जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-579/2007
उपस्थित:-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
श्रीमती स्नेह त्रिपाठी, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-05/09/2007
परिवाद के निर्णय की तारीख:-19/03/2020
सुशील श्रीवास्तव पुत्र स्व0 श्रीराम श्रीवास्तव, म0नं0 98/106 शहीद अशफाक उल्ला मार्ग, अमीनाबाद लखनऊ।
..............परिवादी।
बनाम
1-रिलायन्स कन्सलटेंसी सर्विसेज लि0 21डी प्रेम नगर, अशोक मार्ग, (जवाहर भवन के सामने) लखनऊ-226001 ।
2-मैसर्स कार्वी कन्सल्टेट्स लि0 “कर्वी हाउस’ 46 एवेन्यू-4 स्टीट नं0 1 बन्जारा हिल्स, हैदराबाद-50034 (आन्ध्र प्रदेश) ।
3-मैसर्स रिलायन्स इन्डस्ट्रीज लि0 (पूर्व नाम रिलायन्स पैट्रोलियम लि0) मेकर चैम्बर (चतुर्थ तल) 222 नारीमन पोंइट मुम्बई-40021 ।
4-मृदुल रस्तोगी म0नं0 226/26 हाता खान सामा- राजा बाजार लखनऊ, वर्तमान पता 42 चन्द्रलोक-हाईडिल कालोनी, अलीगंज लखनऊ।
...................विपक्षीगण।
आदेश द्वारा-श्री अरविन्द कुमार, अध्यक्ष।
निर्णय
परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण से, परिवादी के शेयर परिवादी के नाम ट्रांस्फर करने किसी अन्य के नाम ट्रांसफर न करने, उक्त शेयर्स पर अब तक का डिविडेट व बोनस दिलाये जाने, मानसिक उत्पीड़न व परेशानी हेतु 1,00,000/- (एक लाख रूपये मात्र), टेलीफोन, पोस्टेज फैक्स आदि का खर्च रूपया 1000/- कोर्ट फीस व न्यायालय खर्चा व अधिवक्ता फीस आदि दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने अपने रिलायन्स पैट्रोलियम के 300 शेयर जो वर्तमान में रिलायन्स इन्डस्ट्रीज में कनवर्ट हो गये हैं, को अपने नाम ट्रान्सफर करने हेतु ट्रान्सफर डीड के साथ रिलायन्स कन्सलटेंसी सर्विसेज लि0 (विपक्षी संख्या-01) को दिया था। परन्तु परिवादी को शेयर ट्रान्सफर होकर आज तक नहीं मिले हैं। कुछ दिन पहले परिवादी विपक्षी संख्या-01 के कार्यालय गया तो उन्होंने कोई सन्तोषजनक जवाब नहीं दिया। विपक्षी संख्या-02 से पत्राचार किया तो उनके पत्र दिनॉंकित-25/05/2007 द्वारा यह ज्ञात हुआ कि उक्त शेयर विपक्षी संख्या-04 श्री मृदुल रस्तोगी राजा बाजार लखनऊ के नाम ट्रान्सफर हो गये हैं, और डी मैट के लिये आये हुए हैं। पत्र प्राप्त होने पर परिवादी ने अपने उक्त शेयर होल्ड करने हेतु एक पत्र डिप्टी मैनेजर कर्वी हाउस बंजारा हिल्स हैदराबाद को दिनॉंक-04/08/2007 को फैक्स द्वारा भेजा जिसे प्राप्त होने पर उन्होंने परिवादी को सूचित किया कि टैक्नीकल कारणों से उक्त शेयर विपक्षी संख्या-04 को वापिस किये जा चुक हैं। विपक्षीगण की लापरवाही से परिवादी के शेयर विपक्षी संख्या-04 के पास पहुँच गये हैं, जिनका विपक्षी संख्या-04 दुरूपयोग कर सकता है। उक्त शेयर परिवादी ने अपने नाम ट्रान्सफर करने हेतु विपक्षी संख्या-01 को दिये थे, जो कि विपक्षी संख्या-03 का एजेन्ट था। विपक्षी संख्या-02 वर्तमान में विपक्षी संख्या-03 के शेयर के ट्रान्सफर आदि का कार्य करने हेतु अधिकृत हैं।
विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 ने संयुक्त उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया कि परिवादी उपभोक्ता नहीं है। परिवादी का परिवाद समय से बाधित है। इस फोरम को वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार भी नहीं है। विपक्षी के अनुसार परिवादी ने कभी भी 300 शेयर उनको नहीं दिये थे। परन्तु जॉंच के क्रम में यह पाया गया था कि 300 शेयरों में से 200 शेयर मूलत: भूषण कुमार रस्तोगी के नाम पर निबन्धित थे, जिसका फोलियो नम्बर-16094587 है, तथा 100 शेयर मृदुल रस्तोगी जिसका फोलियो नम्बर-2485559 है, निबन्धित थे। उपरोक्त 200 शेयर के0आई0 पटेल ने वर्ष 1996 में लिये थे, जिसे उनके पक्ष में स्थानान्तरित किया गया। पुन: उपरोक्त 200 शेयर मीना गोयल निवासिनी-नई दिल्ली के नाम से स्थानान्तरित हुए, और फरवरी, 2000 में उक्त शेयर मीना गोयल के द्वारा डी मैटेरिलाइज्ड किया गया, तथा 100 शेयर मृदुल रस्तोगी द्वारा स्थानान्तरित नहीं किया गया। परिवादी का परिवाद खारिज होने योग्य है।
विपक्षी संख्या-04 ने अपना उत्तर पत्र दाखिल कर यह कहा है कि इस विपक्षी ने अपने शेयरों को परिवादी को कभी नहीं बेचा था और उसका मालिकाना हक अभी भी इस विपक्षी को है। विपक्षी के 300 शेयरों को जिसका सर्टिफिकेट नम्बर-979288/979292/2193904 कहीं खो गये थे, अथवा किसी ने चोरी कर लिया था, और उसके लिये इस विपक्षी ने कम्पनी को दूसरे शेयर जारी करने हेतु लिखा था। उस समय विपक्षी को दूसरे शेयर जारी नहीं किये गये थे, बल्कि उसके बदले कम्पनी द्वारा 18 शेयर रिलायन्स इन्डस्ट्रीज लिमि0 के 2002 में भेज दिये गये थे। उक्त 18 शेयर प्राप्त हो जाने के बाद कम्पनी को रिलायन्स पेट्रोलियम के डुप्लीकेट शेयर जारी करने हेतु आग्रह करने का कोई औचित्य नहीं था। परिवाद पत्र खारिज होने योग्य है।
उभयपक्षों ने अपने कथनों के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया है।
अभिलेख का अवलोकन किया, जिससे यह प्रतीत होता है कि परिवादी ने 300 शेयरों को अपने नाम स्थानान्तरित करने हेतु आवेदन विपक्षी संख्या-01 को दिया था, जो परिवादी के नाम से स्थानान्तरित नहीं हुए। इस संदर्भ में विपक्षी संख्या-01, 02 एवं 03 का कथन यह था कि जब तक शेयर परिवादी के नाम से स्थानान्तरित नहीं हो जाते हैं, तब तक वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। चॅूंकि शेयर मूलत: विपक्षी संख्या-04 के नाम पर थे और हैं, और उन्होंने शेयरों को स्थानान्तरति करने का कोई आवेदन नहीं दिया था। अत: उसे परिवादी के नाम पर स्थानान्तरित करने का प्रश्न नहीं था, और परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। जिस व्यक्ति के नाम पर शेयर थे उन्होंने जब शेयरों को बेचा नहीं तब परिवादी के नाम पर वे स्थानान्तरित नहीं हो सकते हैं। परिवादी ने परिवाद पत्र के साथ संलग्नक-01 ट्रान्सफर डीड का दाखिल किया है। परन्तु उसके साथ के अन्य कागजातों को संलग्न नहीं किया गया है। यह ट्रान्सफर डीड किस वर्ष का है संलग्नक-01 से स्पष्ट नहीं है। उसमें तिथि के स्थान पर 07-02 अंकित है। परिवाद पत्र में भी इस संदर्भ में कुछ भी अंकित नहीं है। यदि यह संलग्नक-01 वर्ष 2001 का है, तब यह वाद समय से बाधित है, और यदि वर्ष 2007 का है तब परिवाद समय सीमा के अन्दर है। परन्तु हर स्थिति में परिवादी उपभोक्ता नहीं है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(स्नेह त्रिपाठी) (अरविन्द कुमार)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, प्रथम,
लखनऊ।