Rajasthan

Ajmer

CC/132/2013

RAKESH GOYAL - Complainant(s)

Versus

RELIANCE FOOTPRINT - Opp.Party(s)

ADV BHARU SINGH RAJAWAT

23 Sep 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/132/2013
 
1. RAKESH GOYAL
AJMER
 
BEFORE: 
  Gautam prakesh sharma PRESIDENT
  vijendra kumar mehta MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर

श्री राकेष गोयल पुत्र श्री मांगी लाल जी गोयल, उम्र- करीब 40 वर्ष, निवासी- ई-119, षास्त्रीनगर, अजमेर । 
                                                         प्रार्थी    

                            बनाम

1. मैसर्स रिलायंस फुट प्रिन्ट लि, बेसमेन्ट सिनेमाल,आनासागर झील के पास, सरक्यूलर रोड, वैषालीनगर, अजमेर ।
2.रिलायन्स इण्डस्ट्रीयल लिमिटेड, रीजनल कार्यालय, आन्नद भवन, फस्र्ट फलोर, संसार चन्द्र रोड, जयपुर । 
                                                        अप्रार्थीगण
                    परिवाद संख्या 132/2013

                            समक्ष
                   1.  गौतम प्रकाष षर्मा    अध्यक्ष
            2. विजेन्द्र कुमार मेहता   सदस्य
                   3. श्रीमती ज्योति डोसी   सदस्या

                           उपस्थिति
                  1.श्री भैरू सिंह राजावत,  अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री अरिन्जय जैन, अधिवक्ता, अप्रार्थीगण  
                              
मंच द्वारा           :ः- आदेष:ः-      दिनांकः- 30.10.2014

1.      उसने अप्रार्थी संख्या 1 के यहां से  क्रेडिट कार्ड के जरिए  दिनांक 
30.9.2012 को इन्वाईस संख्या 000595 के रू. 2295/- में  सभी कर सहित एक जोडी जूते क्रय किए ।  उक्त जूतो के डेमेज होने पर अप्रार्थी संख्या 1 ने  रिसिप्ट संख्या 054 के दिनांक 22.10.2012 को 7 दिन में दुरूस्त करवाने का आष्वासन देते हुए अपने पास रख लिए ।  निर्धारित अवधि में उसने अप्रार्थी संख्या 1 से जूते प्राप्त कर लिए किन्तु  7 दिन बाद ही उक्त जूतो का लेदर ब्रेक हो गया । इस संबंध में अप्रार्थी संख्या 1 से सम्पर्क किए जाने पर  अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । तत्पष्चात् उसने दिनंाक 3.12.2012 को नोटिस भी दिया  किन्तु उसका भी कोई जवाब नहीं दिया गया । परिवाद प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी ने परिववाद में वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रार्थी द्वारा  एक जोडी जूते क्रय किए जाने के तथ्य को स्वीकार करते हुए आगे दर्षाया है कि  प्रार्थी द्वारा  इन जूतों के संबंध में जो षिकायत प्रार्थी को थी उसे दुरूस्त कर जूते प्रार्थी को सुपुर्द कर दिए गए । तत्पष्चात् प्रार्थी द्वारा दोबारा  लेदर ब्रेक होने की षिकायत किए जाने पर प्रार्थी को बतलाया गया  बार बार  जूते रिपेयर नही ंकिए जा सकते फिर भी यदि वह  रू. 500/-  जूते रिपेयर चार्जेज के अदा करे तो जूते रिपेयर किए जा सकते है  जिसके लिए प्रार्थी तैयार नहीं हुआ और उनके कर्मचारियों से  दुव्यर्वहार करने के पष्चात् प्रार्थी जूते लेकर चला गया ।  परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है । 
3.    हमने बहस पक्षकारान सुनी एवं पत्रावली का अनुषीलन किया ।  
4.          इस परिवाद  के निर्णय हेतु हमारे समक्ष निम्नांकित बिन्दु तय करने के लिए है:-
1. क्या दिनंाक 30.9.12 को प्रार्थी ने परिवाद की चरण संख्या 1 में वर्णित प्रष्नगत जूते अप्रार्थी संख्या 1 से राषि रू. 2295/- में  क्रय किए गए ?  
2. क्या प्रष्नगत जुते क्रय करने के कुछ समय बाद ही डेमेज हो गए ? जिन्हे अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा सहीं करने के उपरान्त कुछ ही समय बाद पुनः उनका लेदर बे्रक होकर खराब हो गए जिन्हें पुनः अप्रार्थी संख्या 1 को ठीक करने हेतु दिए जिन्हें अप्रार्थी ने  जूते ठीक करने से मना कर दिया और ना ही अप्रार्थी ने  प्रार्थी को इन जूतों की क्रय राषि लौटाई है ? अतः अप्रार्थीगण के विरूद्व सेवा मे ंकमी का बिन्दु सिद्व है ?
5.    हमने उपरोक्त  कायम किए गए निर्णय बिन्दुओं पर पक्षकारान की बहस सुनी । अधिवक्ता प्रार्थी की बहस है कि प्रार्थी ने जो जूते खरीदे उनका  बिल परिवाद के संलग्न है एवं जूते खरीदने के 22 दिन बाद ही  खराब हो गए जिसे प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 को ठाीक करने हेतु दिए जिसकी रसीद भी पत्रावली पर है जिसमें जूते  खराब होने का कारण लेदर बे्रक दर्षाया है । अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा  दुरूस्त किए गए जूते को प्रार्थी द्वारा प्राप्त किया गया लेकिन  वे जूते भी कुछ समय बाद ही पुनः खराब हो गए अर्थात उसका  चमडा ब्रेक हो गया एवं जिसे दुरूस्त किया गया एवं पुनः खराब हो गया जिस पर प्रार्थी ने पुनः अप्रार्थी संख्या 1 से समपर्क किया लेकिन उसने जूते न तो दुरूस्त किए और ना ही बदले ।
6.    अप्रार्थीगण की ओर से बहस की गई कि  प्रार्थी इन जूतो के खराब होने के संबंध में षिकायत लेकर आया  जिन्हें सहीं किया गया ।  पुनः प्रार्थी दिनांक 22.10.2012 को जूते लेकर उनके संस्थान पर आया तब उसे स्पष्ट बतला दिया गया था कि पूर्व में जूते के संबंध में की गई षिकायत का निवारण कर दिया गया है  एवं  अब उसके द्वारा  लेदर ब्रेक होने की जो षिकायत की गई है इस सबंध में कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती ।  प्रार्थी के ज्यादा ही विवष किए जाने पर  जूतों को दुरूस्त करने हेतु  उसे रू. 500/- चार्जेज अलग से लगने के संबंध में बतलाया गया  जिसके लिए प्रार्थी तैयार नहीं हुआ ।  अधिवक्ता अप्रार्थी ने अपनी बहस में यह भी दर्षाया कि  प्रार्थी ने रू. 50,000/- बतौर  हर्जाने की मांग की है जिसका कोई आधार नहीं दर्षाया गया है । उनकी यह भी बहस रही है कि जूते विक्रय करते समय जूतो को पुनः बदला जाएगा या उनकी कीमत अदा की जावेगी इस संबंध में कोई करार अप्रार्थी द्वारा नहीं किया गया है । प्रार्थी का यह परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया । अप्रार्थी की ओर से इसी मंच का पूर्व निर्णय जो परिवाद संख्या 226/11 निर्णय दिनंाक 16.4.2012 पेष कर दर्षाया कि  पूर्व निर्णय के तथ्य हस्तगत प्रकरण के तथ्यों से मेल खाते है । 

7.    हमने बहस पर गौर किया ।  प्रार्थी ने ये जूते रू. 2295/-( वेट राषि रू. 281.84) में दिनांक 30.9.2012 को क्रय किए थे । प्रार्थी का यह भी कथन रहा है कि प्रार्थी ने जब ये जूते क्रय किए तब अप्रार्थी ने प्रार्थी को यह विष्वास भी दिलाया कि  जूते उच्च गुणवत्ता के है । प्रार्थी के अनुसार ये जूते क्रय करने के  महिने भर की अवधि के पहले ही खराब हो गए  और इनका चमडा कट गया  जिसके संबंध में  प्रार्थी ने अप्रार्थी से सम्पर्क किया एवं अप्रार्थी ने जूतो को दुरूस्त कर प्रार्थी  दे दिए । इस संबंध में पत्रावली  पर दिनांक 22.10.2012 की अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा जारी रसीद है एवं रसीद में लेदर बे्रक होने का उल्लेख है जबकि अप्रार्थी ने अपने  जवाब की चरण संख्या 8 में इस तथ्य को स्पष्ट रूप से  मना  किया है । प्रार्थी का आगे कथन रहा है कि जूते दुरूस्त कर दिए जाने के कुछ ही दिन अर्थात करीब 7 दिन बाद  इन जूतो का लेदर पुनः ब्रेक हो गया तो प्रार्थी ने पुनः अप्रार्थी संख्या 1 से  इस संबंध में  जूतो को दुरूस्त करने या जूते बदलने के लिए कहा  तो अप्रार्थी ने बतलाया कि  जूते बार बार दुरूस्त नहीं किए जाते है और ना ही बदले जाते है । स्वयं अप्रार्थी ने अपने जवाब में यह कथन किया है कि प्रार्थी  जूतों की खराबी को लेकर उनके यहां आया था किन्तु उनके द्वारा इस प्रकार जूतों को ठीक नही ंकिया जाता । अतः प्रार्थी को यह बतला दिया गया था कि प्रार्थी यदि ज्यादा ही विवष कर रहा है  तो रू. 500/-  चार्जेज के अलग से देने होगें किन्तु प्रार्थी ने यह राषि देने से मना कर दिया ।  अतः प्रार्थी के जूते दुरूस्त नहीं किए गए ।
8.    उपरोक्त विवेचन से यह तथ्य सिद्व हो रहा है कि प्रार्थी के प्रष्नगत जूते  क्रय किए जाने के एक माह की अवधि में ही  लेदर  के ब्रेक हो  जाने से खराब हो गए  जिन्हें अप्रार्थी द्वारा ठीक कर दिया गया था । उक्तानुसार जूते ठीक कर दिए जाने के  7 दिन बाद  जूतो का लेदर पुनः ब्रेक हो गया जिसे अप्रार्थी ने न तो दुरूस्त किए और ना ही जूते बदले ।     प्रार्थी का परिवाद में कथन रहा है कि जूते क्रय करते वक्त अप्रार्थी ने प्रार्थी को जूते उच्च गुणवत्ता के होने संबंधी विष्वास दिलाया  था  किन्तु जूते एक माह के भीतर ही खराब हो गए जिन्हें ठीक करने के कुछ दिनों में ही  पुनः खराब हो गए । ये कथन इन जूतो की  उच्च गुणवत्ता  होने के तथ्य को संदिग्ध करते है । इन जूतो के संबंध में अप्रार्थी ने कोई वारण्टी/गारण्टी दी हो,  प्रार्थी का ऐसा कोई अभिकथन  नहीं है  लेकिन प्रार्थी ने इन जूतो का उच्च गुणवत्ता का होने का भरोसा अप्रार्थी ने दिया, अपने परिवाद में दर्षाया है । 

9.     अप्रार्थी द्वारा पेष  पूर्व निर्णय का भी हमने अध्ययन किया । इस निर्णय के पैरा संख्या 4 में वर्णित  उक्त प्रकरण के  प्रार्थी स्वयं ने यह कथन किया  कि उन जूतों के संबंध में कोई परेषानी होगी तो  कम्पनी की जिम्मेदारी  नहीं होगी ऐसा  स्थानीय प्रतिनिधि ने कहा था किन्तु हस्तगत प्रकरण के प्रार्थी का ऐसा कथन नहीं है ।  इसी प्रकार उक्त निर्णय के इसी पैरा में वर्णित अनुसार जो बिल प्रार्थी को दिया गया उस पर नो क्लेम नो गारण्टी भी अंकित था जबकि हस्तगत प्रकरण में जो बिल प्रार्थी की ओर से पेष हुआ है उसमें ऐसा कोई अंकन नहीं है । 

10.    उपरोक्त सारे विवेचन से हमारे मत में  प्रार्थी ने अप्रार्थी द्वारा  उपर वर्णित हालात में जूतों का नहीं बदल कर अथवा उनकी कीमत नहीं देकर सेवा में कमी के तथ्य को सिद्व किया है । 

11.    अप्रार्थी की ओर से इसी मंच  के अन्य प्रकरण संख्या 226/2011 राजेन्द्र कुमार सक्सेना बनाम लिबर्टी फुटवियर निर्णय दिनांक 16.4.12 की जो प्रति पेष  हुई है, के तथ्य हस्तगत प्रकरण के तथ्यों से भिन्न है ।  अतः हमारे विनम्र मत में प्रार्थी अप्रार्थीगण से क्रय किए गए इन जूतो की कीमत राषि ,वेट राषि को छोड कर रू. 2013/- प्राप्त करने का अधिकारी है । प्रार्थी को यह परिवाद  लाना पडा  अतः इस हेतु  प्रार्थी समुचित राषि हर्जे के रूप में प्राप्त करने का अधिकारी है । अतः प्रार्थी का यह परिवाद स्वीकार होने योग्य है  एवं आदेष है कि 
      
                            :ः- आदेष:ः-
12.    (1) प्रार्थी  अप्रार्थी संख्या 1 व  2 से  संयुक्त व पृथक पृथक रूप से  प्रष्नगत  जूतो की  कीमत राषि  वेट राषि छोडकर .रू 2013/- प्राप्त करने का अधिकारी है।  
                         (2) प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 व  2 से  संयुक्त व पृथक पृथक रूप से  हर्जा  व वाद व्यय मद में रू.1000 /- भी प्राप्त करने का अधिकारी होगा।  
            (3) क्रम संख्या 1 व 2 में वर्णित आदेषित राषि अप्रार्थी 1 व  2 प्रार्थी को इस निर्णय की दिनांक से एक माह के अन्दर अदा करें अथवा आदेषित  राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावें 
 

(विजेन्द्र कुमार मेहता)       (श्रीमती ज्योति डोसी)     (गौतम प्रकाष षर्मा)
            सदस्य                  सदस्या                 अध्यक्ष    
13.        आदेष दिनांक 30.10.2014 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

           सदस्य                   सदस्या                 अध्यक्ष

 

 
 
[ Gautam prakesh sharma]
PRESIDENT
 
[ vijendra kumar mehta]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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