(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2656/2013
Ram Naresh Pradhan, Proprietor, Naresh Band
Versus
Ravi Raj Singh S/O Sri Sarnaam Singh
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री ओ0पी0 दुवेल, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :05.08.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-99/2011, रविराज सिंह बनाम राम नरेश प्रधान मालिक नरेश बैण्ड में जिला उपभोक्ता आयोग, मैनपुरी में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 31.10.2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता ने शादी में बैण्ड पार्टी के न पहुंचने के कारण कारित क्षति के लिए 61,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया है।
3. अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि बैण्ड पार्टी मौके पर पहुंची थी, लेकिन तब तक परिवादी बारात लेकर अपने घर से निकल चुके थे, इसलिए उनका कोई दोष नहीं है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क इस आधार पर यह ग्राह्य नहीं किया जा सकता कि बैण्ड पार्टी को निश्चित समय दिया गया था, निश्चित समय पर न पहुंचने के कारण ही बारात द्वारा प्रस्थान किया गया। इस तथ्य को शपथ पत्र द्वारा साबित किया गया है। आग यह बहस की गयी है कि केवल 11,001/-रू0 में बैण्ड पार्टी बुक की गयी थी, इसलिए मानसिक प्रताड़ना के मद में 50,000/-रू0 की राशि अत्यधिक है, चूंकि मूलधन राशि प्रतिफल 11,001/-रू0 है, इसलिए इसकी पांच गुना मानसिक प्रताड़ना के मद में नहीं दिया जा सकता। अत: मानसिक प्रताड़ना के मद में राशि 50,000/-रू0 के स्थान पर 25,000/-रू0 दिया जाना उचित है। अत: अंकन 11001/-रू0 तथा अंकन25,000/-रू0 कुल 36,001/-रू0 दिया जाना उचित है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अंकन 61,001/-रू0 के स्थान पर अंकन 36,001/-रू0 अदा किये जायें। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को इस निर्देश के साथ प्रेषित किया जाता है कि इस धनराशि का समायोजन उक्त धनराशि में किया जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2