थी संस्थान द्वारा दिनांक 3.9.2010  के पत्र द्वारा  प्रस्तुत किया गया वह असत्य आधारों पर था  तथा प्रार्थी संस्था द्वारा 7 दिवस में जवाब नहीं देने पर प्रार्थी की बीमा पत्रावली बन्द कर दी गई  जो सही बन्द की गई है ?
     (2)  बिन्दु संख्या 2:- क्या प्रार्थी संस्था के क्लेम को अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा त्मचनकपंजम   नहीं किया गया है । अतः उसका यह क्लेम प्री मैच्योर  होने से  भी चलने  योग्य नहीं है ?
            (3)  बिन्दु संख्या 3ः- क्या अप्रार्थी बीमा कम्पनी के कार्यालय जयपुर व अहमदाबाद में है तथा अजमेर षाखा कार्यालय से कोई कार्यवाही नहीं हुई है । अतः प्रार्थी संस्थान के  इस  क्लेम को सुनने  का अधिकार  इस मंच को  नहीं है ?
    (4)   बिन्दु संख्या 4:- क्या मृतक बीमाधारक की मृत्यु दाल के कडाव में गिरने से हुई जो बीमा पाॅलिसी की षर्तो के अन्तर्गत कवर होने योग्य नहीं थी । अतः बीमा क्लेम निरस्त होने योग्य है ?
7.    उपरोक्त कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं के संबंध में हमने पक्षकारान  की जो बहस हुई उस पर गौर किया । कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं का निर्णय निम्नानुसार किया जाना हम उचित समझते है:- 
8.    (1)    बिन्दु संख्या 1:- अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनांक 12.8.2010 में वर्णित अनुसार प्रार्थी के इस क्लेम से संबंधित दस्तावेजात 11 माह बाद पेष  किए गए है एवं इस तथ्य को  अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने  बीमा पाॅलिसी षर्तो का उल्लंघन माना एवं प्रार्थी संस्था से कारण चाहा कि उसके क्लेम को अस्वीकार क्यों नहीं कर दिया जावे । इस पत्र के अवलोकन से यही पाया जाता है कि प्रार्थी संस्थान का क्लेम 11 माह बाद  पेष हुआ बल्कि पत्र के अध्ययन से यही प्रतीत होता है कि क्लेम तो पहले प्रस्तुत हो चुका था लेकिन दस्तावेजात 11 माह बाद प्रस्तुत हुए थे इसके अतिरिक्त यह मान भी लिया जावे कि क्लेम  भी  11 माह बाद प्रस्तुत  किया हो  तब भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से पाॅलिसी की षर्ते पेष नहीं की है एव ंना ही यह दर्षाया है कि  देरी से क्लेम पेष करने से पाॅलिसी की किस ष्षर्त का उल्लंघन  हुआ ।  इसके अतिरिक्त इस पत्र से प्रार्थी संस्था से देरी से क्लेम भेजने के संबंध में स्पष्टीकरण चाहा है जो प्रार्थी की ओर से सहकारी व साख समिति द्वारा  विस्तारपूर्वक सभी तथ्यों का उल्लेख करते हुए दिनंाक 3.9.2010 को  देरी के संबंध में स्पष्टीकरण  भेजे गए है  एवं पत्र दिनंाक 3.9.2010 में जो तथ्य एवं परिस्थितियों का वर्णन है उनके दृष्टिगत क्लेम देरी से भेजने का युक्तियुक्त स्पष्टीकरण  प्रार्थी की ओर से दिया गया है । अतः यह निर्णय बिन्दु अप्रार्थी बीमा कम्पनी को ओर से सिद्व होना नहीं पाते है एवं इस निर्णय बिन्दु का निर्णय इसी अनुरूप किया जाता है । 
9.    बिन्दु संख्या 2:- इस निर्णय बिन्दु के संबंध में  अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी की बहस रही है कि  अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनंाक 12.8.2010 से  प्रार्थी द्वारा क्लेम देरी से पेष किया गया है । अतः  प्रार्थी संस्था से पूछा गया कि प्रार्थी का क्लेम जो देरी से पेष हुआ है  अतः क्यों नहीं उसे खारिज कर दिया जाए एवं  प्रार्थी संस्था को जवाब 7 दिन में प्रस्तुत करना था । प्रार्थी संस्थान की ओर से दिनंाक 3.9.2010 को  जवाब प्रस्तुत हुआ  उक्त जवाब के प्रस्तुत होने के बाद अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी के क्लेम को खारिज करने संबंधी कोई आदेष पारित नहीं हुए है । इस प्रकार मृतक बीमाधारक के संबंध में  प्रस्तुत किया गया क्लेम प्री मैच्योर है। अधिवक्ता  प्रार्थी की बहस रही है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी के पत्र दिनाक  12.8.2010 का जवाब दिनंाक 3.9.2010 को दे दिया गया था एवं अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवाद पेष होने तक एवं आज तक भी इस क्लेम को सेटल नहीं किया है । अतः प्रार्थी का यह क्लेम प्री मैच्योर  नहीं होकर चलने योग्य हे । 
    हमने गौर किया । इस आषय के अभिवचन अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जवाब की चरण संख्या 4 में दिए हुए है । एक तरफ  अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन रहा है कि प्रार्थी का क्लेम प्री मैच्योर है जबकि जवाब के पैरा संख्या 4 में वर्णित अनुसार यदि प्रार्थी संस्थान की ओर से 7 दिवस में जवाब नहीं दिया गया तो उसकी फाईल बन्द कर दी  जावेगी अर्थात  क्लेम त्मचनकपंजम  माना जावेगा उल्लेखित है । इस तरह से अप्रार्थी के कथन एक तरफ तो क्लेम  को अवधि पूर्व  बतलाया है वही  दूसरी  तरफ क्लेम त्मचनकपंजम हो जाना माना जावेगा , उल्लेख किया है ।  इसके अतिरिक्त प्रार्थी की ओर से जो जवाब दिनंाक 3.9.2010 को प्रस्तुत किया के उपरान्त परिवाद पेष होने तक प्रार्थी के क्लेम को न तो अस्वीकार किया है और ना ही स्वीकार किया है  एवं इसी आधार पर प्रार्थी के क्लेम को अवधि भीतर माना गया है ।  अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी इस एतराज को सिद्व नहीं कर पाया है एवं अप्रार्थी के इस एतरज के आधार पर प्रार्थी का परिवाद खारिज होने योग्य नहीं माना जा सकता । अतः इस निर्णय बिन्दु  का निर्णय  इसी अनुरूप किया जाता है । 
10.          निर्णय बिन्दु संख्या 3:-  इस निर्णय बिन्दु से अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्षेत्राधिकार  का प्रष्न उठाया है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी का कथन है कि प्रार्थी संस्था की साख समिति ने यह बीमा पाॅलिसी अप्रार्थी के जयपुर कार्यालय से ली थी एवं उनका मुख्य कार्यालय अहमदाबाद में है ।  प्रार्थी ने अप्रार्थी संख्या 3 के रूप में अजमेर षाखा को पक्षकार बनाया  है लेकिन अजमेर षाखा से किसी भी तरह का कोई संव्यवहार इस पाॅलिसी के लेने आदि के संबंध में नहीं हुआ है । इस प्रकार प्रार्थी का यह क्लेम या तो जयपुर क्षेत्राधिकार अथवा अहमदाबाद क्षेत्राधिकार में ही चलने योग्य है ।  हमने अधिवक्ता प्रार्थी को सुना एवं गौर किया । 
        अप्रार्थी बीमा कम्पनी का एक पत्र जिसकी प्रति प्रार्थी संस्था की ओर से पेष हुई है उक्त पत्र इस पाॅलिसी  हेतु आमंत्रण पत्र के रूप में है जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रार्थी संस्था के कार्यालय अजमेर को भेजा गया है एवं इस पत्र की प्राप्ति के  बाद प्रार्थी संस्था की साख समिति ने अपने अजमेर कार्यालय से अप्रार्थी बीमा कम्पनी के जयपुर कार्यालय को  इस आमंत्रण को स्वीकार करने संबंधी पत्र  दिनांक 9.6.2009 को भेजा है जिसकी प्रति भी पत्रावली पर है ।  हमारे विनम्र मत में  अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रष्नगत  पाॅलिसी लेने का आंमत्रण  पत्र प्रार्थी संस्था की साख समिति को अजमेर भेजा गया है एवं प्रार्थी संस्थान की साख समिति द्वारा इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए उसके पक्ष मेें आमंत्रण में वर्णित  पाॅलिसी जारी करने की सहमति दी है  इस तरह से हमारे मत में वादकारण  उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए अंषतः  अजमेर में  भी उत्पन्न हुआ है  एवं इस मंच को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार बखूबी हे । अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी का यह एतराज भी स्वीकार होने योग्य नहीं है । 
11.    निर्णय बिन्दु संख्या 4:-   इस निर्णय बिन्दु के संबंध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी का एतराज रहा है कि बीमाधारक की मृत्यु  दाल के कढावे में गिरने से हुई  है। घटना के समय उसे खांसी चली  तथा उसे चक्कर  आ गए  जिससे वह दाल के कढावे में गिर गया । अतः यह घटना बीमा पाॅलिसी के तहत कवर नहीं होती । प्रथमतः  अप्रार्थी बीमा कम्पनी की ओर से बीमा पाॅलिसी की षर्ते पेष नहीं की है इसके अतिरिक्त बीमाधारक की मृत्यु दाल के कढावे में गिरने से हुई । इस संबंध में मृतक बीमाधारक के परिवारजन द्वारा पुलिस को भी सूचित किया गया है एवं इस संबंध में मर्ग(प्दुनमेज) की कार्यवाही हुई है तथा मृतक बीमाधारक का पोस्टमार्टम भी हुआ है । अतः हम पाते है कि मृतक बीमाधारक की मृत्यु दुर्घटना से  हुई है  और यह  दुर्घटना मृत्यु की श्रण्ेाी में आती है ।  अतः अप्रार्थी का यह एतरात भी स्वीकार होने योग्य नहीं पाया गया है ।  
12.       प्रार्थी संस्था की  साख समिति द्वारा अप्रार्थी बीमा कम्पनी की  सामूहिक व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पाॅलिसी ली हुई थी एवं प्रार्थी संस्था की साख समिति के सदस्यों के लिए पाॅलिसी ली  उनकी सूची भी पत्रावली के  संलग्न है एवं उक्त सूची में मृतक बीमाधारक का नाम  सीरियल नं. 498  जिसकी सदस्यता संख्या 1137  परिवाद में दर्षाई है में पेमा सिंह पुत्र हरिसिंह नाम का सदस्य के रूप मे  इस पाॅलिसी धारकों की सूची में सम्मिलित होना पाया गया है ।  सामूहिक दुर्घटना बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत बीमाधारक की दुर्घटना  में मृत्यु हो जाने पर  रू. 1,00,000/-  की राषि का क्लेम देय था  एवं निर्णय बिन्दु जो उपरोक्त अनुसार निर्णित हुए है के निर्णय अनुसार उक्त पेमा सिंह की मृत्यु दुर्घटना स्वरूप हुई है । अतः  उक्त पेमा सिंह के वारिसान बीमा पाॅलिसी  के तहत देय रू. 1,00,000/- अप्रार्थी  बीमा कम्पनी से प्राप्त करने के अधिकारी पाए जाते है । अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा मृतक पेमा सिंह के संबंध में पेष किए गए क्लेम को लम्बे समय तक निर्णित नहीं किया । अतः इस संबंध में यह परिवाद लाना पडा । अतः मृतक बीमाधारक पेमा सिंह के वारिसान इस हेतु  मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में भी उपयुक्त राषि प्राप्त करने के अधिकारी है ।  अतः आदेष है कि  
                          :ः- आदेष:ः-
13.             (1)      अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्राथी संस्था के बीमित सदस्य स्वर्गीय पेमा सिंह   की मृत्यु दुर्घटना में  होने के फलस्वरूप  बीमा पाॅलिसी की षर्ताेनुसार  देय बीमा क्लेम राषि रू. 1,00,000/-  उसके वारिसान को भुगतान करने हेतु प्रार्थी संस्था को अदा करें । इस राषि का भुगतान प्रार्थी संस्था मृतक पेमासिंह के विधिक वारिसान को  करते हुए  प्राप्ति रसीद  इस मंच में प्रस्तुत करें ।
         (2)          मृतक पेमा सिंह के वारिसान मानसिक संताप व वाद व्यय के मद में राषि रू.5000/- भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी से प्राप्त करने के अधिकारी होगें । यह राषि भी  अप्रार्थी बीमा कम्पनी प्रार्थी संस्था को अदा करेें और इस राषि का भुगतान भी  प्रार्थी संस्था मृतक पेमासिंह के विधिक वारिसान को  करते हुए  प्राप्ति रसीद इस मंच में प्रस्तुत करें ।
         (3)          क्रम संख्या 1 व 2 में वर्णित राषि का भुगतान अप्रार्थी बीमा कम्पनी इस आदेष से दो माह की अवधि में करे अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें ।  
            (4)      दो माह  में आदेषित राषि का भुगतान  नहीं करने पर  प्रार्थी  संस्था अप्रार्थी  बीमा कम्पनी से  उक्त राषियों पर  निर्णय की दिनांक से  ताअदायगी 09 प्रतिषत वार्षिक  दर से ब्याज भी प्राप्त कर सकेगी   और  यदि यह राषि भी  अप्रार्थी  बीमा कम्पनी प्रार्थी  संस्था को अदा करती है तो प्रार्थी संस्था इस राषि का भुगतान भी  मृतक पेमासिंह के विधिक वारिसान को  करते हुए  प्राप्ति रसीद इस मंच में प्रस्तुत करें ।

                
(श्रीमती ज्योति डोसी)                              (गौतम प्रकाष षर्मा)
           सदस्या                                           अध्यक्ष    
14.        आदेष दिनांक  15.07.2015  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्या                                           अध्यक्ष

 
     

 
 
[ Jyoti Dosi]
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