Rajasthan

Nagaur

CC/134/2014

Dinesh Heda - Complainant(s)

Versus

reliance Communication Ltd. - Opp.Party(s)

SELF

29 Sep 2015

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/134/2014
 
1. Dinesh Heda
Nagaur
...........Complainant(s)
Versus
1. reliance Communication Ltd.
Maharastra
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena PRESIDENT
 HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya MEMBER
 HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya MEMBER
 
For the Complainant:SELF, Advocate
For the Opp. Party: Sh Prem chand gahlot, Advocate
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, नागौर

 

परिवाद सं. 134/2014

 

दिनेश हेडा पुत्र घनश्यामजी हेडा, जाति-माहेश्वरी, निवासी-नागौर, तहसील व जिला-नागौर।                                                                                                                                                                                    -परिवादी     

 

बनाम

 

  1. 1.,

 

2.            रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड, जरिये अधिकृत प्रतिनिधि। Rajasthan GSM Customer Care, Near BPCL Petrol Pump, 8 Kothputli, Rajasthan.                                                 -अप्रार्थीगण   

 

समक्षः

1. श्री बृजलाल मीणा, अध्यक्ष।

2. श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य, सदस्या।

3. श्री बलवीर खुडखुडिया, सदस्य।

 

उपस्थितः

1.            श्री दिनेश हेडा, अधिवक्ता, स्वयं प्रार्थी।

2.            श्री प्रेमराज गहलोत, अधिवक्ता वास्ते अप्रार्थी।

 

 

अंतर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ,1986

 

                      आ  दे  श           दिनांक 29.09.2015

 

 

1.            परिवाद-पत्र के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अप्रार्थीगण कम्पनी से रिलायंस प्रीपेड मोबाइल सिम प्राप्त कर रखी हैं जिसके मोबाइल नम्बर 9929989868 हैं। दिनांक 23.05.2014 को परिवादी ने अप्रार्थी कम्पनी के स्थानीय विक्रेता से 400 रूपये का टाॅकटाइम रिचार्ज करवाया। जिस पर कुल 420 रूपये का बैलेंस उपलब्ध कराया। दिनांक 25.05.2014 को 12ः18 एएम बजे बैलेंस 406.95 रूपये था परन्तु मनमाने तरीके से अप्रार्थीगण ने उक्त बैलेंस को 50 पैसे कर दिया, जिसका मैसेज 02ः48 एएम पर परिवादी के मोबाइल पर आया। जिसकी शिकायत प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के कस्टमर केयर नम्बर 198 पर 9.25 एएम पर फोन कर की जिस पर 1.57 मिनट बात हुई। संतोषजनक जवाब नहीं दिया। पुनः बात की तो कम्प्यूटर सिस्टम खराब होना बताया। बाद में बात करने के लिए कहा। परिवादी ने 10ः01 एएम पर पुनः बात की जो 6.50 मिनट चली परन्तु कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। पुनः 4ः39 पीएम पर कस्टमर केयर पर बात की जो 4.14 मिनट चली। बैलेंस रिफण्ड का झूंठा आश्वासन दिया लेकिन बैलेंस पूर्व की भांति ही बना रहा। बार-बार शिकायत करने पर भी कोई नतीजा हासिल नहीं हुआ। गलत रूप से बैलेंस कम किया है जो कि अनफेयर प्रेक्टिस की तारीफ में आता है।

2.            परिवाद-पत्र का जवाब संक्षेप में निम्न प्रकार हैः-परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की विषयवस्तु का आधार मोबाइल बैलेंस का कटना है जो कि एक परोक्ष प्रक्रिया है। जो कि पूर्णतः तकनीक है जिसका निराकरण बिना संक्षिप्त अनुसंधान व अन्वेक्षण के नहीं किया जा सकता है। परिवादी अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं है। परिवादी को भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग में अपना परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था। सीधे मंच में परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकता। परिवादी ने यह नहीं बताया है कि कब और कहां से 400 रूपये का रिचार्ज कूपन लिया था। बैलेंस घटकर 50 पैसे रह जाना हैंडसेट की तकनीकी खामी हो सकती है। विशेषज्ञ रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है। शिकायत का पंजीकरण नम्बर भी प्रस्तुत नहीं किया है। परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की सीमा से बाहर होने के कारण विचारण योग्य नहीं है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2 (1) (ओ) में वर्णित श्रेणी की सेवाओं में नहीं आती है। इस प्रकार से उक्त अधिनियम की धारा 12 के तहत परिवाद चलने योग्य नहीं है। धारा 7 (बी)  टेलीग्राफ एक्ट के तहत इस मंच को श्रवण क्षेत्राधिकार नहीं है।

3.            बहस उभय पक्षकारान सुनी गई। पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन एवं अध्ययन मनन किया गया। जहां तक वर्तमान प्रकरण में  इस मंच के श्रवण क्षेत्राधिकार का प्रश्न है। माननीय राज्य उपभोक्ता आयोग एवं राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अनेक मामलों में यह अभिनिर्धारित किया है कि कम्यूनिकेशन के मामलों में मंच को श्रवण क्षेत्राधिकार है। प्रार्थी ने अप्रार्थी कम्पनी से अपने मोबाइल को 400 रूपये का टाॅकटाईम रिचार्ज करवाया। 420 रूपये बैलेंस उपलब्ध करवाया गया। प्रार्थी ने दिनांक 25.05.2014 को करीब दो दिन पश्चात् 12ः18 एएम पर 406.95 रूपये का बैलेंस था। परन्तु उसके पश्चात केवल 50 पैसे बैलेंस कर दिया, जिसका मैसेज परिवादी के मोबाइल पर 2ः48 एएम पर आया। इस सम्बन्ध में प्रार्थी की ओर से अप्रार्थीगण को बार-बार शिकायत की गई, जिसका विस्तृत उल्लेख पैरा संख्या 1 में किया गया है। परन्तु अप्रार्थीगण ने प्रार्थी की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। जवाब में भी अनावश्यक एवं निराधार तथ्यों का उल्लेख किया है जो कि सारहीन है। अप्रार्थी कम्पनी को प्रार्थी के सम्बन्ध में समस्त विवरण पेश करना चाहिए था क्योंकि अप्रार्थी के यहां से जो मोबाइल कूपन रिचार्ज कराया है उसका कहां-कहां, कब-कब उपयोग एवं उपभोग हुआ, विस्तृत विवरण रहता है परन्तु कम्पनी ने ऐसा कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया। उक्त परिस्थितियों में अप्रार्थी कम्पनी को मुख्य दायित्व था कि वह प्रार्थी के आरोपों/कथनों के खण्डन में समस्त मशीनी विवरण मंच में प्रस्तुत करते। जिससे अप्रार्थी की बात को बल मिलता। इस प्रकार से स्पष्ट रूप से अप्रार्थी की सेवा में कमी है/सेवा दोष है। प्रार्थी का प्रार्थना पत्र स्वीकार किये जाने योग्य है। अतः प्रार्थी का परिवाद-पत्र अप्रार्थीगण के विरूद्ध निम्न प्रकार से स्वीकार किया जाता हैः-

 

आदेश

 

 

4.            आदेश दिया जाता है कि अप्रार्थीगण सेवा में कमी एवं सेवा दोष के चलते 10,000/- रूपये (अक्षरे दस हजार रूपये) राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में एक माह के भीतर जमा करायें। साथ ही अप्रार्थीगण, प्रार्थी को विवादित मोबाइल रिचार्ज राषि 400/- रूपये एवं 2,000/- रूपये परिवाद व्यय भी एक माह के भीतर अदा करें।

               

आदेश आज दिनांक 29.09.2015 को लिखाया जाकर खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

।बलवीर खुडखुडिया।    ।बृजलाल मीणा।   ।श्रीमती राजलक्ष्मी आचार्य।

     सदस्य               अध्यक्ष                सदस्या

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Brijlal Meena]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Balveer KhuKhudiya]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. Rajlaxmi Achrya]
MEMBER

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