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Jagannath filed a consumer case on 08 May 2024 against Regional Manager, National Insurance Company Limited in the Kanpur Dehat Consumer Court. The case no is CC/58/2021 and the judgment uploaded on 17 May 2024.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात ।
अध्यासीन:- श्री मुशीर अहमद अब्बासी..........................अध्यक्ष
H.J.S.
श्री हरिश चन्द्र गौतम ...............................सदस्य
सुश्री कुमकुम सिंह .........................महिला सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्या :- 58/2021
परिवाद दाखिला तिथि :- 14.07.2021
निर्णय दिनांक:- 08.05.2024
(निर्णय श्री मुशीर अहमद अब्बासी, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
जगन्नाथ मिश्रा पुत्र राम गोपाल मिश्रा उम्र लगभग वर्ष निवासी, ग्राम व पोस्ट पुरा गुमान सिंह, तहसील बाह, जिला आगरा उ0प्र0 ।
.......................परिवादी
बनाम
1. क्षेत्रीय प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, क्षेत्रीय कार्यालय जीवन भवन फेज
नवल किशोर रोड हजरतगंज लखनऊ उ0प्र0 226001
2. शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, 124/1 सी0 ब्लॉक गोविन्द नगर,
कानपुर नगर ।
3. सर्वेश कुमार उत्तम एजेन्टनेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लि0, 124/1 सी0 ब्लॉक गोविन्द
नगर, कानपुर नगर ।
.. .. विपक्षीगण
निर्णय
प्रस्तुत परिवाद परिवादी जगन्नाथ मिश्रा की ओर से, परिवादी को हुई आर्थिक क्षति मु0 1,00,000/- रुपये मय 18% ब्याज के दिनांक 27.09.2016 सेदिलाये जाने तथा शारीरिकव मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु 50,000/- रुपये व वाद व्यय के एवज में 20,000/- रुपया विपक्षीगण से परिवादी को दिलाये जाने के आशय से दिनांक 14.07.2021 को संस्थित किया गया ।
संक्षेप में, परिवादी का कथन है कि परिवादी के पुत्र अनूप मिश्रा ने विपक्षी संख्या-3 के माध्यम से विपक्षीगण से व्यक्तिगत ट्रैफिक एक्सिडेंट पॉलिसी दिनांक 11.12.2015 को लिया था जिसकी पॉलिसी संख्या-450402/48/15/2100001412 है जो कि दिनांक 10.12.2016 तक वैध एवं प्रभावी थी । उपरोक्त पॉलिसी में परिवादी नॉमिनी है जिस कारण विपक्षीगण का उपभोक्ता है । परिवादी के पुत्र अनूप मिश्रा को किसी अज्ञात वाहन से बाराजोड़ थाना अकबरपुर जिला कानपुर देहात में दिनांक 26.09.2016 को दुर्घटना (एक्सीडेंट) हो गया था जिसमें परिवादी के पुत्र को गम्भीर चोटें आयी थीं जिसे थाना पुलिस अकबरपुर कानपुर देहात की पुलिस ने जिला अस्पताल अकबरपुर माती में भर्ती कराया था जहाँ पर परिवादी के पुत्र की दिनांक 27.09.2016 को इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी जिसकी सूचना थाना अकबरपुर कानपुर देहात में की गयी थी जिसकी जी0डी0 सं0-722/ 2016 है जिस पर थाना पुलिस द्वारा परिवादी के पुत्र का पोस्टमार्टम भी करवाया गया था । परिवादी ने उक्त दुर्घटना की सूचना विपक्षीगण को दी थी और विपक्षीगण के कार्यालय जाकर निवेदन किया था कि उसके पुत्र की मृत्यु के कारण उसको बीमा से क्षतिपूर्ति दिलायी जावे, परिवादी उक्त पॉलिसी में नॉमिनी भी है, जिस पर विपक्षीगण ने परिवादी से समस्त कागजात जमा करने को कहा तो परिवादी ने समस्त कागजात भी जमा कर दिये परन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को आज तक कोई धनराशि प्राप्त नहीं करवायी और लगातार परिवादी को परेशान करते रहे । विपक्षीगण ने पुनः दिनांक 18.05.2018 को जरिये डाक कागजात दाखिल करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया जिसके अनुपालन में परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दिनांक 12.07.2018 को समस्त कागजात पुनः प्राप्त करा दिये गये किन्तु विपक्षीगण द्वारा आज तक किसी भी प्रकार की धनराशि प्राप्त नहीं करवायी गयी । परिवादी ने पुनः एक प्रार्थना पत्र दिनांक 21.12.2018 को विपक्षीगण को दिया किन्तु विपक्षीगण के द्वारा आज तक किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गयी । परिवादी ने दिनांक 20.10.2020 को जरिये अधिवक्ता लीगल नोटिस विपक्षीगण को प्राप्त करवायी लेकिन विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नहीं की । विपक्षीगण द्वारा आज तक परिवादी को कोई धनराशि प्राप्त नहीं करवायी गयी है जिसके कारण परिवादी को भारी आर्थिक समस्या उत्पन्न हो रही है । विपक्षीगण द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन किया जा रहा है । परिवादी व उसके परिवार को मानसिक वेदना, शारीरिक व आर्थिक क्षति हुयी है । परिवादी का परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाये ।
विपक्षीगण संख्या-1, 2 व 3 की ओर से संयुक्त जवाबदेही दाखिल की गयी है, जिसमें विपक्षीगण द्वारा परिवादी के परिवाद पत्र की धारा-1 व 2 के अभिकथन के सम्बन्ध में यह अभिकथन किया गया है कि बीमा के विवरण के सिवाय शेष अभिकथन स्वीकार नहीं हैं बल्कि उससे इनकार किया गया है । परिवाद पत्र की धारा-3 के सम्बन्ध में यह उल्लेख किया गया है कि उसके तथ्य झूठे मनगढंत व बनावटी है, उससे इनकार करते हुये यह कथन किया है कि इसे साबित करने का भार परिवादी पर है । इसी प्रकार धारा-4, 5, 6, 7, 8 ,9 ,10 एवं 11 के अभिकथनों को इनकार करते हुये अस्वीकार किया है तथा यह कथन किया है कि परिवादी ने क्लेम फॉर्म नॉमिनी के हस्ताक्षर से प्रस्तुत नहीं किया । परिवाद पत्र की धारा-12 एवं 13 के सम्बन्ध में जहाँ सेवा में कमी का उल्लेख है, जिसके कारण परिवादी ने क्षतिपूर्ति की धनराशि और पैरा-13 में अ से द तक उपशम की माँग की है, इससे इनकार किया है । जवाबदेही के अतिरिक्त कथंन में विपक्षीगण का कथन है कि विपक्षीगण को कथित घटना की सूचना परिवादी अथवा पुलिस के माध्यम से समय से नहीं दी गयी जिससे कि वह आवश्यक जाँच पड़ताल व मौका मआयना से वंचित रहा । Approval Form में मृतक/ घायल की आयु 26 वर्ष प्रदर्शित की गयी जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अज्ञात व्यक्ति के सम्बन्ध में मृतक की आयु 35 वर्ष अंकित है एवं प्रथम सूचना रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करायी गयी । इस कारण परिवादी की क्लेम फाइल समाप्त करते हुये दिनांक 15.02.2018 को No Claim करके बन्द कर दी गयी । इस प्रकार परिवादी स्वच्छ हाथों से न्यायालय के समक्ष नहीं आया। परिवादी ने क्लेम फॉर्म पर नॉमिनी के हस्ताक्षर नहीं कराये । परिवादी की क्लेम फाइल परिवादी को कई अनुस्मारक दिनांक 05.10.2017, 25.10.2017 और 13.12.2017 को दिये जाने के पश्चात क्लेम फाइल दिनांक 15.02.2018 को No Claim दर्शाते हुये बन्द कर दी गयी । परिवादी द्वारा औपचारिकताओं को भी पूर्ण नहीं कराया गया ।
परिवादी ने वाद-पत्र के समर्थन में नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा जारी बीमा प्रपत्र की छायाप्रति, मृतक अनूप मिश्रा का मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति, परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रेषित पत्र दिनांकित 18.11.2016 की छायाप्रति, शमशेर बहादुर सिंह उप निरीक्षक बारा थाना अकबरपुर द्वारा प्रेषित जाँच आख्या की छायाप्रति, नकल रपट रो0 आ0 थाना अकबरपुर कानपुर देहात दिनांकित 19.10.2016 की छायाप्रति (दो प्रति), परिवादी द्वारा विपक्षी बीमा कम्पनी को प्रेषित पत्र दिनांकित 12.07.2018 व दिनांकित 21.12.2018 की छायाप्रति, परिवादी का पैन कार्ड की छायाप्रति व जरिये अधिवक्ता प्रतिवादीगण को प्रेषित रजिस्टर्ड नोटिस की छायाप्रति दिनांकित 19.10.2020 की छायाप्रति मय पोस्टल रसीद की छायाप्रति सहित साक्ष्य में दाखिल किया है ।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र में वर्णित कथनों के समर्थन में स्वयं परिवादी जगन्नाथ मिश्रा का साक्ष्य शपथपत्र दिनांकित 13.07.2022 पी0डबल्यू0-1 के रूप में पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।
विपक्षी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की ओर से राजेन्द्र कुमार वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड गोविन्द नगर कानपुर नगर द्वारा साक्ष्य प्रति शपथपत्र दिनांकित 30.08.2022 पत्रावली पर दाखिल किया गया है ।
विपक्षी नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की ओर से दस्तावेजों के सूंची पत्र के साथ परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 05.10.2017, 25.10.2017 व 13.12.2017 की छायाप्रतियाँ साक्ष्य में दाखिल किया है ।
विपक्षी की ओर से दस्तावेजों के सूंची पत्र दिनांकित 12.07.2023 के साथ चौकी बारा थाना अकबरपुर कानपुर देहात द्वारा प्रेषित जाँच आख्या की छायाप्रति संलग्नक-1, अनुज मिश्रा द्वारा थाना प्रभारी बाह आगरा को प्रेषित पत्र दिनांकित 28.09.2016 की छायाप्रति संलग्नक-2, मेडिकल ऑफिसर पोस्टमार्टम कानपुर देहात द्वारा हस्ताक्षरित प्रपत्र की छायाप्रति संलग्नक-3, मृतक अनूप मिश्रा का मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति संलग्नक-4, बीमा पॉलिसी की छायाप्रति संलग्नक-5, प्रीमियम रसीद की छायाप्रति संलग्नक-6A व 6B, हाई स्कूल परीक्षा प्रमाण पत्र की छायाप्रति संलग्नक-7, पंचायत नामा की छायाप्रति संलग्नक-8, पोस्टमार्टम रिपोर्ट की छायाप्रति संलग्नक-9 के रूप में पत्रावली में दाखिल किया है ।
परिवादी एवं विपक्षीगण की ओर से उनके अधिवक्ताओं द्वारा अपनी-अपनी लिखित बहस पत्रावली पर दाखिल की गयी ।
परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता की मौखिक बहस सुनी एवं पत्रावली में दाखिल लिखित बहस का परिशीलन किया ।
प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण की ओर से श्री राजेन्द्र कुमार, वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक, नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा गोविन्द नगर कानपुर नगर के साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-8 में इस बात का अभिकथन किया गया है कि परिवादी की ओर से, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत दिये गये लिमिटेशन पीरियड के बीतने के पश्चात विपक्षीगण को अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए समय सीमा से बाधित क्लेम दाखिल किया गया है क्योंकि याची का क्लेम दिनांक 15.02.2018 को रिजेक्ट कर दिया गया था, इस कारण मात्र इसी आधार पर याची का क्लेम पोषणीय नहीं रह जाता है । परिवादी की ओर से, विपक्षी श्री राजेन्द्र कुमार वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक के साक्ष्य प्रतिशपथपत्र के खण्डन में परिवादी की ओर से कोई Rejoinder Affidavit दाखिल नहीं किया गया है ।
इस प्रकार वाद का कारण (Cause of Action), जबकि परिवादी का क्लेम भुगतान हेतु स्वीकार न करके दिनांक 15.02.2018 को परिवादी को उसका दावा खारिज किये जाने की सूचना दी गयी है उसी दिनांक 15.02.2018 को वाद का कारण उत्पन्न हुआ व धारा-69(1) The Consumer Protection Act 2019, के अन्तर्गत प्राविधानित किया गया है कि-
“The District Commission, the State Commission or the National Commission shall not admit a complaint unless it is filed within two years from the date on which the cause of action has arisen”.
परिवादी ने स्वयं अपने परिवाद पत्र की धारा-4 में यह अभिकथन किया है कि परिवादी ने उक्त दुर्घटना की सूचना विपक्षीगण को दी थी किन्तु परिवादी ने विपक्षीगण को दुर्घटना की सूचना दिये जाने की किसी दिनांक का उल्लेख नहीं किया है । इसके अतिरिक्त पैरा-4 में परिवादी का अभिकथन है कि उसने विपक्षीगण के कार्यालय जाकर निवेदन किया था कि उसके पुत्र की मृत्यु के कारण उसको बीमा से क्षतिपूर्ति दिलायी जाये, यहाँ भी परिवादी ने उस तिथि का कोई उल्लेख नहीं किया है कि किस तिथि को वह विपक्षी के कार्यालय गया और उसने निवेदन किया । इसके अतिरिक्त परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा-4 में ही यह भी अभिकथन किया है कि परिवादी ने समस्त कागजात भी जमा कर दिये परन्तु विपक्षीगण द्वारा परिवादी को आज तक कोई धनराशि प्राप्त नहीं करायी गयी, यहाँ पुनः परिवादी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि उसने विपक्षी के कार्यालय में समस्त कागजात कब और किस दिनांक को जमा किये ।
विदित है कि परिवादी के पुत्र की Personal Traffic Accident Policy दिनांक 11.12.2015 से 10.12.2016 के मध्य वैध एवं प्रभावी थी । परिवादी का केस यह है कि दुर्घटना दिनांक 26.09.2016 में जिसमें उसके पुत्र की मृत्यु दिनांक 27.09.2016 को हो गयी थी, जिसकी सूचना थाना अकबरपुर कानपुर देहात में जी. डी. नंबर 722/16 पर दर्ज करायी गयी थी तथा पोस्टमार्टम भी कराया गया था ।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि श्री राजेन्द्र कुमार वरिष्ठ शाखा प्रबन्धक नेशनल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के साक्ष्य प्रतिशपथपत्र के खण्डन में कोई Rejoinder Affidavit परिवादी की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है । विपक्षीगण द्वारा दिनांक 15.02.2018 को परिवादी का क्लेम भुगतान हेतु रिजेक्ट होने पर निर्धारित अवधि 2 साल के अन्दर कोई विधिक कार्यवाही नहीं की गयी । The Consumer Protection Act 2019, की धारा-69(1) यह प्राविधानित करती है कि जिला आयोग, राज्य आयोग अथवा राष्ट्रीय आयोग के समक्ष कोई भी परिवाद एड्मिट नहीं किया जायेगा जब तक कि कोई भी दावा, वाद का कारण उत्पन्न होने के दो वर्ष के भीतर प्रस्तुत नहीं कर दिया जाता है ।
जहाँ तक परिवादी की ओर से श्री धीरेन्द्र सिंह भदौरिया एडवोकेट द्वारा प्रेषित लीगल नोटिस दिनांक 19.10.2020 का प्रश्न है ? इस सम्बन्ध में नोटिस के मुख्य पृष्ठ पर पत्रांक व दिनांक का कालम रिक्त है, नीचे टाइपशुदा दिनांक 19.10.2020 अंकित है, जबकि लीगल नोटिस पर अधिवक्ता के हस्ताक्षर के नीचे दिनांक 20.11.2020 अंकित है, जो कि परस्पर विरोधाभाषी हैं ।
किसी भी मामले में विधि द्वारा लिमिटेशन पीरियड निर्धारित किये जाने का तात्पर्य यह होता है कि उस मामले में दावा करने की एक अवधि निर्धारित कर दी जाती है, इस अवधि के पश्चात उस मामले में विधिक कार्यवाही के सम्बन्ध में निर्णय अन्तिम हो जाता है । इस प्रकार यदि किसी मामले में विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार 2 वर्ष की मियाद दावा किये जाने के लिए निर्धारित है जैसा कि इस परिवाद में है, तो लीगल नोटिस के माध्यम से इससे अधिक अवधि तक समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है जबकि प्रस्तुत परिवाद दिनांक 14.07.2021 को विधि द्वारा स्थापित समय सीमा के उपरान्त दाखिल हुआ है ।
अतः इन परिस्थितियों में परिवाद का परिवाद धारा-69(1) The Consumer Protection Act 2019, के अन्तर्गत समय सीमा से बाधित होने के कारण अपास्त किये जाने योग्य है ।
आदेश
परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध खारिज किया जाता है । पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करें ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
प्रस्तुत निर्णय / आदेश हस्ताक्षरित एवं दिनांकित होकर खुले कक्ष में उद्घोषित किया गया ।
( सुश्री कुमकुम सिंह ) ( हरिश चन्द्र गौतम ) ( मुशीर अहमद अब्बासी )
म0 सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग जिला उपभोक्ता आयोग
कानपुर देहात कानपुर देहात कानपुर देहात
दिनांक:- 08.05.2024
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