जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर
परिवाद सं. 209/2015
1. श्रीमती सीता देवी पत्नी स्व. षिम्भुराम, निवासी ग्राम- कीतलसर, तहसील- डेगाना, जिला-नागौर।
2. सरोज पुत्री स्व. षिम्भुराम
3. भागीरथ पुत्र स्व. षिम्भुराम
परिवादीगण संख्या 2 व 3 नाबालिग जरिये कुदरती वलिया माता परिवादी संख्या 1 श्रीमती सीता देवी, निवासी- कीतलसर। -परिवादीगण
बनाम
1. रिलायंस जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 4 फ्लोर 4-1-327 से 337 सागर प्लाजा ऐबीट्स रोड हैदराबाद-500001 (आन्ध्रप्रदेष) जरिये प्रबंधक/प्रभारी अधिकारी।
2. रिलायंस जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिये प्रबंधक/प्रभारी अधिकारी, सुगनसिंह सर्किल, एक्सिस बैंक के पास, नागौर (राज.)।
-अप्रार्थीगण
समक्षः
1. श्री ईष्वर जयपाल, अध्यक्ष।
2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।
3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।
उपस्थितः
1. श्री विक्रम जोषी, अधिवक्ता, वास्ते प्रार्थी।
2. अप्रार्थीगण की ओर से कोई नहीं।
अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986
आ दे ष दिनांक 16.03.2016
1. यह परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 संक्षिप्ततः इन सुसंगत तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया गया कि परिवादीगण के पति व पिता षिम्भुराम पुत्र भींयाराम मजदूरी करने के लिए सउदी अरब गया था। उसे नियोक्ता हसन रासीदबिन हमद अलमुंजिम ने साउदी अरबिया में ड्राईवर पद पर मजदूरी करने के लिए भेजा। जिसके लिए नियमानुसार प्रवासी भारतीय बीमा योजना के तहत बीमा करवाया जाना जरूरी था। षिम्भुराम ने 303/- रूपये प्रीमियम राषि देकर अप्रार्थीगण से एक रिलायंस प्रवासी भारतीय बीमा योजना के तहत बीमा पाॅलिसी संख्या 1105512815073119 प्राप्त की। उक्त बीमा पाॅलिसी दिनांक 07.04.2011 से 06.04.2013 की मध्य रात्रि तक (अवधि) अथवा बीमित व्यक्ति के वापस स्वदेष लौटने की तिथि तक जो भी पहले हो, तक के लिए वैध व प्रभावी थी।
उक्त पाॅलिसी के तहत बीमित की दुर्घटना में मृत्यु होने की दषा में 10,00,000/- रूपये भारतीय मुद्रा के रूप में, पत्नी व दो बच्चों को अस्पताल खर्चा की राषि 50,000/- रूपये, बीमित व अटेण्डेंट के ट्रांसपोर्टेषन हेतु इकोनोमिक क्लास का हवाई टिकट खर्च, बीमित का एक तरफ का हवाई टिकट खर्च, अस्पताल का खर्च बीमित हेतु भारत में और जहां बीमित कार्यरत है वहां के लिए 75,000/- रूपये, महिला कर्मचारी की दषा में मातृत्व लाभ के रूप में 25,000/- रूपये एवं विधिक खर्चों के पुनर्भुगतान बाबत् 30,000/- रूपये आदि सभी नियमानुसार देय होंगे। बीमा पाॅलिसी के तहत परिवादिया सीता देवी को नोमिनी बनाया गया था।
इस बीच बीमा अवधि मंे दिनांक 16.11.2012 को परिवादीगण के पति व पिता की कार दुर्घटना मंे मृत्यु हो गई। जिस पर परिवादिया के पति व पिता षिम्भुराम का षव भारत लाकर अंतिम क्रिया कर्म किया गया। परिवाद में बताया गया है कि इसके पष्चात् परिवादीगण ने बीमा पाॅलिसी के अन्तर्गत मिलने वाले लाभ प्राप्त करने के लिए अप्रार्थीगण के यहां क्लेम पेष किया, जिस पर अप्रार्थीगण ने आवष्यक पूछताछ कर यह बताया कि षीघ्र ही पाॅलिसी के अन्तर्गत देय परिलाभ प्रदान कर दिये जाएंगे लेकिन एक लम्बी अवधि व्यतीत होने के पष्चात् भी कोई परिलाभ नहीं देकर कोई सूचना भी नहीं दी। यह भी बताया गया है कि पुनः जानकारी करने पर अप्रार्थीगण के प्रतिनिधि जांचकर्ता ने षीघ्र भुगतान चैक द्वारा प्रेशित किए जाने हेतु आष्वस्त कर वचन दिया लेकिन आज तक पाॅलिसी के परिलाभ से वंचित रखा गया है, जो कि सेवा दोश है। ऐसी स्थिति में परिवाद स्वीकार कर पाॅलिसी के तहत दुर्घटना मृत्यु की दषा में देय लाभ 10,00,000/- रूपये मय ब्याज दिलाये जाने के साथ ही मानसिक क्षतिपूर्ति व अन्य खर्च दिलाया जावे।
2. अप्रार्थीगण वावजूद सूचना/तामिल के उपस्थित नहीं आये तथा ना ही कोई परिवादोतर प्रस्तुत किया।
3. परिवादी पक्ष की बहस सुनी जाकर पत्रावली का अवलोकन किया गया। परिवादीगण ने अपने आवेदन के समर्थन में षपथ-पत्र पेष करने के साथ ही दस्तावेज क्रमषः बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष 1, क्लेम फार्म प्रदर्ष 2, फाइनल मेडिकल रिपोर्ट प्रदर्ष 3, भारत सरकार द्वारा जारी अनापति प्रमाण-पत्र प्रदर्ष 4, ग्राम पंचायत कीतलसर के सरपंच का षपथ-पत्र प्रदर्ष 5, अप्रार्थी पक्ष द्वारा जारी रिक्वायरमेंट लेटर प्रदर्ष 6 एवं अप्रार्थीगण की अन्वेशण षाखा द्वारा सीता देवी को जारी पत्र प्रदर्ष 7 की फोटो प्रतियां प्रस्तुत की गई है।
परिवादीगण द्वारा किये गये अभिकथनों, षपथ-पत्र एवं दस्तावेजात के खण्डन में अप्रार्थी पक्ष की ओर से कोई तथ्य न्यायालय/मंच के समक्ष नहीं लाया गया है। पत्रावली पर उपलब्ध सामग्री से स्पश्ट है कि पाॅलिसी धारक षिम्भुराम के उतराधिकारी होने के नाते परिवादीगण भी उपभोक्ता की परिभाशा में आते हैं। अप्रार्थीगण ने पर्याप्त बीमा षुल्क/प्रीमियम राषि प्राप्त करने के पष्चात् ही बीमा पाॅलिसी प्रदर्ष 1 जारी की थी तथा यह स्पश्ट है कि बीमा अवधि के भीतर ही कार दुर्घटना के कारण दिनांक 16.11.2012 को षिम्भुराम की असामयिक मृत्यु हुई है।
पत्रावली पर यह तथ्य भी आया है कि अप्रार्थीगण के प्रतिनिधि जांचकर्ता द्वारा भी आवष्यक अन्वेशण के पष्चात् बीमा पाॅलिसी के तहत आवष्यक परिलाभ प्रदान करने हेतु आष्वस्त किया लेकिन आज तक कोई परिलाभ प्रदान नहीं किये गये हैं। यहां तक कि क्लेम खारिज करने बाबत् भी कोई स्पश्ट सूचना परिवादीगण को नहीं दी गई है। जो कि निष्चित रूप से अप्रार्थीगण की अनुचित प्रेक्टिस व सेवा दोश की श्रेणी में आता हैै।
ग्राम पंचायत कीतलसर के सरपंच द्वारा जारी षपथ-पत्र अनुसार परिवादीगण ग्रामीण पृश्ठभूमि के होकर गरीब व्यक्ति हैं लेकिन अप्रार्थीगण ने लम्बे समय से बीमा पाॅलिसी के आवष्यक परिलाभ अदा नहीं कर उन्हें परिलाभों से वंचित रखा गया है जो निष्चित रूप से अप्रार्थीगण का सेवा दोश है। ऐसी स्थिति में परिवादी पक्ष द्वारा प्रस्तुत परिवाद स्वीकार कर उन्हें आवष्यक परिलाभ दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
आदेश
4. परिणामतः परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 विरूद्ध अप्रार्थीगण स्वीकार किया जाकर आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण अपने द्वारा जारी पाॅलिसी संख्या 1105512815073119 के तहत पाॅलिसी धारक षिम्भुराम की मृत्यु होने की स्थिति में देय लाभ 10,00,000/- रूपये (दस लाख रूपये) परिवादीगण को अदा करें। यह भी आदेष दिया जाता है कि उपर्युक्त दस लाख रूपये की राषि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक 08.09.2015 से परिवादीगण 9 प्रतिषत वार्शिक साधारण ब्याज भी प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। यह भी आदेष दिया जाता है कि अप्रार्थीगण इस मामले में अपने सेवा दोश पूर्ण कृत्य के कारण परिवादीगण को हुई मानसिक परेषानी हेतु 20,000/- रूपये तथा परिवाद व्यय के 5,000/- रूपये भी अदा करें। अप्रार्थीगण सम्पूर्ण राषि एक माह के अंदर अदा करेंगे।
5. आदेष आज दिनांक 16.03.2016 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
नोटः- आदेष की पालना नहीं किया जाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 27 के तहत तीन वर्श तक के कारावास या 10,000/- रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध है।
।बलवीर खुडखुडिया। ।ईष्वर जयपाल। राजलक्ष्मी आचार्य
सदस्य अध्यक्ष सदस्या