आदेश
1. परिवादी राकेश कुमार सिंह ने इस आशय का परिवाद पत्र इस फोरम के समक्ष दाखिल किया कि उसका खाता स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की शाखा केदराबाद दरभंगा में है। उसे उक्त खाता का ATM सुविधा उपलब्ध था। परिवादी ATM के सुविधा का प्रयोग अपने खाता से पैसा निकलने में करता था। परिवादी का यह भी कथन है कि दि० 01.12.2017 को वह ATM के द्वारा अपने खाता से 10000 रु० SBI के ATM मशीन से निकालने का प्रयास किया लेकिन लिंक नहीं रहने के कारण ATM काम नहीं किया इसके बाद वह पंजाब नेशनल बैंक दरभंगा के ATM मशीन पर जाकर अपना ATM कार्ड लगाया, प्रक्रिया प्रारंभ हो गयी तो उसने 10000 रु० निकासी के लिए बटन दबाया लेकिन ATM मशीन से पैसा नहीं निकला उसके बाद उसने केदराबाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया शाखा को शिकायत किया तो बैंक द्वारा उसे शिकायत निबंधन के लिए एक नंबर दिया गया दिनांक 04.07.2012 को शिकायत नंबर 429225363311 उसका शिकायत दर्ज किया गया उसने दिनांक 10.07.2012, 23.07.2012 और अंत में 30.07.2012 को शिकायत नंबर 42125579927 दर्ज कराया लेकिन उसकी शिकायत का समाधान विपक्षीगण द्वारा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा कस्टमर केयर से संपर्क किया गया तो बताया गया कि उसके शिकायत को बंद कर दिया गया है पुनः परिवादी द्वारा कस्टमर केयर से संपर्क किया गया तो उसे बताया गया कि उसके खाता से धन का संव्यवहार हो गया है और पैसा निकल गया है।
2. परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षीगण को अधिवक्ता नोटिस दिया तथा उनसे अनुरोध किया कि जो धन उसे भुगतान नहीं किया गया और उसके खाता से काट लिया गया है। उसे भुगतान कर दिया जाए लेकिन विपक्षीगण द्वारा उस पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया। विपक्षीगण के द्वारा किये गए अपने कार्य की लापरवाही से परिवादी को काफी नुकसान हुआ है। अतः अनुरोध है कि विपक्षीगण के विरुद्ध आदेश पारित किया जाए कि वह परिवादी के खाता से बिना उसे भुगतान किए निकले गए पैसा 10000 रु० का भुगतान 10% वार्षिक व्याज की दर से दिनांक 01.07.2012 से आदेश पारित होने की तिथि तक एवं वाद खर्च का भुगतान परिवादी को कर दें।
3. विपक्षी बैंक की तरफ से उनके विद्धवान अधिवक्ता उपस्थित होकर अपना व्यान तहरीर दाखिल किए विपक्षी का कथन है कि यह मामला विधि एवं तथ्य के अनुसार चलने योग्य नहीं है। परिवादी को कोई भी वाद कारण इस प्रकार के परिवाद लाने का नहीं है। मामला कालबाधित है। परिवादी द्वारा अपने परिवादी पत्र में परिवादी द्वारा कही भी अपने खाता का वर्णन परिवाद पत्र में नहीं किया है।
4. विपक्षी का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा अपने खाते से निकासी का संव्यवहार पंजाब नेशनल बैंक
के ATM से किया गया था। वह स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के ATM से नहीं किया गया था। जहाँ तक जाँच का विषय है तो परिवादी द्वारा अपने खाते से वैध तरीके से धन निकाला गया था। इस प्रकार से संव्यवहार वैध था। परिवादी द्वारा यह वाद झूठा बनावटी तथा आधारहीन विपक्षीगण के विरुद्ध लाया गया है। अतः परिवादी के परिवाद पत्र को खर्चा के साथ ख़ारिज करने की कृपा करे।
5. परिवादी द्वारा अपने केस के समर्थन में जिन दस्तावेजी साक्ष्यों को दाखिल किया गया उसमें एनेक्सचर-1 केदराबाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया शाखा का पत्र जिसमें उसके द्वारा परिवादी को कम्प्लेन नंबर दिया गया है, एनेक्सचर-2 बैंक का परिवादी के खाता का स्टेटमेंट है, एनेक्सचर-3, एनेक्सचर-4 परिवादी द्वारा दिया गया वकालतन नोटिस है, एनेक्सचर-5 शिकायत का विस्तृत वर्णन है, एनेक्सचर-6 परिवादी के खाता से किए गए संव्यवहार का स्टेटमेंट है। इसके आलावा परिवादी राकेश कुमार सिंह फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना शपथ पत्र दाखिल किया तथा केस का समर्थन किया। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई भी मौखिक अथवा दस्तावेजी साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया।
उभयपक्षों के विद्धवान अधिवक्ता के तर्क को सुना तथा अभिलेख का अवलोकन किया इस बिंदु पर कोई विवाद नहीं है कि परिवादी का खाता केदराबाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया शाखा में है कि नहीं, इस बिंदु पर भी कोई विवाद नहीं है कि परिवादी ने पंजाब नेशनल बैंक के ATM मशीन से अपने खाते से 10000 रु० निकासी के लिए प्रयोग किया।
परिवादी को जब ATM मशीन में ATM डालने के बाद पैसा का संव्यवहार नहीं हुआ तो उसने शाखा प्रबंधक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया केदराबाद शाखा को सूचित किया जिसके आधार पर शाखा प्रबंधक द्वारा उसे कम्प्लेन नंबर ASCATM92536311 दिया गया चूँकि उक्त शिकायत नंबर केदराबाद स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया शाखा के शाखा प्रबंधक द्वारा दिया गया। इससे स्पष्ट है कि परिवादी ने ATM मशीन से पैसे का संव्यवहार नहीं होने पर शाखा प्रबंधक को सूचित किया था। इस बात की पुष्टि एनेक्सचर-1 से भी हो जाती है, एनेक्सचर-2 से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि शिकायतकर्ता के खाता नंबर 00000062081254915 से दि० 01.07.2012 को संव्यवहार हुआ था। जिसमें स्पष्ट है कि उक्त खाते से 10000 रु० की निकासी हुई है। इस बात की पुष्टि एनेक्सचर-6 से भी हो जाती है।
विवाद का विषय है कि शिकायतकर्ता का कथन है कि उसे एटीएम मशीन द्वारा ATM डाले जाने के बाद पैसा नहीं निकलने पर पैसा प्राप्त नहीं हुआ था लेकिन उसके खाता से पैसा काट लिया गया जबकि ATM मशीन से पैसा निकला नहीं और शिकायतकर्ता पैसा प्राप्त ही नहीं किया शिकायतकर्ता द्वारा संबंधित बैंक जहाँ उसका खाता था जो कि स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया केदराबाद की शाखा है उसके प्रबंधक को सूचित किया, प्रबंधक महोदय द्वारा उसे एक शिकायत नंबर देने के बाद इस परिपेक्ष्य में और कोई प्रयास नहीं किया गया जबकि प्रबंधक महोदय द्वारा यदि प्रयास किया गया होता तो यह स्पष्ट हो जाता कि ATM मशीन से पैसा निकला था कि नहीं परिवादी ने प्राप्त किया था कि नहीं यदि पैसा विलंब से निकला तो उसे कौन प्राप्त किया इन सब जानकारी शाखा प्रबंधक महोदय अपने सामान्य प्रयास से कर सकते थे। यदि शिकायतकर्ता झूठ बोल रहा था तो उसकी शिकायत भी पकड़ में आ जाती लेकिन विपक्षी बैंक द्वारा अपनी सेवा में त्रुटि एवं लापरवाही किया गया जिससे शिकायतकर्ता के खाता से 10000 रु० की निकासी के संव्यवहार का पता नहीं चला।
विपक्षी का यह कथन है कि परिवादी ने पंजाब नेशनल बैंक के ATM मशीन का प्रयोग किया इस कारण वह जबावदेह नहीं है, सही नहीं है चूँकि परिवादी द्वारा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के ATM मशीन के प्रयोग करने पर जब लिंक नहीं मिला तो शिकायतकर्ता ने पंजाब नेशनल बैंक के ATM मशीन का प्रयोग किया सभी बैंक एक दूसरे से आंतरिक समझौते के तहत रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के नियमावली के अनुसार बाध्य है कि कोई उपभोक्ता किसी बैंक के ATM मशीन का प्रयोग कर सकता है। उससे उसके खाता से उसका चार्ज काट लिया जाता है। शिकायतकर्ता विपक्षी बैंक का उपभोक्ता है, विपक्षी बैंक द्वारा सेवा में त्रुटि एवं लापरवाही किया गया जिससे परिवादी के खाता से 10000 रु० निकासी के बावजूद उसे नहीं मिला ATM मशीन में ATM डालने के बाद पैसे के संव्यवहार का समय होता है, कोई भी व्यक्ति असीमित समय तक पैसे के संव्यवहार के लिए ATM मशीन पर खड़ा नहीं रह सकता है। इस मामले में शिकायकर्ता द्वारा अंशदायी असावधानी भी नहीं वार्ता गया।
उपरोक्त विवेचना के आधार पर यह फोरम इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि परिवादी द्वारा दिनांक 01.07.2012 को अपने खाता से पंजाब नेशनल बैंक के ATM मशीन से किए गए 10000 रु० निकासी के लिए बटन दबाने के बाद भी संव्यवहार नहीं होने के कारण उक्त धनराशि शिकायतकर्ता को नहीं मिला और उसके खाता से कटौती हो गया।
अतः विपक्षी बैंक को आदेश दिया जाता है कि वह शिकायकर्ता को 10000 रु० का भुगतान तथा विपक्षी के इस कृत्य से परिवादी को पहुंची मानसिक पीड़ा के लिए 10000 रु० का भुगतान एवं वाद खर्चा के लिए 5000 रु० का भुगतान इस आदेश के पारित होने के तीन महीने के अंदर कर दें। ऐसा नहीं करने पर उपरोक्त धनराशि आदेश की तिथि से 6% वार्षिक व्याज की दर से विपक्षी से विधिक प्रक्रिया द्वारा वसूला जायेगा।