राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील सं0 :- 1071/2019
(जिला उपभोक्ता आयोग, कासगंज द्वारा परिवाद सं0- 72/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08/08/2019 के विरूद्ध)
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, जिला कासगंज
- अपीलार्थी
Versus
श्री रवेन्द्र पुत्र श्री भूरे सिंह ग्राम बकराई थाना एवं तहसील पटियाली जिला कासगंज।
- प्रत्यर्थी।
समक्ष
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता:- श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:- 09-11-2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील अंतर्गत धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 इस न्यायालय के सम्मुख जिला फोरम, कासगंज द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 08.08.2019 के विरूद्ध अधिशासी अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड द्वारा योजित की गयी।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुना। संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा एक घरेलू बिजली कनेक्शन अपीलार्थी/विपक्षी से लिया गया था। विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने के समय अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी विद्युत उपभोक्ता को यह बताया गया था कि शीघ्र ही लाइन खींचकर सप्लाई दे दी जायेगी लेकिन अभी तक न ही लाइन खींची गई तथा न ही विद्युत सप्लाई चालू की गयी जबकि विभाग द्वारा रू0 17,613/- का बिल गलत रूप से भेज दिया गया है।
उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा परिवाद सं0 72/2018 विद्धान जिला फोरम कासगंज के सम्मुख प्रस्तुत की गयी। परिवाद में परिवादी द्वारा यह प्रार्थना की गयी कि उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद सव्यय स्वीकार किया जाये। अपीलार्थी बिजली कम्पनी का कथन है कि सरकारी योजना के अनुसार संयोजन स्वीकृत किया गया था तथा गांव का विद्युतीकरण पूरा किया जा चुका है। चेकिंग में पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी गांव में लघु ट्रान्सफार्मर में से केबिल डालकर विद्युत का प्रयोग कर रहे हैं। कटिया कनेक्शन के अन्तर्गत सप्लाई के बिल निर्गत किये गये हैं, जिसे जमा न करने के इरादे से यह दावा किया गया है। ग्रामीण विद्युत सप्लाई के आधार पर विद्युत नियमावली के अन्तर्गत प्रत्यर्थी/परिवादी को विद्युत बिल जारी किया गया है।
विद्धान जिला फोरम के सम्मुख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी बिजली कम्पनी द्वारा उसके विरूद्ध जो देय धनराशि का बकाया बताया जा रहा है वह पूर्णता अनुचित है तथा यह कि विपक्षी बिजली कम्पनी द्वारा जो झूठे तथ्य जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किये उसके संबंध में न तो कोई साक्ष्य ही प्रस्तुत किया और न ही समुचित तथ्यपूर्ण विवेचनाही की गयी।
विद्धान जिला फोरम द्वारा उभय पक्षो के विद्धान अधिवक्ता एवं पक्षकारों के सुनने के उपरान्त निम्न निष्कर्ष निकालते हुए आदेश पारित किया गया:-
अभिवचनों के संदर्भ में उभय पक्ष द्वारा प्रस्तुत कथनों व साक्ष्य का जहां तक प्रश्न है। विपक्षी द्वारा प्राप्त तहसील दिवस में प्राप्त शिकायतों की निस्तारण की आख्या तहसील कासगंज से संबंधित साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है, जिसमें विपक्षी आख्या यह है कि ग्राम बकरई में विद्युतीकरण आर0जी0जी0वी0वाई0 के तहत किया है, एनओसी मिलते ही विद्युत आपूर्ति प्रारंभ कर दी जायेगी तभी से बिल मान्य होंगे। दिनांक 03.02.2016 तक विद्युत आपूर्ति ग्राम बकरई में प्रारंभ नहीं हुई थी। इसी संदर्भ में विपक्षी द्वारा पत्र अधिशासी अभियंता कासगंज व निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी। पत्र दिनांकित नहीं है लेकिन अधिशासी महोदय के अनुसार दिनांक 02.05.2016 को उपनिदेशक विद्युत सुरक्षा रीजन आगरा द्वारा निरीक्षण किया गया था, उसके उपरान्त विद्युत आपूर्ति जारी कर दी गयी थी, जबकि निरीक्षण रिपोर्ट में लाइन केबिल के साथ गुजर रही डालियों को काटने व पुरानी लाइन को सुरक्षित कराने व ट्रान्सफर से संबंधित पोल पर लगे स्टे को सुरक्षित कराए जाने का विवरण अंकित है तथा ग्राम बकरई का निरीक्षण दिनांक 20.05.2016 होना दर्शाया है निरीक्षण रिपोर्ट में यह ध्वनित नहीं होता है कि उस समय विद्युत आपूर्ति चालू कर दी गयी। अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट के बाद एनओसी की प्रति भी प्रस्तुत नहीं की गयी है। विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है। इससे संबंधित कोई सबूत अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है तथा विपक्षी सबूत व उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों से भी दावावादी को बल मिलता है। यह कि दि0 माह 9-18 तक विद्युत देय के बकाया के संबंध में विपक्षी कथन बचाव में किया गया मिथ्या अभिवाक प्रतीत होता है तथा वादी द्वारा प्रस्तुत सबूतों से यह स्पष्ट होता है कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है। उपरोक्त विवेचना के उपरान्त मंच इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विपक्षी द्वारा सेवा में कमी की गई है। अत: दावा वादी सव्यय स्वीकार किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष को दृष्टिगत रखते हुए विद्धान जिला फोरम द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद सव्यय आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी बिजली कम्पनी द्वारा जारी बिल के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया गया था। अपीलार्थी विद्युत कम्पनी को यह निर्देशित किया गया कि वे प्रत्यर्थी/परिवादी को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्यय के एवज में रू0 3,000/- दो माह की अवधि में अदा करे।
हमारे सम्मुख अपीलार्थी विद्युत विभाग के विद्धान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन द्वारा परिवाद पत्र/अपील में पूर्णता तथ्य को उदधृत किया। विद्धान जिला फोरम द्वारा लिये गये निर्णय को यह कहते हुए गलत बताया कि जिला फोरम द्वारा जो यह निष्कर्ष दिया गया है विपक्षी अर्थात विद्युत कम्पनी द्वारा सेवा में कमी की गयी है वह पूर्णता गलत है तथा इस तथ्य पर बल दिया कि जिला फोरम द्वारा अपीलार्थी बिजली कम्पनी को जो यह निर्देश दिया गया है कि मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्यय के एवज में प्रत्यर्थी/परिवादी को रूपये 3,000/- की धनराशि अदा की जाये, वह पूर्णता गलत है अतएव अपील स्वीकार करने हेतु प्रार्थना की।
इस न्यायालय द्वारा उपरोक्त अपील दिनांक 09.09.2019 को सुनी गयी। तदोपरांत अपीलार्थी/ विद्युत कम्पनी को जिला फोरम द्वारा आदेशित देय धनराशि का 50 प्रतिशत धनराशि जमा करने हेतु आदेशित किया गया है। उक्त दशा में अपीलार्थी बिजली कम्पनी के विरूद्ध उत्पीड़नात्मक कार्यवाही स्थगित की गयी।
विपक्षी को नोटिस जारी किया गया परंतु विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, नोटिस जारी हुए 2 वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो गया है तथा प्रस्तुत अपील में तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अपीलार्थी की ओर से ऐसा कोई तथ्य इंगित नहीं किया गया, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में कोई कमी है परंतु जहां तक जिला फोरम द्वारा मानसिक, शारीरिक, आर्थिक व वाद व्यय के एवज में प्रत्यर्थी/परिवादी को कुल रूपये 3,000/- की धनराशि अदा किये जाने का प्रश्न है। उक्त आदेश सुसंगत प्रतीत नहीं होता है, चूंकि प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से उक्त के संबंध में कोई पक्ष भी प्रस्तुत नहीं किया गया और न ही किसी भी तिथि पर प्रत्यर्थी/परिवादी अथवा उनके विद्धान अधिवक्ता/अधिकृत प्रतिनिधि उपस्थित हुए। अतएव प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त धनराशि रूपये 3,000/- की देयता समाप्त की जाती है तथा यह आदेशित किया जाता है कि अपीलार्थी, जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का अनुपालन 90 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
संदीप आशु0 कोर्ट 1