राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-212/2020
न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कम्पनी लि0 94, महात्मा गॉधी मार्ग, हजरतगंज, लखनऊ।
...........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
रवि शंकर सिंह पुत्र शिव बहादुर सिंह, निवासी चक बल्लीहार, बेनीकामा, जिला रायबरेली।
.............प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री जफर अजीज
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री संजय कुमार वर्मा
दिनांक :-01.4.2024
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा इस आयोग के सम्मुख धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, रायबरेली द्वारा परिवाद सं0-124/2016 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.12.2019 के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी बोलेरो जीप संख्या-यू०पी०-33 ए०एफ०/9811 का पंजीकृत स्वामी है जिसकी पालिसी संख्या-42200231140100009599 है, जो दिनांक-23-02-2015 से 22-02-2016 तक वैध एवं प्रभावी है। उक्त वाहन का बीमा मूल्यांकन बीमा पालिसी के अनुसार 6,94,624/-रू0 है। दिनांक-31-05-2015 को मृतक कृपाशंकर पाण्डेय अपने सहकर्मियों दीपक शर्मा, राजकमल श्रीवास्तव, धीरेन्द्र कुमार शुक्ला, गोपेश अवस्थी, ललित कुमार श्रीवास्तव एवं चालक रामराज के साथ उपरोक्त बोलेरो जीप से
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बस्ती शहर के सुयश पैलेस से अपने आई.टी.आई. सहकर्मी एम०सी० बाजपेयी के पुत्र के वैवाहिक समारोह में शामिल होकर फैजाबाद से होते हुए रायबरेली आ रहे थे कि जैसे ही बोलेरो जीप समय, करीब सुबह 05:15 बजे उक्त मार्ग पर स्थित ग्राम सिधौना के पास पहुँची कि ठीक उक्त समय पर रायबरेली की ओर से आ रहे ट्रक संख्या-यू०पी०-42, टी-8888 के चालक ने उक्त वाहन को बहुत तेजी व लापरवाही पूर्वक चलाते हुए गलत दिशा में आकर बोलेरो जीप संख्या-यू०पी०-33, ए०एफ०/9811 में सामने से जोरदार टक्कर मार दिया था जिससे बोलेरो जीप में बैठे कृपा शंकर पाण्डेय सहित दीपक शर्मा, राजकमल श्रीवास्तव, धीरेन्द्र कुमार शुक्ला, ललित कुमार श्रीवास्तव, चालक रामराज एवं गोपेश अवस्थी को गम्भीर चोंटे आयीं थी एवं गोपेश अवस्थी को छोड़कर सभी की मृत्यु हो गई थी।
उक्त दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट उसी दिन विवेक कुमार शुक्ला द्वारा थाना मिल एरिया जिला रायबरेली में दर्ज कराई गई। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी बीमाकर्ता कम्पनी को दुर्घटना की सूचना यथाशीघ्र दी गई जिस पर अपीलार्थी/विपक्षी बीमाकर्ता कम्पनी द्वारा सर्वेयर नियुक्त कर वाहन उपरोक्त का सर्वे कराया गया, सर्वेयर द्वारा "टोटल लास का इस्टीमेट बनाया गया। सर्वे के पश्चात अपीलार्थी/विपक्षी बीमाकर्ता कम्पनी द्वारा क्षतिपूर्ति देने से बचने के उद्देश्य से दिनांक-21-01-2016 को पत्र के माध्यम से यह कथन करते हुए कि "अन्वेषणकर्ता एवं घायल गोपेश अवस्थी के अनुसार दुर्घटना के समय वाहन का उपयोग व्यवसायिक हो रहा था, का स्पष्टीकरण मांगा गया। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा स्पष्टीकरण जरिये रजिस्टर्ड डाक प्रेषित किया गया परन्तु स्पष्टीकरण के पश्चात अपीलार्थी/विपक्षी बीमाकर्ता कम्पनी द्वारा दिनांक-29-02-2016 को लिखित रूप से दावा नो क्लेम कर दिया गया। अन्वेषणकर्ता घटना के तथ्यों के एवं मौके के गवाह
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नहीं हैं। घायल गोपेश अवस्थी ने इसी सन्दर्भ में सशपथ कथन किया है कि "मैंने बोलेरो जीप संख्या-यू०पी०-33,ए०एफ०/9811 के वाहन स्वामी या चालक को स्वयं कोई किराया नहीं दिया था, न ही किसी ने मेरे सामने किराया दिया था, न ही इस सम्बन्ध में किसी ने कोई चर्चा मेरे सामने की थी। उक्त शपथ पत्र की धारा-3 में उन्होंने यह भी कथन किया है कि बोलेरो जीप संख्या-यू०पी०-33. ए०एफ०/9811 के किराये पर ले जाने विषयक बयान दि न्यू इण्डिया एस्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड के सर्वेयर को मैंने बिना किसी ठोस आधार या जानकारी के अनुमान के आधार पर दिया था। यदि गोपेश अवस्थी का बयान अज्ञान व विश्वसनीयता से परे था तो अन्वेषणकर्ता को सजगता व सावधानीपूर्वक मामले के तथ्यों का गहन अन्वेषण करना चाहिए था। यानी कम्पनी के अन्वेषणकर्ता के दूषित अन्वेषण के आधार पर दि न्यू इण्डिया एश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा यह उपधारित कर कि वाहन का उपयोग व्यवसायिक रूप में किया जा रहा था। स्पष्टीकरण की नोटिस प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रेषित करना प्रत्यर्थी/परिवादी के लिए कम्पनी द्वारा उत्पन्न अपूर्णनीय व अतिरिक्त मानसिक कष्ट एवं क्षति है व लगातार हो रही है। उपरोक्त दावे का संज्ञान लेते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बीमाकर्ता कम्पनी द्वारा दिनांक-29-02-2016 को एक पत्र प्रेषित किया गया जिसमें विलम्ब से सूचना देने एवं घटना के समय वाहन को किराये से चलाने का कथन करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने प्रत्यर्थी/परिवादी के दावे को नो क्लेम कर दिया, अत्एव क्षुब्ध होकर परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी की ओर जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख परिवाद पत्र के कथनों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा गलत व भ्रामक तथ्यों के आधार पर विधि विरूद्ध तरीके से बिना किसी ठोस साक्ष्य व आधार के तथा
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बिना स्पष्ट वाद कारण के अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध वर्तमान परिवाद दायर किया गया है, इस कारण परिवाद पोषणीय नहीं है और निरस्त होने योग्य है।
यह भी कथन किया गया कि बीमा पालिसी जो कि प्रश्नगत प्राइवेट वाहन की थी वह स्वयं के ही इस्तेमाल के लिए थी और उसी का प्रीमियम प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी को दिया था। उक्त वाहन के व्यवसायिक प्रयोग हेतु बीमा पालिसी दूसरी होती है, उसका प्रीमियम अलग होता है तथा परमिट होता है। परिवादी को उक्त व्यवसायिक पालिसी न तो दी गई थी, न उसने ली थी और न ही उसने व्यवसायिक पालिसी का प्रीमियम अदा किया था। वास्तविकता यह है कि परिवादी ने दिनांक-09-07-2015 के पत्र से सूचना दी कि "मेरी गाड़ी दिनांक-31-05-2015 को फैजाबाद से रायबरेली की ओर आ रही थी, सिंधौना के पास सामने से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी जिससे गाड़ी में सवार 06 लोगों की मौत हो ग्रई है। मैंने दुर्घटना की सूचना मौखिक ओम आटो प्राइवेट लिमिटेड को उसी दिन दे दी थी। वहां उन्होंनें गाड़ी लाने पर आगे की कार्यवाही की बात कही क्योंकि मेरी गाड़ी थाने में बन्द थीं। न्यायालय द्वारा दिनांक-06-06-2015 को गाड़ी छोडी गई इसलिए दुर्घटना की सूचना देने में देर हुई। अतः श्रीमान् जी से निवेदन है कि मेरी गाड़ी का शीघ्र सर्वे कराने की कृपा करें।" जिस पर उसी दिन परिवादी का दावा बीमा कम्पनी से पंजीकृत किया गया तथा सूचना कम्पनी के वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के मामले में प्रत्यर्थी/परिवादी को दावा फार्म जारी किया गया और आवश्यक औपचारिकताएं व दावे के समर्थन में सम्बन्धित कागजात पूर्ण कराकर बीमा कम्पनी में दाखिल करने का निर्देश प्रत्यर्थी/परिवादी को दिया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में हुई क्षति के आंकलन हेतु कम्पनी द्वारा योग्य व प्रशिक्षित सर्वेयर श्री
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प्रेम प्रकाश सिंह से सर्वे कार्य कराया गया जिन्होंने सर्वे के उपरान्त अपनी आख्या न्यू इण्डिया 21996/2015 दिनांक-29-07-2015 कम्पनी में प्रस्तुत की जिसमें 6,92,624/- रू0 का आकलन वास्तविक रूप से किया था जिसमें साल्वेज वैल्यू पूर्ण रूप से वाहन की सम्मिलित थी जिसे समायोजित करने के उपरान्त ही कम्पनी द्वारा पालिसी की नियम व शर्तों के पूरा होने की दशा में ही दावा निस्तारित किये जाने का उल्लेख था। इस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी के दावे में वास्तविक जांच व अन्वेषण कराया जाना आवश्यक हो गया था।
यह भी कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपने दावे के समर्थन में जो तथ्य प्रकट किये गये या सूचनाएं दी गई और दावा फार्म भरकर दिया गया, पर अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा मामले की जांच मौके पर जाकर करने हेतु योग्य व प्रशिक्षित अन्वेषक प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, एडवोकेट इलाहाबाद से कराई गई जिसमें योग्य एवं प्रशिक्षित अन्वेषक प्रमोद कुमार द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के मामले में विस्तृत जांच सूक्ष्म एवं तकनीकी रूप से मौके पर जाकर निरीक्षण सहित बिना पक्षपात के की गई जिसमें प्रत्यर्थी/परिवादी के स्वयं के भी बयान लिखित रूप में लिये गये। प्रत्यर्थी/परिवादी से मांगे गये जो कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने लिखकर दिये, साथ ही अन्य साक्षियों एवं प्रत्यक्ष दर्शियों के बयान भी जांचकर्ता द्वारा लिखित रूप में लिये गये और सम्पूर्ण तथ्यों एवं बयानों के आधार पर वास्तविक तथ्यों को उजागर करते हुए जांचकर्ता द्वारा और वास्तविक आख्या कार्यालय में सन्दर्भित N.I.A/PKS/15/2916 दिनांकित-23-11-2015 प्रस्तुत की।
प्रत्यर्थी/परिवादी के मामले में जांच तथा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के आधार पर मुख्य रूप से यह तथ्य प्रमाणित पाया गया कि घटना के समय जीप का प्रयोग भाड़े पर किया जा रहा था तथा सवारियां बैठाकर लाया जा रहा था, जो कि बीमा
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पालिसी के नियम व शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। उक्त कथन की पुष्टि शिव नारायन पुत्र रामआसरे, राज बहादुर पुत्र छोटेलाल, छोटेलाल पुत्र रामसनेही द्वारा अन्वेषणकर्ता को दिये गये बयान में की गई है, इसके अलावा गोपेश कुमार अवस्थी, सीमा शर्मा, पुष्पा पाण्डेय द्वारा भी यह कथन लिखित रूप में दिया गया कि उक्त वाहन भाड़े पर बारात के लिए बुक कराया गया था, अभिलेख में भी उक्त तथ्य प्रमाणित है। इस कारण प्रत्यर्थी/परिवादी का दावा भुगतान योग्य नहीं गया और अन्वेषक द्वारा दावा देय नहीं हेतु संस्तुति की गई।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। परिवादी विपक्षी से प्रश्नगत विवादित बोलेरो जीप की बीमित धनराशि 6,92,624.00 रू0 पाने का अधिकारी है। इसके साथ ही परिवादी विपक्षी से बीमित धनराशि 6,92,624.00 रू0 पर परिवाद दर्ज करने की तिथि 19.8.2016 से उसके अंतिम वसूली तक 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पाने का अधिकारी है। इसके साथ ही साथ परिवादी विपक्षी से मानसिक व शारीरिक क्षति के लिए 8,000.00 रू0 व परिवाद व्यय के मद में 3,000.00 रू0 भी पाने का अधिकारी है।
परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वह विवादित बोलेरो जीप को 15 दिन के अन्दर विपक्षी को सौंप दे और इसके साथ ही साथ समस्त विधिक कार्यवाही भी प्रश्नगत विवादित वाहन के सम्बन्ध में विपक्षी के पक्ष में सम्पादित करे।
विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त वर्णित धनराशि को एक माह के अन्दर परिवादी को अदा करे।''
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जिला उपभोक्ता आयोग के प्रश्नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह उचित एवं विधि सम्मत है।
परन्तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपने प्रश्नगत निर्णय/आदेश में जो विवादित बोलेरो जीप की बीमित धनराशि रू0 6,92,624.00 को अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाये जाने हेतु आदेशित किया गया है वह वाद के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत हो रहा है, तद्नुसार उसे निम्न आदेशानुसार परिवर्तित किया जाना उचित पाया जाता है अर्थात अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को नॉन स्टेण्डर्ड बेसिस पर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा आदेशित बीमित धनराशि रू0 6,92,624.00 (छ: लाख बानबे हजार छ: सौ चौबीस रू0) की 75 प्रतिशत धनराशि मय 06 प्रतिशत साधारण ब्याज की दर से परिवाद प्रस्तुत किये जाने की तिथि दिनांक 19.8.2016 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक अदा/प्राप्त करायी जावे।
तदनुसार प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
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अपीलार्थी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय/आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में सुनिश्चित करें।
प्रस्तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1