Uttar Pradesh

StateCommission

A/2010/153

Gupta Watch and Electronic - Complainant(s)

Versus

Ravendra Prakash - Opp.Party(s)

S K Sharma

12 Oct 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2010/153
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Gupta Watch and Electronic
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ravendra Prakash
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 12 Oct 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-153/2010

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या-134/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.12.2009 के विरूद्ध)

 

गुप्‍ता वाच एण्‍ड इलेक्‍ट्रानिक्‍स, ओल्‍ड पोस्‍ट आफिस रोड, बहजोई, तहसील चंदौसी, मुरादाबाद द्वारा प्रोपराइटर।

                                      अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्     

रावेन्‍द्र प्रकाश पुत्र स्‍व0 श्री भजन लाल, निवासी मोहल्‍ला नारायण टोला, बहजोई, जिला मुरादाबाद।

                                    प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से  : श्री सुशील कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से    : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक 01.11.2017

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद संख्‍या-134/2009, रवेन्‍द्र प्रकाश बनाम गुप्‍ता वाच एण्‍ड इलेक्‍ट्रानिक्‍स में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय मुरादाबाद द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.12.2009 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षी/अपीलार्थी की ओर से याजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

उपरोक्‍तानुसार परिवाद एकपक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि वह आदेश की तिथि से एक माह के अन्‍दर परिवादी को बेचे गये खराब कूलर को बदलकर उसके स्‍थान पर

कम्‍पनी द्वारा निर्मि‍त समर मेक्‍स नया कूलर दे या परिवादी द्वारा खरीदे गये समर मेक्‍स कूलर की कीमत 1700/- रू0 मय 7 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित परिवाद योजित करने के दिनांक से वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक भुगतान करे। इसके अतिरिक्‍त परिवादी विपक्षी से 500/- रू0 वाद व्‍यय एवं 500/- रू0 क्षतिपूर्ति भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री एस0पी0 पाण्‍डेय उपस्थित हैं। विद्वान अधिवक्‍तागण को विस्‍तार से सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी ने समर मेक्‍स कम्‍पनी द्वारा निर्मि‍त कूलर दिनांक 24.04.2009 को 1700/- रू0 अदा कर विपक्षी से क्रय किया, जिसकी रसीद परिवादी को विपक्षी ने बिल संख्‍या-15 दिनांक 24.04.2009 दी। परिवादी का कहना है कि उक्‍त कूलर प्रारम्‍भ से ही आवाज कर रहा था एवं चलते चलते रूक जाता था एवं कूलर हवा नहीं आती थी तथा पम्‍प भी खराब था। उक्‍त कूलर वारण्‍टी में होने के बावजूद भी विपक्षी ने उक्‍त शिकायत पर कोई ध्‍यान नहीं दिया, बल्कि समर मेक्‍स कूलर के इंजीनियर द्वारा दिनांक 08.06.2009 को प्रश्‍नगत कूलर को देखकर बताया कि प्रश्‍नगत कूलर में समर मेक्‍स के पुर्जे नहीं पड़े हैं, लोकल पुर्जें पड़े हैं, इसलिए परिवादी द्वारा विपक्षी से नया कूलर दिलाये जाने हेतु प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया है।

जिला फोरम द्वारा विपक्षी को नोटिस जारी की गयी, किन्‍तु विपक्षी उपस्थित नहीं आया। विपक्षी को जारी नोटिस रेफ्यूज्‍ड/रिटर्न की आख्‍या के साथ वापस प्राप्‍त हुआ। इस आधार पर विपक्षी पर तामीला पर्याप्‍त मानते हुए परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुए जिला फोरम ने उपरोक्‍त निर्णय एवं आदेश दिनंकित 17.12.2009 पारित किया है।

उपरोक्‍त वर्णित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से योजित करते हुए मुख्‍यत: यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत प्रकरण में अपीलार्थी एक विक्रेता है। अपीलार्थी ने प्रश्‍नगत कूलर नहीं बेचा है, बल्कि परिवादी ने फर्जी रसीद बनाकर जिला फोरम के समक्ष दाखिल की है। परिवादी ने यह भी आरोप लगाया है कि समर मेक्‍स कम्‍पनी के इंजीनियर ने कूलर का निरीक्षण करने पर यह बताया कि प्रश्‍नगत कूलर में लोकल पुर्जे लगे हैं, जो कम्‍पनी के नहीं हैं। इस प्रकार कूलर मरम्‍मत योग्‍य नहीं है। जिला फोरम का निर्णय एकपक्षीय है, खारिज होने योग्‍य है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी की दुकान से प्रश्‍नगत कूलर खरीदा गया है, जिसकी रसीद पत्रावली में उपलब्‍ध है। जिला फोरम ने जो निर्णय/आदेश पारित किया है, वह सही एवं उचित है।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने प्रश्‍नगत कूलर विपक्षी/अपीलार्थी से खरीदा है, जो खराब है। अपीलार्थी कूलर विक्रेता है, जिसने प्रत्‍यर्थी को कूलर बेचा है। उक्‍त कूलर मे डिफेक्‍ट है, जो स्‍पष्‍ट रूप से साबित‍ है। डिफेक्टिव सामान बेचने के लिए विक्रेता अपने दायित्‍व से बच नहीं सकता है। निर्माता एवं विक्रेता दोनों का उत्‍तरदायित्‍व माना जायेगा। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा M/s Jaycee Automobiles Pvt. Ltd Vs Raj Kumar Ahnihotri and others 2016 SCC Online NCDRC 1963 में निम्‍न विधि व्‍यवस्‍था उद्धरित है :-

" Aggrieved by the order passed in Consumer Complaint No. 71/2014 on the file of the State Consumer Disputes Redressal Commission, Punjab, Chandigarh (in short, 'the State Commission') The first Opposite Party preferred this Appeal under Section 19 of the Consumer Protection Act, 1986 (in short, 'the Act'). By the impugned order, the State Commission partly allowed the Complaint with the direction to the Opposite Parties to rectify the defects with respect to the noise in the front. Wheel of the car within a period of one month, together with compensation of Rs. 15'000/- and costs of Rs. 11,000/-.

The brief facts as set out in the Complaint are that the Complainant purchased an Audi Q5 2.0 TDI QUAI IBIS vide Invoice No. 11-12-V032, dated 31.08.2011, at a price of Rs. 40,43,000/-, from the first Opposite Party. It is averred tehat immediately after purchase, the complainant noticed a continuous sound problem/noise from the front side of the wheel during the application of the breaks. It is pleaded that despite several visits, the first Opposite Party miserably failed to rectify the said problem.

For all the afore-mentioned reasons, it is observed that there is no illegality or infirmity in the order of the State Commission. This appeal is dismissed, accordingly, in limine. No order as to costs. "

उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍था के आलोक में विचार करने के उपरांत हम इस निष्‍कर्ष पर पहुँचते हैं कि प्रश्‍नगत प्रकरण में अपीलार्थी द्वारा कूलर बेचा गया है, जो डिफेक्टिव है मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट का होना पाया जाता है, जिसके लिए विक्रेता जिम्‍मेदार है। अपीलार्थी का यह तर्क कि वह विक्रेता है। मैन्‍यूफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट के लिए वह उत्‍तरदायी नहीं है, यह तर्क स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि विक्रेता भी संयुक्‍त रूप से जिम्‍मेदार होता है। अपीलार्थी के उक्‍त तर्क में बल नहीं पाया जाता है। अत: अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

 

अपील निरस्‍त की जाती है। पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

 

              (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

           पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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