Rajasthan

Ajmer

CC/353/2013

MADHU THANVA - Complainant(s)

Versus

RELIANCE COMMUNICATION - Opp.Party(s)

ADV BHARU SINGH RAJAWAT

06 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/353/2013
 
1. MADHU THANVA
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. RELIANCE COMMUNICATION
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 06 Sep 2016
Final Order / Judgement

़़जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्रीमति मधु थनवा पत्नी श्री यदुवीर सिंह,  ई-178, ष्षास्त्रीनगर, अजमेर । 

                                                -         प्रार्थिया
                            बनाम

1. रिलायंस कम्युनिकेषन, अमर प्लाजा सतह मंजिल, दौलत बाग के पास, अजमेर । 
2. रिलायंस कम्युनिकेषन, एल.के.टावर, आई डीबीआई बैंक के सामने, चैपासनी रोड़, जोधुपर । 
3. रिलायंस कम्युनिकेषन(रीजनल आफिस) जरिए प्रबन्धक, डी-69, सरदार पटेल मार्ग, सी-स्कीम,जयपुर‘302001
4. रिलायंस कम्युनिकेषन(मुख्य आफिस) ए- ब्लाॅक सैकण्ड फलोर, डी.ए.के.एल.कोपार  खैराने, मुम्बई- 400710 
                                                -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 353/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री भैरू सिंह राजावत , अधिवक्ता, प्रार्थिया 
                  2.श्री  अष्वनी स्वरूप भटनागर, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-19.09.2016
 
1.       प्रार्थिया द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसके द्वारा अप्रार्थी कम्पनी से ली गई सिम जिसका नम्बर 9309309305 है,  को अजमेर से बाहर जाने के कारण घर पर भूल जाने की वजह से वापस आने पर उसने उक्त सिम को बन्द पाया ।  इसकी अप्रार्थी संख्या 1 को षिकायत किए जाने पर उसे अवगत कराया गया कि उनके रिकार्ड के अनुसार सिम खो चुकी है और उसका नम्बर किसी अन्य को आवंटित किया जा चुका है ।  जब उसने उक्त सिमधारी से सम्पर्क किया तो उसने अपने को कोटा का निवासी होना बताते हुए उक्त सिम को टाटा  कम्पनी में पोर्टबिलिटी सुविधा के अन्तर्गत कन्वर्ट करना बताया ।  उसने अप्रार्थीगण से बिना उसकी अनुमति के किसी अन्य को उसकी सिम का नम्बर आवंटित किए जाने को  सेवा में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित  अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । प्रार्थिया ने  अप्रार्थीगण को इस संबंध में  उसने  दिनांक 14.5.2013  नोटिस को भी दिया किन्तु अप्रार्थीगण ने कोई सुनवाई नहीं की । परिवाद के समर्थन में प्रार्थिया ने स्वयं का षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत कर प्रारम्भिक आपत्तियों में दर्षाया है कि प्रार्थिया स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष नहीं आई है ।  प्रार्थिया द्वारा एमएनपी की सुविधा का प्रयोग कर उत्तरदाता की सेवाओं को त्याग दिया है इसलिए प्रार्थिया उनकी  उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा  2(डी) के तहत उपभोक्ता  की परिभाषा  में नहीं आने  के कारण परिवाद खारिज होने योग्य है एवं  विभिन्न न्यायिक दृष्टान्तों का हवाला देते हुए भी परिवाद खारिज होने योग्य बताया । 
    अप्रार्थीगण ने आगे मदवार जवाब  में कथन किया है कि  प्रार्थिया ने 10.4.2013 को  अप्रार्थी संख्या 1 से दूसरी सिम प्राप्त कर 11.4.2013 को एमएनपी करने के आषय से यूपीसी कोर्ड प्राप्त कर 16.4.2013 को अप्रार्थीगण के नेटवर्क से पोर्ट आफ किया गया  ।  इस प्रकार  एमएनपी कराने के बाद प्रार्थिया का उनकी सेवाओं से संबंध विच्छेद हो गया ।  अन्त में प्रार्थिया का उनका उपभोक्ता न होने के आधार पर परिवाद निरस्त करने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में श्री  अतुल कुलश्रेष्ठ, प्रभारी विधि अधिकारी का षपथपत्र पेष किया है । 
3.    हस्तगत प्रकरण में अप्रार्थीगण की ओर से क्षेत्राधिकार बाबत् प्रारम्भिक आपत्ति प्रस्तुत करते हुए अलग से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत हुआ है व उनकी ओर से परिवाद का मदवार जवाब भी प्रस्तुत हुआ है । चूंकि विस्तृत जवाब में उनकी ओर से क्षेत्राधिकार बाबत आपत्ति भी उठााई गई है । अतः सुविधा की दृष्टि से उक्त दोनों बिन्दुओं का एक साथ निस्तारण किया जा रहा है ।  प्रार्थिया पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि अप्रार्थी द्वारा उसे मोबाईल नम्बर  9309309305 पर सिम नम्बर आईसीआरएससी -014956309  आवंटित की गई है  । जिसे उसने कई वर्षो तक प्रयोग  में लिया है  और जब वह  अजमेर से बाहर गई तो   जाते समय मोबाईल अजमेर में भूल गई  तथा उसका उपयोग नहीं कर सकी । वापस आने पर उसका उपयोग करने पर उक्त सिम कार्ड को बन्द पाए जाने पर उसके द्वारा षिकायत की गई  । इस पर उसे अप्रार्थी ने  बताया गया कि उनके रिकार्ड के अनुसार उक्त सिम कार्ड खो चुका है तथा उक्त नम्बर पर नया सिमकार्ड जारी किया जा चुका है । अप्रार्थीगण का यह कृत्य उपभोक्ताओं के अधिकारों के प्रति कुठाराघात करने वाला रहा है व इस कारण उसे हुई मानसिक षारीरिक तथा आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में वांछित अनुतोष दिलाया जाना चाहिए । 
4.     अप्रार्थीगण ने खण्डन में प्रार्थिया का उपभोक्ता नही ंहोना बताते हुए प्रमुख आपत्ति में परिवाद को  इस मंच के श्रवणाधिकार क्षेत्र में नही ंहोने तथा प्रार्थिया का मंच में स्वच्छ हाथों से  नहीं आकर तथ्यों को छिपाते हुए परिवाद पेष करना बताया व इस कारण परिवाद का खारिज होने योग्य बताया । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    परिवाद का मंच में क्षेत्राधिकार  नहीं होने बाबत् आपत्ति के संबंध में अप्रार्थीगण की ओर से माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयेाग  के विनिष्चयों क्रमषः प्रकाष वर्मा बनाम आईडिया सेलुलर लि. व अन्य स्पेषल अपील (सिविल) नं. (एस) 24570/2010 व   सिविल अपील संख्या 7687/2004 जनरल मैेनेजर, टेलीकाॅम बनाम एम. कृष्णन व अन्य में दिनांक 1.9.2009 में पारित निर्णयों  पर अवलम्ब लेते हुए तर्क प्रस्तुत किया गया है कि जब टेलीफोन से संबंधित  विवाद के लिए  इण्डिया टेलीफोन एक्ट की धारा 7(बी) में विषिष्ठ  अनुतोष दिया हुआ है तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में दिया हुआ अनुतोष  स्वयं ही बाधित हो जाता है । इस संबंध में यहां इतना ही लिखना पर्याप्त होगा कि चूंकि हस्तगत प्रकरण में  विवाद टेलीफोन बिलिंग से संबंधित नही ंहै ।  अतः उक्त विनिष्चय अप्रार्थीगण को कोई सहायता नहीं पहुंचाते हंै । जहां तक उपरोक्त विनिष्चयों का प्रष्न है, इनमें प्रतिपादित सिद्वान्तों के अनुसार केवल टेलीफोन बिलों से  संबंधित विवाद ही टेलीग्राफ एक्ट की धारा 7(बी) के तहत पंचाट  के समक्ष निस्तारण के लिए  प्रस्तुत किया जा सकता है । चूंकि प्रस्तुत  विवाद बिल से संबंधित विवाद नहीं है, बल्कि  सेवा में कमी से संबंधित विवाद है । अतः उक्त  विनिष्चयों के प्रकाष  में  संबंधित विवाद मंच के  सुनवाई के  क्षेत्राधिकार में निहित  है ।  
7.    माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने उक्त प्रतिपादन में निम्न प्रकार अवधारित किया है:-
                       श्  प्द व्नत वचपदपवद ूीमद जीमतम पे ं ेचमबपंस तमउमकल चतवअपकमक पद ैमबजपवद 7.इ  व िजीम प्दकपंद ज्मसमहतंची ।बबज तमहंतकपदह कपेचनजमे पद तमेचमबज व िजमसमचीवदम इपससेए जीमद जीम  तमउमकल नदकमत जीम ब्वदेनउमत च्तवजमबजपवद ।बज पे इल पउचसपबंजपवद इंततमकण् 
         इस अवधारणा  के अनुसार उपभोक्ता व टेलीफोन आॅथिरिटी के मध्य का टेलीफोन बिल का विवाद ही  इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट की धारा 7(बी) के तहत पंचाट निर्णय के लिए प्रेषित किया जा सकता है । उक्त प्रतिपादन हमारी विनम्र राय में सेवादोष के मामले में लागू नहीं होता है । 
    ज्मसमबवउ त्महनसंजवतल ।नजीवतपजल व िप्दकपं ।बजए 1997 दिनांक  25.01.1997 को प्रभावी हुआ है, की धारा 36  के तहत  विनिर्मित ज्मसमबवउ ब्वदेनउमते च्तवजमबजपवद ंदक त्मकतमेेंस च िळतपमअंदबमे त्महनसंजपवदेए 2007 दिनांक 10.5.2007 से प्रभावी हुआ है, के विनियम  25(2)(बी) के तहत टेलीफोन उपभोक्ता उसे उपलब्ध अन्य उपचारों के साथ साथ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत भी उपचार प्राप्त करने की अधिकारिता रखता है । 
    ज्मसमबवउ त्महनसंजवतल ।नजीवतपजल व िप्दकपं ।बजए1997 की धारा 38 यह उपाबन्ध लिए हुए है कि  1997 के अधिनियम के प्रावधान इण्डियन टेलीग्राफ एक्ट, 1985, इण्डियन वायरलेस एक्ट, 1933 के प्रावधानों के अतिरिक्त है । उपरोक्त उपबन्धों के आधार पर इस मंच की विनम्र राय में ज्मसमबवउ त्महनसंजवतल ।नजीवतपजल व िप्दकपं ।बजए1997 व इसके तहत विनिर्मित विनियम  2007 के विनियम संख्या 25 के तहत भी उपभोक्ता मंच के समक्ष अपने विवाद प्रस्तुत कर सकता है । उपरोक्त विधिक स्थिति के होते हुए हमारी विनम्र राय में एम. कृष्णनन के मामले में प्रतिपादित  सिद्वान्त प्रस्तुत मामले में तथ्यों की भिन्नता के कारण लागू नहीं होता है । फलतः हम इस मत के हंै कि प्रार्थी द्वारा उठाया गया विवाद मंच की श्रवणाधिकारिता में है । ’’ 
8.    अब विवाद के निस्तारण का  बिन्दु मात्र यह है कि क्या उपभोक्ता के द्वारा ली गई सिम नंम्बर को किसी अन्य उपभोक्ता को आवंटित कर अप्रार्थीगण द्वारा सेवा में कमी का परिचय दिया गया है ?    
9.    निर्विवाद रूप से  प्रार्थिया  ने अप्रार्थी से उक्त मोबाईल नम्बर पर  प्रष्नगत सिम प्राप्त की है  जो उसके द्वारा  प्रतिफल  के बदले प्राप्त की गई है ।  अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में कही जा सकती है व इस संबंध में अप्रार्थीगण की  आपत्ति सारहीन होने के कारण खारिज की जाती है । 
10.    प्रार्थिया के पक्ष कथन पर अप्रार्थीगण का प्रतिवाद रहा है कि उसके द्वारा  एमएनपी  सुविधा का  प्रयोग कर अप्रार्थीगण की सेवाओं को त्याग दिया है इस कारण प्रार्थिया अप्रार्थी की सेवाओं का प्रयोग नही ंकर रही है । अतः वह अपा्रर्थीगण की उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आती है  व इस तथ्यों को  छिपा कर परिवाद पेष किया है अतः परिवाद खारिज होने योग्य है । यहां यह उल्लेख करना उचित रहेगा कि प्रार्थिया द्वारा अपने परिवाद में  कही उल्लेख नहीं  किया गया कि वह किस दिनांक को अजमेर से बाहर गई व  कब तक बाहर  रह कर उसने अपने उक्त मोबाईल का प्रयोग नहीं किया व किस तिथि को उसके द्वारा अप्रार्थीगण को षिकायत की गई व उसकी षिकायत किस नम्बर पर दर्ज की गई ।  मोबाईल व सिम के उपयोग बाबत ट्राई के नियमानुसार यदि कोई प्रीपेड मोंबाईल सिम का  लम्बे समय तक नियमित उपयोग व उपभोग नही किया जाता है तो उसका सिम कनेक्षन  निष्क्रयता के कारण एक नियत अवधि बाद स्वतः ही  डिस्कनेक्ट अथवा ब्लाॅक हो जाता है  एवं प्रयोगकर्ता को नया सिम प्राप्त कर सेवाएं चालू करवानी होती हैं ।  जिस विवाद के लिए  परिवाद पेष किया गया है उसके निस्तारण के लिए अपेक्षित था कि  जारी की गई सिम को किस तिथि से किस तिथि तक उपयेाग में नहीं लिया गया है, इस तथ्य का  खुलासा किया जाता ।  क्योंकि यह तथ्य  परिवाद में अस्पष्ट रहा है  और इसको अंकित करते हुए प्रस्तुत नहीं किया गया है । अतः कहा जा सकता है कि  प्रार्थिया स्वच्छ हाथों से मंच के समक्ष पेष नहीं हुई है ।  साम्या का सिद्वान्त  भी यहीं है कि जो व्यक्ति स्वच्छ हाथों से न्याय प्राप्ति हेतु  उपस्थित होता है  तो उसे न्याय प्राप्ति के  के लिए  तथ्यों को छिपाना नहीं चाहिए ।  
11.    सार यह है कि  अस्पष्ट तथ्यों के अभाव में प्रार्थिया का परिवाद मंच की राय में स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है एवं आदेष है कि 
                        -ःः आदेष:ः-
12.      प्रार्थिया का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 19.09.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           

 

   

 

 

    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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