Uttar Pradesh

StateCommission

A/705/2023

Shri Dev Prakash Pandey - Complainant(s)

Versus

Red Square Infra Developers Pvt. Ltd. & Others - Opp.Party(s)

Subeer Sarkar

21 Aug 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/705/2023
( Date of Filing : 27 Apr 2023 )
(Arisen out of Order Dated 20/03/2023 in Case No. CC/170/2021 of District Lucknow-II)
 
1. Shri Dev Prakash Pandey
R/O C-67, Dream Valley, Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Red Square Infra Developers Pvt. Ltd. & Others
H-7,South City Near Saheed Path, Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 21 Aug 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-705/2023

श्री देव प्रकाश पाण्‍डेय, निवासी सी-67, ड्रीम वैली, लखनऊ उत्‍तर प्रदेश

बनाम

रेड स्‍क्‍वायर इंफ्रा डेवलपर्स प्रा0लि0, एच-7, साउथ सिटी (निकट शहीद पथ), लखनऊ 226025 द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर आदि

दिनांक:-21.8.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या-170/2021 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.3.2023 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्‍त कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के साथ अपने आवासीय प्लाट पर निर्माण कार्य कराने हेतु दिनांक 09.3.2019 को एक अनुबंध किया था, जिसके अनुसार निर्माण हेतु कुल सुपर एरिया 1250 वर्गफिट था, जिसका निर्माण चार्जेस रू. 1490.00 प्रति वर्गफिट था, जिसमे एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट चार्जेस भी सम्मिलित थे तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा निर्माण कार्य 11 माह में पूरा करना था, जिसमें 01 माह का ग्रेस पीरियड भी

 

-2-

सम्मिलित था। उक्त एग्रीमेंट के अनुसार उक्त आवास का कब्जा सौंपने की देय तिथि दिनांक 08.3.2020 थी।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि उसके द्वारा एग्रीमेट के अनुसार निर्माण कार्य हेतु तय कुल धनराशि रू. 39,48,500/- में से प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को कुल रू0 38,00,000/- का भुगतान किया जा चुका है। उसके बावजूद भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने कब्जा हेतु अन्तिम प्रस्ताव के साथ अवैध संशोधित धनराशि रू0 44,00,484/- की मांग अपीलार्थी/परिवादी से की तथा शेष धनराशि के भुगतान हेतु रु0 6,00,484/- की भी मांग प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने की है।

अपीलार्थी/परिवादी का कथन है कि अनुबंध के अनुसार कब्जा देने की निर्धारित तिथि से 15 माह विलम्ब से कब्जा प्रस्ताव हेतु उक्त अवैध धनराशि की मॉग प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा की गयी, जिस पर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 07.10.2020 को प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को सूचित किया कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने लम्बे समय के बाद मौखिक रूप से कब्जे का प्रस्ताव दिया है। अतः संशोधित राशि की मांग अवैध है और उसे माफ किया जाना चाहिए, परन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण ने अपीलार्थी/परिवादी के अनुरोध को स्वीकार करने से इंकार कर दिया तथा बार-बार अवैध धनराशि की मांग की, जिसके कारण अपीलार्थी/परिवादी ने प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण से निर्माण की विलम्बित अवधि पर ब्याज की गणना करने का अनुरोध किया, परन्तु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के उक्त अनुरोध को भी इंकार कर दिया गया।

 

-3-

अपीलार्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि भूमि के मौजूदा कानून के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी निर्माण कार्य में हुई देरी व उसी दर पर निर्माण कार्य पूरा न होने पर ब्याज पाने का हकदार है। अपीलार्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि अनुबंध के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण घर के निर्माण/कब्जे के प्रस्ताव की विलम्बित अवधि हेतु रु0 12,000/- प्रतिमाह मुआवजा देने के लिए भी उत्तरदायी हैं तथा अपीलार्थी/परिवादी मकान के अन्तिम कब्जे के समय शेष धनराशि का भुगतान विलम्बित अवधि के लिए 18 प्रतिशत तिमाही चक्रवृद्धि ब्याज की कटौती के बाद करने के लिए तैयार है। उक्त के संबंध में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 18.03.2021 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक विधिक नोटिस प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को प्रेषित किया, जिसका उत्तर देते हुये प्रत्‍यर्थी/विपक्षी पक्ष ने पत्र दिनांकित 31.03.2021 के माध्यम से अपने ही एग्रीमेंट को नकार दिया। अतः प्रत्‍यर्थी/विपक्षी पक्ष द्वारा अनुबंध के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी के आवास के निर्माण कार्य को पूरा न करके परिवादी के प्रति सेवा में कमी की गयी है, जिसके कारण अपीलार्थी/परिवादी को मानसिक कष्ट भी हुआ है, जिस हेतु परिवादी मुआवजा पाने का हकदार है। अत्एव क्षुब्‍ध हो‍कर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर यह कथन किया है कि अपीलार्थी/परिवादी ने अपने प्लाट एरिया 1250 वर्गफिट पर रू0 1490 प्रति वर्गफिट की दर से निर्माण कराने हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

-4-

से दिनांक 09.3.2019 को एक समझौता किया था, जिसके अनुसार निर्माण कार्य पूर्ण करके कब्जा 11 माह के अन्दर देना था तथा एक माह का ग्रेस पीरियड भी सम्मिलित था। समझौते के अनुसार निर्माण की कुल लागत रू0 39,48,500/- निश्चित हुई थी। उक्त समझौते की 02 महत्वपूर्ण शर्तें यह भी थीं कि अन्तिम भुगतान की गणना कब्जे के समय वास्तविक निर्मित क्षेत्र के आधार पर की जायेगी तथा उक्‍त अनुबंध के अनुसार भुगतान में किसी प्रकार का विलम्ब होता है तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण निर्माण के लिए कुछ अतिरिक्त समय पाने का हकदार है। अनुबंध में यह भी उल्लिखित था कि बिजली कनेक्शन अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रदान किया जायेगा और उसका बिल मालिक/परिवादी द्वारा वहन किया जायेगा।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि अनुबंध की शर्त के अनुसार कब्जे के समय कुल निर्मित एरिया 2953.35 वर्गफिट था, जिसके अनुसार अन्तिम बिल रू0 44,00,484.05/ था। अनुबंध की शर्त के अनुसार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को बिजली कनेक्शन भी उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसका खर्चा भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को वहन करना पड़ा व फरवरी, 2022 में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा बिजली का कनेक्शन काट लिया गया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि अनुबंध की शर्त के अनुत्तार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा समय पर भुगतान न किये जाने के कारण निर्माण में देरी हुई, जिस कारण कब्जे के प्रस्ताव में भी देरी हुई। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि समझौते पर हस्ताक्षर के समय निर्माण सामग्री की सहमत दरों में महामारी कोविड-19 के दौरान और बाद में भारी वृद्धि हुई, जिस कारण

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प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को प्रचलित बाजार दर के अनुसार भुगतान करने हेतु कहा गया, जो कि अवैध नहीं था। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि अपीलार्थी/परिवादी एक डिफाल्टर है, क्योंकि आज तक उसने देय बकाया धनराशि का भुगतान नहीं किया है।

प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा भेजे गये विधिक नोटिस दिनांकित 18.03.2021 के जबाद दिनांकित 31.03.2021 में प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा उक्त समझौते से इंकार नहीं किया गया था। प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण का यह भी कथन है कि उनके उच्च प्रवासों के बावजूद भी अपीलार्थी/परिवादी द्वारा भुगतान में चूक व बिजली कनेक्शन की अनुपलब्धता व कोविड-19 के कारण निर्माण कार्य पूरा करने में व कब्जा प्रस्ताव देने में देरी हुई, जो कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के नियंत्रण से बाहर थी। अतः अपीलार्थी/परिवादी किसी भी मुआवजे का हकदार नहीं है तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है तथा उसका परिवाद सव्‍यय निरस्त किये जाने योग्य है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुबीर सरकार को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया। प्रत्‍यर्थीगण के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुना गया तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के

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परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि अपीलार्थी/परिवादी व प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के मध्य हुए उपरोक्त वर्णित अनुबंध दिनांकित 09.3.2019 के अनुसार प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को अपीलार्थी/परिवादी के 1250 वर्गफिट के प्लाट पर निर्माण कार्य रू0 1490 वर्गफिट की दर से 11 माह + 01 माह की ग्रेस अवधि में पूर्ण करना था एवं निर्धारित देय धनराशि रु0 39,48,500/- थी। उक्त अनुबंध की शर्त के अनुसार निर्धारित समयावधि में यदि भुगतान करने में विलम्ब होता है, तो प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को निर्माण के लिए अतिरिक्त समय प्राप्त करने का अधिकार है तथा अन्तिम भुगतान की गणना वास्तविक निर्मित एरिया के आधार पर की जायेगी एवं कब्जा प्रस्ताव के समय वास्तविक निर्मित एरिया 2953.35 वर्गफिट था।

यह तथ्‍य भी उल्‍लेखनीय है कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा देय धनराशि का भुगतान भी पेमेंट शेड्यूल के अनुसार निर्धारित अवधि में नहीं किया गया। अनुबंध की शर्त के अनुसार बिजली कनेक्शन तथा उसका व्यय अपीलार्थी/परिवादी द्वारा ही वहन करना था, जो कि उसके द्वारा नहीं किया गया, बल्कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षी द्वारा बिजली व्यय वहन किया गया, इसके अतिरिक्त निर्माण कार्य के दौरान महामारी कोविड-19 के कारण भी निर्माण कार्य में विलम्ब हुआ। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा न तो निर्माण कार्य में जानबूझकर देरी की गयी और न ही अन्तिम भुगतान की गणना करने में कोई त्रुटि की गयी। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अनुबंध की शर्तों का स्‍वयं ही उल्‍लंघन किया गया है तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा अपीलार्थी/परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है और इस सम्‍बन्‍ध में समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत चर्चा विद्वान जिला

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उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से विधि अनुकूल है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                       

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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