Uttar Pradesh

StateCommission

A/229/2022

Ansal Properties And Infrastructure Ltd. - Complainant(s)

Versus

Ravi Pratap - Opp.Party(s)

Manvendra Pratap Singh

08 Apr 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/229/2022
( Date of Filing : 05 Apr 2022 )
(Arisen out of Order Dated 10/02/2021 in Case No. C/2009/740 of District Lucknow-I)
 
1. Ansal Properties And Infrastructure Ltd.
Office at 2nd Floor Shoping Square Sector-D Sushant Golf City Sultanpur Road Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Ravi Pratap
C/o Sunayana Medicine 9B Surya Medicine Market Naya Goan (E) G.B. Marg Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Apr 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-229/2022

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रथम लखनऊ द्धारा परिवाद सं0-740/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2021 के विरूद्ध)

अंसल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड, कार्यालय दूसरी मंजिल, शॉपिंग स्‍क्‍वायर सेक्‍टर-डी सुशांत गोल्‍फ सिटी सुल्‍तानपुर रोड लखनऊ 226030

                                             ........... अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम          

रवि प्रताप द्वारा सुनयना मेडिसिन, 9 बी सूर्य चिकित्‍सा बाजार नया Goan (ई) जी.बी. मार्ग लखनऊ।

…….. प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य                

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता      : श्री मानवेन्‍द्र प्रताप सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता        : श्री विकास अग्रवाल

दिनांक :- 18-4-2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम लखनऊ द्वारा परिवाद सं0-740/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मानवेन्‍द्र प्रताप सिंह तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास अग्रवाल को सुना तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया।

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपनी प्रस्‍तावित योजना के अन्‍तर्गत भवन सं0-0502-0-ई/1/004, सुशांत गोल्‍फ सिटी, लखनऊ में आवंटित किया गया, जिसका कुल मूल्‍य रू0 34,24,200.00 निर्धारित हुआ तथा उक्‍त भवन के सम्‍बन्‍ध में 80 प्रतिशत कीमत/भवन मूल्‍य 45 दिन की अवधि में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अदा करनी थी। ऋण प्राप्‍त करने के लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने बैंक में आवेदन दिया, जिसमें बैंक अधिकारियों द्वारा जमीन की टाइटल डीड तथा स्‍वीकृत ले आउट प्‍लान की मॉग की गई, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी टाइटल डीड एवं स्‍वीकृत ले आउट बैंक के सम्‍मुख प्रस्‍तुत नहीं कर सका, क्‍योंकि उक्‍त प्रपत्र उसे अपीलार्थी द्वारा उपलब्‍ध नहीं कराये जा सके। भूमि अविकसित थी तथा वहॉ किसी प्रकार का कोई कार्य प्रारम्‍भ नहीं हुआ था।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से कई बार अनुरोध किया कि वह आवंटित भवन/भूमि का ठीक-ठीक लोकेशन बताये, परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उसके कथन की कोई सुनवाई नहीं की और भौतिक कब्‍जा देने के 30 दिन पूर्व सम्‍पूर्ण भुगतान करना बताया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को ज्ञात हुआ कि अपीलार्थी/विपक्षी की कोई टाइटल डीड उक्‍त भूमि पर नहीं है तथा नक्‍शा भी सम्‍बन्धित विभाग से स्‍वीकृत नहीं कराया गया था। अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा यह धमकी भी दी गयी कि पैसा जमा न करने की स्थिति में वे प्रत्‍यर्थी/परिवादी का आवंटन निरस्‍त कर देंगे इसके लिए प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉ अपना प्रत्‍यावेदन प्रस्‍तुत किया, परन्‍तु फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई एवं अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है, अत्एव प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी से बुकिंग/पंजीकरण धनराशि

 

-3-

मय ब्‍याज तथा क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत कर परिवाद का विरोध किया गया तथा कथन किया गया कि परिवाद गलत तथ्‍यों पर आधारित है, जो अस्‍वीकार होने योग्‍य है। यह भी कथन किया गया है कि बुकिंग के समय प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने किस्‍त के आधार पर भुगतान का चुनाव किया था, जो 11 किस्‍तों में होना था तथा सम्‍पूर्ण राशि जमा होने के बाद ही मकान का दाखिल कब्‍जा देना था। यह भी कथन किया गया कि बुक किया गया भवन तीन वर्षों में तैयार होना था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को किस्‍तों का भुगतान करना था। यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को भवन सं0-0502-0-ई/1/004 सुशांत गोल्‍फ सिटी लखनऊ में आवंटित किया गया था तथा रजिस्‍ट्रेशन बुक में उन बैंकों की सूची दी गई थी जहॉ से ऋण स्‍वीकृत होना था।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को निर्देश दिया जाता है कि वह आवंटित भवन के लिए किश्‍तें की मॉग उस समय करेगा जब भवन की स्थिति कब्‍जा प्रदान करने लायक हो जाए एवं परिवादी द्वारा जमा धनराशि, जो वर्ष-2009 में जमा की गयी, पर जमा करने की तिथि से भवन निर्माण होने की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी अदा करना होगा। साथ ही साथ विपक्षी परिवादी को सेवा में कमी के लिए मुबलिग रू0 25,000.00 (पच्‍चीस हजार रूपया मात्र) तथा वाद व्‍यय के लिये

-4-

मुबलिग रू0 2,000.00 (दो हजार रूपया मात्र) अदा करेंगें। यदि भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है तो उसे पूरा कर एक वर्ष की अवधि में सभी औपचारिकताऍ पूरी कर विक्रय विलेख निष्‍पादित करेंगें। जिला आयोग द्वारा विपक्षी को निर्देश दिया गया कि वह भवन की स्थिति जब कब्‍जा देने लायक हो जायेगी तब वे परिवादी को निबन्धित डाक से सूचित करेंगे कि बकाया धनराशि प्राप्‍त करें, साथ ही परिवादी को लोन प्राप्‍त करने हेतु उसके द्वारा मॉगे गये कागजात की आपूर्ति भी कर दें, जिससे वह लोन स्‍वीकृत करा सके।" 

 जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/ असंल प्रापर्टीज एण्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर लिमिटेड द्वारा प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2021 के विरूद्ध अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख योजित की गई। चूंकि दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा प्रस्‍तुत अपील से सम्‍बन्धित अपने कथन एवं तथ्‍यों को इस न्‍यायालय के सम्‍मुख दर्ज कराया गया, अत्एव उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य की सहमति से प्रस्‍तुत अपील अंतिम रूप से निर्णीत की जाती है।

जैसा कि प्रस्‍तुत अपील के तथ्‍य इस निर्णय में ऊपर इस न्‍यायालय द्वारा वर्णित किये गये हैं तथा यह कि अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत अपील में इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग के निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2021 को अपास्‍त करने हेतु प्रार्थना की, उक्‍त के अन्‍यत्र अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा अन्‍य कोई प्रार्थना अपने अपील मेमों में नहीं की गई है, तद्नुसार समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए हम प्रस्‍तुत अपील को अंगीकरण के बिन्‍दु पर ही

-5-

अंतिम रूप से पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य की सहमति से निर्णीत करते हैं।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए जो निर्देश अपीलार्थी/विपक्षी को दिये गये हैं वे तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विचार से पूर्णत: उपयुक्‍त हैं, जिनका अनुपालन किया जाना अपीलार्थी कम्‍पनी से अपेक्षित है, क्‍योंकि यदि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आवंटित भवन की किस्‍तों को जमा करने हेतु किसी प्रकार का कोई आवश्‍यक प्रपत्र ऋण प्राप्‍त करने हेतु फाइनेंस कम्‍पनी/बैंक के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करना है, तो वह सिर्फ अपीलार्थी कम्‍पनी ही उसे उपलब्‍ध करा सकती है।

निर्विवादित रूप से प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा वर्ष-2009 में आवंटित भवन को बुक करते समय निर्धारित धनराशि रू0 34,24,200.00 के विरूद्ध दिनांक 13.6.2009 को अपीलार्थी/विपक्षी कम्‍पनी के पक्ष में बुकिंग धनराशि रू0 1,74,500.00 जमा की गई थी, जिसके विरूद्ध अपीलार्थी विपक्षी द्वारा लार्चवुड विला के नाम से सुशांत गोल्‍फ सिटी-ए हाईटेक टाउनशिप, लखनऊ में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को कुल एरिया 200 वर्ग मीटर का आवंटित किया गया।

निर्विवादित रूप से उपरोक्‍त प्रारम्भिक बुकिंग धनराशि अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा विगत 13 वर्षों से जमा कर प्रयोग की गई है, अत्एव जो अनुतोष विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने निर्णय से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार की कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा इंगित नहीं की जा सकी, अत्एव प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवाद

 

-6-

सं0-740/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 10.02.2021 की पुष्टि की जाती है।

अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि रू0 25,000.00 मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को विधिनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।

आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

            (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    (विकास सक्‍सेना)

               अध्‍यक्ष                                              सदस्‍य                                                                         

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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