(राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ)
सुरक्षित
अपील संख्या 3504/1999
(जिला मंच बस्ती द्वारा परिवाद सं0 85/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 11/11/1999 के विरूद्ध)
1- यूनियन आफ इंडिया द्वारा सचिव, मनिस्ट्ररी आफ टेलीकम्यूनिकेशन, नई दिल्ली।
2- सुपरिटेण्डेन्ट आफ पोस्ट आफिस, बस्ती जिला बस्ती।
…अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
रतन दीप, पुत्र स्व0 श्री अनन्त प्रसाद धुसिया, निवासी – मोहल्ला पठान टोला, पोस्ट पुरानी बस्ती, तहसील व जिला बस्ती।
.........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:
1. मा0 श्री आलोक कुमार बोस, पीठासीन सदस्य ।
2. मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 13/08/2015
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील परिवाद सं0 85/1996 रतन दीप बनाम सब पोस्ट आफिस व अन्य में जिला फोरम, बस्ती द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 11/11/1999 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है। अधीनस्थ जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षीगण 01 लगायत 06 को आदेशित किया कि वे परिवादी को रू0 925/ माल की कीमत व पोस्टल चार्ज आदि के रूप में तथा मु0 4,000/ रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में एवं मु0 500/ रूपये परिवाद व्यय के रूप में इस निर्णय से एक माह के अंदर अदा कर दें। विपक्षी सं0 07 व 08 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया गया है।
इस प्रकरण में परिवादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि वह अपने मित्रगण के साथ मॉं वैष्णो देवी के दर्शन हेतु जम्मू कटरा गया था। वहां उसने दुकानदार से वार्ता करके यह तय किया कि दुकानदार कुछ अग्रिम पैसे लेकर खरीदे सामान को परिवादी के पते से वी0पी0पी0 कर देगा और माल पहुंचने पर परिवादी बकाया रकम एवं उस पर अन्य खर्च अदा करके माल छुड़ा लेगा। इसी शर्त पर परिवादी ने 800/ रूपये का माल खरीदा एवं दुकानदार ने रू0 85/ पैकेजिंग व अन्य खर्च आदि कुल मिलाकर रू0 885/ की मांग की जिसमें से दुकानदार को रू0 200/
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अग्रिम अदा कर दिया गया। शेष रू0 685/- वी0पी0पी0 प्राप्त होने के समय देना तय हुआ। परिवादी ने घर वापस आकर वी0पी0पी0 का इंतजार किया तथा संबंधित बाबू से पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि वी0पी0पी0 आ गई है और रू0 738/- की मांग की गई जिस पर परिवादी ने सर्वप्रथम वी0पी0पी0 माल देखना चाहा परन्तु विपक्षीगण के अधीनस्थ बाबू तैयार नहीं हुए तब परिवादी ने मजबूरन रू0 738/ जमा कर दिया। परिवादी ने जब अपना वी0पी0पी0 सामान देखा तो सन्न रह गया वह क्षतिग्रस्त हालत में था। परिवादी निराश होकर सामान को घर लाया और तुरन्त डाक अधीक्षक बस्ती से शिकायत की एवं पैकेट को वापस लेकर ओपेन डिलीवरी करने हेतु अनुरोध किया परन्तु उन्होंने इन्कार कर दिया जिससे परिवादी को अत्यधिक कष्ट हुआ तथा व्यक्तित्व एवं प्रतिष्ठा की क्षति उठानी पड़ी एवं आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति भी उठानी पड़ी।
विपक्षीगण 1 ता 6 ने अपना प्रतिवाद पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया जिसमें दिनांक 17/07295 को परिवादी का बीमा पार्सल प्राप्त होना और परिवादी द्वारा दिनांक 24/07/95 को मूल देय पार्सल की रकम रू0 690/- एवं कमीशन रू0 35/ अदा करने पर परिवादी द्वारा पार्सल वितरण प्राप्त करना स्वीकार किया है। परन्तु यह कहा गया है कि परिवादी ने मूल देय पार्सल का वितरण सुरक्षित प्राप्त किया। परिवादी ने मूल देय पार्सल की हालत देखकर एवं सन्तुष्ट होकर वितरण रसीद पर हस्ताक्षर किये। विपक्षीगण ने जवाबदावा के अंतर्गत विशेष कथन के पैरा 18 में परिवादी द्वारा प्राप्त रसीद संलग्न होने की बात लिखी है परन्तु कोई अनुलग्नक अपने वादोत्तर अथवा शपथपत्र के साथ दाखिल नहीं किया है एवं परिवाद पोषणीय न होने एवं मैलाफाइड होने की बात कही है। विपक्षीगण सं0 7 व 8 के तरफ से कोई वादोत्तर दाखिल नहीं किया गया है और बहस के समय भी उनके तरफ से जिला पीठ के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ। दोनों पक्षों को सुनने के उपरान्त जिला फोरम ने प्रश्नगत निर्णय/आदेश पारित किया जिससे क्षुब्ध होकर प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह उपस्थित आये परन्तु प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को एकल रूप से सुना गया एवं पत्रावली का गहनता से परिशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क दिया कि जिला फोरम ने जो निर्णय दिया है वह विधि अनुकूल नहीं है। क्षतिपूर्ति की धनराशि 4,000/ रूपये तथा वाद व्यय के रूप में मु0 500/-
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रूपये दिलाया गया है वह उचित नहीं है। प्रेषक ने परिवादी को सामान भेजा है यदि पैकेट फटा हुआ था तो परिवादी को फटा हुआ पैकेट नहीं लेना चाहिए था। पोस्ट आफिस की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
आधार अपील एवं संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया जिससे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी/प्रत्यर्थी ने गर्म कपड़े खरीदे थे जिसको वी0वी0पी0 के माध्यम से अपने पते पर बुक कराया। परिवादी ने मु0 800/ रूपये का सामान खरीदा था जिस पर पैकिंग चार्ज मु0 85/- रूपया खर्च हुआ। परिवादी/प्रत्यर्थी ने डाकघर से पार्सल वस्तु की सुपुदर्गी प्राप्त की। यदि सामान प्राप्त करते समय पैकेज का सामान फटा हुआ था तब परिवादी/प्रत्यर्थी पार्सल लेने से इन्कार करने के लिए स्वतंत्र था। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो कि पार्सल में रखा हुआ सामान क्षतिग्रस्त था जो डाकघर के कर्मचारी द्वारा जानबूझकर उसके लापरवाही के कारण हुआ है। परिवादी/प्रत्यर्थी ने पार्सल को देखकर संतुष्ट होने के बाद प्राप्त किया है। इस प्रकार डाक विभाग के सेवा में कमी होना साबित नहीं है। अपील में बल पाया जाता है। अपील स्वीकार करने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच बस्ती द्वारा परिवाद सं0 85/1996 में पारित निर्णय/आदेश दिनांकित 11/11/1999 खण्डित किया जाता है। पक्षकार इस अपील का अपना अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे। इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(आलोक कुमार बोस) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सुभाष, आशु0
कोर्ट-4