Shahan Ahmad filed a consumer case on 31 Aug 2015 against Rathor Enterprises in the Kota Consumer Court. The case no is CC/236/2013 and the judgment uploaded on 01 Sep 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।
परिवाद संख्या:-70/2014
शाहान अहमद पुत्र जलील अहमद आयु 20 वर्ष जाति मुसलमान निवासी मोरडी पाडा बूंदी तहसील एवं जिला बूंदी राजस्थान। -परिवादी
बनाम
01. राठौड एन्टर प्राइजेज 547 महावीर नगर द्वितीय कोटा राजस्थान द्वारा मालिक।
02. सुधा इलेक्टो सर्विसेस, 124 शक्ति नगर, दादाबाडी, कोटा 324009 सर्विस सेन्टर। -विपक्षीगण
समक्ष:-
भगवान दास ः अध्यक्ष
महावीर तंवर ः सदस्य
हेमलता भार्गव ः सदस्य
परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित:-
01. श्री अजीत कुमार जोशी, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
02. विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही।
निर्णय दिनांक 31.08.2015
परिवादी ने विपक्षीगण के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत लिखित परिवाद प्रस्तुत कर संक्षेप में सेवा दोष बताया है कि विपक्षीगण ने दिनांक 18.08.12 को सोनी कंपनी का मोबाईल सेट माॅडल एम.टी. 251 खरीदा था, उसमें कुछ समय पश्चात खराबी आने पर कंपनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी सं. 2 को दिनांक 16.01.13 को दिखाया जिसने यह बताकर कि सही हो गया दिनांक 29.01.13 को वापस किया तथा दिनांक 12.04.13 को वही खराबी होने पर विपक्षी सं. 2 ने रख लिया दिनांक 24.04.13 को यह कहते हुये लौटाया की सही हो गया लेकिन दिनांक 05.06.13 को भी हैंग की समस्या आई जिसे अप्रार्थी सं. 2 ने पुनः रख लिया दिनांक 17.06.13 को पूरी तरह सही होना बताते हुये लौटा दिया। लेकिन दिनांक 19.06.13 को ही उसमें समस्या आई जिसे ठीक करने हेतु विपक्षी सं. 2 ने रख लिया दिनांक 02.07.13 को पुनः सही बताते हुये लौटाया। लेकिन उसमें वही समस्या पुनः आई तब दिनांक 01.08.13 को विपक्षी सं.2 ने सही करने से मना कर दिया तथा उसके स्थान पर नया मोबाईल देने से इंकार कर दिया। विपक्षी सं. 1 ने भी मोबाईल नहीं बदला, इसलिये उसे आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक संताप हुआ।
दोनो विपक्षीगण को मंच से भेजे गये नोटिस की तामील हो गई, लेकिन उसके उपरान्त काफी अवसर मिलने के बावजूद भी जवाब नही दिया गया, अन्ततः दोनो विपक्षीगण दिनांक 20.02.14 को अनुपस्थित हो गये, इसलिये उनके विरूद्ध एक पक्षीय कार्यवाही के आदेश दिये गये ।
परिवादी ने साक्ष्य में अपने शपथ-पत्र के अलावा मोबाईल खरीद बिल एवं दिनांक 16.01.13,12.04.13,05.06.13,19.06.13 की शिकायत संबंधी जोबशीट की फोटो प्रति प्रस्तुत की है।
हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
विचारणीय प्रश्न है कि क्या विपक्षीगण ने परिवादी के मोबाईल सेट को सही नहीं करके अथवा उसके स्थान पर नया सेट नहीं देकर सेवा में कमी की है ?
परिवादी की ओर से प्रस्तुत शपथ-पत्र व मोबाईल खरीद बिल, समस्या की शिकायत जोबशीट आदि दस्तावेजात से यह भलीभॅाति सिद्ध है कि उसने सोनी कंपनी द्वारा र्निमित मोबाईल विपक्षी सं. 1 से खरीदा था उसमें बार-बार समस्या आने पर अधिकृत सर्विस सेन्टर को दिखाया लेकिन उसके द्वारा पूरी तरह ठीक नहीं किया गया।
उपरोक्त से यह भी स्पष्ट है कि मोबाईल सेट का परिवादी उपयोग करने से इसलिये वंचित हो गया कि उसमें बार-बार समस्या आई, अन्त में समस्या का निवारण भी नही किया जो कंपनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर विपक्षी सं. 2 का सेवा-दोष है। मरम्मत के संबंध में विेक्रेता का कोई सेवा-दोष नहीं है। क्योंकि विक्रेता निर्माता कंपनी की ओर से र्निमित सेट को सील बंद अवस्था में मात्र विक्रय करता है। यदि उसमें कोई निर्माण-दोष है तब भी उसके लिये निर्माता ही उत्तरदांयी हो सकता है विक्रेता उत्तदांयी नहीं है।
विपक्षी विक्रेता एवं कंपनी के अधिकृत सर्विस सेन्टर ने अवसर मिलने पर भी परिवाद का जवाब नहीं दिया है परिवादी की कहानी का खंडन नहीं किया है। इसलिये विपक्षी अधिकृत सर्विस सेन्टर का यह सेवा-दोष सिद्ध है कि उसने परिवादी के संतुष्टि के अनुसार मोबाईल को सही ठीक नहीं किया है। विपक्षी विक्रेता का यह दोष-सिद्ध है कि यह शिकायत मिलने पर भी कि बार-बार खराब हो रहा है उस मोबाईल सेट के स्थान पर निर्माता कंपनी से दूसरा मोबाईल सेट उपलब्ध नहीं करवाया।
अतः परिवादी का परिवाद एक पक्षीय स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अतः परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय स्वीकार किया जाकर विपक्षी सं. 2 को निर्देश दिये जाते है कि इस आदेश की रजिस्टर्ड ए/डी डाक से प्रति मिलने के एक माह के अंदर परिवादी के मोबाईल सेट को उसके संतुष्टि के अनुसार ठीक करके बाद रसीद लौटाया जावे साथ-साथ विपक्षीगण को यह भी निर्देश दिये जाते है कि यदि मोबाईल सेट ठीक होने योग्य नहीं है तब उसके स्थान पर उसी माॅडल का नया मोबाईल सेट परिवादी को उपलब्ध करावे । उसके अलावा मानसिक संताप की भरपाई के 1,000/- रूपये, परिवाद खर्च की भरपाई के 1,500/- रूपये कुल 2,500/- रूपये परिवादी को एक माह के अंदर -अंदर विपक्षीगण द्वारा संयुक्ततः अथवा पृथकतः दिया जावे।
(महावीर तंवर) (हेमलता भार्गव) (भगवान दास)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
निर्णय आज दिनंाक 31.08.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes
Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.