राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-915/2024
हिमांशु राय पुत्र श्री महावीर निवासी-183-बी, मंगला विहार प्रथम जवाहरपुरम, न्यू पैक लाईन्स कानपुर नगर, उ0 प्र0।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
रीजेन्सी हास्पिटल प्रा0 लि0 द्धारा चेयरमैन/डायरेक्टर/मैनेजिंग डायरेक्टर, ए-2 सर्वोदय नगर, कानपुर नगर, उ0 प्र0 व एक अन्य।
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री अभिषेक तिवारी
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : कोई नहीं।
दिनांक :- 09.07.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/ हिमॉशु राय द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-256/2014 में पारित आदेश दिनांक 13.05.2019 के विरूद्ध योजित की गई है। अपील की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से आज सुनिश्चित की गई। अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अभिषेक तिवारी को विस्तार से सुना गया।
विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग द्धारा दिनांक 13.05.2019 को निम्न आदेश पारित किया गया:-
‘’ पत्रावली पेश हुई। पुकारा गया।
अन्यान्य पुकार पर परिवादी अनुपस्थित है। विपक्षी उपस्थित है।
पत्रावली के अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी दिनांक 26.10.2018 से अनुपस्थित चल रहा है। जबकि विगत विगत दिनांक 13.02.2019 को यह आदेश पारित किया गया था कि ‘’ अग्रिम नियत तिथि पर परिवादी पुकार पर उपस्थित आवे- अन्यथा स्थिति में परिवाद खारिज किया जा सकता है।‘’ परन्तु उसके बाद भी परिवादी आज अनुपस्थित है। परिवाद को अब आगे बढ़ाये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अत: ऐसी स्थिति में प्रस्तुत परिवाद, परिवादी की लगातार अनुपस्थिति के कारण खारिज किये जाने योग्य है।
उपरोक्त कारणों से परिवादी का प्रस्तुत परिवाद ‘’ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-13 की उपधारा-2 (सी) के अंतर्गत खारिज किया जाता है।
पत्रावली नियमानुसार दाखिल दफ्तर की जाये।‘’
प्रश्नगत अपील पॉच वर्ष की अवधि व्यतीत होने के उपरान्त योजित की गई जिस सम्बन्ध में कथन किया गया कि परिवादी अधिवक्ता श्री जमीर अहमद जाफरी द्धारा उपरोक्त परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवादी के पक्ष से प्रस्तुत किया जा रहा था एवं उपरोक्त अधिवक्ता श्री जाफरी विगत 05 वर्षो से मुख के कैन्सर से पीडि़त है जिस सम्बन्ध में उनका इलाज नई दिल्ली के राजीव गांधी कैन्सर इन्स्टीट्यूट में चल रहा है एवं विगत कई वर्षो से कीमो एवं अन्य चिकित्सा प्रणाली अपनायी जा रही है। नियत तिथि पर उनकी अनुपस्थिति स्वीकृत की गई। परन्तु इस न्यायालय के सम्मुख यह भी तथ्य उल्लिखित किया गया कि जिला आयोग द्धारा विपक्षी उपस्थित है का उल्लेख किया गया परन्तु विपक्षी संख्या-01 अथवा विपक्षी संख्या-02 स्वयं उपस्थित है या उनके अधिवक्ता उपस्थित थे। इसका उल्लेख करना अपेक्षित था, जो निर्विवादित रूप से नहीं पाया गया। मात्र विपक्षी उपस्थित है उल्लिखित है। क्या विपक्षी संख्या-01 के प्रतिनिधि/ अधिवक्ता/ चिकित्सालय उपस्थित था अथवा विपक्षी संख्या-02 के चिकित्सक स्वयं उपस्थित थे या उनके अधिवक्ता।
दौरान बहस अपीलार्थी के अधिवक्ता द्धारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि वास्तव में विपक्षी चिकित्सालय द्धारा भारी मात्रा में सरकारी धन को गैर कानूनी ढ़ग से प्राप्त किया गया है। सी. जी. एच. एस. बेनीफिसरी को चिकित्सालय में मात्र रू0 58/- की धनराशि जमा कर चिकित्सा सुविधा प्राप्त की जानी होती थी। सी. जी. एच. एस. के बेनीफिसरी/मरीज से अतिरिक्त धनराशि विपक्षी संख्या-01 चिकित्सालय द्धारा वसूल की गई।
उपरोक्त तथ्यों पर बिना कोई मत व्यक्त करते हुये एवं इस तथ्य का विशेष रूप से संज्ञान लेते हुये कि परिवादी के अधिवक्ता मुख कैन्सर से पीडि़त थे जिनकी अनुपस्थिति के कारण परिवाद एकपक्षीय रूप से निरस्त किया गया जिसकी सूचना परिवादी/परिवादी अधिवक्ता को प्राप्त नहीं हुई जिस वजह से अपील विलम्ब से योजित की गई।
समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए न्यायहित में मेरे विचार से अपीलार्थी/परिवादी को सुनवाई का एक अवसर प्रदान किया जाना उचित प्रतीत होता है, तद्नुसार इस मामले में बिना किसी गुण-दोष पर विचार किये प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद सं0-256/2014 में पारित आदेश दिनांक 13.05.2019 अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को इस आग्रह के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग उपरोक्त परिवाद सं0-256/2014 को अपने पुराने नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उभय पक्ष को साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए परिवाद का गुण-दोष के आधार पर निस्तारण, इस आदेश की प्राप्ति से 03 माह की अवधि अथवा 31.10.2024 तक बिना किसी पक्ष को स्थगन प्रदान करते हुए करना सुनिश्चित करें।
इस आदेश की प्रति अपीलार्थी/परिवादी द्वारा 02 सप्ताह की अवधि में विविध प्रार्थना पत्र के साथ विद्धान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर के सम्मुख प्रस्तुत की जाएगी।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
रंजीत, पी.ए.
पीठ सं०-01