(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-700/2024
मोहन प्रकाश सोनी प्रोपराइटर/डिलर शारदा ट्रेडर्स महेन्द्रा ट्रैक्टर व एक अन्य
बनाम
रविन्द्रनाथ तिवारी पुत्र स्व0 रमाशंकर तिवारी, निवासी खारी, पो0-खारी, परगना सिकन्दरपुर, जिला बलिया।
दिनांक:-27.6.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, बलिया द्वारा परिवाद संख्या-195/2012 में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 16.8.2023 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा शारदा ट्रेडर्स बेल्थरा रोड परगना सिकन्दरपुर गर्दी जिला बलिया से महिन्द्रा ट्रैक्टर अज नाम अर्जुन 605 अल्ट्रा ट्रैक्टर रू0 6,75,000.00 मूल्य का भुगतान कर दिनांक 03.01.2012 को खरीदा गया। अपीलार्थी/विपक्षी शारदा ट्रेडर्स द्वारा स्वयं ही इस बात का इन्डोसमेन्ट एग्रीमेन्ट दिनांक 03.01.2012 पर किया गया शेष इस ट्रैक्टर में किसी प्रकार की कोई राशि शेष नहीं है।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा इस बात का इकरार किया गया कि सम्पूर्ण कागजात फार्मेल्टी के साथ ट्रैक्टर प्रत्यर्थी/परिवादी को दे दिया गया। परन्तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा कोई असल कागजात ट्रेक्टर से सम्बन्धित प्रत्यर्थी/परिवादी को नहीं दिये, जिससे ट्रैक्टर का न तो पंजीयन हुआ और न ही ट्रैक्टर रोड पर चल रहा है एवं ट्रैक्टर घर पर खड़ा रहने से प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रतिदिन रू0 2,000.00 का नुकसान को हो रहा है। दिनांक 03.01.2012 को सम्पूर्ण भुगतान प्राप्त करने बावजूद भी असल कागजात
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अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को न दिया जाना अपीलार्थी/विपक्षीगण की सेवा में कमी एवं अनुचित व्यापारिक व्यवहार की श्रेणी में आता है अत्एव प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 03.4.2012 को अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपीलार्थी/विपक्षीगण को नोटिस दिया गया, परन्तु फिर भी अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा कोई कागजात उपलब्ध नहीं कराये गये। अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कथन किया गया कि
प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सारे कागजात प्राप्त करना कहा गया है और उसका अपीलार्थी/विपक्षी पर रू0 15,000/- बकाया है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वास्तविक परिस्थिति को छिपाया गया है, प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के यहाँ से सर्वप्रथम एक ट्रैक्टर माडल 295 टर्बो खरीदा था जिसका सारा भुगतान दिनांक 01.8.2011 तक कई किश्तों में प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण को किया गया, जबकि उससे पूर्व भी प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपना एक पुराना ट्रैक्टर माडल सं0-265 महिन्द्रा को एक्सचेन्ज में बेचकर 295 टर्बो खरीदा था, जिसकी कीमत 5,75,000.00 रू0 थी। उसके बाद पुनः दूसरा महिन्द्रा ट्रैक्टर खरीदा गया जिसका रू0 15,000.00 बकाया है। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा यह भी कथन दिया गया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी के गाड़ी बेचने के बाद भी दिनांक 16.09.2011 को सेल लेटर आदि दे दिया गया था तथा प्रत्यर्थी/परिवादी ने दिनांक
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15.9.2011 के पूर्व 2.05 लाख रूपये जमा कर दिया गया है तथा वाहन का सेल लेटर रविन्द्र तिवारी को दिनांक 16.09.2011 को ही रसीद लिखवा कर दे दिया गया है। अपीलार्थी/विपक्षी को पैसा न देना पड़े, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षीगण को तंग व परेशान करने की नियत से प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा फर्जी परिवाद दाखिल किया गया है। जो एकदम बेबुनियाद है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है, विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि ट्रैक्टर्स के समस्त कागजात परिवादी को दिया जाय तथा वाद व्यय के रूप में रू0 5,000.00 क्षतिपूर्ति मद में 20,000.00 रू0 का भुगतान करें, समस्त धनराशि पर निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर देय होगी। यदि विपक्षीगण भुगतान नहीं करता है तो समस्त धनराशि पर 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से देय होगा।"
जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थीगण के अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी को ट्रैक्टर के साथ सारे कागजात प्राप्त कराये गये है परन्तु उसके द्वारा बकाया धनराशि रू0 15,000.00 अदा नहीं की गई है। यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी द्वारा वास्तविक परिस्थितियों को छिपाकर परिवाद
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प्रस्तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया कि गाडी बेचने के बाद दिनांक 16.9.2011 को सेल लेटर आदि प्रत्यर्थी को प्रदान कर दिया गया था। अपीलार्थी को बकाया धनराशि रू0 15,000.00 न देना पडे इसलिए झूठे कथन के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थीगण द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गई है अत्एव अपील स्वीकार कर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय व आदेश अपास्त किया जाए।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथनों को सुनने के पश्चात तथा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि अपीलार्थी द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के बजाय इस न्यायालय के सम्मुख अपील योजित की गई है एवं अपीलार्थी द्वारा ऐसा कोई प्रपत्र/अभिलेख पीठ के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे कि यह स्पष्ट हो कि उसके द्वारा समस्त प्रपत्र/ ट्रैक्टर के कागजात प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किये जा चुके हैं। अपीलार्थी के अधिवक्ता द्वारा इस कथन को भी साक्ष्य के द्वारा साबित नहीं किया जा सका है कि अपीलार्थी पर प्रत्यर्थी/परिवादी का रू0 15,000.00 बकाया है।
उपरोक्त समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए मेरे विचार से इस संबंध में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत
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निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपीलार्थीगण को आदेशित किया जाता है कि वे उपरोक्त निर्णय व आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1