मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उ0प्र0 लखनऊ
अपील संख्या 795 सन 2009
यू0पी0 पावर कार्पोरेशन लि0
.................. अपीलार्थी
-बनाम-
रवि नन्दन सिंह
..............................प्रत्यर्थी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता –श्री इसार हुसैन ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – कोई नहीं ।
दिनांक - 18.01.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्या 65 सन 2007 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 30.04.2009 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में, वाद के तथ्य इस प्रकार हैं परिवादी ने पॉच हार्सपावर का विदयुत कनेक्शन कृषि कार्य हेतु स्वीकृत कराया था जिसका 124.50 पैसा बिल तय था। आर्थिक कठिनाई के कारण वह कुछ बिल जमा नहीं कर सका। परिवादी अधिभार सहित बिल जमा करने को तैयार है लेकिन विपक्षी बिल जमा नहीं कर रहे हैं और न ही एक मुश्त जमा योजना के तहत ही धनराशि जमा कर रहे हैं और मनमाने ढंग से उससे 2,54,188.00 रू0 की वसूलयावी कर रहे हैं जिससे क्षुब्ध होकर परिवाद योजित किया गया ।
अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि परिवादी द्वारा कोई धन जमा नहीं किया गया है जिसके कारण उसे डिमाण्ड नोटिस जारी किया गया । वादी ने मात्र 1000.00 की रसीद कटवाई लेकिन कोई रूपया जमा नहीं किया अत: वह योजना का लाभ पाने का अधिकारी नहीं है। परिवादी पर 2,76,845.00 रू0 बकाया है ।
विद्वान जिला आयोग ने यह अवधारित करते हुए कि विदयुत विभाग द्वारा कोई बिल उपलब्ध न कराने के कारण परिवादी धनराशि जमा नहीं कर सका । विपक्षी द्वारा अधिभार रहित बिल न भेजकर वसूली प्रमाण पत्र भेज कर विदयुत अधिनियम 2003 की धारा 56 की उपधारा 2 का उल्लंघन किया है, निम्न आदेश पारित किया :-
'' परिवाद स्वीकार किया जाता है । वादी के विरूद्ध जारी वसूली प्रमाण पत्र मु0 2,54,188.00 निरस्त किया जाता है । विपक्षी वादी के विरूद्ध जारी आर0सी0 दिनांक 06.03.2007 से केबल दो वर्ष पूर्व की ही बकाया धनराशि को वसूलने का अधिकारी है । ''
पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्चात मेरे विचार से जिला मंच ने उभय पक्षों द्वारा दाखिल सभी अभिलेखों व शर्तो का अवलोकन करते हुए साक्ष्यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्नगत परिवाद में विवेच्य निर्णय पारित किया है, जो कि तथ्यों एवं साक्ष्यों से समर्थित एवं विधि-सम्मत है एवं उसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार प्रस्तुत अपील खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
उभय अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
पी0ए0(कोर्ट नं0-1)