Uttar Pradesh

StateCommission

A/371/2019

Royal Sundaram General Insurance Co. Ltd - Complainant(s)

Versus

Ravindra Vishwakarma - Opp.Party(s)

Dinesh Kumar

22 Aug 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/371/2019
( Date of Filing : 14 Mar 2019 )
(Arisen out of Order Dated 08/02/2019 in Case No. C/178/2017 of District Azamgarh)
 
1. Royal Sundaram General Insurance Co. Ltd
No. 1, II Floor Subramanium Building Club House Road Chennai 600002 Through its Officer In-Charge
...........Appellant(s)
Versus
1. Ravindra Vishwakarma
S/O Late jatan Vishwakarama R/O 569/Cha/154 Premnagar Alambagh Lucknow Presently R/O Vill. Kol Pandey Post Bhawarnath Thana Kotwali Tehsil Sadar Distt. Azamgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Aug 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-371/2019

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, आजमगढ़ परिवाद सं0-178/2017 में पारित आदेश दिनांक 08.02.2019 के विरूद्ध)

 

रायल सुन्‍दरम जनरल इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लिमिटेड, नं0 1, ।। फ्लोर सुब्रामणियम बिल्डिंग, क्‍लब हाउस रोड, चिन्‍नई- 600002 जरिये प्रबन्‍धक निदेशक/महाप्रबन्‍धक। 

                                                          ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम         

  1. रविन्‍द्र विश्‍वकर्मा पुत्र स्‍व0 राम जतन विश्‍वकर्मा निवासी 569/Cha/154, प्रेमनगर, आलमबाग, लखनऊ हाल मोकाम ग्राम कोल पाण्‍डेय पोस्‍ट भवरनाथ थाना कोतवाली तहसील सदर, जिला- आजमगढ़ उत्‍तर प्रदेश।
  2. यूनियन बैंक आफ इण्डिया ब्रान्‍च आफिस- हीरापटटी, पोस्‍ट सदर, जिला आजमगढ़ द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

…….. प्रत्‍यर्थीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता       : श्री दिनेश कुमार।

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : श्री अनिल कुमार मिश्रा।

दिनांक :- 22.08.2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

     प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, आजमगढ़ द्वारा परिवाद सं0-178/2017 में पारित आदेश/निर्णय दिनांक 08.02.2019 के विरूद्ध योजित की गयी है।

     जिला फोरम ने परिवादी का परिवाद स्‍वीकार करते हुये निम्‍न आदेश पारित किया है:-

-2-

     ‘’ परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0 1 व 2 को आदेशित किया जाता है कि वह वाहन पर कुल खर्च मु0 2,72,992/- (दो लाख बहत्‍तर हजार नौ सौ बानवे रूपया) तथा पारिवाद दाखिला की तिथि से उपरोक्‍त धनराशि पर 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज की दर से ती दिन के अन्‍दर परिवादी को अदा करें तथा शारीरिक व मानसिक कष्‍ट हेतु विपक्षी सं0 1 व 2 परिवादी को मु0 20,000/- (बीस हजार रूपये) भी अदा करें।‘’

     संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी/विपक्षी ने अपने व्‍यक्तिगत इस्‍तेमाल हेतु यूनियन बैंक आफ इण्डिया शाखा हीरापटटी आजमगढ़ से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त कर एक इर्टिगा वी.डी.आई; कार खरीदी, जिसका रजिस्‍ट्रेशन सं0 यू.पी;32/एच.सी;-7352 माडल 2016 है। परिवाद में विपक्षी सं02 द्वारा प्रीमियम प्राप्‍त कर कार का बीमा मु0 8,10,978/-रूपये के लिये साधारण बीमा किया जो दिनांक 29.06.2016 से दिनांक 28.06.2017 तक वैध व प्रभावी था। दिनांक 10.03.2017 को सांय परिवादी/विपक्षी अपने मित्र जय प्रकाश यादव जो वैध ड्राइविंग लाइसंस धारक है व अन्‍य दो मित्रो के साथ रानी की सरांय में स्थित ढाबा पर खाना खाने गये थे और लौटते समय रात हो गयी थी तथा वापस लौटने पर उसके मित्र जय प्रकाश यादव ने बताया कि उन्‍हें उनके गॉव के ही एक अभिन्‍न मित्र की बरात में जाना है और वे बारात में शामिल होने हेतु उक्‍त वाहन लेने के लिये अनुमति चाही क्‍योंकि जय प्रकाश यादव हमारे वाहन को चलाने के लिये ड्राइविंग लाइसेंस के धारक थे। अतएव उन्‍हें वाहन ले जाने के लिये अनुमति दे दी।

दिनांक 10.03.2017 को बरात से लौटते समय बरातियों में से अमरजीत सिंह, दिव्‍यांशु सिंह व अमरजीत का भतीजा सुधांशु सिंह ने भी वाहन में साथ चलने का अनुरोध करने पर उपरोक्‍त जय प्रकाश यादव द्वारा उन्‍हें वाहन में बैठा

 

-3-

लिया। दिनांक 10.03.2017 को जय प्रकाश यादव वाहन को धीमी गति से चला रहे थे कि रात 11.45 बजे स्‍थान चुनहवा बाजार चौक थाना जीयनपुर पर एक पिक-अप बोलेरो गुडस कैरियर वाहन के चालक द्वारा तेजी से व लापरवाही से वाहन को चलाते हुये उसकी कार में टक्‍कर मार दिया जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्‍त हो गयी।

अमरजीत ने उक्‍त घटना की प्रथम सूचना थाना जीयनपुर में दर्ज करायी। सूचना मिलने पर परिवादी/विपक्षी तुरन्‍त दुर्घटनास्‍थल पर पहॅुचा और गाड़ी को टोचन कराकर थाना परिसर में उसके द्वारा पहॅुचाया गया जहॉ से टेक्निल परीक्षण के उपरान्‍त वाहन प्रदान किया गया। पुन: विपक्षी सं02 से मोबाइल पर बात करके उनके निर्देशानुसार टोचन के द्वारा क्षतिग्रस्‍त वाहन को एक रजिस्‍टर्ड गैरेज मेसर्स मारूति केयर, करतारपुर आजमगढ़ पहॅुचाया जिसमें रू0 5000/- का खर्च आया। सूचना मिलने पर अपीलार्थी/विपक्षी सं01 ने उसे क्‍लेम फार्म दिया जिसे भरकर परिवादी/विपक्षी ने परिवाद में विपक्षी सं0 2 को दिया।

सर्वेयर द्वारा वाहन का सर्वे किया गया और अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के यहॉ उसका दावा पंजीकृत हुआ। अपीलार्थी/विपक्षी सं01 ने आश्‍वासन दिया कि वह अपने वाहन की मरम्‍मत अपने खर्च पर कराकर उसे पूरा भुगतान कर दिया जायेगा। परिवाद में विपक्षी सं02 से दावा निस्‍तारण हेतु अनुरोध किया और मेसर्स मारूति केयर, करतारपुर आजमगढ़ में अपने वाहन की मरम्‍मत करायी और उसे 2,67,972/- रूपया भी अदा किया गया।

बार-बार अनुरोध के बावजूद भी जब क्‍लेम का निस्‍तारण नहीं हुआ तो परिवादी/विपक्षी ने दिनांक 04.09.2017 को अपीलार्थी/विपक्षी सं01 को नोटिस दिया जिसके उत्‍तर में अपीलार्थी/विपक्षी सं01 ने अपने पत्र दिनांक 09.10.2017 के द्वारा अवगत कराया कि पत्र दिनांक 25.09.2017 के जरिये उसका बीमा दावा

 

-4-

Being used for hire and reward purposes के कारण पालिसी के शर्तो के उल्‍लंघन मानते हुये निरस्‍त कर दिया, परन्‍तु बीमा दावा निरस्‍तीकरण संबंधी मूल पत्र दिनांक 25.09.2017 परिवादी के लखनऊ या आजमगढ़ के किसी भी विपक्षी को प्राप्‍त नहीं हुआ।  परिवादी/विपक्षी  ने  पत्र दिनांक 25.09.2017 की प्रतिलिपि मांगी तो श्री राहुल श्रीवास्‍तव नामक अपीलार्थी/विपक्षी सं01 के अधिकारी ने उसके अधिवक्‍ता श्री श्‍याम नरायन राय, को ई-मेल पर दिनांक 27.10.2017 को पत्र दिनांक 25.09.2017 की प्रति प्रेषित किया जिसके अवलोकन से यह ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षी सं01 ने वाहन प्राइवेट वाहन होते हुये भी किराये पर चलाये जाने का आरोप लगाते हुये एवं पालिसी की शर्तो का उल्‍लंघन मानते हुये उसका बीमा दावा निरस्‍त कर दिया।

परिवादी/विपक्षी का क्‍लेम अवैध ढंग से खारिज किया गया है। अत: विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह परिवादी/विपक्षी को रू0 4,47,972/- मय 18 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से अदा करें एवं उचित हर्जा भी अदा करें।

     परिवाद में विपक्षी सं0 1 व 2 द्वारा अपना जवाबदावा प्रस्‍तुत किया गया जिसमें यह कहा गया कि परिवाद गलत तथ्‍यों के आधार पर दाखिल किया गया है। परिवादी/विपक्षी ने बीमा के शर्तो का उल्‍लंघन किया है। परिवादी/विपक्षी ने प्राइवेट कार पैकेज की पालिसी कराया था जो दिनांक 29.06.2016 से दिनांक 28.06.2017 तक वैध थी। परिवादी/विपक्षी ने अपना क्‍लेम दिनांक 18.03.2017 को प्रस्‍तुत किया है तथा यह कहा कि वाहन का इन्‍श्‍योरेन्‍स 10.03.2017 तथा उसके आठ दिन बाद परिवाद प्रस्‍तुत किया गया। सर्वेयर नियुक्‍तकिया गया। सर्वेयर ने सर्वे किया और रू0 1,92,481/- की क्षतिपूर्ति बताया। बीमा कम्‍पनी से विवेचन  हेतु एक  स्‍वतंत्र  क्‍लेम  इन्‍वेस्‍टीगर  नियुक्‍त

 

-5-

किया जिसने अपनी रिपोर्ट दिनांक 05.07.2017 में कहा कि परिवादी/विपक्षी ने सही तथ्‍य प्रस्‍तुत नहीं किये है और वाहन का उपयोग कामर्शियल उददेश्‍य के लिये किया जा रहा था। एक्‍सीडेन्‍ट के समय गाड़ी चला रहा ड्राइवर ने तीन यात्रियों को गाड़ी में बैठाना कहा है, जबकि शेषमणि ने सात व्‍यक्तियों को वाहन में बैठाना कहा है। नौ व्‍यक्तियों को बैठाये जाने के कारण माइलेज 33916 था। अमरजीत के बयान के अनुसार कार को विवाह में बुक कराया गया था। परिवादी/विपक्षी ने कार को ड्राइवर वेहिकिल के रूप में बीमा कराया था और उसकी कार Hire and reward purposes के लिये उपयोग की जा रही थी, जो कि बीमा पालिसी की शर्तो का उल्‍लंघन है। बीमा में Hire and reward purposes कार का कोई भी उपयोग शामिल था।

जवाबदावा में न्‍याय निर्णय ‘’ यूनाइटेड इण्डिया इन्‍श्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लिमिटेड बनाम हरचन्‍द राय चन्‍दन लाल’’ में कहा गया है कि पालिसी की शर्ते दोनों पर समान रूप से लागू होती है। न्‍याय निर्णय ‘’ ओरियण्‍टल इंश्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लिमिटेड बनाम सोनी चेरियान (1999) 6 एस.सी.सी. 451’’ में यह कहा है कि इन्‍श्‍योरर और इन्‍श्‍योर्ड के बीच जो संविदा होती है वह मात्र दोनों पक्ष के बीच होती है। शर्तो में जो विहित है उसके विपरीत कोई भी कार्य अवैध होता है। न्‍याय निर्णय ‘’ जनरल इंश्‍योरेन्‍स सोसाइटी लिमिटेड बनाम चानदुमल जैन एवं अन्‍य (1966) 3 एस.सी.आर. 500’’ जो एक संवैधानिक पीठ है उसमें यह कहा है कि इन्‍श्‍योरेन्‍स की संविदा को पढ़ते वक्‍त उसमें लिखित सारी बातों का ध्‍यान देना आवश्‍यक है। चॅूकि कार Hire and reward purposes उददेश्‍य के लिये उपयोग की जा रही थी अत: दिनांक 25.09.2017 को बीमा कम्‍पनी द्वारा क्‍लेम खारिज कर दिया गया। यह कथन कि परिवाद के  विपक्षीगण ने अपनी किसी भी सेवाओं में कमी नहीं किया है। अतएव परिवाद खारिज किया जाय।

 

-6-

हमारे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री दिनेश कुमार को सुना। प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री अनिल कुमार मिश्रा को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रोंका परिशीलन किया एवं विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.02.2019 का सम्‍यक परिशीलन करने के उपरान्‍त यह तथ्‍य पाया गया कि परिवादी द्वारा यह स्‍वयं स्‍वीकृत किया गया है कि उसके एक मित्र द्वारा परिवादी की गाड़ी अपने व्‍यक्तिगत प्रयोग हेतु परिवादी से लेकर किसी विवाह में शामिल होने के पश्‍चात वापस आते समय विवाह में कुछ अन्‍य मित्र एवं परिवारीजन को साथ में लेकर दुर्घटना के कारण वाहन क्षतिग्रस्‍त हुआ जिसका सम्‍यक परीक्षण एवं निरीक्षण कराने के उपरान्‍त वाहन को आवश्‍यकतानुसार गैरिज में मरम्‍मत करायी गयी जिसमें लगभग रू0 2,68,000/- व टोचन के अन्‍तर्गत रू0 5000/- व्‍यय किये जाने के साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया। अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर द्वारा वाहन का सर्वे किया गया तथा अपनी रिपोर्ट में क्षतिपूर्ति की गणना/आंकलन रू0 1,92,481/- किया गया। जब अपीलार्थी इंश्‍योरेन्‍स कम्‍पनी द्वारा नियुक्‍त सर्वेयर द्वारा स्‍वयं रू0 1,92,481/- क्षतिपूर्ति हेतु अपनी सर्वे रिपोर्ट में उल्लिखित किया गया है तब प्रश्‍न यह है कि उपरोक्‍त धनराशि अपीलार्थी को स्‍वयं स्‍वीकार है जो हमारे विचार से समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुये उचित प्रतीत होती है।

जहॉ तक विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का कथन है कि टोचन खर्चे के अन्‍तर्गत रू0 5000/- भी परिवादी द्वारा गाड़ी को दुर्घटनास्‍थल से गैरिज लाने हेतु खर्च किया गया। वह मॉग भी उचित प्रतीत होती है जो अपीलार्थी द्वारा विपक्षी/परिवादी को देय है। जिला फोरम द्वारा परिवाद को निस्‍तारित करते हुये शारीरिक व मानसिक कष्‍ट हेतु विपक्षीगण/अपीलार्थी  द्वारा  परिवादी   को  जो  रू0  20,000/-  अदा  करने का आदेश पारित किया  गया है,  वह  भी पूर्णत:

-7-

विधिक है जिसका समर्थन किया जाता है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील को आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। आदेश दिया जाता है कि 60 दिन में 9 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज के साथ उल्लिखित धनराशि रू0 1,92,481/- परिवादी/विपक्षी को प्राप्‍त करायी जाय। यदि उल्लिखित अवधि में उपरोक्‍त धनराशि प्राप्‍त कराने में अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी विफल होगी तब ब्‍याज की देयता 9 प्रतिशत के स्‍थान पर 12 प्रतिशत आंकलित एवं देय होगी।

        आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

(न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)             (सुशील कुमार)

                   अध्‍यक्ष                            सदस्‍य

 

रामेश्‍वर, पी ए ग्रेड-2,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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