जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
रामेष्वर पुत्र श्री पांचूराम, जाति- जाट, निवासी- ग्राम नारदपुरा, मु.पो. चैनपुरा, तहसील- फुलेरा, जिला- जयपुर ।
- प्रार्थी
बनाम
1. डा. संजय राठी, राठी हास्पिटल, आदित्य मिल के पास, अजमेर रोड, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर (राज.)
2. राठी हास्पिटल जरिए संचालक/पार्टनर/मालिक, आदित्य मिल के पास,
अजमेर रोड, मदनगंज-किषनगढ, जिला-अजमेर (राज.)
- अप्रार्थीगण
परिवाद संख्या 256/2012
समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी अध्यक्ष
2. श्रीमती ज्योति डोसी सदस्या
3. नवीन कुमार सदस्य
उपस्थिति
1.श्री सी.एस.दाधीच, अधिवक्ता, प्रार्थी
2.श्री सूर्यप्रकाष गांधी एवं श्री लक्ष्मण सिंह,
अधिवक्तागण अप्रार्थीगण
मंच द्वारा :ः- निर्णय:ः- दिनांकः-29.09.2016
1. प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार हंै कि वह लेथ मषीन पर कार्य करके अपना व अपने परिवार का पालन पोष करता है जब वह दिनांक 23.2.2012 को लेथ मषीन पर कार्य कर रहा था तो उसका दाहिना हाथ दुर्घटनाग्रस्त हो गया । उसेे अप्रार्थी संख्या 1 के द्वारा संचालित अस्पताल में दिनांक 23.2.2012 को भर्ती कराया गया जिसका भर्ती टिकिट 5571 है । अप्रार्थी संख्या 1 ने उसके दुर्घटनाग्रस्त हाथ का एक्सरे कराया जिसमें आए फैक्चर को उसने आपरेषन द्वारा जोड़ा जाना बताया । दिनंाक
23.2.2012 को अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा आपरेषन किया जिसमें राषि क्रमष 17,000/-, 18020/- तथा रू. 10,000/- आपरेषन,जांच खर्च व दवाई के खर्च हुए । आपेरषन के बाद अप्रार्थी संख्या 1 ने उसके दुर्घटनाग्रस्त हाथ का एक्सरे किया और बताया कि आपेरषन सफलतापूर्वक हो गया है । आपरेषन होने के बाद उसका हाथ धीरे धीरे काला एवं सुन्न होने लगा तो उसने इसकी सूचना अप्रार्थी संख्या 1 को मोबाईल पर दी । उन्होने दिनंाक 23.3.2012 को आकर मिलने के लिए कहा । उक्त दिनांक को अप्रार्थी संख्या 1 के नहीं मिलने व मोबाईल पर पुनः सम्पर्क करने पर उसे जयपुर स्थित विषेषज्ञ डा. एस.एल.षर्मा का पता बताते हुए उनसे मिलने को कहा । प्रार्थी अप्रार्थी संख्या 1 के बताए अनुसार जब डा. एस.एल.षर्मा को दिखाया तो उन्होने जांच कर उसे बताया कि जोड ठीक ढंग से नहीं होने के कारण हड््डी ठीक प्रकार से नहीं जुड़ी, जिसके कारण हाथ की नसों में ब्लाकेज आ गया है और यह बताया कि यदि आपरेषन नहीं करवाया तो हाथ काटना पड सकता है, और अपनी राय लिखकर व दवाईयां देकर घर भेज दिया तथा आॅपरेषन करने से इन्कार कर दिया । तब दिनांक 29.3.2012 को प्रार्थी ने रामस्नेही चिकित्सालय, भीलवाडा में दिखाया जहां उसका एक्सरे किया गया ओैर दिनंाक 30.3.2012 को उक्त चिकित्सालय के डा. राहुल गर्ग द्वारा उसका दूसरा आॅपरेषन किया गया । इसमें उसके आपरेषन के रू. 20,905/- व दवाईयों में रू. 15,211.32 खर्च हुए । दिनंाक 8.4.2012 का उसे उक्त चिकित्सालय से डिस्चार्ज कर दिया गया ।
प्रार्थी का कथन है कि अप्रार्थीगण द्वारा घोर लापरवाही व उपेक्षापूर्वक गलत आॅपरेषन करके गलत तरीके से अस्थि जोड़ करने के कारण उसका हाथ काटने की नौबत आ गई और मजबूरन प्रार्थी को दूसरा आपरेषन करवाना पडा जिससे प्रार्थी को अनुचित राषि खर्च करनी पडी व ष्षारीरिक व मानसिक वेदना सहनी पडी । इसकी भरपाई हेतु उसने दिनांक 21.4.2012 को नोटिस भी दिया । किन्तु अप्रार्थीगण ने मांगी गई क्षतिपूर्ति राषि की बजाय मिथ्या तथ्यों युक्त गैर जिम्मेदाराना जवाब दिया । प्रार्थी ने अप्रार्थीगण के कृत्य को गंभीर सेवा दोष एवं अनुचित व्यापार प्रथा बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र पेष किया है ।
2. अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत करते हुए कथन किया है कि प्रार्थी को दिनंाक 23.2.2013 को उसके हाथ की गम्भीर चोट ब्वउचवनदक थ्तंबजनतम होने के कारण लाया गया था । चूंकि प्रार्थी के हाथ की हड्डी चमडी फाड़कर बाहर आई थी तथा मांसपेषियों को भी काफी चोट पहुंची थी । जिसका एक्सरे करवा कर प्रार्थी व उसके परिजनों को आॅपरेषन के संबंध में बताया गया था और यह भी बताया गया था कि इस आॅपरेषन के बाद दूसरा आॅपरेषन भी किया जा सकता है और उनकी लिखित सहमति के आधार पर ही प्रार्थी का आॅपरेषन किया गया । आॅपरेषन के बाद प्रार्थी को पोस्ट आॅपरेटिव वार्ड में 4 दिन रखा गया था । प्रार्थी की अंगुलियों का मूवमेंट व रक्त संचार पूर्णतया सही था और उसकी स्थिति सामान्य थी । दिनंाक 27.2.2012 को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था और डिस्चार्ज करते समय प्रार्थी की हालत सामान्य थी तथा प्रार्थी को बता दिया गया था कि किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तत्काल अप्रार्थी को अवगत करावे । डिस्चार्ज होने के बाद प्रार्थी दिनंाक
1.3.2012 को नियमित ड्रेसिंग कराने आया और दिनांक 5.3.2012 को रूटिन चैकअप व टांके निकलवाने आया तब तक वह पूरी तरह स्वस्थ था । प्रार्थी का दिनांक 23.3.2012 को अप्रार्थी के अस्पताल में आने का कथन गलत है क्योंकि प्रार्थी दिनंाक 3.12.2012 के बाद कभी भी अप्रार्थी के यहां नहीं आया । प्रार्थी ने अपने स्तर पर ही जयपुर स्थित डा. एस.एल. षर्मा से जांच करवाई । प्रार्थी ने डा. षर्मा द्वारा लिखित दस्तावेज का गलत अर्थ निकाला है । प्रार्थी का हाथ काला पडा है इसके पीछे कोई अन्य कारण है जिसे प्रार्थी छिपा रहा है । न्स्छ।त् छम्त्टम् च्।स्ैल् का मतलब गेंगरिन नही है और ना ही इसमें कभी हाथ काटने की नौबत आती है । गंेगरिन एक बार हो जाने के बाद पुनः परिवर्तित नहीं हो सकता क्योंकि यह प्ततमअमतेपइसम च्तवबमकनतम है । अप्रार्थी ने प्रार्थी को डा. ष्षर्मा व रामस्नेही चिकित्सालय के लिए रैफर नही ंकिया क्योंकि प्रार्थी उनके यहां से डिस्चार्ज होने के बाद कभी नहीं आया । वैसे भी डा. षर्मा व रामस्नेही चिकित्सालय ने उत्तरदाता द्वारा चिकित्सकीय लापरवाही बरतने बाबत् कोई कथन नहीं किया है । प्रार्थी का नोटिस प्राप्त होने पर उसका समुचित जवाब अप्रार्थी द्वारा प्रेषित किया गया था ।
अप्रार्थी ने अपने अतिरिक्त कथन में यह कहा है कि प्रार्थी दिनंाक 22.2.2012 को किसी फैक्ट्री में काम करते समय उपर से गिर जाने के कारण उसके गम्भीर चोट लगी थी और प्रार्थी को कहीं प्राथमिक उपचार के बाद दिनंाक 23.3.2012 को अप्रार्थी के अस्पताल लाया गया था और फिर उसका उपचार चालू किया । आगे उपर लिखित कथनों को दोहराते हुए कथन किया है कि उत्तरदाता ने यूनाईटेड इण्डिया/ओरियण्टल इंष्योरेंस कम्पनी से प्रोफेषनल इंडेमिनिट कवर फोर मेडिकल एस्टैब्लिषमेंट कवर पाॅलिसी ले रखी है जिसके तहत चिकित्सा प्रदान करने के दौन रोगी को होने वाली सम्भाविंत क्षति की पूर्ति करने का दायित्व उक्त बीमा कम्पनी का है । अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में डा. संजय राठी का ष्षपथपत्र पेष किया है ।
3. प्रार्थी ने अप्रार्थी के जवाब का काउण्टर ष्षपथपत्र पेष किया है ।
4. प्रार्थी प़क्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि अप्रार्थीगण द्वारा उपेक्षापूर्ण तरीके से किए गए गलत आपरेषन के कारण प्रार्थी का दाहिना हाथ अत्यधिक काला व सुन्न पड़़ गया था । चूंकि अप्रार्थी द्वारा उक्त त्रुटिपूर्ण आपरेषन को सुधारने से इन्कार कर दिया था इस कारण प्रार्थी को मजबूरन अन्य अस्पतालों के चक्क्र लगाने पडे़ हंै । अन्त में उसने भीलवाडा में रामस्नेही चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में अपना इलाज करवाया व आपरेषन भी करवाया । अप्रार्थीगण के उक्त लापरवाही व उपेक्षापूर्वक आपरेषन करने व गलत तरीके से अस्थिजोड़ करने के कारण हाथ के काटने की नौबत आ गई थी और उसे आपरेषन करवाने के लिए मजबूर होना पड़ा था । अप्रार्थीगण ने षुल्क लेकर समुचित चिकित्सकीय सुविधा प्रदान नहीं की जबकि ऐसा करना उनका दायित्व था । उनकी ओर से कारित उक्त कृत्य गम्भीर सेवा दोष व अनुचित व्यापार प्रथा की श्रेणी में आता है । परिवाद स्वीकार कर अनुचित अनुतोष प्रदान किया जाए ।
5. खण्डन में अपार्थीगण की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थी के हाथ में गम्भीर चोट (ब्वउचवनदक थ्तंबजनतम ) होने के कारण उसका एक्सरे कर आपरेषन करने की सलाह दी गई क्योंकि हड्डी चमड़ी फाड़कर बाहर आ गई थी तथा मांसपेषियों को भी काफी चोट पहुंची थी । । आपेरषन से पूर्व प्रार्थी के परिजनों को विस्तारपूर्वक समझाया गया था । उनकी लिखित सहमति लेने के बाद प्रार्थी की नियमित जांच करवा कर उसका सफल आपरेषन किया गया था । प्रार्थी को समय समय पर अप्रार्थी द्वारा देख्,ाा गया । इस दौरान उसकी स्थिति सामान्य पाई गई थी । उसे किसी प्रकार की कोई षिकायत नही ंथी। प्रार्थी उनके अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद दिनंाक 1.3.2012 को नियमित डैªसिंग कराने आया तब उसकी स्थिति सामान्य थी । दिनांक 5.3.2012 को भी रूटीन चैकअप कराने आया था तब वह पूरी तरह से स्वस्थ था । इस बात को गलत बताया कि उनके द्वारा प्रार्थी को जयपुर स्थित विषेषज्ञ से सलाह लेने की बात बताई गई थी । प्रार्थी अपेन स्तर पर अन्य स्थानों पर इलाज करवाने गया है । गेंगरीन डवलप होने के तथ्य को गलत बताया है । कुल मिलाकर उनका प्रमुख तर्क यही रहा है कि रोगी के इलाज में वहीं चिकित्सा प्रक्रिया अपनाई गई जो साधारणतया चिकित्सा विज्ञान के तहत उक्त इलाज में अपनाई जाती है । अन्त में उनकी ओर से यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि उनकी ओर से यूनाईटेड इण्डिया/ ओरिण्टल इन्ष्योरेंस कम्पनी से प्रोफेषनल इंडेमिनि कॅवर फार मेडीकल एस्टेब्लिषमेंट पाॅलिसी ले रखी है । । अतः उक्त पाॅलिसी के तहत चिकित्सा प्रदान करने के दौरान रोगी को होने वाली सम्भावित क्षति की पूर्ति का दायित्व बीमा कम्पनी का है । यह भी विकल्प में तर्क प्रस्तुत किया गया कि हालाकि उनके अस्पताल में प्रार्थी के इलाज में कोई चिकित्सकीय लापरवाही नहीं बरती गई फिर भी यदि अप्रार्थीगण के विरूद्व कोई दायित्व निर्धारित किया जाता है तो उसकी पूर्ति करने का दायित्व उक्त बीमा कम्पनी का है । अन्त में बताया कि प्रार्थी ऐसी कोई चिकित्सकीय लापरवाही सिद्व नहीं कर पाया है । परिवाद खारिज होने योग्य बतलाया ।
6. हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है ।
7. यह स्वीकृत तथ्य है कि प्रार्थी द्वारा अप्रार्थी संख्या 2 अस्पताल में दिनंाक 23.2.2012 को उसके दाहिने हाथ में आई चोट के कारण इलाज हेतु अप्रार्थी को दिखाया गया व उसी दिन उसके दाहिने हाथ का एक्सरे लिया जाकर आपरेषन किया गया व आपरेषन के बाद एक्सरे किया जाकर प्रार्थी उक्त अस्पताल में दिनांक 23.2.2012 से 27.2.2012 तक भर्ती रह कर दिनांक 27.2.2012 को डिस्चार्ज कर दिया गया । हालांकि प्रार्थी ने दिनांक 23.2.2012 को अप्रार्थी संख्या 1 से मोबाईल पर सम्पर्क करना बताया है व इसी दिन उसने अस्पताल में जाना बताया है तथा चिकित्सक के नहीं मिलने पर उसने उक्त चिकित्सक की सलाह पर जयपुर एसएमएम अस्पताल स्थित डा. षर्मा को दिखाना बताया है जबकि अप्रार्थी डाक्टर ने इन तथ्यों का खण्डन किया है । अतः यह तथ्य कि प्रार्थी अप्रार्थी चिकित्सक की सलाह से उक्त डा.ष्षर्मा को एसएमएस चिकित्सालय, जयपुर में दिखाने गया ऐसा नहीं माना जा सकता । डा. ष्षर्मा की पर्ची को देखने से यह तो प्रकट होता है कि प्रार्थी ने उक्त दिनांक को डाक्टर षर्मा से सलाह मषविरा किया । प्रार्थी पक्ष का यहा यह तर्क रहा है कि उसके हाथ की ह्डी को सीधा करके नहीं जोड़ गया बल्कि एक हड्ी को दूसरी हड्डी पर चढा़ दिया गया । इस संबंध में उसने दस्तावेत प्रदर्ष -18 व 21 पर अवलम्ब लिया है यहां यह भी उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने दिनंाक 27.2.2012 को उक्त अस्पताल से डिस्चार्ज होकर दिनंाक 1.3.2012 व 5.3.2012 को अप्रार्थीगण से फोलोअप के लिए सम्पर्क किया है । डिस्चार्ज टिकिट में इस बात का उल्लेख है । इस तथ्य को प्रार्थी ने अपने परिवाद में छिपाया है । । बहरहाल उभय पक्षकारान के तर्को को ध्यान में रखते हुए हमने प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत अभिलेखों में विभिन्न चिकित्सा पर्चियों,जांच रिपोर्ट व एक्सरे रिपोर्ट का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया व इस स्थिति पर विचार किया कि क्या अप्रार्थीगण से इलाज करवाने के दौरान उक्त इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही की गई ? क्या इस कारण प्रार्थी जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल के चिकित्सक व भीलवाड़ा के चिकित्सक से इलाज करवाकर आया तथा अप्रार्थीगण द्वारा किया गया इलाज सही स्तर का नही ंथा तथा उसमें गम्भीर लापरवाही बरती गई त्र लापरवाही के संबंध में निष्चियात्मक अभिमत नहीं बनने की अवस्था में इस बिन्दु पर भी विचार किया गया कि क्या अप्रार्थीगण द्वारा किया गया इलाज चिकित्सा विज्ञान के निष्चित मापदण्ड के अन्तर्गत किया गया था ?
8. इस संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय राष्ट्रीय आयेाग के निम्न विनिष्चयों में विवेचना व दिषा निर्देष प्रभावकारी एवं बाध्यकारी है :-
1ण् प्;2009द्धब्च्श्र 32 ;ैब्द्ध डंतजपद थ्ण् क्ष्ैव्रं टे डवीकण् प्ेीुि
2ण् 2016 ;2द्धब्च्त् 2;छब्द्ध च्तंलंह भ्वेपचपजंस - त्मेमंतबी ब्मदजमत च्अजण् स्जक
- ।दतण्टपरंल च्ंस
9. उपरोक्त विनिचष्यों में प्रतिपादित दिषा निर्देषों का सार यह है कि उपभोक्ता मंच मेडिकल साईंस में एक्सपर्ट नहीं है तथा उन्हें किसी विषय विषेषज्ञ की राय के स्थान पर अपनी राय को प्रतिस्थापित नहीं करना चाहिए । मेडिकल दुराषय(छमहसमहमदबलद्ध के बारे में इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि क्या निर्धारित सावधानी बरती गई जैसा कि उपरोक्त विनिष्चय में प्रतिपादित किया गया है । हमने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए विषेषज्ञों की राय हेतु इस बिन्दु पर स्थानीय जवाहर लाल चिकित्सालय के विषेषज्ञों से राय प्राप्त की । उनके द्वारा दिए गए निर्देर्षो के अनुरूप मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाकर उक्त मेडिकल बोर्ड ने भी निम्नानुसार राय प्रकट की है:-
1ण् ॅम जीम इवंतक उमउइमते ींअम वचपदपवद जींज जीम जतम ेनतहमवद क्तण् ैंदरंल त्ंजीपए डै;व्तजीवचमकपबेद्ध त्ंजीप भ्वेचपजंसेए ज्ञपेींदळंतकी ंदक ।रउमत ींअम तमुनपतमक ुनंसपपिबंजपवद वज जतमंजध्उंदंहम ंइवअम तिंबजनतमध्क्वेंमंेमण्
2ण् ज्ीम ततमंजउमदज हपअमद इल क्तण् ैंदरंल त्ंजीप जींज जपउम पे ंे चमतंबबवतकंदबम ूपजी मगजंइसपेीमक चतवजवबवस वित जतमंजपदह ंइवअम कपेमंेमए ैनतहमवद मगीपइपजमक तमंुेवदंइसम ेापससए बंतम ंदक मंनजपवदण्
3ण् ।े चतमजतमंजउमदज तमबवतक व ित्ंजीप भ्वेचपजंसए ज्ञपेींदहंतकी ूपजी त्महण् 8956 कंजमक 22.3.2012 क्व्। 23.2.2012 क्व्क् 27.2.2012 जीम जतमंजउमदज हपअमद ूंे विनदक ीनेजपजपमक ंे चमत वनत वचपदपवद
4ण् ज्ीम जतमंजउमदज हपअमद जव जीम पे ूपजी जीम तमंेवदंइसम ेापसस ंदक बंतम ंदक दव मअपकमदबम व िछमहसपहमदबम ंतम विनदक पद जीम जतमंजउमदज तमबवतके वि जीम चंजपमदजण्
10. हमने उक्त प्राप्त राय पर विचार कर यह पाया कि तत्समय प्रार्थी के प्रारम्भ में इलाज कराते हुए अप्रार्थी चिकित्सक वांछित योग्यताएं रखते था तथा प्रार्थी के हाथ में आई चोटों व फैक्चर के इलाज हेतु सक्षम अस्पताल द्वारा दिए गए ट्रीटमेंट संबंधित जानकारी के के अन्र्तगत दिया गया था तथा चिकित्सक सर्जन ने समस्त आवष्यक कार्यक्षमता पूर्ण सावधानी के साथ प्रस्तावित करते हुए प्रार्थी को दिया गया तथा यह इलाज मेडिकल बोर्ड की राय में जस्टीफाई था एवं जो ट्रीटमेंट दिया गया वह पूर्ण रूप से कार्य कुषलता के साथ बिना किसी असावधानी के दिया गया था । चूंकि मेडिकल बोर्ड की राय में अप्रार्थीगण के उक्त कार्य में किसी प्रकार की कोई कार्यकुषलता में अथवा मेडिकल दुराषय(छमहसमहमदबलद्धसामने नहीं आई है । अतः यह नहीं माना जा सकता कि अप्रार्थीगण ने घोर उपेक्षापूर्ण लापरवाही से प्रार्थी का इलाज करते हुए उसे मानसिक व ष्षारीरिक क्षति पहुंचाई हो । अप्रार्थीगण द्वारा किसी प्रकार का सेवा दोष अथवा अनुचित व्यापार व्यवहार का परिचय नहीं दिया गया है । ऐसी स्थिति में मंच की राय में प्रार्थी किसी प्रकार का अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नही ंहै । अतः परिवाद निरस्त होन योग्य है एवं आदेष है कि
-ःः आदेष:ः-
11. प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार किया जाकर खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
आदेष दिनांक 29.09.2016 को लिखाया जाकर सुनाया गया ।
(नवीन कुमार ) (श्रीमती ज्योति डोसी) (विनय कुमार गोस्वामी )
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
11.
जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
क्रमांक: दिनांक:
अधीक्षक,
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय,
अजमेर
विषय:- परिवाद संख्या 256/2012 रामेष्वर बनाम
डा. संजय राठी व अन्य में डमकपबंस दमहसपहमदबम
बाबत् ।
महोदय,
उपरोक्त विषयान्तर्गत इस उपभोक्ता मंच में प्रार्थी ने स्वयं के इलाज में लापरवाही बाबत् अप्रार्थी से क्षतिपूर्ति दिलवाए जाने हेतु उक्त उनवानी परिवाद दायर किया है । जिसके संक्षिप्त विवरण अलग से संलग्न है - (परिषिष्ठ-1)
निर्देष है कि आप कृपया विषेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी गठित कर निम्न विचारणीय बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए उनकी राय इस प्रकरण की आगामाी तारीख पेषी दिनांक 04.08.2016 से पूर्व भिजवाने का श्रम करें:-
विचारणीय बिन्दु -
1. क्या दिनांक23.02.2016 को मरीज के प्रथम निरीक्षण के समय
इलाज करने वाले चिकित्सक उक्त बीमारी के इलाज हेतु पर्याप्त
योग्यता रखते थे ?
2. क्या उनके द्वारा किया गया इलाज पर्याप्त दक्षता, पूर्ण सावधानी
तथा ैापसस को ध्यान में रखकर किया गया है ?
3. क्या दर्षाए गए समय पर चिकित्सकों द्वारा किया गया इलाज
पर्याप्त था ?
4. क्या चिकित्सकों द्वारा किए गए इलाज में कोई लापरवाही बरती
गई है ?
भवदीय,
1. परिषिष्ठ -1
2. स्ंक्षिप्त विवरण परिषिष्ठ -2
भर्ती टिकिट नम्बर 6671 दिनांक 23.2.2012
3. एक्स-रे प्रदर्ष - 3
4. एक्स-रे प्रदर्ष - 4
5. डा. एस.एल.षर्मा का प्रस्क्रिप्षन प्रदर्ष - 5
6. रामस्नेही चिकित्सालय, भीलवाडा की एक्सरे अध्यक्ष
की रिपोर्ट प्रर्ष- 6 -7 जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
संक्षित विवरण अभिकथनानुसार :
इस उपभोक्ता मंच के समक्ष प्रस्तुत परिवाद संख्या 256/12 रामेष्वर बनाम राठी अस्पताल व अन्य के सांक्षिप्त तथ्यानुसार दिनंाक 23.02.2012 को प्रार्थी रामेष्वर का लेथ मषीन में कार्य करते समय दाहिनें हाथ के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के कारण उपचार हेतु आदित्य मिल के पास, अजमेर रोड, मदनगज-किषनगढ़ , जिला-अजमेर स्थित राठी अस्पताल में लाया गया तथा उसे भर्ती कर डा. संजय राठाी द्वारा दिए गए इलाज में उसका एक्स-रे (दायी बाजू का) किया जाकर परिजनों को बताकर आॅपरेषन किया गया । अनुमानित खर्चा रू. 17,100/- बताया गया , जो जमा किया गया । अस्पताल में अन्य जांचे की गई । आॅपरेषन के बाद एक्स-रे लिया कर उक्त अस्पताल में भर्ती रख कर दिनांक 27.2.2012 को डिस्चार्ज किया गया ।
मरीज द्वारा दिनांक 24.3.2012 को जयपुर स्थित एसएमएस अस्पताल,जयपुर के डा. एस.एल. ष्षर्मा को दिखाया गया , उनसे सलाह मषविरा किया जाकर उनकी पर्ची(राय) प्राप्त कर भीलवाडा स्थित रामस्नेही चिकित्सालय अनुसन्धान केन्द्र में दिनंाक 29.3.2012 को भर्ती किया जाकर दिनांक 29.2.2013 को ही पुनः दाहिने बाजू का एक्स-रे लिया जाकर दिनंाक 30.3.2012 को डा. राहुल गर्ग द्वारा आपरेषन कर एक्स-रे लिया गया ।
जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण, अजमेर
क्रमांक: दिनांक:
अधीक्षक,
जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय,
अजमेर
विषय:- परिवाद संख्या 256/2012 रामेष्वर बनाम
डा. संजय राठी व अन्य में डमकपबंस दमहसपहमदबम
बाबत् ।
प्रसंग:- आपके पत्र क्रमांक 13668 संस्था 6/जलनेचि/2016
दिनंाक 03.8.2016 के संदर्भ में ।
महोदय,
उपरोक्त संदर्भित विषयान्तर्गत पुनः लेख हैै कि इस मंच के समक्ष परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत करते समय राठी हास्पिटल,किषनगढ का कोई भर्ती टिकिट प्रस्तुत नहीं किया है, अपितु उसके अनुसार उसे मात्र उक्त अस्पताल के एडमिषन रजिस्ट्रेषन फीस की रसीद क्रमांक 5571 ही दी गई थी, जो आपको पूर्व पत्र द्वारा भेजी जा चुकी है । राठी हास्पिटल के डिस्चार्ज टिकिट की प्रति पुनः संलग्न की जा रही है, जिसमें आॅपरेषन नोट्स से संबधित सभी विवरण अंकित किए गए है ।(फोटोप्रति संलग्न- परिषिष्ठ-प्)इसके अलावा संबंधित चिकित्सक की डठठैएडै की डिग्री भी उपलब्ध नहीं है । अतः इनकी प्रति भिजवाई जाना सम्भव नहीं है ।
रामस्नेही चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र, भीलवाड़ा के भर्ती एवं डिस्चार्ज टिकिट की प्रति संलग्न की जा रही है । (फोटोप्रति संलग्न- परिषिष्ठ- प्प्) जिसमें आॅपरेषन नोट्स, बीमारी, इलाज आदि का विवरण अंकित है । इसका अलग से कोई डिस्चार्ज टिकिट नहीं है ।
कृपया इन्हीं उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर पूर्व निर्देषानुसार अपनी राय अविलम्ब भिजवाने की व्यवस्था करें ।
संलग्न:- उपरोक्तानुसार (1) भवदीय,
1. डिस्चार्ज टिकिट की फोटो प्रति
2. रामस्नेही चिकित्सालय एवं अनुसंधान
केन्द्र, भीलवाड़ा के भर्ती एवं डिस्चार्ज
टिकिट की फोटो प्रति अध्यक्ष
जिला मंच, उपभोक्ता संरक्षण,अजमेर